संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है? - sanskrt divas manaane ka uddeshy kya hai?

World Sanskrit Day 2022 ‘विश्व संस्कृत दिवस’ को संस्कृत में ‘विश्वसंस्कृतदिनम्’ भी कहा जाता है। इस दिवस को विश्व में संस्कृत भाषा के पुनरूद्धार एवं उपयोग को प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसे मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 1969 में हुई थी।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। World Sanskrit Day 2022: आज, 12 अगस्त 2022 को एक अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के साथ-साथ विश्व संस्कृत दिवस भी मनाया जा रहा है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा पर मनाए जाने वाले ‘विश्व संस्कृत दिवस’ को संस्कृत भाषा में ‘विश्वसंस्कृतदिनम्’ भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार तिथि निर्धारित होने के कारण पिछले साल यानि 2021 में विश्व संस्कृत दिवस को 22 अगस्त को मनाया गया था। गैर-सरकारी संगठन, ‘संस्कृत भारती’ द्वारा ‘विश्व संस्कृत दिवस’ को मनाए जाने के लिए प्रेरित किया जाता है। विश्व संस्कृत दिवस को हमारी प्राचीन भारतीय भाषा संस्कृत के पुनरूद्धार और प्रचलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

World Sanskrit Day 2022: ‘संस्कृत भाषा’ और ‘विश्व संस्कृत दिवस’ का इतिहास

भले ही विद्वान संस्कृत की उद्गम को लेकर एकमत नहीं हैं। भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा में संचार अनुमानत: 3,500 वर्षों से किया जा रहा है। हिंदू सभ्यता के कई शास्त्र, वेद, ग्रंथ, पुराण, कथाएं, आदि संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं। भाषाविद् पाणिनी द्वारा संस्कृत के व्याकरण के आठ अध्यायों की रचना के बाद इसे आधिकारिक तौरपर भाषा के रूप से मान्यता दी गई। दूसरी तरफ, विश्व संस्कृत दिवस को वर्ष 1969 में पहली बार मनाया गया था। तत्कालीन सरकार द्वारा विश्व संस्कृत दिवस को हिंदू संस्कृति की जड़ की भांति पूरे विश्व में प्रचारित करने के लिए शुरू मनाए जाने की घोषणा की गई थी।

World Sanskrit Day 2022: ‘विश्व संस्कृत दिवस’ का महत्व

सावन माह की पूर्णिमा यानि श्रावणी पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले राखी त्यौहार के साथ विश्व संस्कृत दिवस को भी पूरे देश में मनाया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न शिक्षण संस्थानों एवं सरकारी/गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस भाषा के महत्व को प्रदर्शित व प्रचारित करने के लिए कई कार्यक्रम (जैसे- भाषण प्रतियोगिता, आदि) आयोजित किए जाते हैं। जगह-जगह पर संस्कृत भाषा को प्रमोट करने के लिए सेमिनार का भी आयोजन विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर किया जाता है।

Edited By: Rishi Sonwal

संस्कृत भारत की संस्कृति का एक विभिन्न अंग है, क्योंकि संस्कृत भाषा भारत में सदियों से चली आ रही है। इसीलिए इसे देवों की भाषा भी कहते हैं। अर्थात भगवान की भाषा भी कहते हैं। भारत की संस्कृति संस्कृत भाषा से संबंध रखती है।

भारत की धार्मिक स्थिति भी संस्कृत भाषा पर आधारित है क्योंकि प्राचीन समय से ही भारत में संस्कृत भाषा का चलन है। इसीलिए भारत के कथा, कहानियां, किस्से और सभी तरह के प्राचीन काव्य ग्रंथ भी संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं।

आज के समय में लगभग संस्कृत भाषा लुप्त हो चुकी है, फिर भी भारत में ऐसे कुछ विश्वविद्यालय और कॉलेज है, जो संस्कृत भाषा पढ़ा रहे हैं यानी कि आप इन विद्यालयों में और संस्कृत भाषा के अंतर्गत ही आगे की पढ़ाई कर सकते हैं।

संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है? - sanskrt divas manaane ka uddeshy kya hai?

