सट्टेबाजी में कौन सी धारा लगती है? - sattebaajee mein kaun see dhaara lagatee hai?

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टाइम पास के लिए ताश खेलने का चलन पुराना है। इसे स्किल आफ कार्ड्स (skill of cards) यानी ‘हाथ की सफाई का खेल’ भी कहा जाता है। हममें से बहुत सारे लोग हैं, जो समय बिताने के लिए ताश खेलते हैं। और बहुत सारे लोग इस स्किल में बहुत आगे भी होते हैं। अमूमन घरों में मनोरंजन के लिए ताश खेला जाता है।

लेकिन ताश के जरिये कुछ लोग जुआ भी खेलते हैं। वे ज्यादातर रूपयों को दांव पर लगाते हैं। इस तरह के जुए पर रोक को भारत में एक एक्ट के तहत अपराध करार दिया गया है। क्या ताश खेलना अपराध है? दोस्तों, आज हम आपको इसी विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। आइए शुरू करते हैं-

जुआ क्या है? [What is gambling?]

मित्रों, आपको बता दें के जुआ खेलने से तात्पर्य किसी अवसर पर किसी व्यक्ति, जिसे हितधारक कहा जाता है, के द्वारा धन एवं कीमती सामान की बाजी लगाए जाने से हैं। इसमें व्यक्ति यह अपेक्षा रखता है कि वह धन अथवा कीमती सामान जीत लेगा। इसके लिए तीन अवयवों-विचार, मौका एवं पुरस्कार की मौजूदगी को अनिवार्य माना गया है।

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ताश खेलना अपराध नहीं होगा यदि-

कौशल यानी कि गेम आफ स्किल के तहत खेले जाने वाले कार्ड्स यानी ताश कोई अपने परिवार, अपने घर में अनुष्ठान एवं मनोरंजन के लिए खेलता है। एवं इसमें कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं होती है।

ताश खेलना अपराध होगा यदि-

ताश के माध्यम से बाजी लगाई जाती है। इसमें घर को छोड़कर बाहरी लोग शामिल होते हैं एवं दांव पर कोई कीमती सामान अथवा धन होता है। यानी दांव का कोई न कोई हितधारी होता है।

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जुआ खेलने पर सजा

दोस्तों, आपको बता दें कि हमारे देश में अभी 1867 में आया सार्वजनिक द्यूत अधिनियम (public gambling act) लागू है। जैसा कि सन से स्पष्ट है, यह कानून अंग्रेजों के टाइम में बनाया गया था। यद्यपि उस वक्त भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान में अब यह कानून मान्य नहीं है। लेकिन भारत में यह अभी जारी है।

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इस कानून के अंतर्गत जुआघर चलाना, जुआघर चलाने सहयोग करना, जुए में पूंजी लगाना, जुआ उपकरण रखना को अपराध के दायरे में रखा गया है। इसकी सजा तीन महीने की कैद अथवा 200 जुर्माना है। जज चाहे तो दोनों सजाएं एक साथ दे सकता है।

आनलाइन जुआ का चलन बढ़ा, सरकार ला रही कानून

मित्रों, इस वक्त आनलाइन जुआ यानी online gambling का चलन बहुत बढ़ रहा है। इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार इसके प्रति बहुत सख्त हो गई है। उसने उत्तर प्रदेश पब्लिक गेमिंग रोकथाम बिल की मसौदा रिपोर्ट राज्य विधि आयोग (state law commission) की अध्यक्षता में तैयार की है।

इसमें अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। यहां वर्तमान में सार्वजनिक जुआ अधिनियम के अंतर्गत महज एक साल की जेल एवं एक हजार रूपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। हालांकि राज्य विधि आयोग इसे और कड़ा बनाए जाने के पक्ष में है। उसने सजा के तहत जुर्माने को बढ़ाकर पांच हजार करने की सिफारिश की है।

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इसके साथ ही आनलाइन जुआ, घर में जुआ संचालन एवं सटेटबाजी को गैर जमानती अपराध बनाने की भी सिफारिश की है। पुलिस को अधिक शक्ति देने के लिए भी कानून तैयार किया है।

सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867 PDF Download –

ताश को अपराध माने जाने पर बहस क्यों?

