स्वतंत्रता पुकारती कविता में तुंग श्रृंग का क्या अर्थ है? - svatantrata pukaaratee kavita mein tung shrrng ka kya arth hai?

                
                                                                                 
                            हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है भारती जिसका अर्थ है 1. सरस्वती नामक देवी 2. वचन ; वाणी 3. एक प्रकार का कुलनाम। कवि जयशंकर प्रसाद ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। 
                                                                                                
                                                     
                            

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।'

असंख्य कीर्ति-रश्मियां विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के - रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य सिंधु में, सुबाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो।

1 year ago

आज का शब्द - तुंग और जयशंकर प्रसाद की कविता - हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती

                
                                                                                 
                            अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम मातृभाषा है। इसी के जरिये हम अपनी बात को सहजता और सुगमता से दूसरों तक पहुंचा पाते हैं। हिंदी की लोकप्रियता और पाठकों से उसके दिली रिश्तों को देखते हुए उसके प्रचार-प्रसार के लिए अमर उजाला ने ‘हिंदी हैं हम’ अभियान की शुरुआत की है। इस कड़ी में साहित्यकारों के लेखकीय अवदानों को अमर उजाला और अमर उजाला काव्य हिंदी हैं हम श्रृंखला के तहत पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है - तुंग, जिसका अर्थ है- 1. पर्वत 2. पुन्नाग का वृक्ष; पश्चिमी हिमालय क्षेत्र का एक झाड़दार पेड़; एरंडी 3. नारियल 4. ऊँचाई 5. समूह 6. बहुत ऊँचा; उच्च 7. तीव्र; प्रचंड; उग्र 8. मुख्य; प्रधान। प्रस्तुत है जयशंकर प्रसाद की कविता - हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती 
                                                                                                
                                                     
                            

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती 

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी
अराति सैन्य सिंधु में, सुबाड़वाग्नि से जलो
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो

1 year ago

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से इस कविता के कवि कौन है?

हिमाद्रि तुंग शृंग से / जयशंकर प्रसाद

1 स्वतंत्रता पुकारती कविता का उद्देश्य क्या है?

स्वतंत्रता पुकारती जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखी गई है इस कविता में देश की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु भारत माता पिता के वीर सपूतों का आह्वान किया है प्रसाद जी स्वतंत्रता संघर्ष के बीच सिपाही के रूप में देश प्रेम की उत्कट तीव्र भावना से ओतप्रोत होकर भारत मां के वीर सपूतों का आह्वान करते हुए लिखते हैं कि भारत माता के वीर ...

कवि स्वतंत्रता पुकारती कविता से क्या संदेश दे रहा है?

स्वतंत्रता पुकारती कविता में जयशंकर प्रसाद संपूर्ण देश में जातिवाद, प्रांतीयतावाद आदि से अनेकानेक समस्याएँ के बारे में चर्चा कर रहे है । इस संदर्भ में प्रसाद जी राष्ट्र की अनिवार्यता को ही व्यंजित करते हैं। 'प्रसाद जी ने नारी पात्रों के माध्यम से राष्ट्रीय-भावना को आर्य-संस्कृति की ठोस जमीन पर प्रस्तुत किया है।

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती में कौन सा गुण है?

Detailed Solution. उपर्युक्त पंक्तियों में ओज गुण है। अत: सही उत्तर विकल्प 3 'ओज गुण' है।