वैज्ञानिक अनुसंधान का क्या अर्थ है? - vaigyaanik anusandhaan ka kya arth hai?

वैज्ञानिक शोध का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

जब किसी समस्या या प्रष्न को क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ (Objective) ढ़ंग से सुलझाने का प्रयास किया जाता है तो इस क्रिया केा ही वैज्ञानिक शोध कहते हैं। करलिंगर ने शोध के अर्थ को स्पष्ट करते हुये कहा कि - ‘‘स्वभाविक घटनाओं का क्रमबद्ध, नियंत्रित आनुभाविक एवं आलोचनात्मक अनुसन्धान जो घटनाओं के बीच कल्पिन संबंधों के सिद्धान्तों एवं परिकल्पनाओं द्वारा निदेशित होता है, केा वैज्ञानिक शोध कहा जाता है।’’

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इसी प्रकार बेस्ट एवं काहन ने वैज्ञानिक शोध को इस प्रकार से परिभाषित किया है - ‘‘वैज्ञानिक शोध किसी नियंत्रित प्रेक्षण का क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ अभिलेख एवं विष्लेशण है जिनके आधार पर सामान्यीकरण, नियम या सिद्धान्त विकसित किया जाता है तथा जिससे बहुत सारी घटनाओं, जो किसी खास क्रिया का परिणाम या कारण हो सकती है, को नियंत्रित कर उनके बारे में पूर्वकथन किया जाता है।’’

  1. अत: कहा जा सकता है कि (वैज्ञानिक) शोध से तात्पर्य उस क्रिया या क्रियाओं से है जिनके माध्यम से व्यवस्थित रूप से किसी समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जाता है तथा प्राप्त निराकरण किसी नये सिद्धान्त का प्रतिपादन या पुश्टि करता है। वैज्ञानिक अनुसंधान की उपरोक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त इसकी विशेषतायें है - अनुसन्धान का उद्देश्य किसी समस्या का समाधान ढँढ़ना अथवा दो या दो से अधिक चरों के आपसी सम्बन्धों को ज्ञात करना है। 
  2. अनुसन्धान केवल सूचनाओं की पुन: प्राप्ति या संग्रहण नहीं है अपितु अनुसन्धान में व्यापीकरण, नियमों या सिद्धान्तों के विकास पर बल दिया जाता है। 
  3. अनुसन्धान किसी दैव वाणी या मत को ज्ञान प्राप्ति की विधि नहीं मानता है बल्कि ये उन बातों को स्वीकार करता है जिन्हें प्रेक्षण द्वारा परखा जा सके। 
  4. अनुसन्धान में आँकड़ो के संग्रहण के लिए वैध उपकरणेां एवं विधियों का प्रयोग किया जाता है तत्पष्चात् इन आँकड़ो का शोधन, संलेखन, अभिकलन व विश्लेषण किया जाता है। 
  5. अनुसंधान, प्राथमिक सूत्रों से प्राप्त न सूचनायें प्राप्त करना या विद्यमान सूचनाओं से नया प्रयोजन प्रस्तंुत करता है। 
  6. अनुसंधान में निपुणता की आवश्यकता होती है। अनुसंधानकर्ता केा यह ज्ञान होना चाहिये कि समस्या के बारे में पहले से कौन-कौन सा ज्ञान या सूचनायें मौजूद है। वह संबंधित साहित्य का अध्ययन करता है। उसे सभी पारिभाशिक शब्दों, धारणाओं और तकनीकी कुषलता का पूर्णज्ञान होता है ताकि वह संकलित सूचनाओं एवं आँकड़ों का विश्लेषण कर सके। 
  7. वैज्ञानिक अनुसंधान वस्तुनिष्ठ एवं तर्कसंगत हेाता है। परिकल्पना को सिद्ध करने के स्थान पर उसके परीक्षण पर बल दिया जाता है।
  8. इससे पुनरावृत्ति की संभावना होती है। उपरोक्त विशेषताओं के अवलेाकन से यह स्पष्ट है कि वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा प्राप्त ज्ञान अति उच्च स्तर का होता है। यह कल्पनाओं, विश्वास एवं अप्रमाणित बातों पर आधारित नहीं होता है। ऐसे ज्ञान अर्जन के लिये अनुसंधानकर्ता को अपनी विद्धता का विकास करना व सही प्रेक्षण व कर्मठता का परिचय देना चाहिये। साक्ष्यों को एकत्रित कर उनका अध्ययन करने, तार्किक विश्लेषण कर सम्बन्धों को पहचानने, विचारों में मौलिकता और स्पष्ट उद्देश्य के साथ अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।