परंतु लोगों में संस्कृत की रुचि नहीं है, क्योंकि आज के समय में सभी लोग पश्चिमी संस्कृति और अंग्रेजी भाषा के पीछे भागते हैं। इसीलिए धर्म अध्यात्म तथा भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग संस्कृत भाषा अब लुप्त होने के कगार पर हैं। जबकि इस भाषा का महत्व अर्थ और ज्ञान काफी सुगम तथा संस्कारी है।

संस्कृत भाषा को विशिष्ट और महत्वपूर्ण भाषा माना गया है। संस्कृत भाषा के अर्थ से निकलने वाले शब्द को विशेष रुप से महत्वता दी जाती है। दक्षिण भारतीय कन्नड़ भाषा संस्कृत भाषा के सिमिलर भाषा मानी जाती है। बदलते समय के साथ ही संस्कृत भाषा धीरे-धीरे समाप्त होती गई और अब संस्कृत भाषा लुप्त होने के कगार पर खड़ी है।

हमारे हिंदू धर्म के अंतर्गत लिखे गए सभी ग्रंथ, काव्य ग्रंथ, पाठ, पूजा पद्धति, देवी देवताओं के मंत्र, उच्चारण, श्लोक इत्यादि सब कुछ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि संस्कृत दिवस कब है?, संस्कृत दिवस को क्यों मनाया जाता है और संस्कृत दिवस का इतिहास क्या है? इसका महत्व क्या है?

संस्कृत दिवस कब है और क्यों मनाया जाता है? (महत्व, उद्देश्य और इतिहास)

  • संस्कृत दिवस कब है?
  • संस्कृत दिवस क्यों मनाया जाता है?
  • संस्कृत भाषा का इतिहास
  • संस्कृत भाषा का महत्व
  • भारत में संस्कृत विश्वयविद्यालय
  • FAQ
  • निष्कर्ष

संस्कृत दिवस कब है?

संस्कृत दिवस को संस्कृत भाषा का महत्व और इसकी विरासत को समझने के लिए संस्कृत दिवस के रूप में शुरू किया गया है। संस्कृत दिवस को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 12 अगस्त को संस्कृत दिवस है। संस्कृत दिवस को देश की संस्कृति तथा विशेष रूप से इतिहास की दृष्टि से चुना गया है।

इस दिन लोग संस्कृत के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। संस्कृत में भाषण देते हैं। संस्कृत का महत्व जानते हैं तथा संस्कृत के अंतर्गत दोहे और श्लोक पढ़ते हैं। संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इसके साथ ही यह अत्यंत मधुर और वैभवशाली भाषा है।

संस्कृत भाषा के शब्द अपने आप में अत्यंत सुंदर और शुभम लगते हैं। संस्कृत भाषा को देववाणी कहते हैं अर्थात देवताओं की भाषा है। संस्कृत भाषा के कर्णप्रिय ध्वनि लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। संस्कृत भाषा के अंतर्गत बोलने से लोगों में भाव बढ़ता है क्योंकि इसके शब्द और उच्चारण अत्यंत कोमल और सुगम्य है। दुनिया भर के भाषाविदों का कहना है कि संस्कृत भाषा दुनिया की सर्वोत्तम प्राचीन भाषा है।

संस्कृत दिवस क्यों मनाया जाता है?

संस्कृत भाषा वर्तमान समय में लगभग विलुप्त हो चुकी है, लेकिन यह भारत की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। भारत में सदियों से ही संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता रहा है। लोग आम तौर पर संस्कृत भाषा ही बोलते थे, लेकिन बदलते समय के साथ लोगों की भाषा में बदलाव होता गया और संस्कृत भाषा पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।

इसीलिए संस्कृत भाषा को याद रखने के लिए, संस्कृत भाषा को जागृत रखने के लिए, संस्कृत भाषा का महत्व जानने के लिए, संस्कृत दिवस मनाया जाता है, जिससे लोगों को यह पता चल सके कि संस्कृत भाषा का महत्व क्या है?, संस्कृत भाषा कैसी है?

