संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से आप क्या समझते हैं? - sanyukt sookshmadarshee se aap kya samajhate hain?

सूक्ष्मदर्शी : सरल सूक्ष्मदर्शी की परिभाषा क्या है , चित्र , सिद्धांत , बनावट , क्रियाविधि , आवर्धन , संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का वर्णन

Physics January 22, 2020

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(microscope in hindi) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का वर्णन , सूक्ष्मदर्शी : सरल सूक्ष्मदर्शी की परिभाषा क्या है , चित्र , सिद्धांत , बनावट , क्रियाविधि , आवर्धन :-

सूक्ष्मदर्शी (microscope in hindi) : वह प्रकाशिकी उपकरण जिसकी सहायता से सूक्ष्म वस्तुओ का आभासी , सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब देखा जाता है , सूक्ष्म दर्शी कहलाता है।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से आप क्या समझते हैं? - sanyukt sookshmadarshee se aap kya samajhate hain?

दर्शन कोण (α) : न्यूनतम स्पष्ट दूरी पर स्थित वस्तु द्वारा आँख पर बनाया गया कोण वस्तु का दर्शन कोण (α) कहलाता है।

सूक्ष्मदर्शी मुख्यतः दो प्रकार के होते है –

1. सरल सूक्ष्मदर्शी : वह सूक्ष्मदर्शी जिसकी सहायता से निकटवृति सूक्ष्म वस्तुओ का सीधा , आभासी व बड़ा प्रतिबिम्ब देखा जाता है , सरल सूक्ष्म दर्शी कहलाती है।

बनावट : सरल सूक्ष्मदर्शी उपकरण में एक वृत्ताकार कुचालक स्टैंड में कम द्वारक व कम फोकस दूरी का उत्तल लैंस स्थित होता है।

सिद्धांत : जब किसी वस्तु को उत्तल लेंस के फोकस व प्रकाशिकी केंद्र के मध्य रखा जाता है तो उस वस्तु का वस्तु की ओर ही आभासी , सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है। इस ही सूक्ष्मदर्शी का सिद्धांत कहते है।

क्रियाविधि : जब किसी वस्तु AB को उत्तल लेंस के प्रकाशिकी केन्द्र व फोकस के मध्य रखा जाता है तो वस्तु का आभासी सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब A’B’ वस्तु की ओर ही प्राप्त होता है।

आवर्धन (m) : किसी वस्तु के प्रतिबिम्ब द्वारा उपकरण पर बनाये गए दर्शन कोण (β) तथा न्यूनतम स्पष्ट दूरी पर स्थित वस्तु द्वारा आँख पर बनाये गए दर्शन कोण का (α) का अनुपात , सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन कहलाता है।

अर्थात

m = β/α   समीकरण-1

समकोण त्रिभुज A’CO से –

tan α = A’C/A’O

[A’C = AB]

tan α = AB/A’O

अत्यल्प कोण के लिए tan α = α हो तो –

अत:

α = AB/A’O  समीकरण-2

समकोण त्रिभुज ABO से –

`tanβ = AB/AO

अत्यल्प कोण के लिए tanβ = β होगा

अत:

β = AB/AO  समीकरण-3

समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –

m = A’O/AO

चिन्ह परिपाटी के अनुसार –

AO = -u तथा A’O = -D

अत: m = -D/-u

m = D/u समीकरण-4

स्थिति-I : जब अंतिम प्रतिबिम्ब न्यूनतम स्पष्ट दूरी पर स्थित हो अर्थात v = -D हो –

लेंस सूत्र से –

(1/-D) – (1/-u) = 1/+f

(1/-D) +1/u = 1/f

दोनों तरफ D से गुणा करने पर –

(D/-D) +D/u = D/f

-1 + D/u = D/f

D/u = 1 + D/f

अत: m = 1+D/f   {समीकरण-4 से}

स्थिति-II : जब अंतिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर स्थित हो अर्थात v = -∞ तो –

लेंस सूत्र से –

(1/-∞) –  (1/-u) = 1/+f

(1/-∞) + (1/u) = 1/f

u = f

समीकरण-4 से –

अत: m = D/f

नोट : स्थिति-I व स्थिति-II से प्राप्त आवर्धन के सूत्र में आंकिक मान रखते समय चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जाए।

परन्तु समीकरण-4 में मान रखते समय चिन्ह का प्रयोग किया जाए।

2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी

वह सूक्ष्मदर्शी जिसकी सहायता से किसी सूक्ष्म वस्तु का उच्च आवर्धित अर्थात बहुत बढ़ा प्रतिबिम्ब देखा जाता है , संयुक्त सूक्ष्मदर्शी कहलाता है।

बनावट : संयुक्त सूक्ष्मदर्शी उपकरण में अलग अलग अनुपृष्ठ काट क्षेत्रफल की एक बेलनाकार नली होती है जिसमे दो उत्तल लेंस लगे रहते है। कम फोकस दूरी व छोटे द्वारक का उत्तल लेंस वस्तु की ओर होने के कारण इसे अभिदृश्यक लेंस (o) कहते है तथा अधिक फोकस दूरी व बड़े द्वारक का उत्तल लेंस नेत्र की ओर होने के कारण इसे अभिनेत्री लेंस (E) कहते है।

अभिदृश्यक लेंस व अभिनेत्री लेंस के मध्य की दूरी को कम ज्यादा करने के लिए दण्ड चक्रीय व्यवस्था होती है।

