प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे बालक होते हैं , जो सामान्य बालकों की अपेक्षा श्रेष्ठ या हीन होते हैं । आनुवंशिकता तथा वातावरण में भिन्नता के कारण इन बालकों के शारीरिक , मानसिक और अन्य गुणों में भिन्नता पाई जाती है। Show
समूह के अधिकांश बालकों के गुण समूह प्रतिमान के अनुरूप होते हैं, ऐसे बालकों को सामान्य बालक कहते हैं तथा जिन बालकों में समूह प्रतिमानों की अपेक्षा कम या अधिक गुण पाये जाते हैं उन्हें विशिष्ट बालक कहते हैं । विशिष्ट बालकों में अपनी विलक्षणताओं या विशेषताओं के कारण समायोजन करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं । जिससे इनके पालन – पोषण और शिक्षा में विशेष ध्यान की आवश्यकता होती है। विशिष्ट बालक का अर्थमनौवैज्ञानिकों के अनुसार विशिष्ट बालकों में सोचने , समझने , सीखने , समायोजन करने आदि की योग्यतायें सामान्य बालकों से अलग पाई जाती हैं। विशिष्ट बालकों में किसी कार्य को सामान्य बालकों की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बहुत देर से करते हैं । विशिष्ट बालकों के उनकी विशिष्टता के अनुरूप निम्नलिखित समुहों में वर्गीकृत किया जाता है। जैसे – बौद्धिक रूप से विशिष्ट बालक, शारीरिक दृष्टि से विशिष्ट बालक, सामाजिक दृष्टि से विशिष्ट बालक आदि । भौतिक , सामाजिक , बौद्धिक , शैक्षिक आदि परिस्थतियों में सामान्य बालकों से अलग होने के कारण विशिष्ट बालकों को विशिष्ट प्रकार की शैक्षिक , मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है । विशिष्ट विद्यार्थियों में पिछड़े बालक , मानसिक रूप से पिछड़े बालक , बाल अपराधी , प्रतिभावान बालक आदि शामिल हैं । विशिष्ट बालक की परिभाषाविभिन्न विद्वानों ने विशिष्ट बालकों की परिभाषा दी है जिनमें से कुछ परिभाषाएँ यहाँ दी जा रही हैं – डन के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषाडन के अनुसार विशिष्ट बालक वह है , जो बौद्धिक , शारीरिक सामाजिक अथवा मनोवैज्ञानिक विशेषताओं में इतना भिन्न है कि बहुसंख्यक बालकों के विकास के लिए बनाई गई कार्य प्रणाली उनको सर्वांगीण विकास के अवसर उपलब्ध नहीं करा पाती है, और ऐसे बालकों के लिए उनकी योग्यताओं के अनुरूप उपलब्धि प्राप्त कर सकने के लिये वे विशेष शिक्षण अथवा कुछ स्थितियों में विशेष सहायक सेवायें अथवा दोनों की आवश्यकता होती है । हेक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषाहेक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है , जो किसी एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य बालक से पर्याप्त मात्रा में भिन्न होता है । कुक शैंक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषाकुक शैंक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है जो बौद्धिक , शारीरिक , सामाजिक अथवा संवेगात्मक दृष्टि से सामान्य समझी जाने वाली बुद्धि तथा विकास से इतना भिन्न है कि वह नियमित विद्यालय कार्यक्रम से पूर्ण लाभ नहीं उठा सकता है तथा विशिष्ट कक्षा अथवा पूरक शिक्षण व सेवा चाहता है । क्रिक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषाक्रिक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है जो सामान्य अथवा औसत बालक से मानसिक , शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताओं से इतना अधिक भिन्न है कि वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन अथवा विशेष सेवायें चाहता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके। हैरी बाकर के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषाहैरी बाकर के