संस्कृत दिवस को विशेष रुप से विद्यालयों में मनाया जाता है। विद्यालयों के अंदर विद्यार्थी संस्कृत भाषा में भाषण देते हैं तथा संस्कृत के श्लोक बोलते हैं। इस दिन संस्कृत का इतिहास बदल जाता है और संस्कृत का महत्व भी बताया जाता है।

संस्कृत दिवस के रूप में संस्कृत को जीवित तथा जागृत रखने के लिए सबसे पहले 1969 में भारत सरकार ने राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने की कवायद शुरू की थी। संस्कृत दिवस समृद्ध भाषा के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

संस्कृत भाषा का इतिहास

संस्कृत दिवस का इतिहास संस्कृत भाषा के इतिहास से जुड़ा हुआ है, क्योंकि संस्कृत भाषा की महत्ता को देखते हुए ही संस्कृत दिवस मनाने की कवायद शुरू की गई है। संस्कृत भाषा भारत की सर्वाधिक प्राचीन भाषा है। बताया जा रहा है कि लगभग 4000 वर्ष पूर्व से ही भारत में संस्कृत भाषा का प्रचलन है।

भारत में स्वतंत्रता के अंतर्गत आने वाले सभी तरह के धार्मिक ग्रंथ मंत्र उच्चारण वेद कथा उपन्यास कहानियां इतिहास इत्यादि संस्कृत भाषा के अंतर्गत लिखे गए हैं। भारत के सनातन धर्म में वेद पुराण और उपनिषदों की रचना भी 1000 वर्ष पूर्व संस्कृत भाषा में की गई।

विशेष रुप से ऋषि मुनि, संत महात्मा और ज्ञानी लोग संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया करते थे। ऋषि मुनियों द्वारा संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाना ही आज के समय में हमें सभी वेद और धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में मिलते हैं।

संस्कृत भाषा में महापुराण, वेद, शिव पुराण, उपनिषद, कथाएं, अनेक तरह की धर्म से संबंधित जानकारी वाले ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सनातन धर्म के अंदर संस्कृत भाषा का प्रचलन कितना प्राचीन है।

बता दें कि दुनिया का सबसे प्राचीनतम और पहला ग्रंथ ऋग्वेद संस्कृत भाषा में लिखा गया था। लेकिन बदलते समय के साथ-साथ कालचक्र के अध्ययन संस्कृत भाषा का अस्तित्व धीरे-धीरे कम होता गया, जो लगभग वर्तमान समय में मिट चुका है‌।

भारत के प्राचीनतम संस्कृति सभ्यता के लोग जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन इत्यादि धर्म में सभी तरह के धर्म ग्रंथ और पुस्तकों में संस्कृत भाषा का उपयोग किया गया है। ऋषि मुनि धर्मगुरु और समाज सुधारक लोग संस्कृत भाषा के अंतर्गत है। मनुष्य का कल्याण करने वाले धर्म ग्रंथों का निर्माण करते थे।

ग्रंथों की रचना किया करते थे, संस्कृत भाषा से ही वाल्मीकि ने रामायण लिखी। संस्कृत भाषा में ही महाभारत लिखी गई। संस्कृत भाषा में ही 18 पुराण लिखे गए। संस्कृत भाषा से ही चार वेदों की रचना की गई। वेद वेदांत लिखे गए व्याकरण निरुक्त किया गया। उपनिषद लिखे गए तथा अनेक तरह के पवित्र ग्रंथ संस्कृत भाषा से लिखे गए।

संस्कृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का भी गौरव मिला हुआ है तथा यह भारत की साहित्य भाषा है। प्राचीन समय में भारत के साहित्य में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया और शास्त्रीय संगीत में संस्कृत भाषा को मान्यता दी गई। संस्कृत भाषा एक अत्यंत शुभम और शोभनीय भाषा है।

इसीलिए संस्कृत भाषा को देववाणी भाषा कहा जाता है। संस्कृत भाषा के अंतर्गत अनेक तरह के साहित्य और वेदों की रचना की गई है। संस्कृत से जुड़ा व्याकरण इस भाषा के बारे में इसका महत्व विस्तार से बताता है। विशेष रुप से मंत्र उच्चारण ग्रंथ का सूत्र संस्कृत भाषा में लिखे और पढ़े जाते हैं।

सनातन धर्म के अंतर्गत प्रत्येक शुभ कार्य के दौरान पूजा यज्ञ हवन इत्यादि किया जाता है। इस दौरान अपने पंडित को मंत्रों का उच्चारण करते हुए जरूर देखा होगा। किसी शुभ कार्य के दौरान, विवाह शादी के दौरान, मुंडन के दौरान, पंडित संस्कृत भाषा के अंतर्गत कुछ मंत्र पढ़ते हैं। यह मंत्र सदियों से चले आ रहे हैं जो वर्तमान समय में भी संस्कृत में ही पढे जाते हैं।

