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Harivansh Rai Bachchan Ka Jeevan Parichay – हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचयहरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 ई को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव एवं माता का नाम सरस्वती देवी था। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कायस्थ विद्यालय से प्राप्त की, जहां इन्होंने पहले उर्दू और फिर हिन्दी में अपनी शिक्षा ग्रहण की। आगे चलकर इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाख़िला लिया और अंग्रेजी में एम0 ए0 किया। हरिवंश राय बच्चन ने अपने जीवन काल में बहुत सी कविताएं लिखी जिनमें से ‘मधुशाला’ ‘निशा निमंत्रण’ ‘मधुबाला’ ‘मधुकलश’ इत्यादि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। उनकी ‘दो चट्टानें’ को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। सन 1968 में उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार‘ एवं ‘एफरो एशियन सम्मेलन’ के ‘कमल पुरस्कार ‘ से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें ‘पद्मभूषण’ एवं ‘सरस्वती सम्मान‘ भी प्रदान किया गया था। इन्होंने ‘भारत सरकार’ के विदेश मंत्रालय में बतौर ‘हिन्दी विशेषज्ञ’ कार्य भी किया। हरिवंश राय बच्चन पर अनेक पुस्तकें लिखी गयी हैं। सन 2003 में मुंबई में इनकी मृत्यु हो गयी। दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!हो जाए न पथ में रात कहीं, बच्चे प्रत्याशा में होंगे, मुझसे मिलने को कौन विकल? दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! कविता की व्याख्या हो जाए न पथ में रात कहीं, भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित गीत ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!’ से ली गयी हैं। ये पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित गीत ‘निशानिमंत्रण’ से उद्धृत हैं।इन पंक्तियों में कवि जीवन यात्रा को पथ कह कर संबोधित कर रहे हैं। जिस प्रकार सूर्योदय के बाद सूर्यास्त निश्चित है उसी प्रकार जन्म के बाद मृत्यु निश्चित है, हर क्षण जीवन ढलता जा रहा है। इस जीवन यात्रा में यात्री दिन ढलने के पहले अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहता है। अर्थात सारी सुख सुविधाएं और जिम्मेदारियाँ पूरी कर लेना चाहता है। ठीक वैसे ही जैसे एक पंछी दिन ढलने से पहले अपने घोंसले तक लौट आना चाहता है।बच्चे प्रत्याशा में
होंगे, भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!’ से ली गयी हैं। ये पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित गीत ‘निशानिमंत्रण’ से उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि जब पक्षी दाना चुनने को जाते हैं, तब वह अपने बच्चों को घोंसले में ही छोड़ जाते हैं, तब बच्चे उनकी प्रतीक्षा करते हैं कि वो दिन ढलने से पहले दाना लेकर वापस आ जाएंगे। इस प्रतीक्षा की कल्पना मात्र से पक्षियों के पंखों में कितनी चंचलता भर जाती है। पक्षियों को अपने बच्चों की चिंता सताती है कि वो घोंसले से झांक झांक कर उनका इंतज़ार कर रहे होंगे। इसी प्रकार संसार भी अपनी जिम्मेदारियाँ जीवन ढलने के पहले पूरी कर लेना चाहता है। मुझसे मिलने को कौन विकल? भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!’ से ली गयी हैं। ये पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित गीत ‘निशानिमंत्रण’ से उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में कवि ने अपने हृदय में बसी पीड़ा को व्यक्त किया है। कवि कहता है कि संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो कि उसका इंतज़ार कर रहा हो, उससे मिलने को तड़प रहा हो। ऐसा कोई नहीं है जिसके लिए वो इन पक्षियों कि तरह मेहनत करे। यह सोच सोच कर कवि का मन विचलित हो उठता है और उसके कदम ढीले पड़ जाते हैं। Tags: दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?उत्तर – 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है'-की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ बढ़ते मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। पथिक लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आतुर होता है। इस पंक्ति की आवृत्ति समय के निरंतर चलायमान प्रवृत्ति को भी बताती है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है गीत में कवि ने मुख्य रूप से क्या व्यक्त किया है?का ध्यान नहीं करते 5. संसार कवि के . को गाना कहता है ।
दिन दिन जल्दी ढलता का क्या अर्थ है?यह पंक्ति हमें सूचित करती है कि जीवन की घड़ियाँ भी इसी पंक्ति के समान है।
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