दशम भाव को मजबूत कैसे करें? - dasham bhaav ko majaboot kaise karen?

इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ये सब हमारी किस्मत पर निर्भर करता है। यदि किस्मत सही न हो तो हम कई बार ऐसी चीजों में अटक जाते हैं, जिसमें हमें महारथ हासिल होती है।

वहीं यदि ज्योतिष के संबंध में बात करें तो ज्योतिष बीके श्रीवास्तव व वी शास्त्री कहते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत के साथ किस्मत भी बहुत जरूरी होती है।

यदि आप मेहनत कर रहे हैं लेकिन बार-बार असफलता मिल रही है या पूरी सफलता नहीं मिल पा रही है तो जरूर कहीं न कहीं कुछ रुक रहा है। ऐसे में यह देखना जरूरी होता है कि कहीं आपका भाग्येश तो कमजोर नहीं हो रहा है। यानि आपकी कुण्डली के नवें भाव का स्वामी कहीं कमजोर तो नहीं है।

ऐसे समझें कुण्डली...
प्रथम घर : लग्न ।
द्वितीय भाव: धन भाव ।
तृतीय भाव: पराक्रम ।
चतुर्थ भाव: मातृ स्थान ।
पंचम भाव: सुत भाव ।
षष्ठम भाव: शत्रु या रोग स्थान ।
सप्तम भाव : विवाह ।
अष्टम भाव : आयु या मृत्यु भाव ।
नवम भाव : भाग्य ।
दशम भाव : कर्म व पितृ ।
एकादश भाव : आय ।
द्वादश भाव : व्यय ।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कुण्डली में 7 ही ग्रह होते हैं, वहीं राहु व केतु को राक्षस ग्रह माना जाता है। उनके अनुसार यदि आपकी कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुछ समस्या है तो कुछ उपायों के द्वारा भाग्य को मजबूती प्रदान की जा सकती है।

भाग्य को मजबूत बनाने के ये हैं उपाय...

1. बुध की स्थिति...
यदि बुध भाग्येश होकर आपको अच्छा फल नहीं दे पा रहा हो तब प्रतिदिन गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। गाय को हरे रंग का चारा खिलाएं और तांबे का कड़ा धारण करें।

2. शुक्र न दे रहा हो शुभ फल...
नवम भाव में तुला या वृष राशि हैं तो भाग्येश शुक्र होगा। शुक्र भाग्येश होकर शुभ फल न दे रहे हैं तो लक्ष्मी माता की उपासना से लाभ मिल सकता है। प्रतिदिन देवी लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें मखाने या चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए। स्फटिक की माला से प्रतिदिन ''ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जप करना भी लाभप्रद होगा।

3. चंद्रमा की अशुभता...
यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा शुभ नहीं है तो आप शिवजी का पूजन करें। ”ओम श्रां: श्रीं: श्रौं: स: चंद्रमसे नम:” मंत्र का जप करें। चांदी के गिलास में पानी पीने से भी लाभ मिल सकता है, ऐसा लाल किताब में बताया गया है।

4. अशुभ स्थिति में गुरु...
गुरु की अशुभ स्थिति के कारण यदि आपको भाग्य का साथ नहीं मिल रहा हो तो आपको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन विष्णुजी की पूजा करें, और केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।

5. मंगल की परेशानी...
मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो आप मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करें। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा।

6. शनि की समस्या...
यदि आपको शनि की अशुभ स्थिति के चलते विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है तो काले और नीले कपड़े, जितना संभव हो न पहनें। शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दीया जलाएं और शनिवार को हनुमानजी की पूजा करें।

7. सूर्य का अशुभ प्रभाव...
सूर्य यदि अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो उसका सुखद तेज और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपको प्रतिदिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले किसी भी समय गायत्रीमंत्र का जप करना चाहिए। प्रतिदिन सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे स जल अर्पित करना चाहिए।

दशम भाव को बलवान कैसे करे?

* दशम भाव में स्वराशिस्थ सूर्य पिता से धन लाभ दिलाता है। * दशम भाव में मीन या धनु राशि हो और उसका स्वामी गुरु यदि त्रिकोण में हो तो वह सभी सुखों को पाने वाला होता है। * दशम भाव का स्वामी उच्च का होकर कहीं भी हो तो वह अपने बल-पराक्रम से सभी कार्यों में सफलता पाता है।

कुंडली में दशम भाव का स्वामी कौन होता है?

राजयोग- पराशर ऋषि के अनुसार नवम भाव को कुंडली के सबसे शुभ भावों में से एक माना गया है। इस भाव के स्वामी का संबंध यदि दशम भाव व दशमेश के साथ हो तो मनुष्य अतीव भाग्यशाली, धनी, मानी तथा राजयोग भोगने वाला होता है। इसका कारण यह है कि दशम भाव केंद्र भावों में से सबसे प्रमुख तथा शक्तिशाली केंद्र है। यह एक विष्णु स्थान भी है।

कुंडली में दसवां घर किसका होता है?

ज्योतिष में दशम भाव को कर्म का भाव कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति की उपलब्धि, ख़्याति, शक्ति, प्रतिष्ठा, रुतबा, मान-सम्मान, रैंक, विश्वसनीयता, आचरण, महत्वाकांक्षा आदि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त कुंडली में दशम भाव जातक के करियर अथवा उसके व्यवसाय को बताता है।

दशमांश कुंडली में क्या देखा जाता है?

आप किसी भी ज्योतिष के पास जाएंगे और आपकी आजीविका के बारेमें जानना चाहेंगे या उसे पूछेंगे नौकरी अच्छी या व्यवसाय- business तो वह ज्यादातर D-10 यानी दशमांश कुंडली पर एलन ध्यान केंद्रित करेगा । 🍁दषम भाव में/ लग्न में स्थित राषि से व्यापार क्षेत्र व इनमें स्थित ग्रहों के स्वभाव के अनुसार व्यवसाय निर्धारित होता है।