Show वेदों का रचनाकाल-निर्धारण वैदिक साहित्येतिहास की एक जटिल समस्या है। विभिन्न विद्वानों ने भाषा, रचनाशैली, धर्म एवं दर्शन, भूमर्भशास्त्र, ज्योतिष, उत्खनन में प्राप्त सामग्री, अभिलेख आदि के आधार पर वेदों का रचनाकाल निर्धारित करने का प्रयास किया है, किन्तु इनसे अभी तक कोई सर्वमान्य रचनाकाल निर्धारित नहीं हो सकता है। इसका कारण यही है कि सबका किसी न किसी मान्यता के साथ पूर्वाग्रह है। 18वीं शती के अन्त तक भारतीय विद्वानों की यह धारणा थी कि वेद अपौरुषेय है, अर्थात किसी मनुष्य की रचना नहीं है। संहिताओं, ब्राह्मणों, दार्शनिक ग्रन्थों, पुराणों तथा अन्य परवर्ती साहित्य में अनेक उद्धरण मिलते हैं जिनमें वेद के अपौरुषेयत्व का कथन मिलता है। वेद-भाष्यकारों की भी परम्परा वेद को अपौरुषेय ही मानती रही। इस प्रकार वेद के अपौरुषेयत्व की धारणा उसके कालनिर्धारण की सम्भावना को ही अस्वीकार कर देती है। दूसरी तरफ 19वीं सदी के प्रारम्भ से ही, जबकि पाश्चात्य विद्वानों के द्वारा वेदाध्ययन का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया गया, यह धारणा प्रतिष्ठित होने लगी कि वेद अपौरुषेय नहीं, मानव ऋषियों की रचना है; अतएव उनके कालनिर्धारण की सम्भावना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। फलस्वरूप, अनेक पाश्चात्य विद्वानों के द्वारा इस दिशा में प्रयास किया गया। वैदिक किंवा आर्य-संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है, इस तथ्य को चूँकि पाश्चात्य मानसिकता अंगीकार न कर सकी, इसलिये वेदों का रचनाकाल ईसा से सहस्त्राब्दियों पूर्व मानना उनके लिये सम्भव नहीं था, क्योंकि विश्व की अन्य संस्कृतियों की सत्ता इतने सुदूरकाल तक प्रमाणित नहीं हो सकती थी, यद्यपि उन्होंने इतना अवश्य स्वीकार किया कि वेद विश्व का प्रचीनतम साहित्य है। इस प्रकार वेद विश्व का प्राचीनतम वाड्मय है इस विषय में भारतीय तथा पाश्चात्य सभी विद्वान् एकमत हैं, वैमत्य केवल इस बात में है कि इसकी प्राचीनता कालावधि में कहाँ रखी जाय। वेद के रचनाकाल-निर्धारण की दिशा में अब तक विद्वानों ने जो कार्य किये हैं तथा एतद्विषयक अपने मत स्थापित किये है उनका यहाँ संक्षेप में उल्लेख किया जाता है।[1] मैक्समूलर का मत
मैक्समूलर के मत की समीक्षा
याकोबी का मत
बालगंगाधर तिलक का मत
याकोबी तथा तिलक के मत की समीक्षा
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेखवेदों की रचना किसने की और कब?कालक्रम वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से हैं। संहिता की तारीख लगभग 1700-1100 ईसा पूर्व, और "वेदांग" ग्रंथों के साथ-साथ संहिताओं की प्रतिदेयता कुछ विद्वान वैदिक काल की अवधि 1500-600 ईसा पूर्व मानते हैं तो कुछ इससे भी अधिक प्राचीन मानते हैं।
वेदों की रचना का प्रारंभ कब हुआ था?8. ऋग्वेद में लोगों का वर्गीकरण उनके कार्य या उनकी भाषा के आधार पर किया जाता है।
चारों वेदों का रचयिता कौन है?चार वेद के नाम – char vedo ke nam – वेद भारत के सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथ है। इसका संकलन महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपाजन जी ने किया था।
भारत में वेदों की रचना कब हुई थी?वेदों की रचना के बारे में विद्वानों की धारणा है कि ये अपौरुषेय हैं यानी इनकी रचना किसी पुरुष ने नहीं की. हां ऋषियों ने वेद मन्त्रों का दर्शन किया था. इनका रचना काल 2500 ईसवी पूर्व से लेकर 1200 ईसवी पूर्व के बीच माना जाता है.
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