भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ संस्कृति क्यों माना जाता है? - bhaarateey sanskrti ko shreshth sanskrti kyon maana jaata hai?

विषयसूची

  • 1 भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ क्यों माना गया है?
  • 2 संस्कृति का अर्थ क्या है संस्कृति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें?
  • 3 हमारी प्राचीन संस्कृति का मूल आधार क्या है?
  • 4 Sanskriti का अर्थ क्या है?
  • 5 भारतीय संस्कृति की निम्न में से कौन सी विशेषता है?

भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ क्यों माना गया है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय संस्कृति का सर्वाधिक व्यवस्थित रूप हमें सर्वप्रथम वैदिक युग में प्राप्त होता है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी, सशक्त एवं जीवंत रही हैं, जिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति का अद्भुत समन्वय पाया जाता है।

संस्कृति का अर्थ क्या है संस्कृति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति की परिभाषा टायलर मुख्य रूप से संस्कृति की अपनी परिभाषा के लिए जाने जाते हैं, इनके अनुसार, “संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला आचार, कानून, प्रथा और अन्य सभी क्षमताओं तथा आदतो का समावेश होता है जिन्हें मनुष्य समाज के नाते प्राप्त कराता है।”

भारतीय संस्कृति को विशिष्टता प्रदान करने वाला मुख्य सिद्धान्त कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंव्यक्ति तथा सामाजिक प्रगति के विभिन्न स्तरों को दृष्टिगत करते हुए आश्रम व्यवस्था की स्थापना द्वारा भारतीय संस्कृति को एक महान विशिष्टता प्राप्त हुई। आश्रम व्यवस्था का लक्ष्य व्यक्ति के जीवन का सर्वांगीण विकास करके सामाजिक आदर्शों की प्राप्ति करना था। व्यवस्था ने भारतीय संस्कृति को अभूतपूर्व समर्थता प्रदान की।

हमारी प्राचीन संस्कृति का मूल आधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत हमारी अस्मिता एवं संस्कृति का मूल आधार है। इसके मार्फत हम पुन: गौरवशाली अस्मिता को पा सकते हैं। संस्कृत के कारण ही पहले भारत विश्व गुरु था। संस्कृत के माध्यम से ही हम भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को जान सकते हैं।

Sanskriti का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है। यह ‘कृ’ (करना) धातु से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ की मूल स्थिति,यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है।

भारतीय संस्कृति की विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सम्पूर्ण भारत में जन्म, विवाह और मृत्यु के संस्कार एक समान प्रचलित हैं। विभिन्न रीति-रिवाज, आचार-व्यवहार और तीज – त्यौहारों में भी समानता है। भाषाओं की विविधता अवश्य है फिर भी संगीत, नृत्य और नाट्य के मौलिक स्वरूपों में आश्चर्यजनक समानता है।

भारतीय संस्कृति की निम्न में से कौन सी विशेषता है?

इसे सुनेंरोकेंनिरन्तरता – भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि हज़ारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है, जबकि मिस्र, असीरिया, यूनान और रोम की संस्कृतियों अपने मूल स्वरूप को लगभग विस्मृत कर चुकी हैं।

भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है?

भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक व्यवस्थित रूप हमें सर्वप्रथम वैदिक युग में प्राप्त होता है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी, सशक्त एवं जीवंत रही हैं, जिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति का अद्भुत समन्वय पाया जाता है।

भारतीय संस्कृति का महत्व क्या है?

भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अब जबकि हरेक की जीवन शैली आधुनिक हो रही है, भारतीय लोग आज भी अपनी परंपरा और मूल्यों को बनाए हुए हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोगों के बीच की घनिष्ठता ने एक अनोखा देश, 'भारत' बनाया है।

भारतीय संस्कृति से आप क्या समझते हैं?

मनुष्य की अमूल्य निधि उसकी संस्कृति है। संस्कृति एक ऐसा पर्यावरण है, जिसमें रहकर व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी बनता है, और प्राकृतिक पर्यावरण को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता अर्जित करता है।

भारतीय संस्कृति का मूल आधार क्या है?

इस अवसर पर मुख्य अतिथि नन्दकुमार ने अपना सम्बोधन संस्कृत में देते हुए कहा कि भारत का गौरव उसकी संस्कृति और सभ्यता है और संस्कृति का मूल आधार संस्कृत है। यह भाषा वैज्ञानिक भाषा है। अन्य भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा में सभी प्रकार के ज्ञान का भंडार है।