लेकिन अब संस्कृत भाषा का पूरी तरह से बंद हो चुकी है। वैज्ञानिको ने भी संस्कृत भाषा को एक प्रभावशाली बताया है। भाषाक्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी संस्कृत भाषा को एक अद्भुत भाषा बताया है। वैदिक काल से पूजा अर्चना और धर्म से संबंधित संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

संस्कृत भाषा का महत्व

संस्कृत भाषा को कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम विकल्प माना जाता है। संस्कृत भाषा भारत की सर्वोत्तम प्राचीन भाषा है, जिसका इतिहास लगभग 4000 से भी अधिक वर्षों पुराना बताया जा रहा है। संस्कृत भाषा एक अत्यंत सुंदर और समृद्ध साली भाषा है। भारतीय संस्कृति और विरासत के अंतर्गत संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया है। संस्कृत भाषा भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है, इसीलिए इसका अत्यंत जरूरी है।

भारत के इतिहास में भारत का शास्त्रीय संगीत और भारत का साहित्य संस्कृत भाषा में लिखा गया है। शास्त्रीय संगीत जो भारत की समृद्धि और भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है, उसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है। शास्त्रीय संगीत के दौरान संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा भारत की संस्कृति और भारत की सभ्यता में भी संस्कृत के रंग रूप देखने को मिलते हैं। क्योंकि सनातन धर्म के अंतर्गत इस्तेमाल होने वाले सभी तरह के मंत्र उच्चारण कथा पूजन ग्रंथ इत्यादि सभी संस्कृत भाषा से लिखे गए हैं।

संस्कृत भाषा का भारत की संस्कृति विरासत और संप्रभुता तथा समृद्धि के क्षेत्र में योगदान देखते हुए और भारत की ऐतिहासिकता मे संस्कृत भाषा की महत्वता को देखते हुए संस्कृत भाषा को बचाने के लिए संस्कृत दिवस मनाया जाता है। भारत के ऋषि मुनि धर्मगुरु तपस्वी तथा धर्म से संबंधित लोग संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करते थे।

इसीलिए वर्तमान समय में संस्कृत भाषा का वर्चस्व कायम रखने के लिए संस्कृत भाषा का संरक्षण करने के लिए भारत सरकार की तरफ से संस्कृत भाषा पर तरह-तरह की रिसर्च चल रही है और संस्कृत भाषा को बचाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

संस्कृत भाषा देश की समृद्धि प्राचीनतम ऐतिहासिक धार्मिक और विरासत के रूप में जानी जाती है। संस्कृत भाषा देश की एक अत्यंत प्राचीन भाषा है, जिसे देव भाषा भी कहा जाता है। भारतवर्ष की भूमि पर संस्कृत भाषा का उद्गम चिरकाल से माना जाता है।

धर्म ग्रंथों में संस्कृत भाषा को भारत की प्रारंभिक और मुख्य भाषा माना गया है। क्योंकि सनातन धर्म में वर्तमान समय तक संस्कृत भाषा का उपयोग देखा गया है। इसीलिए सनातन धर्म में संस्कृत भाषा का विशेष महत्व है। इसी आधार पर संस्कृत भाषा को बचाने की हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

आज के समय में विशेष तौर पर युवा पश्चिमी संस्कृति सभ्यता और पश्चिमी भाषा के प्रति रुचि रखने से भारतीय प्राचीनतम संस्कृत भाषा को भूलते जा रहे हैं। संस्कृत भाषा अब लगभग लुप्त होने की कगार पर है। हालांकि वर्तमान समय में भारत में कुछ ऐसे विश्वविद्यालय हैं, कुछ ऐसे कॉलेज हैं, जो संस्कृत भाषा के अंतर्गत पढ़ाई करवा रहे हैं।

लेकिन वहां पर पढने वाले विद्यार्थियों की संख्या ना के बराबर है। आज के समय में लोग विदेशी भाषा और विदेशी संस्कृति को अत्यधिक महत्व दे रहे हैं। इसी वजह से भारतीय संस्कृति और भारतीय संस्कृति से संबंधित संस्कृत भाषा अब लुप्त होने की कगार पर है।

संस्कृत भाषा का आधार संस्कृत भाषा को जीवित रखने के लिए भारत सरकार ने 1959 से संस्कृत दिवस मनाने की पेशकश की है। इस दिन शिक्षण संस्थान में विद्यार्थियों द्वारा संस्कृत भाषा के अंतर्गत भाषण दिया जाता है तथा संस्कृत भाषा के श्लोक बोले जाते हैं। संस्कृत भाषा के दिन कवि सम्मेलन करवाए जाते हैं।

