देहली आवृत्ति का मात्रक क्या है? - dehalee aavrtti ka maatrak kya hai?

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(threshold energy frequency wavelength in hindi) देहली ऊर्जा या कार्यफलन , देहली आवृत्ति , देहली तरंग दैर्ध्य : यहाँ हम इन तीनों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। ये सभी परिभाषाएं प्रकाश विद्युत प्रभाव से सम्बंधित है।

देहली उर्जा या कार्य फलन (threshold energy or fundamental energy) : किसी इलेक्ट्रॉन को किसी धातु की सतह से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उस न्यूनतम ऊर्जा के मान को देहली उर्जा अथवा कार्यफलन कहते है।

माना किसी इलेक्ट्रान का कार्यफलन का मान W है तो इसे निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –

W = hv0

यहाँ h = प्लांक नियतांक है  तथा v0 = देहली आवृत्ति है।

यदि देहली तरंग दैर्ध्य का मान λ0 है तो देहली उर्जा अथवा कार्य फलन का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –

W = hc/λ0 

यहाँ c = प्रकाश का वेग है जिसका मान 3 x 10 8 m/s होता है।

देहली आवृत्ति (threshold frequency) : किसी धातु पर आपतित प्रकाश या विकिरण की न्यूनतम वह आवृत्ति जो जब धातु के किसी इलेक्ट्रान पर गिरता है तो वह इलेक्ट्रान धातु की सतह से मुक्त हो जाता है।  अर्थात धातु की सतह से किसी इलेक्ट्रान को मुक्त कराने के लिए न्यूनतम वह आवृत्ति का विकिरण जो इलेक्ट्रान को मुक्त करवाने में आवश्यक हो विकिरण की उस आवश्यक आवृति को देहली आवृति कहते है।

कार्यफलन = hv0

यहाँ v0 = देहली आवृत्ति है।

देहली तरंग दैर्ध्य (threshold wavelength) : किसी धातु की सतह से आपतित विकिरण की वह अधिकतम तरंग दैर्ध्य , जो जब धातु पर गिरती है तो धातु से इलेक्ट्रॉन मुक्त या उत्सर्जित हो जाता है , विकिरण या प्रकाश की उस अधिकतम तरंग दैर्ध्य के मान को देहली तरंग दैर्ध्य कहा जाता है। इसे λ0 से प्रदर्शित किया जाता है।

कार्यफलन = W = hc/λ0 

यहाँ λ0 = देहली तरंग दैर्ध्य है।

Solution : देहली आवृत्ति वह न्यूनतम आवृत्ति है जिससे कम आवृत्ति के प्रकश से धातु साथ से प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं हो सकते, चाहे प्रकश की तीव्रता कितनी भी क्यों न हो . इसे `v _(0 )` से दर्शाते है. कार्यफलां और देहली आवृत्ति में अग्रलिखित सम्बन्ध होता है . <br> ` phi=hv_(0)` <br> जहाँ `phi =` कार्यफलन h = प्लांक नियतांक.

देहली आवृत्ति आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति है जो किसी धातु से प्रकाश-इलेक्ट्रॉन का। उत्सर्जन कर सके। इसे ν0 से प्रदर्शित करते हैं। इससे कम आवृत्ति के प्रकाश से धातु से कोई प्रकाश-इलेक्ट्रॉन नहीं निकलता है। यही इसकी महत्ता है।।

देहली आवृत्ति क्या होती है?

(A) जिसके नीचे वोल्टता के साथ-साथ प्रकाश धारा बढ़ती है।
(B) जिसके नीचे वोल्टता के साथ-साथ प्रकाश घारा घटती है।
(C) जिसके नीचे प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन संभव नहीं होता
(D) जिसके नीचे प्रकाश धारा स्थिर होती है।

Question Asked : [SSC CGL Tier- Re-exam 2013 27-04-2014]

Answer : जिसके नीचे प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन संभव नहीं होता

जिसके नीचे प्रकाश व़ैद्युत उत्सर्जन संभव नहीं होता वह देहली आवृत्ति होती है। जब धातुओं के सतह पर उच्च आवृत्ति को प्रकाश किरणें आपतित होती है, तो उन धातुओं की सतह से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। इलेक्ट्रॉनों को फोटो इलेक्ट्रॉन तथा इस क्रिया को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहा जाता है। धातु की सतह पर पड़ने वाले प्रकाश की आवृत्ति एक निश्चित मान से कम होता है, तो इलेक्ट्रॉन का उर्त्सजन नहीं हो पाता है। आवृत्ति के इस निश्चित मान को देहली आवृत्ति (Threshold frequency) कहते हैं। अर्थात् देहली आवृत्ति आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति होती है जिससे कम आवृत्ति का प्रकाश धातु सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन न कर सके। ....अगला सवाल पढ़े

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देहली आवृति की परिभाषा बताएं?...


चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

देहली आवृत्ति को हम इस प्रकार जान सकते हैं कि जब हम किस प्रकाश को किसी भी धातु पर डालते हैं तो धातु के अंतिम कक्षा का इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा को त्याग कर बाहर निकलने लगता है इस क्रिया को हम लोग इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन कहते हैं बिजली आवृत्ति है वह न्यूनतम प्रकाश की हार न्यूनतम आग लगती है जो किसी धातु पर पड़ने से उस धातु से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करा सकें इसे ही देहली आवृत्ति कहते हैं अगर देहली आवृत्ति प्रकाश की आवृत्ति से अधिक है तो इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन नहीं होगा इसीलिए बेबी आवृत्ति को प्रकाश की आवृत्ति से कम होना चाहिए

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देहली आवृत्ति का मात्रक क्या है? - dehalee aavrtti ka maatrak kya hai?

2 जवाब

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देहली आवृत्ति का मात्रक क्या होता है?

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