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साँवले सपनों की याद का सार, प्रश्नोत्तर और अतिरिक्त प्रश्नसाँवले सपनों की याद का सारप्रस्तुत पाठ जून 1987 में प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु के तुरंत बाद डायरी शैली में लिखा गया संस्मरण है। सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसाद को लेखक ने साँवले सपनों की याद के रूप में व्यक्त किया है। सालिम अली का स्मरण करते हुए लेखक ने उनका व्यक्ति-चित्र प्रस्तुत किया है। यहाँ भाषा की रवानी और अभिव्यक्ति की शैली दिल को छूती है।लेखक ने सालिम अली की शव-यात्रा का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि सालिम अली को उनके अनेक अपूर्ण सपनों के साथ बिना किसी रूकावट के अंतिम यात्रा पर ले जाया गया। उनकी यह यात्रा जीवन की दूसरी यात्राआस भिन्न थी व तनाव और दुखों से भरी जिंदगी से जा रहे थे। वे प्रकृति में उसी तरह विलीन हो रहे थे जैसे कोई पक्षी अपना अंतिम गीत गाकर प्राण त्याग देता है। अनेक प्रयास करने पर भी वह जीवित नहीं हो सकता है। न ही कोई उसे जगाना चाहेगा। सालिम अली का कहना था कि लोग पक्षी, जंगल, झरनों आदि को प्रकृति की दृष्टि न देखकर आदमी की दृष्टि से देखते हैं। आदमी पक्षियों के मधुर स्वर को सुनकर रोमांचित नहीं हो सकता है। सालिम अली ऐसे ही अनुभव को धारण करने वाले व्यक्ति थे। लेखक कहता है कि आज कोई वृंदावन जाए तो यमुना नदी का जल उसे वह इतिहास याद दिला देता है जब कृ ने वृंदावन में रासलीला की थी, गोपियों से शरारत की थी, मक्खन की हडियाँ फोड़ी थी, दूध-दही खाया था, हृदय धड़कन को तेज करने वाली बांसुरी बजाई थी जिससे पूरा वृंदावन संगीतमय हो गया था। आज भी ऐसा लगता है जै सुबह के समय भीड़ से भरी गलियों में कोई अचानक आगे आकर बांसुरी बजाएगा और सभी वहीं मंत्र-मुग्ध हो रुक जाएंगे। शाम के समय उपवन का माली पर्यटकों को बताता तो ऐसा लगता जैसे कृष्ण अभी आकर सब पर अप बांसुरी का प्रभाव डाल देगा। लेकिन वृंदावन से कृष्ण की बांसुरी का प्रभाव समाप्त नहीं हुआ है। पुरातन कथाओं जाने से पहले लेखक ने दुबले शरीर वाले सालिम अली के विषय में बताया है। उनके जीवन के सौ वर्ष पूरे होने में ज्या समय नहीं बचा था लेकिन यात्राओं की थकान और कैंसर जैसी बीमारी ने उनको मौत की ओर भेज दिया। अपने अंति समय तक वे पक्षियों की तलाश और देखरेख में लगे रहे। यहाँ लेखक बताता है कि सालिम अली जैसा पक्षियों की देखभाल करने वाला उन्हें कोई नहीं मिला। उनकी आँखें क्षितिज तक फैली प्रकृति को बाँधने में सक्षम थीं। वे प्रकृति के प्रभाव में न आकर प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने वाले व्यक्ति थे। वे प्रकृति के रहस्यों से भरी दुनिया को देखते थे। इस दुनिया को बनाने में उन्होंने कड़ी मेहनत की। इसके निर्माण में उनकी स्कूल की सहपाठी और जीवन साथी तहमीना ने बहुत मदद की। अनुभवी सालिम अली ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से केरल की 'साइलेंट वैली' का रेगिस्तान को धूल भरी हवाओं से बचाने का अनुरोध किया। चौधरी साहब उनके द्वारा बताए गए प्राकृतिक खतरों के विषय में जानकर भावुक हो उठे। लेखक कहता है कि अब वे दोनों ही दुनिया में नहीं रहे हैं तो कौन ऐसा है जो नए भारत के निर्माण का संकल्प लेगा और दुर्गम एवं बर्फ से उपयुक्त स्थानों पर रहने वाले पक्षियों को बचाने का प्रयास करेगा? लेखक बताता है कि सालिम अली ने 'फॉल ऑफ ए स्पैरो' नाम से अपनी आत्मकथा लिखी। लेखक को डी.एच.लॉरेंस की याद आती है जिनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से उनके विषय में कुछ लिखने को कहा गया वे कहती हैं कि वे अपने पति के प्रेम, व्यवहार को शब्दों में बाँधने में असमर्थ हैं। उनका जीवन खुली किताब जैसा था जिसे उनकी छत पर बैठने वाली गोरैया भी उनसे कहीं अच्छी तरह जानती है। सालिम अली पक्षियों के माध्यम से खोज के नए-नए रास्ते अपनाते रहे और एक विशेष स्थान प्राप्त करने के बाद भी उनका विश्वास एक क्षण के लिए नहीं डगमगाया। वे प्राकृतिक प्रकृति-अनुभव सौंदर्य से युक्त जीवन का प्रतिबिम्ब थे। अन्त में लेखक बताता है कि सालिम अली का अथाह सागर के समान था। उनको जानने वाले लोग यही सोच रहे थे कि सालिम अली अपनी अतिम यात्रा पर न जाकर पक्षियों की खोज में जा रहे हैं और शीघ्र ही लौट आएँगे। सभी यही चाहते हैं कि सालिम अली वापस उन सबके पास आ जाएँ। ------------- साँवले सपनों की याद का प्रश्न उत्तर1.किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?उत्तर- एक बार बचपन में सलीम अली की एयरगन से एक नीले कंठ की गौरैया पक्षी घायल होकर नीचे गिरी। इस घटना को देखकर सलीम अली का हृदय करुणा से भर गया। जिसने उनके जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदल दिया और इस कारण व पक्षी प्रेमी बन गए। 2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?उत्तर- सलीम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने पर्यावरण से संभावित खतरों के विषय में बताया होगा कि रेगिस्तानी हवा के झोंके केरल की ‘साइलेंट वैली’ के परिवेश को बदल डालेंगे। यदि ऐसा हुआ तो वहां रहने वाले असंख्य पक्षियों के जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। पेड़-पौधे सूख जाएंगे, वर्षा नहीं होगी, हरियाली नष्ट हो जाएगी, पक्षियों का चहचहाना सुनाई नहीं देगा यह सुनकर प्रधानमंत्री की आंखें नम हो गई होंगी। 3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि "मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?"उत्तर- डी एच लॉरेंस की मौत के बाद जब लोगों ने उनकी पत्नी से अनुरोध किया कि वह उनके विषय में कुछ लिखें, जिससे लोग उनके जीवन से कुछ सीख सकें। तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए लारेंस के विषय में कुछ भी लिखना बहुत ही असंभव है क्योंकि उनका पूरा जीवन एक खुली किताब के समान था। वह एक सादा दिल और पक्षी प्रेमी व्यक्ति थे। उनके जीवन से संबंधित कोई भी बात छुपी हुई नहीं है। अर्थात् सभी लोग उनके विषय में अच्छी तरह जानते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि छत पर बैठी गौरैया भी उनके बारे में अधिक जानती होगी। 4. आशय स्पष्ट कीजिएक) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति में सलीम अली के प्रकृति प्रेमी होने के विषय में बताया गया है। प्रकृति प्रेमी, पक्षी प्रेमी के क्षेत्र में सलीम अली की तुलना अंग्रेजी के प्रसिद्ध उपन्यासकार डी एच लॉरेंस के साथ की जाती है। दोनों लोगों का प्रकृति के साथ गहरा लगाव था। लारेंस का मानना है कि हमें प्रकृति की ओर लौटना चाहिए इस विचार का समर्थन सलीम अली भी करते हैं। इन दोनो ने प्रकृति संबंधी अनेक नए रास्ते को खोज की है यही कारण है कि लारेंस की तरह सलीम अली का जीवन भी प्रकृति के कण-कण से प्रेम करने वाला सिद्ध हुआ है (ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!उत्तर- इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि जिस तरह कोई पक्षी अपना अंतिम गीत गाकर मर जाता है और प्रकृति में मिल जाता है या विलीन हो जाता है। उसे शरीर की गर्मी और हृदय की धड़कन देकर भी जीवित नहीं किया जा सकता अर्थात् आपने जिस पक्षी को मार दिया और बाद में पश्चाताप करने के बाद भी आप उसे जिंदा नहीं कर सकते। उसी तरह सलीम अली भी अपने जीवन के लंबे सफर के बाद अपने सभी सपनों को छोड़कर इस संसार से विदा हो गए। उन्हें किसी भी तरह से दोबारा जीवित करना असंभव है। (ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि सलीम अली ने अपने भ्रमणशील स्वभाव के कारण प्रकृति और प्राणी जगत को बहुत ही गहराई से समझा था। उनका अनुभव एक टापू की भांति सीमित और दिखावा ना बनकर समुद्र के समान गहराई को लिए हुए था। अर्थात् सलीम अली घुमक्कड़ प्रवृत्ति के थे और उनके हृदय में प्रकृति प्रेम का अपार सागर हमेशा लहरें मारता रहता था। 5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।उत्तर- पाठ के भाषा-शैली की चार विशेषताएं निम्नलिखित है- *लेखक की भाषा शैली जगह-जगह काव्यात्मक स्वरूप को ग्रहण की है। *उन्होंने हिंदी के साथ-साथ उर्दू के शब्दों का भी अत्यधिक प्रयोग किया है। *साइलेंट वेली जैसे अंग्रेजी शब्दों का जगह-जगह प्रयोग मिलता है। *भाव को अभिव्यक्त करने वाली शैली हृदय को भाव -विभोर कर देती है। 6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।