अनुसार असाधारण / विशिष्ट बालक वे हैं – जो शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक और सामाजिक दृष्टि से सामान्य गुणों से इस सीमा तक विचलित होते हैं कि उन्हें अपनी अधिकतम क्षमता के अनुसार स्वयं का विकास करने के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है । टैलफोर्ड एवं सावर विशिष्ट बालक की परिभाषाटैलफोर्ड एवं सावर के अनुसार विशिष्ट बालकों से तात्पर्य उन बालकों से है जो सामान्य बालकों से शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक अथवा सामाजिक लक्षणों में इतने अधिक भिन्न होते हैं कि उनकी योग्यताओं के अनुसार उनके अधिकतम विकास के लिए विशेष सामाजिक एवं शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता होती है । विशिष्ट बालकों के प्रकारबालकों के व्यक्तित्व के शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक एवं सामाजिक पक्षों के आधार पर विशिष्ट बालकों को निम्नलिखित चार प्रकार में वर्गीकरण किया गया है – 1. शारीरिक रूप से विशिष्ट बालकशिक्षा की दृष्टि से शारीरिक रूप से विशिष्ट बालकों में शारीरिक रूप से विकलांग बालक आते हैं । समायोजन एवं शिक्षा की दृष्टि से इन बालकों की विशेष व्यवस्था करना आवश्यक होता है । 2. मानसिक रूप से विशिष्ट बालकइस वर्ग में प्रतिभाशाली , बुद्धिमान , पिछड़े अथवा धीमी गति से सीखने वाले और मन्द बुद्धि बालक आते हैं । 3. संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालकइस वर्ग में अस्थिर , शर्मीले , चिन्ताग्रस्त और क्रोधी बालक आते हैं । 4. सामाजिक रूप से विशिष्ट बालकइस वर्ग में मुख्य रूप से चोरी करने वाले , झूठ बोलने वाले , मादक द्रव्यों का सेवन करने वाले बालक , अपराधी बालक , वंचित बालक आदि आते हैं । विशिष्ट एवं सामान्य बालक में अन्तर
विशिष्ट बालक से आप क्या समझते हैं?विशिष्ट बालक की परिभाषा
क्रूशैंकं के अनुसार-”एक विशिष्ट बालक वह है जाे शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक रूप, सामान्य बुद्धि एवं विकास की दृष्टि से इतने अष्टिाक विचलित होते है कि नियमित कक्षा- कार्यक्रमो से लाभान्वित नही हो सकते है तथा जिसे विद्यालय में विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है।”
विशेष आवश्यकता वाले बच्चे का क्या अर्थ है इसकी विशेषताएँ लिखिए?(1) शारीरिक दृष्टि से इनकी ज्ञानेन्द्रियाँ तीव्र होती है। ये सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ होते हैं । (2) मानसिक दृष्टि से इनकी बुद्धि लब्धि 120 से अधिक होती है। (3) रुचियों की दृष्टि से इन बालकों की विशेषताओं में मुख्यतः तुलनात्मक, कल्पना प्राप्ति, धैर्य, तर्क व खोजबीन की प्रवृत्ति पायी जाती है ।
विशिष्ट बालकों की पहचान कैसे करें?(i) समूहगत बुद्धि परीक्षण, (ii) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण, (iii) उपलब्धि परीक्षण, (iv) विशिष्ट योग्यता परीक्षण, (v) रुचि परीक्षण,(vi) व्यक्तित्व परीक्षण । (i) शैक्षिक उपलब्धि के आधार पर इन्हें पहचाना जा सकता है। (ii) ऐसे बालक अधिकता शारीरिक रूप से भी अयोग्य होते हैं। (iii) संवेगात्मक रूप से अस्थिर होते हैं।
विशिष्ट बालकों से आपका क्या अभिप्राय है यह कितने प्रकार के होते हैं?विशिष्ट बालक का अर्थ (Meaning of exceptional children)
जिनमें विशेष प्रकार की शारीरिक और मानसिक विशेषताएं पाई जाती हैं। इनमें से कुछ बालक प्रतिभाशाली तो कुछ मंदबुद्धि और कुछ पिछड़े होते है। और कुछ शारीरिक दोष वाले होते हैं। इनको हम विशिष्ट बालक की संज्ञा देते हैं।
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