दोस्तों, अब हम आपको बताएंगे कि ताश को अपराध माने जाने पर बहस क्यों शुरू हो गई है? दरअसल, जुए के अपराध की व्याख्या से जुड़ी एक विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है। याचिका में सवाल उठाया गया था कि क्या जुआ अधिनियम 1867 के तहत ताश खेलने के लिए दोषी ठहराए गए शख्स को ऐसा अपराध का दोषी कहा जाता सकता है? जो कि ‘नैतिक पतन’ के बराबर है।

क- मामला क्या था-

अब आपको बताते हैं कि यह क्या मामला था? दरअसल, ग्वालियर हाईकोर्ट (gwalior highcourt) की एक खंडपीठ ने एक एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया था। इसमें स्क्रीनिंग कमेटी (screening committee) को पुलिस में कांस्टेबल के पद के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को रद्द करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार (reconsider) करने को कहा गया था।

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ख- क्या आरोप था-

याचिकाकर्ता को एक काॅलोनी में ताश खेलने के लिए 1867 के अधिनियम की धारा (section) 13 के अंतर्गत दोषी ठहराया गया था। आरोप था कि उसने इस धारा के तहत नैतिक पतन का कार्य किया है। स्क्रीनिंग कमेटी का कहना था कि वह अनुशासित बल में नौकरी के लिए फिट नहीं है।

यह बताते हुए कि इस तरह के उम्मीदवार की भर्ती न करना नियोक्ता के विवेक पर निर्भर है, सिंगल जज के आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच के समक्ष एक अपील दायर की गई, जिसे 23 जनवरी, 2019 को अनुमति दी गई थी।

ग- बेंच ने क्या कहा

बेंच ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य बनाम अभिजीत सिंह पंवार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले की रोशनी में सिंगल जज के फेसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक उम्मीदवार के द्वारा उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को लेकर खुलासा किए जाने के बाद भी नियोक्ता के पास उम्मीदवार की उपयुक्तता पर विचार का हक होगा।

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तोमर की विशेष अनुमति याचिका में उनके वकील ने तर्क दिया कि अधिनियम 1867 में अपराधों की सूची में धारा 13 के तहत अपराध का उल्लेख नहीं किया गया है। बल्कि इसे केवल अपराधों की उदाहरणात्मक सूची के रूप में देखा गया है एवं यह संपूर्ण नहीं है।

भारत में प्राचीन समय से रहा है ताश एवं द्यूत का चलन

माना जाता है कि ताश की खोज नौवीं सदी में चीन में हुई थी। तांग वंश के राजा यिजोंग की बेटी राजकुमारी लोंगचांग टाइम पास करने के लिए वेई कुल के सदस्याें के साथ पेड़ों पत्तियों से यानी लीफ गेम (leaf game) खेला करती थी, जिसने कालांतर में ताश का रूप ले लिया। अब आपके दिमाग में यह प्रश्न अवश्य आ रहा होगा कि आखिर ताश की गड्डी में केवल 52 पत्ते ही क्यों होते हैं।

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दोस्तों, आपको बता दें कि ताश के पत्ते समय की गणना (calculation of time) करना सिखाते हैं। आपको यह जानकर निश्चित रूप से आश्चर्य होगा कि इसी गणना को पूरा करने के लिए ताश की गड्डी में जोकर भी शामिल किया गया। दरअसल, एक साल के भीतर 52 सप्ताह होते हैं। इसी प्रकार चार ऋतु होती हैं एवं प्रत्येक ऋतु के तीन महीने माने जाते हैं।

इस आधार पर ताश के 52 पत्ते साल के 52 सप्ताह का प्रतिनिधित्व (represent) करते हैं। ताश के एक सेट को पैक अथवा डेक पुकारा जाता है। एक खेल के दौरान एक बार में एक खिलाड़ी जितने पत्तों के सब सेट उठाता है, उसे हैंड कहा जाता है।

भारत में ताश का खेल बाबर ने शुरू कराया

ताश के पत्ते के वर्तमान डिजाइन का आविष्कार 1745 में एजन नाम के फ्राांसीसी निर्माता ने किया। हालांकि भारत की बात हो तो आपको बता दें कि यहां ताश का खेल शुरू कराने का कार्य मुगल बादशाह बाबर ने किया। ‌‌‌‌उस वक्त इसे टाइम पास करने के लिए इस्तेमाल किया गया। ‌‌

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पहले केवल खेल था, बाद में पैसा शामिल हो गया

मित्रों, यह आप भी जानते होंगे कि पहले यह केवल खेल था, लेकिन बाद में इसमें पैसा भी शामिल हो गया। इसने जुए का रूप ले लिया। जिसमें ताश के पत्तों के जरिये बाजी लगाई जाने लगी। भारत में बात जुए यानी द्यूत क्रीड़ा की करें तो उसका भी चलन प्राचीन समय से रहा है।