वैज्ञानिक अनुसंधान की मूलभूत अवधारणा - Fundamental concept of scientific research

प्रस्तावना: वैज्ञानिक शोध के माध्यम से शोध समस्याओं का चुनाव करना तथा समस्या की पहचान के द्वारा परिकल्पना का निर्माण करना वास्तव में कठिन कार्य है क्योंकि समस्याओं का चुनाव करने या उसे जानने के लिए अनुसंधानकर्ता को बहुत संवेदनशील, जटिल समस्याओं के समाधान करने की योग्यता वाला, मेहनती एवं कुशल बुद्धि वाला होना चाहिये ताकि वे वैज्ञानिक समस्या तथा विज्ञान की तर्क संगत वातों को समझ सके ? क्योंकि अनुसंधानकर्त्ता को वैज्ञानिक समस्याओं को सामान्य उद्देश्यों के अनुसार ही चुनाव करना होता है। समस्याओं के चुनाव या निर्धारण में हमे यह ज्ञात करना होता है कि विषय की विशेषता क्या है ? उसको किस प्रकार परिभाषित कर सकते है ? अनुसंधान द्वारा विशेष समस्या का क्या होगा, समस्या का क्षेत्र क्या हो सकता है? आदि बातों की जानकारी प्राप्त करनी होती है।

वैज्ञानिक शोध का अर्थ प्रकार एवं आवश्यकता

शिक्षा, मनोविज्ञान तथा समाज कार्य ऐसे व्यवहारपरक विज्ञान (Behavioural Science) है जिनमें वैज्ञानिक विधियों द्वारा ही अनेकों प्रकार के शोधकार्य किये जाते हैं। ऐसी विधियों द्वारा किये गये शोध कार्यों को वैज्ञानिक शोध कहते हैं। वैज्ञानिक शोध क्या है ? इस पर चर्चा करने से पूर्व ये जान लेना आवश्यक है कि विज्ञान किसे कहते हैं एवं वैज्ञानिक विधि क्या है ?

विज्ञान सामान्यतः दो दष्टिकोणों से मिलकर बना है।

(i) स्थिर दृष्टिकोण (Static View)

(ii) गतिमान दृष्टिकोण (Dynamic View)

स्थिर दृष्टिकोण में वैज्ञानिक वर्तमान सिद्धान्तों, नियमों, परिकल्पनाओं (Hypothesis) आदि के ज्ञान भण्डार में नये-नये तथ्यों की खोज कर उस ज्ञान भण्डार का विस्तार करता है जबकि गतिमान दष्टिकोण में समस्या समाधान के नये-नये तरीकों पर जोर दिया जाता है अर्थात किसी भी समस्या के समाधान में नई-नई विधियों का प्रयोग किया जाता है। यह विज्ञान का क्रियाशील पक्ष है, इसे स्वानुभाविक दृष्टिकोण ( Heuristic view) भी कहते हैं। कुल मिलाकर विज्ञान का मूल उद्देश्य प्राकतिक घटनाओं की वैज्ञानिक व्याख्या करना है। इस वैज्ञानिक व्याख्या को ही वैज्ञानिक सिद्धान्त कहते हैं।  विज्ञान क्या है ? ये जानने के बाद अब हम वैज्ञानिक विधि के बारे में चर्चा करेंगे । वैज्ञानिक विधि उस विधि को कहते हैं जिसमें किसी भी विषयवस्तु का अध्ययन नियंत्रित परिस्थिति में किया जाता है तथा उससे प्राप्त परिणामों का वैध एवं विस्तृत सामान्यीकरण किया जाता है।

"A scientific Medthod is one in which the scientist studies his subject matter in controlled situation and looks for a broader valid generalization."

उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि किसी भी वैज्ञानिक विधि में दो बातें प्रमुख होती हैं, पहली यह कि अध्ययन नियंत्रित परिस्थति में हो और दूसरी यह कि अध्ययन से प्राप्त परिणाम का सामान्यीकरण वैध (Valid) एवं विस्तृत हो । यहाँ नियन्त्रित परिस्थिति से तात्पर्य ऐसी परिस्थिति से है जिसके अन्तर्गत हम सिर्फ उसी चर के प्रभाव का अध्ययन करेंगे जिसका प्रभाव हम देखना चाहते हैं तथा अन्य चरों के प्रभाव को नियंत्रित कर देंगे ताकि उनका कोई भी प्रभाव उस अध्ययन पर न पड़ सके। इसके अलावा अध्ययन से प्राप्त परिणाम का विस्तृत एवं वैध सामान्यीकरण से तात्पर्य है कि उन परिणामों को उन सभी लोगों पर लागू किया जा सके जो उस अध्ययन में सम्मिलित तो नहीं किये गये परन्तु जिनकी विशेषताएं उन व्यक्तियों से मिलती-जुलती है जिन्हें अध्ययन में शामिल किया गया था।

वैज्ञानिक विधि के सोपान 

कोई भी विधि वैज्ञानिक विधि तभी हो सकती है जब उसमें निम्न निश्चित एवं उपयोगी चरणों का समावेश आवश्यक रूप से किया जाय।

 समस्या की पहचान - किसी भी वैज्ञानिक विधि में सर्वप्रथम समस्या की निश्चित पहचान कर ली जाती है। अर्थात् वास्तव में हम जिस समस्या या उससे सम्बन्धित चरों का चयन करना चाहते हैं वो वही है या नहीं। तत्पश्चात् अपने अध्ययन के अनुरूप समस्या में सम्मिलि शब्दों को परिभाषित किया जाता है। ऐसा करने के लिए शोधकर्ता समस्या से सम्बन्धित ज्ञान एवं सूचनाओं की आलोचनात्मक व्याख्या करता है।

परिकल्पना का निर्माण - समस्या पहचान के बाद परिकल्पना का निर्माण किया जाता है। किसी भी समस्या की परिकल्पना उसका सम्भावित समाधान होती है। निगमनात्मक चिंतन (Deductive reasoning) द्वारा परिकल्पना से एक आशय तक पहुँचना वैज्ञानिक विधि के इस तीसरे चरण में निगमनात्मक चिंतन द्वारा प्रस्तावित परिकल्पना के रूप में समस्या के प्रति सुझाव स्वरूप समाधान (Suggested solution of the problem) पर पहुँचने की कोशिश की जाती है। यहाँ यह तय किया जाता है कि यदि परिकल्पना सच हुई तो किन तथ्यों का प्रेक्षण किया जायेगा तथा किन-किन तथ्यों का प्रेक्षण नहीं किया जायेगा।

सम्बन्धित प्रमाणों एवं कारणों का संग्रह एवं विश्लेषण - इस चरण में प्रस्तावित परिकल्पना से सम्बन्धित संग्रहीत कारणों एवं प्रमाणों का निगमन विधि (Deductive Method) द्वारा विश्लेषण किया जाता है।

परिकल्पना की जाँच - वैज्ञानिक विधि के इस चरण में चतुर्थ सोपान से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर परिकल्पना की जाँच की जाती है। यदि परिकल्पना जाँच के आधार पर सही सिद्ध होती है तो उसे स्वीकार कर लेते हैं और यदि परिकल्पना जाँच के आधार पर सत्य सिद्ध नहीं होता है या उसमे कुछ कमी होती है तो उस कमी को दूर कर सही परिकल्पना का निर्माण करने के लिए उसका परिमार्जन किया जाता है। अतः उपरोक्त चरणों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि कोई भी वैज्ञानिक विधि उपरोक्त चरणों पर ही आधारित होगी।

वैज्ञानिक शोध का अर्थ एव विशेषतायें 

जब किसी समस्या या प्रश्न को क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ (Objective) ढंग से सुलझाने का प्रयास किया जाता है तो इस क्रिया को ही वैज्ञानिक शोध कहते हैं। करलिंगर ने शोध के अर्थ को स्पष्ट करते हुये कहा कि"स्वभाविक घटनाओं का क्रमबद्ध नियंत्रित आनुभाविक एवं आलोचनात्मक अनुसंधान जो घटनाओं के बीच कल्पित संबंधों के सिद्धान्तों एवं परिकल्पनाओं द्वारा निदेशित होता है, को वैज्ञानिक शोध कहा जाता है।" इसी प्रकार बेस्ट एवं काहन ने वैज्ञानिक शोध को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है। -"वैज्ञानिक शोध किसी नियंत्रित प्रेक्षण का क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ अभिलेख एवं विश्लेषण है जिनके आधार पर सामान्यीकरण, नियम या सिद्धान्त विकसित किया जाता है तथा जिससे बहुत सारी घटनाओं, जो किसी खास क्रिया का परिणाम या कारण हो सकती है, को नियंत्रित कर उनके बारे में पूर्वकथन किया जाता है।"