उत्तर- लेखक जाबिर हुसैन ने सलीम अली के व्यक्तित्व का चित्र खींचते हुए बताया है कि सलीम प्रकृति को प्रेम के सागर की दृष्टि से देखते थे। सुख-दुख के समन्वय से युक्त जीवन अनुभव की गहनता को लिए हुए थे। उम्र ज्यादा होने के कारण शरीर दुबला हो गया था किंतु आंखों की रोशनी ज्यों की त्यों थी। उन्होंने अपने लिए कड़ी मेहनत से प्रकृति की हसती-खेलती दुनिया को बनाया था। वह एकांत क्षणों में दूरबीन लेकर प्रकृति को निहारते रहते थे। पक्षियों के विषय में नई-नई जानकारियां पाने की इच्छा ने उन्हें भ्रमणशील और यायावर बना दिया था। निष्कर्ष रूप से हम यही कह सकते हैं कि सलीम अली प्रकृति प्रेमी, पक्षी प्रेमी अपना संपूर्ण जीवन इन्हीं लोगों को समर्पित कर दिया। 7. 'साँवले सपनों की याद' शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।उत्तर- प्रत्येक रचना का अपना एक शीर्षक होता है और वह शीर्षक उसकी कथावस्तु के केंद्रीय भाव को व्यक्त करता है। प्रस्तुत संस्मरण जाबिर हुसैन ने सलीम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसाद को व्यक्त करने के लिए लिखा है। सलीम अली की स्मृति अब धुंधले सपने के समान लगती है। इस दृष्टि से साँवले सपनों की याद शीर्षक पूर्णतः सार्थक और उपयुक्त है। साँवले सपनों की याद की रचना और अभिव्यक्ति8. प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?उत्तर- पर्यावरण को बचाना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है, क्योंकि जो हमारी रक्षा करता है हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए। यदि हम उसकी रक्षा नहीं करेंगे तो हमारी रक्षा भी खतरे में आ जाएगी। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कूड़े को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। तालाबों, झीलों तथा नदियों में गंदगी नहीं डालनी चाहिए। पेट्रोलियम इत्यादि पदार्थों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। यह भी जानेंप्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली का जन्म 12 नवंबर 1896 में हुआ और मृत्यु 20 जून 1987 में। उन्होंने ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ नाम से अपनी आत्मकथा लिखी है जिसमें पक्षियों से संबंधित रोमांचक किस्से हैं। एक गौरैया का गिरना शीर्षक से इसका हिंदी अनुवाद नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित किया है।डी.एच. लॉरेंस (1885-1930) 20वीं सदी के अंग्रेजी के प्रसिद्ध उपन्यासकार। उन्होंने कविताएं भी लिखी है, विशेषकर प्रकृति संबंधी कविताएँ उल्लेखनीय हैं प्रकृति से डी.एच. लॉरेंस का गहरा लगाव था और सघन संबंध भी। वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की भांति है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई है वे यह भी मानते थे कि हमारा प्रकृति की ओर लौटना जरूरी है।साँवले सपनों की याद के अतिरिक्त प्रश्नप्रश्न- सलीम अली के लिए प्रकृति कैसी थी? प्रश्न- सलीम अली पक्षियों की खोज कैसे करते थे? प्रश्न- सलीम अली की नजरों में कैसा जादू था? प्रश्न- सलीम अली को जानने वाले उनके संबंध में क्या विचार व्यक्त करते था? प्रश्न- सलीम अली को पक्षियों की दुनिया की और किस बात ने मोड़ा? प्रश्न- सलीम अली ने केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए क्या किया? प्रश्न- सलीम अली के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। सांवले सपनो की याद पाठ के लेखक कौन है?इस कहानी के लेखक ' जाबिर हुसैन ' हैं , जिन्होंने 'सालिम अली' की याद में इस कहानी को लिखा है।
साँवले सपनों की याद पाठ की विधा कौन सी है?उत्तर:- साँवले सपनों की याद' पाठ साहित्य की 'संस्मरण' विधा के अन्तर्गत आता है।
सांवले सपनों की याद पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?➲ 'सांवले सपनों की याद' पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इस प्रकृति में जितना हमारा जीवन अनमोल है, उसी तरह प्रकृति के अन्य जीवों जैसे पशु-पक्षियों का जीवन भी अनमोल है। उन्हें भी अपने जीवन जीने का अधिकार है। हमें किसी भी पशु-पक्षी का जीवन लेने का कोई अधिकार नहीं।
साँवले सपनों की याद पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है?इसमें लेखक ने सलीम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपनी भावनाओं को दर्शाया है। वह उस वन पक्षी के समान प्रकृति में विलीन होने जा रहे हैं जो अपने जीवन का अंतिम गीत गाकर सदा के लिए खामोश हो गया हो। सांवले सपनों की याद पाठ में लेखक ने सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली की मृत्यु पर अपने विचार व्यक्त किया है।
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