यदि आपने महाभारत पढ़़ी होगी तो निश्चित रूप से पांडवों की द्यूत क्रीड़ा के बारे में पढ़ा होगा, जिसमें पांडव लगातार हारते हैं। यहां तक कि धर्मराज माने जाने वाले युधिष्ठिर अपनी पत्नी द्रौपदी तक को दांव पर लगाते हैं एवं हार जाते हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण आकर उनकी लाज बचाते हैं। उनकी रक्षा करते हैं। दुर्योधन के मामा शकुनि को द्यूत क्रीड़ा में निपुण बताया गया है।

ताश के पत्ते आज बहुत बदनाम हैं

बेशक, लोग घरों में मनोरंजन के लिए खेलें, लेकिन आज ताश के पत्ते बेहद बदनाम है। कई मामलों में तो पुलिस इस संबंध में झूठे केस भी दर्ज कर लेती है।

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आपने इस तरह की खबरें आम सुनी होंगी कि फलां के घर से ताश की गड्डी एवं दस हजार कैश मिला। हालांकि अब इस तरह के खेल कम होकर आनलाइन गेमिंग में कन्वर्ट हो गए हैं। इस गेम को आनलाइन खेलने वालों की संख्या लगातार बढ़ ही रही है।

जुए के इन दुष्प्रभावों से बचना बेहद आवश्यक

मित्रों, सामान्य रूप से जुए को एक बुराई की संज्ञा दी गई है। ताश के माध्यम से भी जुआ खेला जाता है, इसलिए इससे भी बचना जरूरी है। इससे लोगों को बदनामी तो मिलती ही है इसके अलावा लोग लाभ की अभिलाषा में कई बार बड़ी हानि झेलते हैं। उनके सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है।

कई लोग तो इस बोझ से इतने त्रस्त हो जाते हैं कि वे आत्महत्या तक कर लेते हैं। अतः जरूरत इस बात की है कि इससे जितना दूर रह जाए उतना ही बेहतर है। ताश की गड्डी को घर के मनोरंजन तक ही सीमित रखा जाए। उसे जुए के रूप में तब्दील होने से बचाया जाए।

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भारत में जुए को लेकर अभी कौन सा एक्ट लागू है?

भारत में जुआ की परिभाषा एवं सजा को लेकर अभी सार्वजनिक द्यूत अधिनियम 1867 लागू है।

इस अधिनियम के तहत जुआ खेलने पर कितनी सजा है?

इस अधिनियम के तहत जुआ खेलने पर तीन माह की कैद अथवा 200 रूपये जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ शामिल है।

क्या घर में मनोरंजन के लिए ताश खेलना अपराध है?

जी नहीं, घर में मनोरंजन के लिए ताश खेलना अपराध नहीं है। बशर्ते इसमें कोई बाहरी व्यक्ति एवं कोई पुरस्कार शामिल न हो।

जुए में किन तत्वों को शामिल करने पर वह अपराध है?

जुए में यदि विचार, मौका एवं पुरस्कार अवयव शामिल हैं तो वह अपराध होगा।

क्या जुए को किसी राज्य में वैध कानूनी दर्जा हासिल है?

जी हां, गोवा एवं सिक्किम राज्यों में जुआ को यह दर्जा हासिल है। वहां इसके लिए कई कानून बनाए गए हैं।

दोस्तों, हमने आपको क्या ताश अपराध है? विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इसके जरिये आपकी कई शंकाओं का समाधान हुआ होगा। यदि आप इसी प्रकार के महत्वपूर्ण विषयों पर हमसे पोस्ट चाहते हैं तो हमें नीचे दिए कमेंट बाॅक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी। ।।धन्यवाद।।

जुआ खेलने की सजा क्या है?

इस अधिनियम के तहत जुआ खेलने पर कितनी सजा है? इस अधिनियम के तहत जुआ खेलने पर तीन माह की कैद अथवा 200 रूपये जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ शामिल है।

जुआ पकड़े जाने पर क्या होता है?

जबकि जुआ-सट्‌टा खेलते हुए पहली बार पकड़े जाने वाले पर 50 हजार रुपए का जुर्माना, दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख तक का जुर्माना और तीसरी बार पकड़े जाने पर 5 लाख रुपए तक के जुर्माना शामिल किया गया है

क्या ताश खेलना अपराध है?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जुए के अपराध की व्याख्या से जुड़ी एक विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया है. याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि क्या जुआ अधिनियम, 1867 के तहत ताश खेलने के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को ऐसा अपराध कहा जा सकता है, जो 'नैतिक पतन' के समान है.