अतः कहा जा सकता है कि (वैज्ञानिक) शोध से तात्पर्य उस क्रिया या क्रियाओं से है जिनके माध्यम से व्यवस्थित रूप से किसी समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जाता है तथा प्राप्त निराकरण किसी नये सिद्धान्त का प्रतिपादन या पुष्टि करता है।

वैज्ञानिक अनुसंधान की उपरोक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त इसकी विशेषतायें निम्नवत है।

1. अनुसंधान का उद्देश्य किसी समस्या का समाधान ढूँढ़ना अथवा दो या दो से अधिक चरों के आपसी सम्बन्धों को ज्ञात करना है।

2. अनुसंधान केवल सूचनाओं की पुनः प्राप्ति या संग्रहण नहीं है अपितु अनुसंधान में व्यापीकरण, नियमों या सिद्धान्तों के विकास पर बल दिया जाता है।

3. अनुसंधान किसी दैव वाणी या मत को ज्ञान प्राप्ति की विधि नहीं मानता है बल्कि ये उन बातों को स्वीकार करता है जिन्हें प्रेक्षण द्वारा परखा जा सके।

4. अनुसंधान में आँकड़ो के संग्रहण के लिए वैध उपकरणों एवं विधियों का प्रयोग किया जाता है तत्पश्चात् इन आँकड़ो का व्याख्या व विश्लेषण किया जाता है।

5. अनुसंधान, प्राथमिक सूत्रों से प्राप्त नई सूचनायें प्राप्त करना या विद्यमान सूचनाओं से नया प्रयोजन प्रस्तुत करता है।

6. अनुसंधान में निपुणता की आवश्यकता होती है। अनुसंधानकर्ता को यह ज्ञान होना चाहिये कि समस्या के बारे में पहले से कौन-कौन सा ज्ञान या सूचनायें मौजूद है। वह संबंधित साहित्य का अध्ययन करता है। उसे सभी पारिभाषिक शब्दों, धारणाओं और तकनीकी कुशलता का पूर्ण ज्ञान  होता है ताकि वह संकलित सूचनाओं एवं आकड़ों का विश्लेषण कर सके।

 7. वैज्ञानिक अनुसंधान वस्तुनिष्ठ एवं तर्कसंगत होता है। परिकल्पना को सिद्ध करने के स्थान पर उसके परीक्षण पर बल दिया जाता है।

8. इससे पुनरावृत्ति की संभावना होती है।

उपरोक्त विशेषताओं के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा प्राप्त ज्ञान अति उच्च स्तर का होता है। यह कल्पनाओं, विश्वास एवं अप्रमाणित बातों पर आधारित नहीं होता है। ऐसे ज्ञान अर्जन के लिये अनुसंधानकर्ता को अपनी विद्धता का विकास करना व सही प्रेक्षण व कर्मठता का परिचय देना चाहिये। साक्ष्यों को एकत्रित कर उनका अध्ययन करने, तार्किक विश्लेषण कर सम्बन्धों को पहचानने विचारों में मौलिकता और स्पष्ट उद्देश्य के साथ अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।

वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता 

आज प्रत्येक क्षेत्र में इस बात का अनुभव किया जा रहा है कि यदि ज्ञान के विस्फोट को समझना है प्रगति की होड़ में आगे बढ़ना है तो उसका एकमात्र साधन वैज्ञानिक अनुसंधान ही हो सकता है क्योंकि विश्व में हुयी सारी प्रगति विभिन्न क्षेत्रों में किये गये अनुसंधानों के कारण ही है। समाज कार्य और मनोविज्ञान में हमारा प्रयास, मानव के व्यवहार को समझने, उसकी भविष्यवाणी करने तथा उस पर नियंत्रण व् समस्या के समाधान के लिए है। इसके लिये अनुसंधान कार्य एक प्रमुख साधन है। अतः इन क्षेत्रों में अनुसंधान को निम्नलिखित कारणों से अधिक महत्व दिया गया है।