सिद्धांत एवं क्रियाविधि : जब किसी सूक्ष्म वस्तु AB को अभिदृश्यक लेंस के फोकस (F0’) तथा वक्रता केंद्र (2F0’) के मध्य रखते है तो इसका प्रतिबिम्ब अभिदृश्यक लेंस के दूसरी ओर वक्रता केंद्र (2F0) से आगे प्राप्त होता है जो वास्तविक , उल्टा एवं बड़ा होता है।

अभि’दृश्यक लेंस का प्रतिबिम्ब A’B’ , अभिनेत्री लेंस के लिए बिम्ब का कार्य करता है। प्रतिबिम्ब A’B’को सूक्ष्मदर्शी के सिद्धांत के अनुसार अभिनेत्री लेंस के फोकस (Fe’) तथा इसके प्रकाशिकी केन्द्र (E) के मध्य रखते है [दण्ड चक्रीय व्यवस्था द्वारा]

जिसका प्रतिबिम्ब A”B” वस्तु की ओर ही आभासी , सीधा व बहुत बड़ा [प्रतिबिम्ब की तुलना में] प्राप्त होता है।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन (m) : किसी सूक्ष्म वस्तु के प्रतिबिम्ब द्वारा उपकरण पर बनाया गया दर्शन कोण (β) व न्यूनतम स्पष्ट दूरी पर स्थित वस्तु द्वारा बनाये गए दर्शन कोण (α) का अनुपात , संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन कहलाता है।

अर्थात

m = β/α  समीकरण-1

समकोण △ A”CE से –

tanα = A”C/A”E    { चूँकि tan θ = L/A}

tan α = AB/A”E   {चूँकि A”C = AB}

अत्यल्प कोण के लिए tan α = α होगा।

इसलिए

α = AB/A”E   समीकरण-2

समकोण △A’B’E से –

tan β = A’B’/A’E   {tan θ = L/A}

अत्यल्प कोण के लिए tanβ =β होगा।

अत: β = A’B’/A’E  समीकरण-3

समकोण △ABO तथा समकोण △A’B’O से –

∠AOB = ∠A’OB’  (शीर्षाभिमुख कोण )

∠BAO = ∠B’A’O (समकोण)

अत: त्रिभुज △ ABO व △A’B’O समरूप त्रिभुज है इसलिए –

A’B’/AB  = A’O/AO

A’B’ = (A’O x AB)/AO  समीकरण-4

समीकरण-4 का मान समीकरण-3 में रखने पर –

β = (A’O/AO) x (AB/A’E)  समीकरण-5

समीकरण-2 का मान व समीकरण-5 का मान समीकरण-1 में रखने पर –

m = (A’O/AO) x (A”E/A’E)

चिन्ह परिपाटी के अनुसार –

A’O = +v0 , AO = -u0 , A’E = -ue तथा A”F = -D है तो –

अत:

m = +v0/-ue   x (-D/-ue)

m = -v0/ue(D/ue)

स्थिति-I : जब अंतिम प्रतिबिम्ब न्यूनतम स्पष्ट दूरी पर हो अर्थात ve = -D हो तो अभिनेत्री लेंस के लिए –

u = -ue ; V = – D तथा f = +fe

1/-D – 1/ue = 1/+fe

दोनों तरफ D से गुणा करने पर –

-D/D + D/ue = D/fe

D/ue = 1 + D/fe

समीकरण vi से –

अत:

m = -v0/u0(1 + D/fe)

स्थिति-II : जब वस्तु का अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर स्थित हो अर्थात ve = – ∞ हो तो अभिनेत्री लेंस के लिए ve = – ∞ , u = -ue तथा f = + fe

-1/∞ – (1/-ue) = 1/+fe

-1/∞ + 1/ue = 1/fe

1/ue = 1/fe

ue = fe

अत:

समीकरण vi से –

m = -v0/u0(D/fe)

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई L = |v0| + |ue|

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से क्या तात्पर्य है?

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में दो उत्तल लेंस होते हैं। एक कम द्वारक और कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस बिंब की ओर होता है अभिदृश्यक कहलाता है । अभिदृश्यक और दूसरा लैंस जो कम फोकस दूरी किन्तु अधिक द्वारक का आँख की ओर होता है अभिदृश्यक और नेत्रिका को एक नली के दो सिरों पर इस प्रकार लगाया जाता है कि उनकी अक्ष एक ही हो ।

सरल सूक्ष्मदर्शी से आप क्या समझते हैं?

सरल सूक्ष्मदर्शी सरल सूक्ष्मदर्शी एक कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस होता हैं जिसे एक हैण्डिल लगे वृत्ताकार फ्रेम मे लगा दिया जाता है। किसी वस्तु को उत्तल लेंस के प्रकाश केन्द्र व फोकस के बीच रखने से उसका आभासी, सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर बन जाता है, यहाँ उत्तल लेंस, आवर्धक की भांति कार्य करता है।

सूक्ष्मदर्शी किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?

Solution : वह यंत्र जो सूक्ष्म वस्तु का बड़ा एवं स्पष्ट प्रतिबिम्ब बनता है, सूक्ष्म दर्शी कहलाता है । सूक्ष्म दर्शी दो प्रकार के होते हैं - <br> (1) सरल सूक्ष्म दर्शी व (2) संयुक्त सूक्ष्म दर्शी ।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की खोज कब और किसने की?

जानसेन (नीदरलैण्ड) ने वर्ष 1590 में किया था।