शरीर में ब्लड क्यों जमता है? - shareer mein blad kyon jamata hai?

विटमिन -K विटमिन्स के उस ग्रुप से आता है, जिन्हें फैट-सॉल्यूबल विटमिन्स कहा जाता है। यानी ये विटमिन्स हमारे शरीर में स्थित वसा में घुलनशील होते हैं। यही वजह है कि विटमिन-K हमारे ब्लड को गाढ़ा होने से रोकता है। इस कारण हमारा ब्लड फ्लो सही बना रहता है और शरीर में खून का थक्का नहीं जमता यानी ब्लड क्लॉटिंग का खतरा दूर होता है। आइए जानते हैं विटमिन -K हमें किन-किन फूड्स से प्राप्त होता है और हमारे शरीर को और किस तरह से फायदा पहुंचाता है...शरीर में विटमिन-के की उपयोगिता
हमारे शरीर में कहीं भी चोट लगने पर जब खून निकलने लगता है तो कुछ देर में ही उस जगह पर ब्लड की एक लेयर बनकर सूख जाती है ताकि शरीर से अधिक खून ना बह सके... यह काम ब्लड में मौजूद प्रोथोम्बिन नाम के प्रोटीन के कारण होता है। इस प्रोटीन के निर्माण के लिए शरीर को विटमिन -K की जरूरत होती है।

-ऐसा नहीं है कि केवल ब्लड का थक्का जमाने के लिए ही हमारे शरीर को विटमिन -K चाहिए बल्कि हड्डियों की मजबूती के लिए भी इसकी जरूरत होती है। विटमिन -K हड्डियों के मैकेनिज़म को ठीक रखने का काम करता है।

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-शरीर में विटमिन -K की कमी बहुत सामान्य समस्या नहीं है। यही इसके साथ खास बात है। बहुत ही रेयर केसेज में शरीर में इसकी कमी होती है लेकिन जब हो जाती है तो किसी ना किसी गंभीर बीमारी का कारण बनती है। इसकी कमी से खून का थक्का जमने का टाइम बहुत अधिक बढ़ जाता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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खून के पतला और गाढ़ा होने की प्रक्रिया

-जब शरीर में विटमिन -K की कमी हो जाती है तो हमारा खून बहुत अधिक पतला हो जाता है। ऐसे में चोट लगने या ब्रेन हेम्रेज होने की स्थिति में बहुत अधिक खून बह सकता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी डायट में विटमिन -K से भरपूर भोजन लें।

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इसकी प्राप्ति का मुख्य तरीका
-विटमिन -K अपने आप में कई भागों में बंटा होता है और हमें इनकी प्राप्ति अलग-अलग चीजों से होती है। जैसे विटमिन -K1 को फाइलोक्विनोन नाम से भी जाना जाता है। प्लांट्स ही इसकी प्राप्ति का मुख्य आधार हैं। वहीं इसका दूसरा रूप है विटमिन-K2 यह हमें एनिमल्स बेस्ड प्रॉडक्ट्स और फर्मेंडेट फूड्स से मिलता है।

-विटमिन-K1 शरीर के अंदर बड़ी आंत द्वारा अवशोषित किया जाता है। लार्ज इंटेस्टाइन में मौदूज बैक्टीरिया इसे स्टोर करके रखते हैं। वहीं विटमिन-K2 छोटी आंत और लीवर द्वारा अवशोषित किया जाता है। यह फैटी टिश्यूज के फॉर्म में इनमें मौजूद रहता है।

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चोट लगने पर क्यों जम जाता है खून?


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हमारे शरीर में होती है यह खूबी

-हमारे शरीर के लिए ज्यादातर जरूरी चीजों को प्रड्यूस करने की क्षमता हमारी बॉडी में होती है। लेकिन विटमिन-K की प्राप्ति के बिना हमारा शरीर प्रोथोम्बिन का निर्माण नहीं कर पाता है। जो कि शरीर से निकलनेवाले खून की क्लोटिंग के लिए जरूरी है। इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, अंडा, ड्राई फ्रूट्स अपनी डायट में जरूर शामिल करें।

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-जन्म के तुरंत बाद बच्चों को प्लांट बेस्ड डायट खाने के लिए नहीं दी जा सकती। क्योंकि वे इसे चबाने और पचाने में असमर्थ होते हैं। यही वजह है ज्यादातर बच्चों को जन्म के बाद ट्रीटमेंट के दौरान विटमिन- के का इंजेक्शन दिया जाता है। ताकि किसी भी तरह की चोट के कारण उन्हें जानलेवा ब्लीडिंग से बचाया जा सके।

इन्हें पहले डॉक्टर की सलाह चाहिए
जो लोग खून के पतलेपन के कारण किसी बीमारी या समस्या से जूझ रहे हैं। या जो लोग खून को पतला करने के दवाइयां खा रहे हैं, उन्हें अपनी डायट में विटमिन -K से रिच फूड और फ्रूट्स ऐड करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए। उन्हें जानना चाहिए कि वे खाने में क्या-क्या चीजें खा सकते हैं और क्या नहीं।

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ब्लड क्लॉट (Blood Clots) आमतौर पर सामान्य बीमारी ही है. ये तब होती है जब रक्त वाहिकाओं में प्रोटीन और प्लेटलेट्स एक साथ जमा हो जाते हैं. लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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ब्लड क्लॉट (सांकेतिक तस्वीर)

यूरोप समेत दुनियाभर के कई मुल्कों में वैक्सीन (Vaccine) लगने के बाद ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting) के मामले देखने को मिले हैं. इस कारण चारों ओर ब्लड क्लॉटिंग को लेकर चर्चा हो रही है. ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) बेहद की गंभीर बीमारी है और मरीज को इसके लक्षण दिखते ही उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टरों की माने तो ब्लड क्लॉट मरीज के हाथ और पैर को प्रभावित करता है. इसके चलते मरीज को मांसपेशियों में दर्द होने लगता है.

