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(राष्ट्रीय मुद्दे) शहरीकरण की समस्याएं (Problems of Urbanization)एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी) अतिथि (Guest): प्रो. अमिताभ कुंडु (शहरीकरण के जानकार), निशांत सिंह (शोध छात्र, IIT दिल्ली) चर्चा में क्यों?मानसून आते ही हर साल देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मूसलाधार बारिश होती है। और बारिश शुरू हुई नहीं कि थोड़ी ही देर में शहर के कई इलाकों में जलजमाव का नज़ारा दिखने लगता है। कहीं कमर तक लगे पानी में सैकड़ों गाड़ियां फंस जाती हैं, तो कहीं सड़कों पर जाम लग जाता है। लोगों के घर के सामान पानी में बह रहे होते हैं। हर साल बड़ी तादाद में लोग बाढ़ की भेंट चढ़ जाते हैं और करोड़ों रुपए की बर्बादी होती है। आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार भी मुंबई में जोरदार बारिश हुई है जिसने पिछले 44 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। मगर ताज़्जुब की बात है कि हम हर साल इस समस्या से जूझते हैं लेकिन आज तक इसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं ढूंढ़ पाए। ऐसे में हमारी शहरी प्लानिंग की व्यवस्था पर सवाल उठाना लाज़मी है। किसी भी क्षेत्र को शहरी क्षेत्र कब कहा जाता है?भारत की जनगणना 2011 के मुताबिक़
क्या है शहरीकरण?शहरी क्षेत्रों के भौतिक विस्तार मसलन क्षेत्रफल, जनसंख्या जैसे कारकों का विस्तार शहरीकरण कहलाता है। शहरीकरण भारत समेत पूरी दुनिया में होने वाला एक वैश्विक परिवर्तन है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का शहरों में जाकर रहना और वहाँ काम करना भी 'शहरीकरण' ही है। भारत में शहरीकरण से जुड़े आंकड़ेसंयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मौजूदा वक़्त में दुनिया की आधी आबादी शहरों में रह रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2050 तक भारत की आधी आबादी महानगरों और शहरों में रहने लगेगी और तब तक विश्व की आबादी का सत्तर फीसद हिस्सा शहरों में रह रहा होगा।
शहरीकरण का कारणशहरीकरण के कई कारण रहे हैं लेकिन व्यापक आधार पर इसे तीन वर्गों में बांटा जा सकता है - (i) कुछ लोग शहरों की तरफ आकर्षित होकर यहाँ रहने के लिए आते हैं (ii) कुछ लोग मज़बूरीवश आते हैं (iii) साथी ही, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें किसी विशेष कारण के चलते शहरों की तरफ आना पड़ता है। बहरहाल अगर कुछ खास कारणों पर ग़ौर करें तो इनमें निम्नलिखित वजहों को शुमार किया जा सकता है-
भारत में शहरीकरण की प्रकृतिविश्व बैंक की साल 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत का शहरीकरण Hidden and Messy यानी "अघोषित और अस्तव्यस्त” है। भारत में शहरी फैलाव, देश की कुल आबादी का 55.3 प्रतिशत है और आधिकारिक जनगणना के आंकड़े इसे केवल 31 फ़ीसदी ही बताते हैं।
शहरीकरण का महत्वविश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक़, दुनिया की 54 फ़ीसदी से अधिक आबादी अब शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। ये आबादी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 80 प्रतिशत का योगदान करती है और दो-तिहाई वैश्विक ऊर्जा का उपभोग करती है। साथ ही 70 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए भी जिम्मेदार है।
शहरीकरण और भारतीय परिवारभारत में पारिवारिक संरचना और व्यवस्था पर शहरीकरण का असर देखने को मिलता है। परिवार के सदस्यों के आपसी रिश्ते, दो परिवारों के बीच का रिश्ता और परिवार के काम - इन सब पर असर पड़ा है। शहर में जॉइंट परिवार के बजाय न्यूक्लियर परिवारों का चलन बढ़ रहा है। रिश्तेदारी केवल दो या तीन पीढ़ियों तक सीमित हो रही है। इसके अलावा, पति के वर्चस्व वाला परिवार अब समानतावादी परिवार में बदल रहा है यानी पत्नी को भी निर्णय लेने की आज़ादी मिलने लगी है। माता-पिता अब बच्चों पर अपना अधिकार नहीं जमाते हैं और बच्चे अब आँख बंद करके अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं। शहरी संयुक्त परिवारों में, अब घर के बड़े-बुजुर्ग भी किसी महत्वपूर्ण बात में अपने से छोटे के साथ राय मशविरा करते हैं। शहरीकरण के कारण कौन सी दिक्कतें पैदा हो रही हैं?शहरीकरण से जुड़ी मुख्य समस्याओं में शामिल है:
शहरीकरण की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा किये गए उपाय
भारत में शहरी गवर्नेंस ख़राब क्यों है?
आगे क्या किया जा सकता है?ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के साथ-साथ पलायन को कम करने के लिए ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था का विविधीकरण (Diversification) करने की ज़रूरत है। इस मामले में, मनरेगा ने गावों से शहरों की ओर पलायन कम करने में अहम भूमिका निभाई है।
Click Here for राष्ट्रीय मुद्दे Archiveराष्ट्रीय मुद्दे पीडीएफ में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करेंFor More Videos Click Here (अधिक वीडियो के लिए यहां क्लिक करें)शहरी क्षेत्रों की विभिन्न समस्याएं क्या है?रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2050 तक भारत की आधी आबादी महानगरों और शहरों में रहने लगेगी और तब तक विश्व की आबादी का सत्तर फीसद हिस्सा शहरों में रह रहा होगा। कि साल 2050 तक भारत में 41.6 करोड़, चीन में 25.5 करोड़ और नाइजीरिया में 18.9 करोड़ शहरी आबादी बढ़ जाएगी।
शहरीकरण के क्या प्रभाव पड़े?शहरीकरण या नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक समाज के समुदाय के आकार और शक्ति में वृध्दि होती रहती है जब तक की वे संपूर्ण जनसंख्या के अधिकांश भाग को सम्मिलित नहीं कर लेते हैं और सम्पूर्ण समाज पर प्रकार्यात्मक और सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित नही कर लेते।
शहरी कारण से आप क्या समझते हैं?देश की कुल जनसंख्या की तुलना में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत 31.6 है। वर्ष 2001-2011 के दौरान देश में शहरी जनसंख्या के अनुपात में 3.35 प्रतिशत कीवृद्धि दर्ज की गई है। जनगणना 2011 के अंतिम परिणामों से यह पता चलता है कि दशकों से 2774 कस्बों की वृद्धि हुई है जिसमें 242 सांविधिक और 2532 जनगणना कस्बे शामिल हैं।
शहरीकरण की प्रमुख विशेषताएं क्या है?शहरीकरण से तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में आबादी की आवाजाही से है। यह मूल रूप से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अनुपात में क्रमिक वृद्धि है। शहरीकरण समकालीन दुनिया में काफी लोकप्रिय प्रवृत्ति है। इसके अलावा, लोग ज्यादातर काम के अवसरों और बेहतर जीवन स्तर के कारण शहरीकरण में इजाफा करते हैं।
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