इस सम्मेलन में कवि संस्कृत भाषा के दोहे पढ़ते हैं। संस्कृत भाषा के महत्व बताते हैं और संस्कृत भाषा को तवज्जो देते हैं। संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए संस्कृत दिवस अत्यंत जरूरी है, क्योंकि यह संस्कृत भाषा के प्रति लोगों को जागृत करता है और संस्कृत भाषा की जागरूकता को फैलाता है।

भारत में संस्कृत विश्वयविद्यालय

राज्य का नाम संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम
उत्तर प्रदेश संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
कर्नाटक कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी
हरियाणा वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी
आंध्र प्रदेश श्री वेंकटेश्वर वैदिक यूनिवर्सिटी
उड़ीसा श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी

FAQ

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति कब हुई?

संस्कृत भाषा का इतिहास लगभग 4000 वर्ष से भी अधिक पुराना है।

संस्कृत दिवस की शुरुआत कब हुई?

संस्कृत दिवस की स्थापना 1969 में की गई।

दुनिया का सबसे प्राचीनतम संस्कृत ग्रंथ कौन सा है?

ऋग वेद प्राचीनतम संस्कृत ग्रंथ है।

संस्कृत भाषा का संरक्षण क्यों जरूरी है ?

संस्कृत भाषा भारत की सर्वोत्तम प्राचीनतम भाषा है, जो भारत की संस्कृति और सभ्यता के साथ जुड़ी हुई है। भारत के सभी धर्म ग्रंथ, उपन्यास, उपनिषद, श्लोक, मंत्र, उच्चारण इत्यादि सब कुछ संस्कृत भाषा में ही वर्णित है।

संस्कृत भाषा किस लिपि पर आधारित है?

देवनागरी लिपि पर संस्कृत भाषा आधारित है।

वर्तमान में संस्कृत भाषा का उपयोग कितना है?

आज के समय में संस्कृत भाषा का उपयोग ना के बराबर है। संपूर्ण भारत में लोग पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी भाषा के अभाव में भारत की संस्कृति और भारत की भाषा को भूलते जा रहे हैं।

भारत में कुल कितने संस्कृत संस्थान हैं?

भारत में कुल 5 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं।

निष्कर्ष

संस्कृत भाषा भारत की सबसे प्राचीनतम और सभ्यकालीन भाषा है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। संस्कृत भाषा के अंतर्गत भारत के सभी ग्रंथ, कथा, उपनिषद तथा मंत्र उच्चारण लिखे गए हैं। वर्तमान समय में संस्कृत भाषा लगभग समाप्त हो चुकी है।

संस्कृत भाषा लुप्त होने के कगार पर है। इसलिए संस्कृत भाषा का संरक्षण करने के लिए संस्कृत दिवस मनाना शुरू किया गया है। हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन संस्कृत भाषा दिवस मनाया जाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको संस्कृत दिवस के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताया है। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमें उम्मीद है या जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी।

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संस्कृत दिवस क्यों मनाया जाता है?

आजकल देश में ही नहीं, विदेश में भी संस्कृत उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें केन्द्र तथा राज्य सरकारों का भी योगदान उल्लेखनीय है। जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है, वह सप्ताह कुछ वर्षों से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। देश के समस्त विद्यालयों में इसको बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

संस्कृत दिवस कैसे मनाया जाता है?

इस दिन श्रावणी पूर्णिमा अथवा रक्षाबंधन पर ऋषियों-मुनियों के स्मरण करने तथा उनका पूजन करके समर्पण का भाव रखा जाता है और हमारे ऋषि-मुनि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, अत: श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इसे ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

संस्कृत दिवस कब शुरू हुआ?

सन् 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया था। तभी से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था।

संस्कृत भाषा का महत्व क्या है?

संस्कृत भाषा देववाणी कहलाती है। यह न केवल भारत की ही महत्त्व पूर्ण भाषा है। अपितु विश्व की प्राचीनतम व श्रेष्ठतम भाषा मानी जाती है। कुछ समय पहले कुछ पाश्चात्य विद्वानों द्व्रारा मिश्र देश के साहित्य को प्राचीनतम माना जाता था परन्तु अब सभी विद्वान् एक मत से संस्कृत के प्रथम ग्रंथ वेद ( ऋग्वेद ) को सबसे प्राचीन मानते है।