उत्पादन के लिए आवश्यक चार आवश्यकताएं क्या है वर्णन कीजिए? - utpaadan ke lie aavashyak chaar aavashyakataen kya hai varnan keejie?

बड़े बांधों के लाभ

जल, धरती पर सभी के जीवन के सम्‍पोषण के लिए अनिवार्य है। यह समस्‍त संसार में समान रूप में वितरित नहीं होता है तथा इसकी उपलब्‍धता वर्ष के दौरान एक जैसे स्‍थानों पर एक समान भी नहीं होती। जबकि विश्‍व के एक हिस्‍से में पानी का अभाव है तथा वह सूखाग्रस्‍त है तो विश्‍व के दूसरे हिस्‍से में अधिक जल होने के कारण उपलब्‍ध संसाधनों का अनुकूलतम प्रबन्‍ध करने में चुनौतीपूर्ण कार्यों का सामना करते हैं। नि:सन्‍देह नदियां प्रकृति का एक महान वरदान है तथा विभिन्‍न सभ्‍यताओं के विकास में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। फिर भी कई अवसरों पर नदियां, बाढ़ के समय लोगों के जीवन एवं सम्‍पत्ति के साथ विनाशकारी खेल खेलती हैं। अत: नदियों के जल का कुशल प्रबन्‍ध करना एक महत्‍वपूर्ण विचाराधीन मुद्दा हैं। नदी जल संसाधनों के कुशल प्रबन्‍धन के लिए यह आवश्‍यक है कि विभिन्‍न नदी किनारों (बेसिनों), जो गहन सर्वेक्षण करने के उपरान्‍त तकनीकी रूप से सम्‍भावन तथा आर्थिक रूप से व्‍यवहार्य पाई गई हैं के लिए विशिष्‍ट योजनाएं बनाई जानी चाहिए। सभ्‍यता का विकास होने के बाद से मानव बरसाती अवधि के दौरान नदी के उपलब्‍ध अतिरिक्‍त जल को स्‍टोर करने तथा शुष्‍क अवधि के दौरान उसी जल का उपयोग करने के लिए बांधों तथा जलाशयों का निर्माण करता रहा हैं। बांध और जलाशय, त्‍वरित सामाजिक – आर्थिक विकास के लिए नदी जलों का सदुपयोग करना तथा सूखा एवं बाढ़ से प्रभावित विश्‍व की वृहत जनसंख्‍या के कष्‍टों को कम करने के लिए दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। बांध और जलाशय निम्‍नलिखित मानवीय मूलभूल आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने में उल्‍लेखनीय योगदान देते हैं :

  • पेयजल और औद्योगिक उपयोग हेतु जल
  • सिंचाई
  • बाढ़ नियंत्रण
  • जल-विद्युत उत्‍पादन
  • इनलैंड नेवीगेशन (अन्‍तर्देशीय नौपरिवहन)
  • मनोरंजन

पेयजल और औद्योगिक उपयोग हेतु जल:-

  • हाईड्रोलोजिकल साईकल में अधिक विभिन्‍नताओं के कारण बरसाती अवधि के दौरान नदी के अतिरिक्‍त जल को स्‍टोर (संचयन) करने तथा जब जल का अभाव होता है तो शुष्‍क अवधि के दौरान, उसी जल का उपयोग करने के लिए बांध एवं जलाशय बनाए जाने अपेक्षित हैं।
  • उचित रूप से अभिकल्पित तथा सुनिर्मित किए गए बांध लोगों की पेयजल की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने में महत्‍वपूर्ण निभाते हैं।
  • औद्योगिक आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु भी जलाशयों में संचित जल का अत्‍य अधिक प्रयोग किया जाता है।
  • जलाशयों से जल का नियमित बहाव शुष्‍क अवधि के दौरान जल से कम अन्‍तर्वाह के कारण नदी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को कम करने में मदद करता है तथा सुरक्षित सीमाओं के भीतर जल की गुणवत्ता को बनाए रखता है।

सिंचाई:-

  • बांध और जलाशयों का निर्माण बरसाती अवधि के दौरान अतिरिक्‍त जल जिसका उपयोग शुष्‍क भूमि पर सिंचाई हेतु किया जा सकता है को संचित करने के लिए किया जाता है। बांध और जलाशयों का मुख्‍य लाभ यह है कि वर्ष के दौरान विभिन्‍न क्षेत्रों की कृषि आवश्‍यकताओं के अनुसार जल बहाव को नियमित किया जा सकता है।
  • बांध और जलाशय मानव-जाति को अति विशाल पैमाने पर सिंचाई आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु अविस्‍मरणीय सेवाएं उपलब्‍ध कराते हैं।
  • यह अनुमान है कि वर्ष 2025 तक बांध एवं जलाशयों द्वारा उपलब्‍ध कराई गई सिंचाई से 80% अतिरिक्‍त खाद्यान्‍न उत्‍पादन उपलब्‍ध होगा।
  • बांध और जलाशय विकासशील देशों, जिनके बड़े हिस्‍से शुष्‍क(सूखे) क्षेत्र हैं, की सिंचाई आवश्‍यकताओं को पूरा करने हेतु अति आवश्‍यक हैं।
  • सिंचाई प्रौद्योगिकी में अन्‍य सुधारों द्वारा जल का संरक्षण करने के लिए विकसित उपायों के अतिरिक्‍त जलाशयों पर आधारित अधिक परियोजनाओं का निर्माण करने की आवश्‍यकता है।

