संसद में कार्यपालिका को नियंत्रित करने का महत्वपूर्ण तरीका कौन सा है? - sansad mein kaaryapaalika ko niyantrit karane ka mahatvapoorn tareeka kaun sa hai?

संसदीय व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियंत्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियंत्रित करना इतना जरूरी क्यों है? आप क्या सोचते हैं ?


मंत्रिमंडल अपने सभी कार्यो के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से संसद के प्रति दायित्व उत्तरदाई होता है। संसद मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, उनकी आलोचना करके तथा अविश्वास के प्रस्ताव द्वारा मंत्रिमंडल पर नियंत्रण रखती है। मंत्रिमंडल संसद में बहुमत रहने तक ही कार्यरत सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 75 (3) के अनुसार मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई है। राज्यसभा के सदस्य मंत्रों से प्रश्न पूछ सकते हैं, उनकी आलोचना कर सकते हैं उनसे शासन से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, परंतु राज्यसभा मंत्रिमंडल को अविश्वास प्रस्ताव पास करके अथवा धन- बिल को रद्द करके, नहीं हटा सकती। यह अधिकार केवल लोकसभा के पास है। यदि मंत्रिमंडल को लोकसभा में मंत्रिमंडल का विश्वास प्राप्त नहीं होता तो उसे पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।
आज कार्यपालिका की शक्तियों में निरंतर वृद्धि होती जा रही हैं। कार्यपालिका अपने उत्तरदायित्व का पालन सुचारु रूप से कर सकें अथवा सार्वजनिक अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील तथा उनकी आकांशाओं पर खरी उतर सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर नियंत्रण लगाना आवश्यक हो जाता हैं।


कार्यपालिका

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भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार

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संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है?

संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है ? उत्तर : जिस दल या दलों के गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल होता है उसी के सदस्यों को मिलाकर संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका बनती है| ऐसी स्थिति में संसदीय लोकतंत्र मंत्रिमंडल को तानाशाही में बदल सकता है जिसमें मंत्रिमंडल जो कहेगा सदन को वही मानना पड़ेगा।

कार्यपालिका पर नियंत्रण कौन रखता है?

केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्‍ट्रपति को प्राप्‍त है और उसके द्वारा प्रत्‍यक्ष रूप से या उसके अधीन अधिकारियों के जरिए संविधान के अनुसार अधिकार का प्रयोग किया। संघ के रक्ष बलों का सर्वोच्‍च शासन भी उसी का होता है।

संसदीय नियंत्रण के वह कौन से कारक है जो कार्यपालिका को अपने नियंत्रण में रखते हैं?

भारत की संसदीय प्रणाली की सरकार सामूहिक दायित्व के सिद्धांत पर आधारित है । इसका अर्थ है कि मंत्री अपनी नीतियों एवं कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी हैं; अत: प्रशासन पर विधायी नियंत्रण केवल अप्रत्यक्ष अर्थात मंत्रियों के माध्यम से है । अधिकारियों (प्रशासकों) को सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है ।

संसदीय नियंत्रण के साधन क्या है?

वित्त पर संसदीय नियंत्रण विधानमंडल की स्वीकृति के लिए बजट तैयार करना केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों, का संवैधानिक दायित्व है। कराधान पर विधायी विशेषाधिकार, व्यय पर विधायी नियंत्रण तथा वित्तीय मामलों पर कार्यपालिका द्वारा पहल संसदीय वित्तीय नियंत्रण प्रणाली के कुछ मूलभूत सिद्धान्त हैं।