ज्ञान के विकास में सहायक - अनुसंधान ज्ञान के किसी एक सूक्ष्म अंग का विस्तृत संपूर्ण एवं नवीन चित्र प्रस्तुत करता है। इसके द्वारा ज्ञानकोष में वृद्धि एवं विकास होता है। गुड तथा स्केट का कहना है कि विज्ञान का कार्य बुद्धि का विकास करना है तथा अनुसंधान का कार्य विज्ञान का विकास करना है। अतः बुद्धिमत्ता के विकास के लिए अनुसंधान अति आवश्यक है।

उद्देश्य प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम क्रिया - अनुसंधान एक उद्देश्यपूर्ण क्रिया है, इसकी समस्त गतिविधियाँ उस उद्देश्य की ओर ही अग्रसर रहती है जिसकी प्राप्ति के लिये अनुसंधान किया जा रहा है।

मानव समाज को नवीन ज्ञान एवं गति प्रदान करना - अनुसंधान मानव जीवन को गति देने एवं दिशा निर्देशित करने में अत्यन्त आवश्यक है आज अनुसंधान के माध्यम से ही नयी-नयी तकनीकों का जन्म हो रहा है।

अनुसंधान जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति का सरल उपाय देना - उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सरल साधनों को प्राप्त करना मानव स्वभाव है। अनुसंधान समाज कार्य, मनोविज्ञान एवं समाज विज्ञान इन सभी क्षेत्रों में इस दृष्टि उपयोगी है।

सुधार में सहायक - अनुसंधान वैज्ञानिक होता है इसमें किसी भ्रांति या अपुष्ट धारणा के लिये स्थान नहीं होता है अतः ये रूढ़िगत विचारों एवं व्यवहारों में सुधार का मार्ग प्रस्तुत करता है।

सत्य ज्ञान की खोज करना - अनुसंधान, अनुसंधानकर्ता की उत्सुकता को शांत करता है और उसकी सत्य ज्ञान की पिपासा को शांत करता है।

प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता प्रदान करना- अनुसंधान अनेक प्रशासनिक गुत्थियों को सुलझाकर स्वस्थ प्रशासनिक व्यवस्था के सफल संचालन में सहायक होता है।

अध्यापक के लिये अति उपयोगी - अध्यापक के लिये यह प्राण के समान ही होता है। अध्यापक इसके माध्यम से सैद्धान्तिक एवं व्यवहारिक समस्याओं को समाधान कर प्रगति का पथ प्रशस्त करता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि अनुसंधान शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों तथा प्रशासकों एवं पर्यवेक्षकों को स्वयं के ज्ञान, परस्पर एव दूसरे के ज्ञान एवं मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक समस्याओं का सुनियोजित समाधान प्रस्तुत करने के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रकार 

 यद्यपि वैज्ञानिक शोध को वर्गीकृत करना एक कठिन कार्य है क्योंकि भिन्न-भिन्न पाठ्य पुस्तकों में कई वर्गीकरण अलग-अलग ढंग से प्रस्तावित किये गये हैं। फिर भी बेस्ट वएं काहन (Best & Kahn, 1992) द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण को सबसे उत्तम माना जा सकता है और इसे वर्गीकरण की एक कसौटी मानते हुए वैज्ञानिक शोध को निम्नांकित तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है

ऐतिहासिक शोध (Historical Research)

 - ऐतिहासिक शोध से तात्पर्य उस शोध से होता है जिसमें बीती घटनाओं का अभिलेखन किया जाता है, उनका विश्लेषण किया जाता है तथा उनकी व्याख्या की जाती है ताकि समुचित सामन्यीकरण किया जा सके। ऐसे सामान्यीकरण से विगत एवं वर्तमान की क्रियाओं को समझने में मदद मिलती ही है साथ ही साथ इनसे प्रत्याशित भविष्य (anticipated future) को भी समझने में मदद मिलती है। अतः यह कहा जा सकता है कि ऐतिहासिक शोध मूलतः 'क्या था' का वर्णन करता है।

विवरणात्मक शोध (Descriptive Research ) - विवरणात्मक शोध उस शोध को कहा जाता है जिसमें वर्तमान हालातों का अभिलेखन किया जाता है, विश्लेषण किया जाता है तथा उनकी व्याख्या की जाती है। ऐसे शोध में अपरिचालित चरों (Non-manipulated variables) के बीच मौजूद संबंधों का विश्लेषण किया जाता है। इसे अप्रयोगात्मक या सहसबंधात्मक शोध (Non-experimental or correlational research) भी कहते हैं। ऐसे शोध में मूल रूप से क्या है' (what is) का वर्णन किया जाता है।

 प्रयोगात्मक शोध (Experimental Research )