बाढ़ नियन्‍त्रण::-

  • नदियों में आने वाली बाढें लोगों के जीवन एवं सम्‍पत्ति के साथ बहुत बार विनाशकारी खेल खेलती रही हैं। बांध के डाऊनस्‍ट्रीम नदी के जल प्रवाह को नियमित करके बाढ़ नियन्‍त्रण के लिए बांध और जलाशयों का प्रभावी प्रयोग किया जा सकता है।
  • बांध, लोगों के जीवन एवं सम्‍पत्ति को बिना नुकसान पहुचाएं बेसिन के माध्‍यम से बाढ़ रूटिंग के लिए विशिष्‍ट योजना के अनुरुप परिकल्पित, निर्मित तथा परिचालित होते हैं।
  • बाढ़ के समय बांधों और जलाशयों द्वारा संरक्षित जल का सिंचाई एवं पेयजल आवश्‍यकताओं को पूरा करने तथा जल विद्युत उत्‍पादन करने हेतु उपयोग किया जा सकता है।

जल विद्युत उत्‍पादन::-

  • ऊर्जा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। जल विद्युत ऊर्जा का सस्‍ता, स्‍वच्‍छ और नवीनीकरणीय स्‍त्रोत है।
  • जलविद्युत नवीकरणीय ऊर्जा का अति विकसित तथा किफायती संसाधन है।
  • जलाशयों पर आधारित जल विद्युत परियोजनाएं ग्रिड को अति आवश्‍यक पीकिंग पावर उपलब्‍ध करवाती हैं।
  • थर्मल पावर स्‍टेशनों के विपरीत, हाइड्रो पावर स्‍टेशनों में कम तकनीकी अडचनें होती है और हाइड्रो मशीनें त्‍वरित शुरआत और त्‍वरित लोड विविधताएं लेने में सक्षम होती है।
  • क्षेत्रीय अथवा राष्‍ट्रीय आधार पर विद्युत आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा जलीय क्षमताओं का उपयोग किया जा सकता है और क्षेत्रों की स्‍थानीय विद्युत आवश्‍यकताओं को पूरा करने हेतु लघु/माईक्रो जल परियोजनाओं के द्वारा लघु जल क्षमताओं का उपयोग किया जा सकता है। जल विद्युत उत्‍पादन के अतिरिक्‍त बहुउद्देशीय जल विद्युत परियोजनाओं से सिंचाई एवं पेयजल आवश्‍यकताएं पूरी करने तथा बाढ़ नियन्‍त्रण आदि के लाभ भी हैं।

अन्‍तर्देशीय विमान-संचालन (इनलैंड नेवीगेशन):-

व्‍यापक बेसिन योजना एवं विकास, उपयोगी बांधों, लॉक्‍स तथा जलाशयों के परिणामस्‍वरूप अन्‍तर्देशीय विमान संचालन में वृद्वि हुई, जो राष्‍ट्रीय महत्‍व के वृहत आर्थिक लाभों को साकार करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मनोरंजन:-

  • एक बांध का निर्माण करके बनाया गया जलाशय एक झील का सुन्‍दर दृश्‍य प्रस्‍तुत करता है। जिन क्षेत्रों में प्राकृतिक सतही जल कम या गैर विद्यमान है उन क्षेत्रों में जलाशय मनोरंजन के स्‍त्रोत होते हैं।
  • अन्‍य उद्देश्‍यों के साथ झील से नौकायन, तैराकी, मत्‍स्‍य पालन इत्‍यादि मनोरंजन लाभ हैं। एक आदर्श बहुउद्देशीय परियोजना के सभी लाभों को प्राप्‍त करने के लिए योजना बनाने के स्‍तर पर ही पूरा विचार किया जाता है।

बांध मानवता के लिए योमेन सहायता उपलब्‍ध करवाते हैं। बांधों के निर्माण के निम्‍नलिखित पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना अपेक्षित हैं:-

  • पुन: स्‍थापन और पुनर्वास
  • पर्यावरण और वन
  • अवसादी मुद्दे
  • सामाजिक-आर्थिक मुद्दे
  • सुरक्षा पहलू

यदि प्रबन्‍धन की अप्रोच यर्थाथ, गतिशील प्रगतिशील तथा अनुकूल है तो बांधों के निर्माण से संबंधित उपरोक्‍त समस्‍याओं का समाधान सफलतापूर्वक किया जाए, यही समय की मांग है।

उत्पादन के लिए आवश्यक चार आवश्यकताएं क्या हैं?

उत्पादन के लिए चार मूल आवश्यकताएँ होती हैं। 1- भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, वन, खनिज। 2- श्रम। 3- भौतिक पूँजी अर्थात उत्पादन के प्रत्एक स्तर पर आई लागत।

उत्पादन के चार साधन कौन से हैं?

उत्पादन, उत्पादन के चार साधनों, भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमशीलता के संयुक्त प्रयासों का प्रतिफल है। इन्हें आगत अथवा संसाधन भी कहा जाता है।

उत्पादन के तीन चरण क्या है?

उत्पादन के मूलभूत कारक ये तीन हैं- भूमि, श्रम और पूँजी।

उत्पादन के तीन प्रमुख साधन कौन से हैं?

इस तरह भूमि, श्रम, पूजी, प्रबन्ध एवं साहस उत्पादन के पाँच साधन होते हैं। (1) भूमि- अर्थशास्त्र में भूमि शब्द का बड़ा व्यापक अर्थ होता है।