लेखक ने अपने डंडे के विषय में क्या कहा है? - lekhak ne apane dande ke vishay mein kya kaha hai?

लेखक अपने बचपन में किस वस्तु से अधिक मोह रखता था और क्यों?


लेखक को बचपन में बबूल के डंडे से बहुत अधिक मोह था। उसे वह डंडा रायफल से भी अधिक प्रिय था। उसका कारण था कि वह उसके द्वारा अनेक साँप मार चुका था। इसके अलावा उसने अनेक बार आमों के पेड़ों से इसी डंडे की सहायता से आम तोड़े थे लेखक अपने डंडे को गरुड़ की संज्ञा देता था। उसे अपना डंडा सजीव प्रतीत होता था।

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कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को निकालने सबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।


लेखक की चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को निकाल लाना साहस का कार्य था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसने छ: धोतियों को जोड़कर डंडा बाँधा और एक सिरे को कुएँ में डालकर उसके दूसरे सिरे को कुएँ के चारों ओर घुमाने के बाद उसमें गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे जब वह कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज ऊपर था। उसने साँप को फन फैलाए देखा। वह कुछ हाथ ऊपर लटक रहा था। साँप के पास पैर लटकते थे। वह आक्रमण करने की तैयारी में था। साँप को धोती में लटककर नहीं मारा जा सकता था। डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए थी। इसलिए उसने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया। उसने डंडे से चिट्‌ठियों को खिसकाने का प्रयास किया कि साँप डंडे से चिपक गया। साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों को छू गया। लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। देवी कृपा से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्‌ठियों को उठाने में कामयाब हो गया।

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‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’- का आशय स्पष्ट कीजिए।


मनुष्य हर स्थिति से निपटने के लिए अपना अनुमान लगाता है। वह अपने अनुसार भविष्य के लिए योजनाएँ बनाता है पर ये योजनाएँ हर बार सफल नहीं हो पातीं। ये कई बार झूठी सिद्ध होती हैं। कई बार तो स्थिति बिलकुल उल्टी होती है। जिस प्रकार लेखक के साथ बचपन में घटित हुआ। मक्खनपुर जाते समय जब लेखक की चिट्‌ठियाँ गिर गयीं। उस समय की स्थिति का लेखक ने अनुमान नहीं लगाया था। कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को लाना-साहस का काम था लेखक धोती के सहारे कुएँ में उतरा था। सामने साँप फन फैलाए बैठा था। धोती पर लटककर साँप को मारना बिलकुल असंभव था। वहाँ डंडा चलाने की भी जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्‌ठियों को खिसकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे से चिपककर आसन बदल लिया और लेखक चिट्‌ठियाँ उठाने में सफल हुआ। लेखक इन सब बातों के लिए पहले से पूरी तरह से तैयार नहीं था। लेकिन स्थिति के साथ वह अपनी योजना में परिवर्तन करता गया। इस प्रकार मनुष्य की कल्पना और वास्तविकता में बहुत अंतर होता है। यह बात इस घटना से सिद्ध हो जाती है।

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मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?


मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आने वाली उसकी क्रोधपूर्ण फुँफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज तथा उससे सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

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भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस प्रकार का डर था?


जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी गाँव के एक आदमी ने पुकार कर कहा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र चले आओ। भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर चल दिया पर उसके मन में डर था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन सा कसूर हो गया। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। उस बड़े भाई की मार का डर था।

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इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?


बच्चे कौतुहल प्रिय और जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। उनकी जिज्ञासा व पीड़ा उनको निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा कर देती है। इस पाठ में लेखक उनके भाई व उनके साथियों की बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है। वे इस प्रकार हैं-
- बच्चे झरबेरी से बेर तोड़कर खाने का आनंद लेते हैं।
- कठिन व जोखिम पूर्ण कार्य करते हैं।
- माली से छुप-छुपकर पेड़ों से आम आदि फल तोड़ना पसंद करते हैं।
- बच्चे स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करते हैं।
- रास्ते में चलते-चलते डंडे की सहायता से वस्तुओं को बिखेरना पसंद करते हैं।
- बच्चे कुएँ में ढेला फेंककर खुश होते हैं।
- वे जानवरों जीव-जन्तुओं को तंग करते हैं।

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स्मृति  

(1) भाई के बुलाने पर घर लौटने समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

Ans :- लेखक अपने साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़ रहा था उसी समय गाँव के एक आदमी ने ज़ोर से पुकारकर कहा कि उनका भाई बुला रहा है, जल्दी घर जाओ। तब लेखक घर की और चलने लगा। साथ में छोटा भाई भी था। उसे मार पड़ेगी और इसी पिटने के भय से वह सहमा-सहमा घर पहुँचा।

(2) मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थे ?

Ans :- मक्खनपुर पढ़ने जाने के रास्ते में एक सूखा कुआँ था। उसमें एक साँप गिर गया था। साँप को तंग करने और उसकी फुसकार सुनने के लिए बच्चे कुएँ में ढेले फेंका करते थे।

(3) ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं , ढेला उसे लगा या नहीं , यह बात अब तक स्मरण नहीं ‘ – यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है ?

Ans :- लेखक ने कहा कि उसे याद नहीं है कि ढेला फेंकने पर साँप को लगा या नहीं, उसने फुसकार मारी या नहीं क्योंकि इस समय लेखक बुरी तरह डर गया था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई थी, जिन्हें उनके भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। इससे उसकी घबराहट झलकती है।

(4) किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया ?

Ans :- चिट्ठियाँ लेखक के बड़े भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था । इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

(5) साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या – क्या युक्तियाँ अपनाई ?

Ans :- साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे – साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया।

(6) कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

(7) इस पाठ को पढ़ने के बाद किन – किन बाल – सुलभ शरारतों  विषय में पता चलता है ?

(8) ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी – कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती है ‘ — का आशय स्पष्ट कीजिए।

(9) ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है ‘ — पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।


लेखक ने अपने डण्डे के विषय में क्या कहा है?

उत्तर- लेखक ने अपने डण्डे के विषय में कहा है कि उस उम्र में बबूल के डण्डे से जितना मोह था, उतना इस उम्र में रायफल से नहीं। उत्तर- लेखक ने कहा है कि ”जब मैं कुएँ के नीचे जा रहा था तो छोटा भाई रो रहा था। मैंने उसे ढाँढस दिलाया कि मैं कुएँ में पहुँचते ही साँप को मार दूंगा।” प्रश्न 4.

लेखक ने अपने डंडे को क्या कहा था?

लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

स्मृति पाठ के अनुसार लेखक के डंडे की क्या विशेषता थी?

Answer: स्मृति' पाठ में लेखक के डंडे की विशेषताएं यह थीं कि बबूल की लकड़ी का बना वो डंडा लेखक को अत्यंत प्रिय था। उसका डंडा कितने साँपों के लिये नारायण वाहन बन चुका था, यानि लेखक उस डंडे से कितने ही साँपों को ठिकाने लगा चुका था।

लेखक को अपने डंडे से इतना मोह क्यों था?

लेखक को अपने डंडे से इतना मोह क्यों था? उसने इस डंडे से अब तक कई साँप मारे थे। वह इस डंडे से आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष आम तोड़ता था। उसे अपना मूक डंडा सजीव-सा लगता था