 - प्रयोगात्मक शोध उस शोध को कहा जाता है जिसमें कुछ चरों को नियंत्रित किया जाता है, कुछ चरों को परिचालित (manipulate) किया जाता है एवं किसी अन्य चर पर उसके पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। अतः ऐसे शोध में मूलतः इस बात का अध्ययन किया जाता है कि चरों को नियंत्रित करने एवं उनका परिचालन करने का प्रभाव क्या होगा।

निष्कर्ष : विज्ञान के अर्थ को मूलतः दो दृष्टिकोण से समझा जाता है- स्थैतिक दृष्टिकोण तथा गत्यात्मक दृष्टिकोण। वैज्ञानिक अपने क्षेत्र की समस्याओं का अध्ययन करने के लिये किसी वैज्ञानिक विधि का चयन करते हैं। सामान्यतः वैज्ञानिक विधि से तात्पर्य उस विधि से होता है जिसके द्वारा वैज्ञानिक अपने विषय वस्तु का अध्ययन एक नियंत्रित परिस्थिति में करके वैध सामान्यीकरण करता है।

वैज्ञानिक शोध का महत्व समाज कार्य एवं समाज विज्ञान के अन्य सभी संकाय में महत्वपूर्ण है। किसी स्वाभाविक घटना का क्रमबद्ध नियंत्रित एवं आलोचनात्मक अनुसंधान जो घटनाओं के बीच कल्पित संबंधों के सिद्धान्तों एवं प्राकल्पनाओं द्वरा निदेशित होता है, को वैज्ञानिक शोध कहा जाता है।

संदर्भ सूचि

Research Methodology and statistics. (n.d.). Retrieved 06 19, 2021, from Research Methodology and statistics: https://www.uou.ac.in/lecturenotes/health-sciences/MAHS-19/%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%88%203%20%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A7%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%9A%E0%A4%AF%E0%A4%A8%20%E0%A4%AD%E0%A4

Balakumar, P., & Jagadeesh, G. (2012). The basic concepts of scientific research and scientific communication. Journal of pharmacology & pharmacotherapeutics, 3(2), 178–182. https://doi.org/10.4103/0976-500X.95522

Çaparlar, C. Ö., & Dönmez, A. (2016). What is Scientific Research and How Can it be Done?. Turkish journal of anaesthesiology and reanimation, 44(4), 212–218. https://doi.org/10.5152/TJAR.2016.34711

वैज्ञानिक अनुसंधान क्या होता है?

- "वैज्ञानिक शोध किसी नियंत्रित प्रेक्षण का क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ अभिलेख एवं विश्लेषण है जिनके आधार पर सामान्यीकरण, नियम या सिद्धान्त विकसित किया जाता है तथा जिससे बहुत सारी घटनाओं, जो किसी खास क्रिया का परिणाम या कारण हो सकती है, को नियंत्रित कर उनके बारे में पूर्वकथन किया जाता है।"

वैज्ञानिक अनुसंधान की विशेषता क्या है?

वैज्ञानिक अनुसंधान वस्तुनिष्ठ एवं तर्कसंगत हेाता है। परिकल्पना को सिद्ध करने के स्थान पर उसके परीक्षण पर बल दिया जाता है। इससे पुनरावृत्ति की संभावना होती है। उपरोक्त विशेषताओं के अवलेाकन से यह स्पष्ट है कि वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा प्राप्त ज्ञान अति उच्च स्तर का होता है।

वैज्ञानिक अनुसंधान से आप क्या समझते हैं अनुसंधान के प्रकारों की व्याख्या कीजिए?

कारणता (Causality) : विज्ञान विभिन्न कराकों के परस्पर कारण प्रभावों का अध्ययन करता है तथा परिणामो केक कारणा की खोज करता है। विज्ञान घटना में विद्यमान कारकों तथा तथ्यों के परस्पर कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन, वर्णन और व्याख्या करता है। इस प्रकार से कारणता की खोज करना विज्ञान की एक प्रमुख विशेषता है।

वैज्ञानिक विधि का अर्थ क्या है?

विज्ञान, प्रकृति का विशेष ज्ञान है। यद्यपि मनुष्य प्राचीन समय से ही प्रकृति सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करता रहा है, फिर भी विज्ञान अर्वाचीन काल की ही देन है। इसी युग में इसका आरम्भ हुआ और थोड़े समय के भीतर ही इसने बड़ी उन्नति कर ली है।