ब्लड क्लॉट आमतौर पर सामान्य बीमारी ही है. ये तब होती है जब रक्त वाहिकाओं में प्रोटीन और प्लेटलेट्स एक साथ जमा हो जाते हैं. ये आमतौर पर पैरों और हाथों में जमा होते हैं, लेकिन ये दिल, दिमाग और फेफड़ों समेत शरीर के किसी भी अंग में जमा हो सकते हैं. अगर ब्लड क्लॉट का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो ये फेफड़ों तक अपनी जगह बना लेते हैं, जो बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता है. इस स्थिति को ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ के नाम से जाना जाता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि ब्लड क्लॉट सामने आने पर अपना इलाज करवाएं.

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

डॉक्टरों के मुताबिक, ब्लड क्लॉट अधिकतर ‘डीप वेन थ्रोमबोसिस’ (DVT) नाम की शरीर की गहरी नसों में बनना शुरू होते हैं. DVT का सबसे सामान्य लक्षण ये है कि मरीज कै पैरों में सूजन होने लगती है. सूजन के साथ-साथ पैरों में तेज दर्द होता है और कई बार तो ये सुन्न पड़ जाते हैं. ‘नेशनल ब्लड क्लॉट अलायंस’ के मुताबिक, शरीर के प्रभावित हिस्सों के आस-पास की त्वचा का रंग बदलने लगता है. ये नीला या लाल होने लगता है. इसने बताया कि कुछ मरीजों के हाथ और पैर छूने पर गर्म महसूस होने लगते हैं.

ब्लड क्लॉट का फेफड़ों तक पहुंचना ज्यादा खतरनाक

‘नेशनल ब्लड क्लॉट अलायंस’ ने कहा कि ‘डीप वेन थ्रोमबोसिस’ (DVT) तब होता है, जब आमतौर पर पैरों और हाथों में मौजूद गहरी नसों में ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं. ब्लड क्लॉट के लक्षण मांसपेशी में खिचाव जैसे महसूस हो सकते हैं. लेकिन ये पैरों और हाथों में थोड़े से अलग हो सकते हैं. पैरों और हाथों में सूजन आ सकता है, त्वचा का रंग बदल जाता है और शरीर गर्म होने लगता है. इलाज नहीं होने पर ये फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जिसे ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ कहा जाता है. ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ का सबसे आम लक्षण अचानक सांस लेने में तकलीफ होना है.

मोटापे और एक जगह बैठे रहने से भी होता है ब्लड क्लॉट

अलायंस ने बताया कि ‘पल्मोनरी एम्बोलिज्म’ की वजह से कुछ मरीजों के छाती में तेज होने लगता है. ये दर्द और भी बढ़ जाता है, जब वे तेजी से सांस लेने लगते हैं. मरीज को खांसी होने लगती है. ब्लड क्लॉट से बचने का सबसे आसान तरीका ये है कि इन लक्षणों के दिखने पर आप सावधान हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें. मोटापे, परिवार का ब्लड क्लॉट के मामलों का इतिहास रहना और एक ही पॉजिशन में लंबे समय तक बैठे रहने से भी ब्लड क्लॉट होने का खतरा रहता है.

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जमे हुए खून को कैसे सही करें?

इसके इलाज में खून को पतला करने वाली दवाई एंटीकोग्युलेन्ट (anticoagulants) और दबाव वाले स्टॉकिंग या फुट पम्प जो आपके खून के प्रवाह और किसी भी खून के थक्के को बनने से रोक सकते है, ये सभी विकल्प शामिल होंगे।

शरीर में खून क्यों जमता है?

चोट या कहीं कट लग जाने की स्थिति में ब्लड क्लॉटिंग जरूरी होती है क्योंकि ये शरीर से ज्यादा खून निकलने से रोकता है, लेकिन जब ये क्लॉटिंग शरीर के अंदर नसों में होने लगती है तो खतरनाक बन जाती है. नसों की ब्लड क्लॉटिंग खतरनाक होती है. इसकी वजह से हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक हो सकता है.

खून को जमने से कौन रोकता है?

रक्त स्कंदन (coagulation, clotting) रक्त की वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा वह द्रव की अवस्था से अर्ध-ठोस (जेल) की अवस्था में चला जाता है और एक जमावड़ा या थक्का बना लेता है। यह रक्तस्तम्भन (hemostasis) के लिए आवश्यक है जिसमें घाव लगी हुई किसी रक्त-वाहिका से खून का बहाव रोका जाता है।

शरीर में खून के थक्के जमने से क्या होता है?

ब्लड क्लॉट के लक्षण शरीर में दिखने लगते हैं। थ्रोबिंग या ऐंठन, दर्द, सूजन, हाथ-पैरों में लालिमा आ जाना, अचानक सांस फूलना, तेज सीने में दर्द और खांसी या खांसी में खून आना इसके लक्षण हो सकते हैं। ब्रेन की ब्लड क्लॉटिंग की वजह से अचानक और तेज सिरदर्द हो सकता है, लकवा और कई दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं।