“REET 2017 Level-I Previous Year Paper Show बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र खण्ड – I बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र इस खण्ड के कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) संज्ञानात्मक (2) क्रियात्मक (3) भावात्मक (4) मनोप्रेरण उत्तर : – (*) व्याख्या – इस प्रन में बोनस अंक दिए गए हैं, क्योंकि विकल्प (2) में क्रियात्मक (Conative) एवं विकल्प (4) में मनोप्रेरण (Psychomator) दिया गया था। क्रियात्मक के लिए अंग्रेजी शब्द Psychomotor भी प्रयुक्त होता है। बी.एस. ब्लूम ने मूल्यांकन के तीन प्रकार के उद्देश्य बताए- संज्ञानात्मक, भावात्मक, क्रियात्मक। (1) स्कूल से बाहर जीवन को ज्ञान से जोड़ना। (2) परीक्षा को अधिक लचीला और कक्षा जीवन में एकीकृत करना। (3) अधिगम की रटना विधि को सुविधाजनक बनाना चाहिए। (4) पाठ्यपुस्तक केन्द्रित रहने की बजाए बच्चों के समग्र विकास के लिए समृद्ध पाठ्यचर्या प्रदान करना। उत्तर : – (3) व्याख्या-राष्ट्रीय पाठ्यचर्या-2005 के 5 मार्गदर्शक सिद्धान्त इस प्रकार हैं 1. ज्ञान को विद्यालय के बाहरी जीवन से जोड़ना। 2. रटन्त पढ़ाई से मुक्ति। 3. पाठ्यचर्या पुस्तक केन्द्रित न होकर बच्चों के चहुंमुखी विकास पर बल। 4. गतिविधि आधारित शिक्षण व लचीली मूल्यांकन व्यवस्था। 5. विद्यार्थियों को प्रजातांत्रिकता व राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान बनाना। (1) विश्लेषण (2) संप्रयोग (3) समझ (4) ज्ञान उत्तर : – (2) व्याख्या-सीखे हुए ज्ञान का नयी परिस्थितियों में प्रयोग करने की क्षमता को संप्रयोग या अनुप्रयोग कहा गया। (1) आकलन (2) मापन (3) मूल्यांकन (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (1) व्याख्या-लोगों से सूचनाएँ एकत्र करके छात्रों को बिना कोई ग्रेड या अंक दिए पृष्ठपोषण देना ही आकलन है। (1) प्रारंभिक अनुभव (2) वातावरण (3) आनुवंशिकता (4) आनुवंशिकता व वातारण दोनों उत्तर : – (3) व्याख्या-जीव विज्ञानी पार्कर का मानना है कि “हमारा 90 प्रतिशत भाग वंशानुक्रम या जन्मजात होता है। मात्र 10 प्रतिशत भाग अर्जित होता है।” ‘ (1) सिफेलोकौडाल प्रगति (2) प्रॉक्सिमोडिस्टल प्रगति (3) व्यापक से विशिष्ट कार्यवाई प्रगति (4) अनियमित प्रगति उत्तर : – (2,3) व्याख्या- कुप्पू स्वामी ने विकास के दो क्रमों का उल्लेख किया है- 1. सिफेलेकौडाल या शिरोमुखी विकास व 2. प्रॉक्सिमोडिस्टल। सिफेलेकौडाल में विकास सिर से पैर की ओर होता है व प्रॉक्सिमोडिस्टल में केन्द्र से सिरों की ओर होता है। प्रॉक्सिमेडिस्टल प्रगति में विकास व्यापक से विशिष्ट की ओर होता है। (1) अन्य को प्रभावित किए बिना स्वतंत्र रूप से विकसित (2) एक एकीकृत और समग्र प्रकार में विकसित (3) आंशिक रूप से विकसित (4) बेतरतीब ढंग से विकसित उत्तर : – (2) व्याख्या-बच्चे के विकास के शारीरिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक आदि सभी पक्ष समग्र रूप में एक साथ एकीकृत रूप में विकसित होते रहते हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है कि पहले शारीरिक विकास होगा उसके बाद ही व्यक्तित्व के अन्य पक्षों का विकास होगा। (1) थॉर्नडाईक अधिगम सिद्धान्त (2) पियाजे संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त (3) टोलमैन संकेत अधिगम (4) कोहलर अधिगम सिद्धान्त उत्तर : – (2) व्याख्या-जीन पियाजे (1896-1980) ने संज्ञानात्मक विकास पर विचार विमर्श करके “विकास के संतुलन’ नामक नये सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। स्विट्जरलैण्ड के मनोवैज्ञानिक पियाजे के बुद्धि सिद्धान्त को संज्ञानात्मक विकास के अलावा संलग्नात्मक सिद्धान्त भी कहा जाता है। (1) समावेश (2) समायोजन (3) संतुलन (4) ज्ञान विघ्न . उत्तर : – (3) व्याख्या-पियाजे के संज्ञानवादी अधिगम सिद्धान्त के अनुसार संतुलन प्रक्रिया में आत्मीकरण एवं समायोजन के द्वारा बाहरी पर्यावरण (नये) एवं पूर्व मानसिक संरचनाओं (पुराने) में संतुलन या समन्वय किया जाता है। (1) प्रभाव का नियम (2) श्रम का नियम (3) प्रबलन का नियम (4) उक्त कोई नहीं उत्तर : – (*) व्याख्या-अधिगम में उपयोग व अनुपयोग का नियम अभ्यास का नियम है जिसके अनुसार किसी कार्य को दुहराने से अधिगम होता है। किसी विकल्प में अभ्यास का नियम नहीं दिया गया है। (1) विलोपन (2) बिना शर्त प्रोत्साहन (3) अनुकूलित उत्तेजना (4) तत्परता उत्तर : – (3) व्याख्या-रूसी शरीर शास्त्री पावलव ने शास्त्रीय अनुबंधन या अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। पावलव ने भूखे कुत्ते पर प्रयोग किया। उन्होंने प्रयोग में यह सिद्ध किया कि प्राकृतिक उद्दीपन (मांस) एवं कृत्रिम उद्दीपन (कदमों की आवाज) को एक साथ प्रस्तुत किया जाये तो कुछ समय बाद कृत्रिम उद्दीपन से भी वही अनुक्रिया (लार टपकना) होती है जो प्राकृतिक उद्दीपन से होती है। (1) यह एक मानकीकृत परीक्षण है। (2) छात्र के स्कोर की तुलना इसके साथ तुलना करके की जाती है कि अन्य ने कैसा प्रदर्शन किया है। (3) कहा जाता है कि परीक्षण राष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित है। (4) छात्र के प्रदर्शन की स्थापित मानदंडों से तुलना की जाती है। उत्तर : – (4) व्याख्या-संदर्भित परीक्षा दो प्रकार की होती है- सामान्य संदर्भित परीक्षा व आदर्श संदर्भित परीक्षा। सामान्य संदर्भित परीक्षा में छात्र के प्रदर्शन की अन्य समूह के विरूद्ध प्रगति या उपलब्धि को मापा जाता है, जबकि आदर्श संदर्भित परीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि परीक्षार्थी द्वारा पाठ्यक्रम को कितना समझा गया है तथा पाठ्यक्रम में शामिल मानदण्डों के खिलाफ परीक्षार्थी का प्रदर्शन कैसा रहा। (1) आई क्यू स्कोर के आधार पर अनुचित रुढ़िवादी और छात्रों के बारे में नकारात्मक उम्मीदों से बचना। (2) बुद्धि का व्यक्तिगत आकलन परीक्षक और छात्र के बीच एक संरचित बातचीत है। (3) क्षमता की मुख्य या एकमात्र विशेषताओं के रूप में आई क्यू परीक्षणों का उपयोग न करना। (4) एक समग्र आई क्यू स्कोर की सार्थकता की व्याख्या में सावधान रहना। उत्तर : – (2) व्याख्या-बुद्धि का व्यक्तिगत आकलन छात्र एवं परीक्षक के बीच एक संरचित बातचीत है। यह बुद्धि से संबंधित एक सामान्य तथ्यात्मक जानकारी है। इसमें बौद्धिक परीक्षण के दौरान सावधानी रखने जैसी कोई बात नहीं की गई है। (1) शर्मिंदगी और संदेह बनाम स्वायत्तता (2) परिश्रम बनाम हीनता (3) नेतृत्व बनाम अपराध (4) अंतरंगता बनाम अलगाव उत्तर : – (2) व्याख्या-एरिक्सन ने अपनी पुस्तक “बचपन और समाज’ में बालक के नैतिक विकास की आठ अवस्थाओं का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार हैं –
(1) विश्लेषणात्मक बुद्धि (2) रचनात्मक बुद्धि (3) प्रकृतिवादी कौशल (4) व्यावहारिक बुद्धि उत्तर : – (3) व्याख्या-हावर्ड गार्डनर बुद्धि के बहुकारक सिद्धान्त के जनक माने जाते हैं। उन्होंने बुद्धि का स्वरूप एकाकी न मानकर बहुकारक माना है। गार्डनर ने सन् 1983 में मूलतः सात प्रकार की बुद्धि की चर्चा की किन्तु 1998 में आठवीं प्रकृतिवादी बुद्धि तथा 2000 में अस्तित्वादी बुद्धि की बात कर इनकी संख्या 9 कर दी। गार्डनर के सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि के निम्न 9 रूप हैं 1. भाषायी बुद्धि 2. तार्किक बुद्धि 3. स्थानिक बुद्धि 4. शारीरिक-गतिक बुद्धि 5. सांगीतिक बुद्धि 6. व्यक्ति-आत्मन बुद्धि 7. व्यक्ति-अन्य बुद्धि 8. प्रकृतिवादी बुद्धि 9. अस्तित्ववादी बुद्धि (1) अवधारणा गठन में सुविधा (2) विश्लेषणात्मक तर्क में सुविधा (3) संज्ञानात्मक लचीलेपन में सुविधा (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या-दो भाषाएँ बोलने वाले बच्चों का मानसिक विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा तीव्र गति से होता है तथा सोचने-विचारने के क्षेत्र में विस्तार होता है। (1) डिसलेक्सिया (2) डिस्केलकुलिया (3) डिस्याफिया (4) ध्यान अभाव अतिसक्रियता विकार उत्तर : – (3) व्याख्या-डिस्ग्राफिया लेखन संबंधी विकार है। इसके प्रमुख लक्षण हैं अस्पष्ट लेखन, अपठनीय हस्तलेखन, अक्षरों का अनियमित आकार, लिखते समय स्वयं से बातें करना आदि। (1) शिक्षा सामग्री के आणविक विश्लेषण पर केन्द्रित। (2) शिक्षार्थी की उपलब्धि का लगातार व्यवस्थित आकलन। (3) सत्र के अंत में शिक्षार्थी के प्रदर्शन का अंतिम आकलन। (4) अध्यापक को छात्र की प्रगति के बारे में निरंतर और तत्काल प्रतिक्रिया प्रदान करना। उत्तर : – (3) व्याख्या-योगात्मक मूल्यांकन को संकलनात्मक मूल्यांकन भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य यह जाँचना है कि छात्रों ने कितना सीखा है। (1) सर्वाधिक समय (2) पूरा समय (3) कुछ समय (4) किसी समय नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या- समावेशित शिक्षा के अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ समावेशित किया जाता है। (1) आगमनात्मक तर्क (2) निगमनात्मक तर्क (3) अवधारणा मानचित्रण (4) परिकल्पना परीक्षण उत्तर : – (1) व्याख्या – आगमनात्मक तर्क में बालक दिए गए तथ्यों में अपनी ओर से नए तथ्य जोड़कर एक निष्कर्ष पर पहुँचता है। इसमें बालक अपने अनुभवों के आधार पर सामान्य नियम निकालता है। (1) समानता (2) आलोचनात्मक सोच (3) एकीकृत सोच (4) अवधारणा मानचित्रण उत्तर : – (2) व्याख्या- आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) पधार्थनादी चिंतन की प्रक्रिया है। इसमें किसी वस्तु, घटना या तथ्य की सच्चाई को स्वीकार करने से पहले उसके गुण-दोषों को परखा जाता है। (1) मानवतावादी (2) व्यवहार (3) संज्ञानात्मक (4) सामाजिक उत्तर : – (2) व्याख्या-वाटसन ने व्यवहारवाद में बालक के व्यवहार को स्पष्ट करते हुए माना कि सकारात्मक व नकारात्मक उत्तेजनाएँ या घटनाएँ छात्र के व्यवहार को प्रेरित कर सकती हैं। (1) छात्र’अ’आगामी स्कूल वर्ष के बारे में भावुक है और अच्छा करना चाहता है। (2) छात्र ‘स’ वह क्या पूरा करना चाहता है पर अपना ध्यान निर्देशित करने में अच्छा है। (3) छात्रा ‘द’ कड़ी मेहनत करती है, उसके शैक्षिक कार्य के बारे में सकारात्मक भावनाओं का अनुभव करती है। (4) छात्र ‘ब’ सक्रिय है, अपने गणित वर्ग में अच्छा करने के लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित करता है, काफी प्रयास के साथ बना रहता है, और कक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त करता है। उत्तर : – (4) व्याख्या-वुडवर्थ के अनुसार, “प्रेरणा व्यक्ति की वह दशा है जो उसे निश्चित व्यवहार करने के लिए निश्चित लक्ष्यों की ओर उत्तेजित करती है।” अत: छात्र ‘ब’ अपने द्वारा निर्धारित उच्च लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है, इसलिए यह प्रेरणा से संबंधित है। (1) एक शुरुआत (2) अपने आप में एक अंत (3) एक शरुआत तथा अंत (4) उक्त कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-आंतरिक रूप से अभिप्रेरित व्यक्ति किसी कार्य को इसलिए करता है, क्योंकि उस कार्य को करने से उसे हार्दिक प्रसन्नता होती है। इसलिए आंतरिक अभिप्रेरणा अपने-आप में किसी कार्य का अंत है। बाहरी अभिप्रेरणा में व्यक्ति मानसिक प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए कार्य नहीं करता है, अपितु कोई लक्ष्य या पुरस्कार प्राप्त करने के लिए कार्य करता है। जहाँ तक संभव हो आंतरिक अभिप्रेरणा का उपयोग किया जाना चाहिए। यदि आंतरिक अभिप्रेरणा संभव न हो तो बाहरी अभिप्रेरणा का प्रयोग कर सकते हैं। अत: बाहरी अभिप्रेरणा अंत की युक्ति है। (1) सुपर ईगो (2) आमोद सिद्धांत (3) द्वन्द्व (4) दवाब उत्तर : – (4) व्याख्या-दबाव- यह मनोविश्लेषणात्मक रक्षात्मक युक्ति है। यह एक ऐसी मनोरचना है जो चिंता, तनाव या संघर्ष उत्पन्न करने वाली असामाजिक एवं अनैतिक इच्छा (ID) को चेतन मन से हटाकर अचेतन मन (Ego) में कर देती है। (1) हैस आइजैक (2) आर.यी, कैटल (3) गॉईन आलपोर्ट (4) काल राजर्स उत्तर : – (1) व्याख्या- हैस आइजैक ने तीन प्रकार के व्यक्तित्व बतलाए 1. अंतर्मुखता – बहिर्मुखता 2. स्नायुविकृति – सांवेगिक स्थिरता 3. मनोविकृति – सुपरईगो (क्षीण स्मृति) (1) क्रियात्मक कारक (2) मनोवैज्ञानिक कारक (3) सामाजिक कारक (4) अन्य कारक उत्तर : – (2) व्याख्या-स्कूल, परिवार, समाज आदि अधिगम को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक हैं। (1) तीव्र उत्सुकता (2) अपराध का जननी विचार (3) बीमारी का डर (4) न्यूरोटिक भय और चिंता से मुक्त उत्तर : – (4) व्याख्या- न्यूरोटिक भय और चिंता यानी व्यवहार में तंत्रिकाजनित असामान्यता से मुक्त होना समायोजन को बढ़ावा देता है, क्योंकि समायोजन का उद्देश्य सुखी एवं संतोषप्रद जीवनयापन करना है और यदि व्यक्ति किसी भी प्रकार की चिंता या भय से ग्रस्त रहेगा तो सुखी एवं संतोषप्रद जीवन नहीं जी सकेगा। (1) अभिप्रेरणा (2) दिमागी आरोग्यता (3) अधिगम (4) द्वन्द्व उत्तर : – (2) व्याख्या-दिमागी आरोग्यता का सम्बन्ध मानसिक स्वास्थ्य से है। यह सबसे प्राचीन सिद्धान्त है, इसकी यह मान्यता है कि मस्तिष्क की मानसिक शक्तियाँ स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करती है। इसका विकास अभ्यास द्वारा किया जा सकता है। (1) प्रतिकरण (2) परिमेयकरण (3) प्रतिगमन (4) दमन उत्तर : – (2) व्याख्या-परिमेयकरण एक रक्षात्मक युक्ति है जिसमें किसी व्यवस्थित प्रणाली या तर्क के माध्यम से भावनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें दो अवधारणाएँ होती हैं- प्रयत्न करने पर भी सफलता न मिलने पर जो वस्तु प्राप्त न हो पाए उसी में कमी निकाल देना। जैसे- लोमड़ी द्वारा कहना, ‘अंगूर खट्टे हैं। इसमें दूसरी अवधारणा यह है कि व्यक्ति के पास जो कम महत्त्वपूर्ण वस्तु होती है, उसी में ज्यादा गुण देखना। जैसे- यदि किसी व्यक्ति को कार न मिल पाये तो वह स्वयं की साईकिल में ही ज्यादा गुण ढूँढ़ता है। [/tab] [tab title=”भाषा – I : हिन्दी”] खण्ड – II भाषा – I : हिन्दी इस खण्ड के कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न करना अनिवार्य है (1) संदेहवाचक (2) विस्मयादिबोधक (3) संकेतार्थक (4) प्रश्नवाचक उत्तर : – (2) व्याख्या-जिस वाक्य में हर्ष, शोक, घृणा एवं विस्मय आदि के भाव प्रकट होते हैं, विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता है। उपर्युक्त वाक्य में विस्मय के भाव प्रकट हुए हैं। (1) वचन संबंधी (2) पदक्रम संबंधी (3) कारक संबंधी (4) लिंग संबंधी उत्तर : – (3) व्याख्या- जब किसी गलत कारक विभक्ति के प्रयोग से वाक्य अशुद्ध हो जाए तब कारक संबंधी अशुद्धि मानी जाती है। उपर्युक्त वाक्य में ‘फल’ शब्द कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुआ है जबकि कारक चिह्न ‘को’ कर्म कारक के लिए प्रयुक्त होता है। (1) राम तो अपनी अक्ल का दुश्मन है। (2) उसकी मेहनत पर पानी गिर गया। (3) वह अपनी माँ की आँख का चाँद है। (4) तेरी शरारत से मेरी साँस में दम आ गया। उत्तर : – (1) व्याख्या-इस वाक्य में ‘अक्ल का दुश्मन होना’ मुहावरे का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ होता है-मूर्ख होना। (1) मिश्र वाक्य (2) संयुक्त वाक्य (3) आश्रित उपवाक्य (4) प्रधान वाक्य उत्तर : – (2) व्याख्या-संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य या उपवाक्य संयोजक शब्द (तथा, एवं, या, अथवा, और, किन्तु, परन्तु, लेकिन, बल्कि) से जुड़े होते हैं। जैसे- दिन ढल गया और अंधेरा बढ़ने लगा। (1) अयोग्य प्रशासन (2) अल्पज्ञ अपने ज्ञान पर अधिक इतराता है। (3) बुद्धिहीन किन्तु सम्पन्न (4) बिना परिश्रम के अयोग्य व्यक्ति को सुफल की प्राप्ति उत्तर : – (4) व्याख्या- लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति (कथन)। लोकोक्ति का प्रयोग विशेष संदर्भ में किया जाता है और इसका विशेष अर्थ निकलता है। जैसे- अंधे की लकड़ी लोकोक्ति का अर्थ है- एकमात्र सहारा। (1) वर्ण, शब्द, वाक्य (2) वाक्य, शब्द, वर्ण (3) शब्द, वर्ण, वाक्य (4) शब्द, वाक्य, वर्ण उत्तर : – (1) व्याख्या- संश्लेषण विधि- संश्लेषण का अर्थ है- जोड़ना। इस विधि में वर्ण से शब्द व शब्द से वाक्य बनाकर प्रस्तुत किया जाता है। (1) प्रश्नोत्तर विधि (2) व्यास विधि (3) उद्बोधन विधि (4) खंडान्वय विधि उत्तर : – (3) व्याख्या- गद्य शिक्षण में शब्दार्थ स्पष्ट करने की विधि उद्बोधन विधि है। इस विधि में कठिन शब्दों के सीधे अर्थ न बता कर उन्हें उदाहरण आदि से समझाया जाता है। उद्बोधन विधि के तीन उपभेद हैं दृश्यविधान, अभिनय व कहानी। (1) कर्म (2) कबूतर (3) धर्म (4) प्रकाश उत्तर : – (2) व्याख्या- रेफ में ‘र’ के चार प्रकार के प्रयोग होते हैं- प्र, पृ, पर्व तथा श्र। कबूतर शब्द में इनमें से कोई प्रयुक्त नहीं हुआ है। (1) महात्मा गाँधी (2) अरविन्द घोष (3) विवेकानंद (4) विनोबा भावे उत्तर : – (1) व्याख्या- महात्मा गाँधी भारत में बुनियादी शिक्षा के लिए जाने जाते हैं। गाँधीजी के अनुसार बालकों को लिखना सिखाने से पूर्व चित्र बनाना सिखाया जाना चाहिए, क्योंकि चित्र बनाने से बालक पेन्सिल चलाना सीखता है और लिखने में रुचि लेने लगता है। (1) तीन (2) पाँच (3) आठ (4) नौ उत्तर : – (2) व्याख्या- हरबर्ट उपागम में पाँच पद हैं। इन पाँच पदों में प्रस्तावना, प्रस्तुतीकरण, सम्बद्धता, व्यवस्था व विधि को शामिल किया जाता है। हरबर्ट ने रूसो और पेस्टोलॉजी की बाल केन्द्रित शिक्षा के लिये सर्वप्रथम निम्न 4 पदों- स्पष्टता, संबद्धता, व्यवस्था व विधि का प्रतिपादन किया। उसके शिष्य जिलर ने स्पष्टता को दो भागों- प्रस्तावना व प्रस्तुतीकरण में बाँटा। राइन ने इसमें उद्देश्य कथन और जोड़ा। (1) ब्लूम (2) जॉन डीवी (3) मॉरीसन (4) हरबर्ट उत्तर : – (3) व्याख्या- इकाई उपागम का सर्वप्रथम प्रयोग 1920 में एच.सी. मॉरीसन द्वारा किया गया। इसमें सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को खण्डों में विभाजित करके अध्ययन कराया जाता है। एनसीईआरटी के अनुसार इकाई एक निर्देशात्मक युक्ति है जो छात्रों को समवेत रूप में ज्ञान प्रदान करती है। मॉरीसन ने इकाई के निम्न चरणों का उल्लेख किया है- जाँच या अनुसंधान, इकाई प्रस्तुतीकरण, आत्मीकरण या क्रियान्वयन, सुव्यवस्थीकरण व अभिव्यक्तिकरण। कासबैल व काम्बैल ने इकाई के दो पद स्वीकार किए- पाठ्यवस्तु सम्बन्धी व अनुभव सम्बन्धी। थॉमस व रिस्क ने तीन पद माने- इकाई की प्रस्तावना, इकाई का विकास, पूर्ति। (1) सुनना (2) पढ़ना। (3) उच्चरित (4) लिखना उत्तर : – (4) व्याख्या- भाषा सीखने के चार प्रमुख कौशल हैं- श्रवण, उच्चारण, पठन एवं लेखन। लेखन कौशल लिखित अभिव्यक्ति का माध्यम है। (1) कण्ठ (2) तालु (3) मूर्धा (4) दन्त उत्तर : – (3) व्याख्या-पूरे ‘ट’ वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण) का उच्चारण स्थान ‘मूर्द्धा’ है। अतः ये सभी ध्वनियाँ मूर्धन्य कहलाती हैं। ‘ऋ, र, श’ का उच्चारण स्थान भी मूर्द्धा है। (1) पुस्तक का आकार-प्रकार (2) मुखपृष्ठ (3) जिल्द (4) प्राक्कथन उत्तर : – (4) व्याख्या- प्राक्कथन लेखक द्वारा अपनी पुस्तक के संबंध में लिखा गया एक आवरण लेख होता है। प्राक्कथन से हमें यह ज्ञात होता है कि हमें इस पुस्तक में अध्ययन के लिए क्या एवं किस तरह की सामग्री प्राप्त होगी। (1) संरचना (2) मूल विषयवस्तु (3) शब्दावली (4) व्याकरणिक उत्तर : – (2) व्याख्या- वैचारिक सामग्री से अभिप्राय वह सामग्री जिस पर विचार करना आवश्यक है। पुस्तक में मूल विषयवस्तु वैचारिक सामग्री होती है। मूल विषयवस्तु पर विचार करके ही हम उसके कथ्य को समझ सकते हैं। (1) चलचित्र (2) चित्र । (3) चित्र विस्तारक (4) रेखाचित्र उत्तर : – (1) व्याख्या- दृश्य-श्रव्य सामग्री से अभिप्राय ऐसी सामग्री से है जिसे कर व सुनकर दोनों तरह से ज्ञान प्राप्त किया जा सके। चलचित्र या सिभा दृश्य-श्रव्य सामग्री है। (1) मुँह से (2) कान से (3) कान व आँख से (4) आँख से उत्तर : – (3) व्याख्या- नाटक सिनेमा की भाँति दृश्य-श्रव्य सामग्री है। इसका संबंध आँख व कान दोनों से है। अभिनेयता नाटक की आवश्यक शर्त है। (1) नियोजनात्मक मूल्यांकन (2) निर्माणात्मक मूल्यांकन (3) निदानात्मक मूल्यांकन (4) संकलनात्मक मूल्यांकन उत्तर : – (4) व्याख्या- संकलनात्मक मूल्यांकन को योगात्मक मूल्यांकन के नाम से भी जाना जाता है। संकलनात्मक मूल्यांकन सत्र में दो बार आयोजित किया जाता है किंतु इसका एक बार आयोजन आवश्यक है। इसका उद्देश्य अध्यापक द्वारा यह पता लगाना होता है कि बालकों ने ज्ञान को किस हद तक ग्रहण किया है। (1) शिक्षक निर्मित सामग्री (2) शिक्षण के लक्ष्य (3) पाठ्यवस्तु के प्रकरण (4) प्रश्नों के प्रकार उत्तर : – (1) व्याख्या- किसी प्रश्नपत्र के निर्माण से पहले हमें उसके अंक विभाजन, प्राप्त उद्देश्यों का निर्धारण, प्रश्नों की रचना, इकाईवार अंकभार से प्रश्नों की संख्या का निर्धारण आदि की तैयारी के लिए जो खाका तैयार किया जाता है, उसे ब्लू प्रिंट कहते हैं। इसमें शिक्षक निर्मित सामग्री उपयोगी नहीं होती। (1) सीखने सम्बन्धी कठिनाइयों का ज्ञान प्राप्त करना। (2) अध्यापन सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करते हुए शिक्षण किया जाना। (3) बालकों की वर्तनी सम्बन्धी कठिनाइयों का पता लगाना। (4) शिक्षक की विषय सम्बन्धी कठिनाइयों का पता लगाना। उत्तर : – (2) व्याख्या- उपचारात्मक शिक्षण- उपचारात्मक शिक्षण में सभी विद्यार्थियों में से किसी क्षेत्र विशेष में कमजोर या समस्याग्रस्त छात्रों को निदानात्मक परीक्षण द्वारा छाँटकर उनकी कमजोरियों व कमियों को दूर करने हेतु शिक्षण किया जाता है। उपचारात्मक शिक्षण शिक्षण का अंतिम चरण है। उपचारात्मक शिक्षण में शिक्षक छात्रों को अधिगम संबंधी दोषों से मुक्त करके उनको ज्ञानार्जन की उचित दिशा में मोड़ने का प्रयास करता है। निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 51 से 55 तक के उत्तर दीजिए – आज हमारे सामने अहं सवाल यह है कि धर्म बड़ा या राष्ट्र? उत्तर में यह निर्विवाद तय होना चाहिए कि राष्ट्र बड़ा है। लेकिन साथ ही आस पास यह भी देखना है कि राष्ट्र की मौलिक अवधारणाएँ क्या हैं? क्या मिट्टी, पानी, नदी, पहाड़, राजा, प्रजा से ही राष्ट्र की मूर्ति बनती है? नहीं। राष्ट्र की संपूर्ण छवि और पूरा व्यक्तित्व हजारों वर्षों की मानवीय चेतना, जीवन के शाश्वत मूल्यों और अपने धरती-आकाश में अखंड विश्वास से बनता है। आदमी की वैज्ञानिक और मौलिक बुलन्दियों के साथ उसके सफ़र में और कुछ भी मुलायम सरीखा साथ रहा है। उसको कतरा-कतरा लेकर भी एक बनने की होशियारी सिखाता रहा है। लम्हा-लम्हा के बीच समय के अरसों को बटोरता रहा है। (1) निर्माण (2) निर्विरोध (3) निरीक्षक (4) निरंकुश उत्तर : – (2) व्याख्या – निर्विरोध = निर् + वि + रोध। इस शब्द में ‘निर्’ एवं ‘वि’ उपसर्ग हैं तथा ‘रोध’ मूल शब्द है। (1) दानव – दानवता (2) सर्व- सर्वस्व । (3) चतुर – चतुराई (4) गाना – गान उत्तर : – (1) व्याख्या-दानव जातिवाचक संज्ञा है, क्योंकि दानव शब्द से पूरे दानव समुदाय या दानव जाति का बोध होता है। दानवता एक दोष है। दानवता शब्द से जाति का बोध न होकर व्यक्ति के अवगुण का बोध होता है। भावों या गुण, दोषों को देखा या छुआ नहीं जा सकता है जबकि व्यक्तिवाचक एवं जातिवाचक संज्ञा के सभी उदाहरण ऐसे है जिन्हें हम देख एवं छू सकते हैं। (1) मूल से मिलाकर बनाया हुआ (2) मूल, जो किसी की नकल न हो। (3) मूल में विश्वास करना (4) मूल की स्थापना उत्तर : – (2) व्याख्या-‘मौलिक’ शब्द का अर्थ होता है-‘वह मूल वस्तु या आविष्कार जो किसी अन्य की नकल न हो।’ ‘मौलिक’ शब्द में मूल शब्द ‘मूल’ है एवं ‘इक’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इक प्रत्यय के किसी शब्द में जुड़ने पर मूल शब्द का प्रथम स्वर यदि उ/ऊ हो तो उसका ‘औ’ हो जाता है। (1) सर (2) वासव (3) व्योम (4) उत्पल उत्तर : – (3) व्याख्या-‘व्योम’ आकाश का पर्यायवाची है। ‘सर’ तालाब का पर्यायवाची है। ‘वासव’ श्रीकृष्ण को कहते हैं। ‘उत्पल’ कमल का पर्यायवाची है। (1) द्वंद्व (2) द्विग (3) कर्मधारय (4) तत्पुरुष उत्तर : – (1) व्याख्या-‘आस-पास’ में द्वंद्व समास है। द्वन्द्व समास में दोनों पदों की प्रधानता होती है। आस-पास में समाहार द्वन्द्व है। समाहार द्वन्द्व में दो शब्द मिलकर अर्थ का प्रतिपादन करते हैं। समास विग्रह- आस-पास = पास आदि। इसमें आस एक निरर्थक शब्द है किन्तु इसके प्रयोग से पास शब्द का अर्थ और अधिक पुष्ट होता है। निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 56 से 60 तक के उत्तर दीजिए – ‘शिक्षा’ बहुत व्यापक शब्द है। उसमें सीखने योग्य अनेक विषयों का समावेश हो सकता है। पढ़ना-लिखना भी उसी के अंतर्गत है। इस देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली अच्छी नहीं है। इस कारण यदि कोई स्त्रियों को पढ़ाना अनर्थकारी समझे तो उसे उस प्रणाली का संशोधन करना या कराना चाहिए, खुद पढ़ने-लिखने को दोष न देना चाहिए। लड़कों ही की शिक्षा प्रणाली कौनसी बड़ी अच्छी है। प्रणाली बुरी होने के कारण क्या किसी ने यह राय दी है कि सारे स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए जाएँ? आप खुशी से लड़कियों और स्त्रियों की शिक्षा की प्रणाली का संशोधन कीजिए। उन्हें क्या पढ़ना चाहिए, कितना पढ़ना चाहिए, किस तरह की शिक्षा देना चाहिए और कहाँ पर देना चाहिए-घर में या स्कूल में – इन सब बातों पर बहस कीजिए, जी में आवे सो कीजिए; पर परमेश्वर के लिए यह न कहिए कि स्वयं पढ़ने-लिखने में कोई दोष है-वह अनर्थकर है, वह अभिमान का उत्पादक है, वह गृह-सुख का नाश करने वाला है। ऐसा कहना सोलहों आने मिथ्या है। (1) विपरीत अर्थ करने वाला (2) अमौद्रिक अर्थ वाला (3) विशिष्ट अर्थ करने वाला (4) अनिष्ट करने वाला उत्तर : – (4) व्याख्या-अनर्थकारी शब्द में अनर्थ का अर्थ है-अनिष्ट एवं कारी का अर्थ है-करने वाला। (1) शिक्षा (2) अच्छी (3) बहस (4) अभिमान उत्तर : – (4) व्याख्या-इसमें अभिमान शब्द नित्य पुल्लिंग है। अन्य सभी तीन विकल्प स्त्रीलिंग शब्द हैं-शिक्षा, बहस, अच्छी। (1) गौ – गौएँ (2) गृह – गृहे (3) स्कूल-स्कूलें (4) अनेक – अनेकों उत्तर : – (1,3) व्याख्या- ‘गौ’ शब्द का बहुवचन ‘गौएँ’ होगा। – ‘गृह’ का बहुवचन गृहे न होकर गृहों होगा। – ‘अनेक’ स्वयं ही बहुवचन शब्द है। इसका बहुवचन रूप अनेकों करना अशुद्ध होगा। (1) सामान्य भविष्यत् काल (2) संभाव्य भविष्यत् काल (3) सामान्य भूत (4) आसन्न भूत उत्तर : – (*) व्याख्या-अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहा होगा। वाक्य में संदिग्ध वर्तमान काल है। क्रिया के जिस रूप में किसी कार्य के वर्तमान काल में होने या करने में अनिश्चय का बोध हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं। उपर्युक्त वाक्य में अध्यापक वर्तमान समय में कक्षा में पढ़ा रहा होगा यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है। (1) परंपरा (2) राय (3) पद्धति (4) विधान उत्तर : – (1 ) व्याख्या-‘प्रणाली’ शब्द का अर्थ- परम्परा एवं पद्धति दोनों ही होते हैं। [/tab] [tab title=”English Language – I”] Section – II English Language – I There are 30 questions in this section. All questions are compulsory. (1) Why did she write the letter? (2) Why did she wrote the letter? (3) Why did she written the letter? (4) Why had she wrote the letter? Ans :- (1) (1) English is being spoken by her fluently. (2) English has been spoken by her fluently. (3) English is spoken by her fluently. (4) English was spoken by her fluently. Ans :- (3) (1) Chicage – Chorus (2) Cherish – Charisma (3) China – Chrome (4) Check – Chain Ans :- (4) (1) hook – brook – luck (2) cat – bat – mat (3) win-we – see (4) lead – leak – break Ans :- (2) (1) /bəI/ (2) /bəc/ (3) /bæ/ (4) /bəI:/ Ans :- (1) (1) Listening. Speaking, Reading Writing (2) Listening, Reading, Speaking, Writing (3) Reading, Writing, Listening, Speaking (4) Reading, Listening, Speaking, Writing Ans :- (1) व्याख्या- Correct order of language learning – Listening, Speaking, Reading, Writing आरम्भ की few stages listening और speaking skills पर concentrate hd Language for everyday communication में use किये जाने वाले common structures और useful vocabulary । वाले dialogues के द्वारा introduce किया जाता है । यह drills orally practice की जाती हैं- पहले chorus में और बाद में individually Next stage पर reading और writing introduce की जाती है। Reading material generally speech in writing sajta relationship Lestablish करने के लिए oral lesson पर based होते हैं। अत: Correct order of language learning-Listening, Speaking, Reading, Writing (1) The Principle of Motivation (2) The Principle of concreteness (3) The Principle of proper order (4) The Principle of selection Ans :- (4) (1) Direct method in (2) The Grammar – translation method (3) Bilingual method (4) Audio lingual method Ans :- (2) व्याख्या- The Grammar-Translation Method सबसे पुराना method है जो Britishers के साथ India आया था इसलिए इस method को classical method माना जाता है। यह एक बहुत popular method है जिसमे English के words, phrases, sentences, grammatical rules आदि को mother tongue की help से सिखाया जाता है। (1) Dr. West (2) Prof. C.J. Dodson (3) Prof. A. S. hornby (4) Prof. Jesperson Ans :- (2) (1) Structural Approach (2) Multilingual Approach (3) Situational Approach (4) Multimedia Approach Ans :- (3) (1) Development of motor skills (2) Discrimination of the words (3) Taking notes (4) Initiating conversation. Ans :- (1) व्याख्या – Elementary level (Primary level) में students को writing इसलिए सिखाई जाती है जिससे वह words को easily discriminate कर सके। Writing एक important language skill है जिसे deliberately cultivate किया जाना चाहिए। Writing को speech का visual representation माना जाता है इसलिए learner को elementary level से ही words discrimination सिखाया जाता है। (1) Library reading (2) Skimming (3) Oral Reading (4) Scanning Ans :- (4) (1) The Alphabetic method (2) The Phonic method (3) The word method (4) The sentence method Ans :- (3) व्याख्या- Look and say method को Word method भी कहा जाता है। इसमें teacher learner को read और whole recognize करने को कहता है। (1) Picture charts (2) Film strips (3) Blackboard (4) Slides Ans :- (3) व्याख्या- Blackboard/Chalkboard सबसे ज्यादा versatile और ‘indispensable visual aid है। Blackboard पर पूरी class का ध्यान केन्द्रित हो जाता है। इसका use निम्न purpose के लिए होता है • Class में नया subject matter present करने के लिए। • Permanent या reference material के reminders लिखने के लिए। • Students का attention gain करने के लिए और lesson के development के लिए material लिखने के लिए। (1) Adequate subject matter (2) Suitable structure (3) Suitable vocabulary (4) Frequently misspelt words Ans :- (4) व्याख्या- एक अच्छी textbook में spelling mistakes नहीं होनी चाहिए। Suitable vocabulary और पर्याप्त content जो सही structure में लिखा गया हो उसे एक अच्छी textbook माना जाता है। (1) Reading test (2) Comprehension test (3) Listening test (4) Writing test Ans :- (3) व्याख्या- Listening Test से इस बात का पता लगाते हैं कि क्या students कुछ निश्चित English sounds को सुन सकते हैं और उनमें discriminate कर सकते हैं या नहीं। (1). Objective (2) Productive (3), Subjective (4) Primary Ans :- (1) व्याख्या –Objective type tests में Students को one word answer या सिर्फ options tick करने होते हैं इसलिए यह test जल्दी ख़त्म हो जाता है। Objective test check करने में और score करने में भी quick और consistent होते हैं। (1) Good category of result (2) Rote memory (3) Minimum level of learning (4) Imitation Ans :- (3) व्याख्या- Formative form of evaluation एक child की minimum level of learning को check करने में मदद करता है। इस तरह के evaluations teachers को यह decide करने में help करते हैं कि students subject के next level पर जाने के लिए prepared हैं या नहीं। (1) Spelling errors (2) Lexical errors (3) Structural errors (4) Grammatical errors Ans :- (2) (1) Obtainment (2) Acquisition (3) Accession (4) Learning Ans :- (4) व्याख्या- Language errors सिर्फ तब correct किए जाने चाहिए जब goal language को learn करना है। अगर हर छोटी mistake पर student In point out for at student discouraged feel करेगा और discussions में part लेने में हिचकिचाहट महसूस करेगा इसलिए errors सिर्फ तब correct किये जाने चाहिए जब student का goal language learning हो। Passage (51-55): On Kartik Purnima day, my uncle took me to the grand camel fair. Reaching the fair site, we saw lots of camels, horses, buffaloes, etc. We also saw rows of shops, selling sweets, fruits, eatables, toys, crockery, shoes, pots and pans and jewellery, etc. There were people of almost all the castes and creeds there. They were in their attractive clothes and looked cheerful. Children and adults enjoyed swinging in the merry go-rounds, watching films, circus and puppet shows. The fair presented a wonderful scene. I bought some toys and sweets for my brother and sister. We all returned home happily. (1) Creeds (2) Rows (3) Grand (4) Swinging Ans :- (3) व्याख्या- Huge = extremely large; विशाल and splendid = very impressive; शानदार, Grand = impressive in scope or scale; भव्य, शानदार Creeds = a set of beliefs or aims which guide someone’s actions; पंथ, सिद्धांत, Rows = पंक्तियाँ Swinging = झुलनेवाला (1) Tidy (2) Repulsive (3) Alluring (4) Seductive Ans :- (2) (1) Devoties (2) Devaties (3) Devatees (4) Devotees Ans :- (4) (1) Enjoy (2) Enjoyment (3) Enjoying (4) Enjoyable Ans :- (2) (1) Shop (2) Toys (3) Fair (4) Merry-go-rounds Ans :- (3) Passage (56-60): The state police went to Rastapal village on 19 June, 1947 to close the school which was running in the house of Nanabhai Khant. Nanabhai refused to close the school. The police then beat up Nanabhai severly. He fell unconscious. They took him away with them to intension. However. Nanabhai died of his injuries on the way before the police could reach their camp. After this the police beat up the teacher Sengabhi Bheel who had continued to teach the children despite Nanabhai’s death. After beating Sengabhi the police tied him to their truck. They took him away dragging on the road. A student of the school named Kalibai could not see this. She ran towards the truck with a sickle to cut the ropes and free sengabhai. The police warned her not to run after the vehicle but she did not listen to them. She reached her teacher and cut the rope with on stroke of the sickle. (1) Adjectives (2) Adverbs (3) Nouns (4) Pronouns Ans :- (3) (1) Simple Present (2) Simple Past (3) Past Perfect (4) Present Perfect Ans :- (2) (1) Simple Present (2) Simple Past (3) Simple future (4) Past Perfect Ans :- (2) व्याख्या – दिए गए sentence में past tense (reached) का उपयोग किया गया है इसलिए verb ‘cut’ भी simple past tense में है। (1) Angry-angrier-angriest (2) Angry – more angry – most angry (3) Angry – more angrily – most angrily (4) Angry-Angerier- Angeriest Ans :- (1) व्याख्या –Adjective का सबसे सरल रूप positive degree है। जब वस्तुओं के दो रूपों की तुलना की जा रही है, तो comparative degree का उपयोग किया जाता है। जब तीन या अधिक वस्तुओं की तुलना की जा रही है, तब superlative degree लागू होता है। Angry = Angry (positive), Angrier (comparative), Angriest (superlative) (1) The police (2) then beat up (3) took him away (4) He fell unconscious Ans :- (1) व्याख्या- Determiners ऐसे शब्द होते हैं जो किसी वाक्य में Noun से तुरन्त पहले प्रयोग किये जाते हैं। Option the police’ में ‘The determiner के रूप में प्रयोग किया गया है। [/tab] [tab title=”भाषा – I : संस्कृत”] खण्ड – II भाषा – I : संस्कृत अत्र त्रिंशत् प्रश्नानि सन्ति। सर्वे प्रश्नाः समाधेयाः। (1) छात्रः अध्यापकं पठति। (2) छात्राः अध्यापकेन पठन्ति। (3) छात्राः अध्यापकात् पठन्ति। (4) छात्राः अध्यापकस्य पठन्ति। उत्तर : – (3) व्याख्या- (3) जिससे शिक्षा ली जाती है उस शब्द में पंचमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। अतः छात्रा: अध्यापकात् पठन्ति सही है। यहाँ अध्यापक से शिक्षा ली जा रही है अतः उसमें पंचमी विभक्ति लगेगी। (1) मातया भोजनं पच्यते। (2) मात्रेण भोजनं पच्यते। (3) मातुः भोजनं पचति। (4) मात्रा भोजनं पच्यते। उत्तर : – (4) व्याख्या-(4) कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय कर्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म के अनुसार होती है तथा क्रिया में ‘य’ जुड़ जाता है। (1) कण्ठताल (2) दन्तोष्ठम (3) कण्ठोष्ठम् (4) ओष्ठौ उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) ‘वकारः दन्तोष्ठौ’ नियमानुसार ‘व’ का उच्चारण स्थान दन्त ओष्ठ होता है। (1) ऋवर्ण (2) पवर्णः (3) अवर्णः (4) स-वर्णः उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) ‘लुतुलसानां मूर्धाः’ नियमानुसार ऋ का उच्चारण स्थान मूर्धा है। (1) नृपः खलात् शतं दण्डयति। (2) नृपः खलौ शतेन दण्डयति। (3) नृपः खलं शतं दण्डयति। (4) नृपेन खलं शतं दण्डयति। उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) ‘दुह्ययाचपच्’ आदि द्विकर्मक धातुओं के योग में दो कर्म होते हैं तथा दण्ड् धातु द्विकर्मक है अतः यहाँ खल और शत दोनों कर्मकारक होंगे और उनमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होगा। (1) कौशलैः (2) नाटकैः (3) पठनैः (4) दर्शनैः उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) संस्कृत भाषा शिक्षण का विकास भाषा कौशल के माध्यम से होता है। (1) कक्षानायकविधिना (2) कथाकथनविधिना (3) भाषणविधिना (4) वादविवादविधिना उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) कल्पना शक्ति विकसित करने के लिए कहानी बनाना और उसे कहना (वाचन करना) अत्यन्त आवश्यक होता है। अत: कथा कथनविधि से बालकों में कल्पना शक्ति का विकास होता है। (1) सूत्रविधिः (2) व्याकरणविधिः (3) भण्डारकरविधिः (4) पारायणविधिः उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) संस्कृत भाषा शिक्षण में अनुवाद विधि की प्राचीनतम विधि भण्डारकर विधि है जिसके अन्तर्गत विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा शिक्षण में अनुवाद करके पढ़ाया जाता है। (1) वैयक्तिकभिन्नतायाः सिद्धान्तः (2) अनुपातक्रमयोश्च सिद्धान्तः (3) समवायसिद्धान्तः । (4) मौखिककार्यस्य सिद्धान्तः। उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) वैयक्तिक भिन्नता के सिद्धान्त के आधार पर कुशाग्र सामान्य-मन्दबुद्धि छात्रों को विभक्त किया जा सकता है। (1) रुचेः सिद्धान्तः (2) बहुमुखी सिद्धान्तः (3) अनुपातस्य क्रमस्य च सिद्धान्तः (4) सक्रियतायाः सिद्धान्तः उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) अनुपात और क्रम सिद्धान्त के अनुसार सर्वप्रथम भाषा शिक्षण के अन्तर्गत मौखिक कार्य होता है तत्पश्चात् लिखित कार्य होता है। (1) सूक्ष्मात् स्थूलं प्रति (2) ज्ञातादज्ञातं प्रति (3) संश्लेषणात् विश्लेषण प्रति (4) कठिनात् सरलं प्रति उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) ज्ञात से अज्ञात की ओर जाने के लिए पूर्व ज्ञान होना आवश्यक है। पूर्व ज्ञान के आधार पर हम अज्ञात अर्थात् नवीन ज्ञान की ओर जा सकते हैं। (1) भाषणकौशलस्य (2) श्रवणकौशलस्य (3) लेखनकौशलस्य (4) पठनकौशलस्य उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) ‘गुरुमुखम्’ अर्थात् गुरु के मुख से निकली हुई वाणी का साधन श्रवण अर्थात् सुनना है अत: यह श्रवण कौशल के लिए आवश्यक है। (1) प्रतिकृतिः (2) श्यामपट्टः (3) दूरदर्शनम् (4) ध्वन्यभिलेखः उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) संस्कृत अध्यापन के लिए श्रव्य (सुनना) और दृश्य (देखना) का उपयुक्त साधन दूरदर्शन है। (1) मानचित्रस्य (2) रेखाचित्रस्य (3) पत्रकस्य (4) श्यामपट्टस्य उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) नगर की भौगोलिक स्थिति को जानने के लिए सबसे उचित अधिगम साधन मानचित्र होता है और यही मानचित्र संस्कृत भाषा शिक्षण के समय में भी नगर की उपयुक्त भोगौलिक स्थिति को जानने हेतु आवश्यक है। (1) बालकानां ज्ञानस्य सीमायाः विस्तारायन (2) व्यावहारिकज्ञानस्य सम्पादनाय या (3) छात्रेषु स्वाध्यायं प्रति रुच्युत्पादनाय माण (4) उपर्युक्तानां सर्वेषाम् उद्देश्यानां सम्पादनाय उत्तर : – (4) व्याख्या-(4) शिक्षण में पाठ्यपुस्त का स्थान बालकों के ज्ञान की सीमा के विस्तार हेतु, व्यावहारिक ज्ञान के सम्पादन हेतु, छात्रों में स्वाध्याय के प्रति रुचि उत्पन्न करने हेतु महत्त्वपूर्ण है। अतः ये सभी उद्देश्य आवश्यक है। (1) पाठ्यपुस्तकम् (2) मूल्यांकनम् (3) गृहकार्यम् (4) अध्यापनम् उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) शिक्षण विधियों के समीकरण में तथा शिक्षा स्तर के उन्नतिकरण में सर्वाधिक संहायक मूल्यांकन होता है। मूल्यांकन के बिना उन्नति का पता नहीं चल सकता। (1) बाह्यमूल्यांकनेन (2) साक्षात्कारेण (3) आन्तरिकमूल्यांकनेन (4) सम्भाषणेन उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) छात्रों के गृहकार्य का मूल्यांकन आन्तरिक मूल्यांकन से ही सम्भव है। (1) मौखिकान्तर्गता (2) लिखितान्तर्गता (3) उभयान्तर्गता (4) प्रश्नान्तर्गता उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) शलका परीक्षा के अर्न्तगत विद्यार्थियों द्वारा स्मरण किये गए पाठ/शास्त्र/काव्य को शिक्षक द्वारा सुना जाता है। अतः यह परीक्षा मौखिक होती है। (1) आन्तरिकमूल्यांकनेन (2) बाह्यमूल्यांकनेन (3) सततमूल्यांकनेन (4) परीक्षया उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) छात्रों के दैनिक कार्यों का एवं सभी परीक्षाओं का मूल्यांकन सतत् मूल्यांकन के द्वारा ही सम्भव है। (1) श्रवणस्य (2) पठनस्य (3) भाषणस्य (4) लेखनस्य उत्तर : – (4) व्याख्या-(4) मौखिक परीक्षा द्वारा लिखित की परीक्षा नहीं ली जा सकती। मौखिक परीक्षा से केवल सुनने, पढ़ने तथा बोलने का परीक्षण किया जा सकता है। अतः सही उत्तर ‘लेखनस्य’ होगा। अधोलिखितम् अपठितं गद्यांशम् आधारीकृत्य प्रश्ना: (51-55) समाधेयाः अस्माकं तु निश्चितं मतं यत् संस्कृतभाषैव विश्वभाषापदमर्हति । जगति या अपि संस्कृत-प्राकृत-लेटिन-ग्रीक-इंग्लिशाद्याः भापाः तत्र तत्र देशेषु प्रचलिताः दृश्यन्ते तासु संस्कृतभाषैव सौष्ठवे, सारल्ये, माधुर्ये च श्रेष्ठा। कस्यामपि अन्यस्यां भाषायां न तादृक् सर्वाङ्गपूर्ण व्याकरणं यादृक् संस्कृतभाषायां, न च तादृशी वैज्ञानिकी लिपि: यादृशी संस्कृतभाषायाम्। (1) प्रथमा – (2) षष्ठी (3) तृतीया (4) चतुर्थी उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) ‘अस्मद्’ शब्द की षष्ठी विभक्ति का बहुवचन रूप ‘अस्माकम्’ होता है। जिसका अर्थ है ‘हमारा। (1) संस्कृतभाषा + ऐव (2) संस्कृतभाषे + एव का (3) संस्कृतभाषा + एव (4) संस्कृतभाषा + इव उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) वृद्धि सन्धि के नियमानुसार अ/आ+ए ऐ होने पर ए/ए को ऐ आदेश होता है। अतः संस्कृतभाषैव में संस्कृत भाषा+एव सन्धि डा. विच्छेद होगा। (1) संस्कृतभाषायाम् (2) विद्यते (3) लिपिः (4) वैज्ञानिकी उत्तर : – (4) व्याख्या-(4) संस्कृतभाषा लिपि की विशेषता बताने वाला शब्द वैज्ञानिकी है। अतः वैज्ञानिकी’ विशेषण है। (1) ल्युट् (2) ल्यु (3) क्त (4) क्तवतु उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) ल्युट् प्रत्यय में यु शेष रहता है और ‘यु’ को अन् आदेश होता है। अत: व्याकृ+ल्युट् = व्याकरणम् होने से ल्युट् प्रत्यय सही उत्तर है। (1) विश्वः भाषा (2) विश्वस्य भाषा (3) विश्वासः भाषा (4) विश्वं भाषा उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) विश्वभाषा का समास विग्रह विश्व की भाषा अर्थात् ‘विश्वस्य भाषा’ होगा। निम्नलिखितं श्लोकम् आधारीकत्य निम्नांकिताः प्रश्नाः (56-60) समाधेयाः भवन्ति नमास्तरवः फलोद्गमैः, नवाम्बुभिदूरविलम्बिनो घनाः। अनुसताः सत्पुरुषाः समृद्धिभिः स्वभाव एवैष परोपकारिणाम् ।। (1) कर्मधारयः (2) बहुव्रीहिः (3) द्वन्द्वः (4) अव्ययीभावः उत्तर : – (1) व्याख्या-(1) ‘सत्पुरुषा:’ का विग्रह करने पर सत् पुरुष अर्थात् सज्जन पुरुष होगा तथा सत् विशेषण शब्द है और पुरुष विशेष्य। अत: कर्मधारय समास के नियमानुसार यहाँ विशेषण विशेष्य होने से यही उत्तर सही है। (1) गुणसन्धिः (2) वृद्धिसन्धिः (3) दीर्घसन्धिः (4) अयादिसन्धिः उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) ‘एवैप’ पद का सन्धि विच्छेद ‘एव एप’ होगा। यहाँ वृद्धि सन्धि का नियम कार्यरत होने से अर्थात् अ-ए-ऐ यही उत्तर सही है। (1) द्रुतविलम्बितम् (2) ठपजाति: (3) वंशस्थम् । (4) भुजङ्गप्रयातम् उत्तर : – (3) व्याख्या-(3) वंशस्थ छन्द में 48 वर्ण होते हैं तथा प्रत्येक, चरण में 12 वर्ण होते हैं। ‘जतौ तु वंशस्थमुदीरितं जरौ।’ अर्थात् जगण, तगण, जगण, रगण होने से यहाँ वंशस्थ छंद प्रयुक्त हुआ है। (1) भवन्ति (2) नम्राः (3) फलोद्गमै : (4) तरवः उत्तर : – (4) व्याख्या-(4) नम्राः तरव: में नम्र विशेषण पद है और तरव: विशेष्य पद। (1) क्तवतु (2) क्त (3) तव्यत् (4) शतृ उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) क्त प्रत्यय के अन्तर्गत ‘त’ शेष रहता है तथा यह भूतकालिक प्रयुक्त होता है। [/tab] [tab title=”भाषा – II : हिन्दी”] खण्ड – III भाषा – II : हिन्दी इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है । सभी प्रश्न अनिवार्य है । (1) अंग लगना (2) अंगारे उगलना (3) अन्त भला तो सब भला (4) अंग-अंग फड़कना उत्तर : – (3) व्याख्या-‘अंत भला तो सब भला’ यह मुहावरा न होकर लोकोक्ति है। अन्य तीनों विकल्पों में मुहावरे प्रयुक्त हुए हैं। मुहावरे के अंत में साधारणतया क्रिया सूचक शब्द जैसे-करना, होना, लगना आदि का प्रयोग होता है, जबकि लोकोक्ति में ऐसा नहीं होता है। (1) लड़के (2) दुष्ट (3) ऊधम (4) मचाते हैं उत्तर : – (2) व्याख्या-उपर्युक्त वाक्य में वाक्य का उद्देश्य ‘लड़के’ हैं। सामान्यतः वाक्य का कर्ता ही वाक्य का उद्देश्य होता है। उद्देश्य की विशेषता बताने वाले शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलाते हैं। इस वाक्य में लड़के की विशेषता दुष्ट शब्द के द्वारा बतायी गयी है। अतः दुष्ट ही इस वाक्य का उद्देश्य विस्तार है। (1) संकेतवाचक (2) विधानवाचक (3) इच्छाबोधक (4) संदेहवाचक उत्तर : – (4) व्याख्या-उक्त वाक्य संदेहवाचक है, क्योंकि वाक्य के प्रारम्भ में शायद शब्द जोड़ देने से निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि रोशनी गुल हो ही जाएगी। शायद शब्द जुड़ने से क्रिया के घटित होने में संदेह उत्पन्न हो गया है। संदेहवाचक वाक्यों में शायद, संभवतः, हो सकता है आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। (1) अर्थान्तर (2) कल्पनातीत (3) वाक्यार्थ (4) अध्याहार उत्तर : – (4) व्याख्या-अध्याहार का अर्थ है-ऊहापोह। (1) क्रियाविशेषण अव्यय (2) विसर्ग बोधक अव्यय (3) सम्बन्ध बोधक अव्यय (4) समुच्चयबोधक अव्यय उत्तर : – (2) व्याख्या-विसर्ग बोधक अव्यय अव्यय के भेदों में शामिल नहीं है। वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, काल आदि के आधार पर अपना रूप परिवर्तित नहीं करते, उन्हें अव्यय (अविकारी) कहते हैं। जैसे- वाह !, और, अंदर, बाहर। अव्यय चार प्रकार के होते हैं 1. क्रिया-विशेषण अव्यय। 2. विस्मयादि बोधक अव्यय। 3. संबंध बोधक अव्यय। 4. समुच्चय बोधक अव्यय। नोट- वर्तमान में अव्यय का एक पाँचवाँ प्रकार ‘निपात’ माना जाता है। (1) मीत तथा नाट्य प्रणाली (2) शब्दार्थ कथन प्रणाली (3) प्रश्नोत्तर या खण्डान्वय प्रणाली (4) व्याख्या प्रणाली उत्तर : – (1) व्याख्या- नर्सरी व प्राथमिक स्तर पर कविता शिक्षण की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली गीत व नाट्य विधि है। इसमें बालक अधिक रोचकता व आनंद की अनुभूति करते हैं। (1) शिक्षण कराना (2) अधिगम कराना (3) अनुदेशन कराना (4) दक्षता प्राप्त करना उत्तर : – (4) व्याख्या- भाषा कौशल से तात्पर्य है- वे सभी माध्यम/तरीके जिनसे किसी भाषा में कुशलता या दक्षता हासिल की जा सके। (1) सैद्धान्तिक शिक्षा (2) जीवनोपयोगी शिक्षा (3) बेसिक शिक्षा (4) नैतिक शिक्षा उत्तर : – (1) व्याख्या- प्रोजेक्ट विधि- प्रोजेक्ट विधि में बौद्धिक विकास, ज्ञान में वृद्धि, आत्म अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास तथा सृजनात्मक क्षमता के विकास के पूरे अवसर होते हैं। इस विधि के प्रवर्तक किल पैट्रिक को माना जाता है। (1) उद्देश्य कथन करना (2) प्रस्तुतीकरण करना (3) नवीन ज्ञान ग्रहण हेतु तत्पर करना (4) सामान्यीकरण करना उत्तर : – (3) व्याख्या- प्रस्तावना पाठ योजना का प्रथम चरण है। इसका उद्देश्य विद्यार्थी को नवीन ज्ञान ग्रहण करने हेतु तत्पर करना है। (1) गतिशीलता (2) ग्राह्यता (3) प्रभावोत्पादकता (4) उच्चारण की शुद्धता उत्तर : – (4) व्याख्या- मनुष्य दो प्रकार से अपने भावों को प्रकट कर सकता है बोलकर एवं लिखकर। बोलकर विचार प्रकट करना मौखिक अभिव्यक्ति है। मौखिक अभिव्यक्ति में उच्चारण की शुद्धता पर बल दिया जाना चाहिए, क्योंकि शुद्ध उच्चारण करके ही हम अपनी बात सही तरीके से दूसरों तक पहुँचा सकते हैं। (1) श्र (2) ब (3) भ (4) श उत्तर : – (1) व्याख्या- हिन्दी में 4 संयुक्त व्यंजन हैं- श्र, क्ष, त्र, ज्ञ।। श्र = श् + र् + अ। क्ष = क् + ष् + अ। त्र = त् + र् + अ। ज्ञ = ज् + ञ् + अ। (1) सीमित (2) विस्तृत (3) समान (4) संकुचित उत्तर : – (2) व्याख्या- मूल्यांकन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। बालक के बहुमुखी विकास के संबंध में निर्णय देना मूल्यांकन है। शिक्षा जगत में मूल्यांकन को एक व्यापक सम्प्रत्यय के रूप में लिया गया है। इससे छात्र की सम्पूर्ण प्रगति का पता चलता है तथा उसके बारे में कोई भविष्यवाणी की जा सकती है। मूल्यांकन उद्देश्य आधारित होता है जिसमें विद्यार्थियों के ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा मनोप्रेरित क्षेत्र को परखने के लिए अनवरत प्रक्रिया चलती रहती है। परीक्षा केवल बालक की उपलब्धियों को ही आँकती है जबकि मूल्यांकन शिक्षक द्वारा अपनाए गए शिक्षण प्रयासों के औचित्य को भी आँकता है। (1) वर्गीकरण (2) श्रेणी-विभाजन वाया (3) शिक्षक की कठिनाई का निदान (4) शैक्षिक-निर्देशन उत्तर : – (3) व्याख्या- उपलब्धि परीक्षण में छात्रों की लब्धि का पता लगाकर उनका श्रेणीयन व वर्गीकरण किया जाता है। छात्रों की सामूहिक व व्यक्तिगत उपलब्धियों को प्रकाशित कर उन्हें आगे बढ़ने एवं और अधिक अच्छा करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इसका उपयोग शिक्षकों की करिनाई के निदान में नहीं होता। (1) निदान (2) उपचार (3) निदान व उपचार (4) उपलब्धि उत्तर : – (2) व्याख्या- चिकित्सात्मक अध्यापन को उपचारात्मक शिक्षण कहा जाता है। उपचारात्मक शिक्षण में निदानात्मक परीक्षण द्वारा समस्यात्मक बालकों को छाँटकर उनकी कमजोरियों को दूर करने हेतु शिक्षण किया जाता है। उपचारात्मक शिक्षण शिक्षण प्रक्रिया में निदान के बाद आयोजित होता है। (1) विषय समाग्री का चयन, स्तरीकरण, प्रस्तुतीकरण (2) स्तरीकरण, विषय सामग्री का चयन, प्रस्तुतीकरण (3) प्रस्तुतीकरण, स्तरीकरण, विषय सामग्री का चयन (4) प्रस्तुतीकरण, विषय सामग्री का चयन, स्तरीकरण उत्तर : – (1) व्याख्या- पाठ्यपुस्तक रचना अत्यन्त चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें सर्वप्रथम पाठ्यक्रम के अनुसार सामग्री का चयन, तदोपरान्त स्तरीकरण व प्रस्तुतीकरण किया जाता है। (1) शिक्षा को अधिक रोचक बनाना। (2) शिक्षा को स्थायी बनाना। (3) शिक्षा को अधिक प्रभावकारी बनाना। (4) शिक्षा को निष्प्रयोजन बनाना। उत्तर : – (4) व्याख्या- दृश्य-श्रव्य शिक्षा का तात्पर्य शिक्षा को निष्प्रयोजन बनाना नहीं है। दृश्य-श्रव्य शिक्षा में शिक्षण के दौरान दृश्य-श्रव्य साधनों के प्रयोग पर बल दिया जाता है, क्योंकि देखकर एवं सुनकर प्राप्त किया गया ज्ञान रोचक एवं प्रभावी होने के साथ-साथ स्थायी भी होता है। (1) विद्यार्थी के विकास के पक्षों पर जोर न देना। (2) विद्यार्थी का नियमित मूल्यांकन करना। (3) गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन करना। (4) विद्यार्थी की संप्राप्ति में सुधार करना। उत्तर : – (1) व्याख्या- समग्र एवं सतत मूल्यांकन विद्यार्थी की स्कूल आधारित मूल्यांकन व्यवस्था है। इसमें मूल्यांकन की निरन्तरता, विकास के विविध पक्षों पर ध्यान देना और वर्तमान पर ध्यान देना शामिल है। (1) बहुसंख्यक चुनाव परीक्षण (2) एकान्तर प्रत्युत्तर परीक्षण (3) समरूप परीक्षण (4) बहु रिक्त स्थान पूरक परीक्षण उत्तर : – (2) व्याख्या-सत्य-असत्य परीक्षण- सत्य-असत्य को एकान्तर अनुक्रिया प्रश्न भी कहते हैं। वे प्रश्न जिनमें एक कथन देकर उसके बारे में छात्र को केवल सत्य या असत्य में से एक चुनना होता है, सत्य-असत्य के अंतर्गत आते हैं। प्राथमिक स्तर पर बालक की बोध क्षमता का पता लगाने के लिए ये प्रश्न काफी उपयोगी होते हैं। (1) गद्य की (2) पद्य की (3) नाटक की (4) व्याकरण की उत्तर : – (3) व्याख्या- रंगमंच अभिनय विधि नाटक शिक्षण की उत्तम विधि है। इसमें मंचन द्वारा शिक्षण कराया जाता है। (1) भाषा ज्ञानगम्य है। (2) भाषा अभ्यासगम्य है। (3) भाषा एक सामाजिक व्यवहार है। (4) भाषा अनुकरणात्मक है।। उत्तर : – (1) व्याख्या- भाषा कौशलों में अनुकरण, अभ्यास, सामाजिक व्यवहार कौशलात्मक पहलू हैं। अपठित गद्यांश: निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 81 से 85 तक के उत्तर दीजिए – गाँधीजी सत्य और अहिंसा को जीवन में सर्वाधिक महत्व देते थे, सत्याग्रह व असहयोग आंदोलन द्वारा उन्होंने अंग्रेजों का मुकाबला किया। गाँधीजी सब मनुष्यों को समान मानते थे। धर्म, जाति, सम्प्रदाय, रंग आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को वे मानवता का कलंक मानते थे। वे आर्थिक असमानता को भी मिटा डालना चाहते थे। वे वर्गविहीन, जातिविहीन समाज में विश्वास रखते थे। सामाजिक न्याय, शारीरिक श्रम को महत्व देते थे। गाँधीजी प्रजातांत्रिक राज्य को कल्याणकारी मानते थे। गाँधीजी के अनुसार नैतिक आचरण का जीवन में विशेष स्थान होना चाहिए। सत्य, न्याय, धर्म, अहिंसा, अपरिग्रह, निस्वार्थ सेवा को मानवता के लिए सच्ची सेवा मानते थे। उनके राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय विचारों में वसुधैव कुटम्बकम् का दृष्टिकोण प्रमुख था। उनकी मान्यता थी कि किसी राष्ट्र का समुचित उत्थान अपने परिवार, जाति, गाँव, प्रदेश तथा देश की समस्याओं के सुधार से हो सकता है। स्वयं को सुधारो, सारा विश्व सुधरेगा उनका कहना यही था। (1) अपरिचित (2) प्रजातांत्रिक (3) अपरिपक्व (4) अपरिग्रह उत्तर : – (4) व्याख्या-परिग्रह शब्द का अर्थ होता है-इकट्ठा करना।। परिग्रह में ‘अ’ उपसर्ग जोड़कर अपरिग्रह शब्द बना है जिसका अर्थ है अन्न एवं धन का अनावश्यक रूप से एकत्रीकरण न करना। (1) व्यंजन संधि (2) दीर्घ स्वर संधि (3) यण स्वर संधि (4) विसर्ग संधि उत्तर : – (2) व्याख्या-सत्य (अ) + (आ) आग्रह = सत्याग्रह। इसमें दीर्घ स्वर संधि है। यहाँ अ+आ के मेल से ‘आ’ स्वर बना है। (1) आसन्न भूतकाल (2) संभाव्य वर्तमान (3) सामान्य भविष्यकाल (4) सामान्य भूतकाल उत्तर : – (4) व्याख्या-सामान्य भूतकाल में भूतकाल में क्रिया के समाप्त हो जाने का संकेत मिलता है। इस वाक्य में अंग्रेजों का मुकाबला किया जा चुका है। अतः क्रिया भूतकाल में समाप्त हो चुकी है। सामान्य भूतकाल के वाक्यों के अन्त में या, यी, ये, चुका था, चुकी थी, चुके थे का प्रयोग होता है। (1) धर्म (2) सम्प्रदाय (3) रंग (4) जाति उत्तर : – (4) व्याख्या-‘जाति’ नित्य स्त्रीलिंग शब्द है, जबकि धर्म, सम्प्रदाय एवं रंग पुल्लिंग शब्द है। (1) आचरण में (2) अंतरराष्ट्रीय में (3) अहिंसा में (4) अनुसार में उत्तर : – (3) व्याख्या-अहिंसा में ‘अ’ उपसर्ग है, ‘हिंसा’ मूल शब्द है। आचरण में ‘आ’ उपसर्ग एवं ‘चरण’ मूल शब्द है। अंतरराष्ट्रीय में ‘अंतर’ उपसर्ग एवं ‘राष्ट्रीय’ मूल शब्द है। अनुसार में ‘अनु’ उपसर्ग एवं ‘सार’ मूल शब्द है। अपठित पद्यांश : निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 86 से 90 तक के उत्तर दीजिए मैं जीवन का भीषण दुर्दम – 1 प्रलयंकर तूफान लिए हूँ – 2 अपने दिल में मर मिटने का – 3 मैं स्वर्णिम अरमान लिए हूँ-4 जिसको सुन रिपु के दिल टूटे -5 मैं वह गौरवगान लिये हूँ -6 मुझे मृत्यु-भय? अरे हथेली-7 पर मैं अपनी जान लिये हूँ- 8 (1) मैं, हूँ शब्दों के कारण (2) जीवन और स्वर्णिम शब्दों के कारण (3) दुर्दम और प्रलयंकर शब्दों के कारण (4) बिना कारण के उत्तर : – (3) व्याख्या-दुर्दम एवं प्रलयंकर शब्दों के कारण कविता में नाद सौंदर्य की उत्पत्ति हुई है। शब्दों का ऐसा प्रयोग, जिससे कविता में किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मकता (ध्वनि) पैदा हो जाती है, नाद सौंदर्य कहलाता है। ‘नाद’ शब्द का अर्थ ही ‘ध्वनि’ होता है। कविता में रेफ एवं अनुस्वार आदि से नाद सौंदर्य होता है। (1) ओज गुण (2) माधुर्य गुण (3) प्राची गुण (4) सुदर्शन गुण उत्तर : – (1) व्याख्या-जिस कविता को पढ़ने से या सुनने से हृदय में ओज, उमंग और उत्साह का संचार होता है, वहाँ ओज गुण होता है। ओज गुण वीर, वीभत्स, रौद्र एवं भयानक रस में पाया जाता है तथा ओज गुण से युक्त रचना में संयुक्ताक्षरों की प्रधानता एवं ट, ठ, ड, ढ, ण का प्रयोग होता है। उपर्युक्त कविता में वीर रस है तथा दुर्दम, प्रलयंकर, स्वर्णिम, मृत्यु आदि में संयुक्ताक्षरों का प्रयोग हुआ है तथा ट, ण आदि का प्रचुर मात्रा में प्रयोग हुआ है। (1) शत्रुओं की हिम्मत तोड़ने हेतु (2) दिल बहलाने हेतु (3) नर्तन करने हेतु (4) ईश्वर को प्रसन्न करने हेतु उत्तर : – (1) व्याख्या-कवि शत्रुओं को पराजित करने के लिए उनकी हिम्मत तोड़ना चाहता है। (1) कायरता की (2) बहादुरी की (3) प्यार की (4) पलायन की उत्तर : – (2) व्याख्या-सम्पूर्ण कविता में कवि ने बहादुरी की भावना प्रकट की है। इस कविता में ओज गुण एवं वीर रस प्रयुक्त हुआ है। (1) भाग जाने का (2) आत्मसमर्पण करने का (3) पुष्प देने का (4) मर-मिटने का उत्तर : – (4) व्याख्या-कवि अपने दिल में मर-मिटने का अरमान लिए हुए है। वह शत्रु से डटकर मुकाबला करना चाहता है। [/tab] [tab title=”English Language – II”] Section – III English Language – II There are 30 questions in this section. All questions are compulsory. (1) came down (2) gone down (3) run down (4) ran down Ans :- (3) (1) fourteen line poem (2) ten and a half line poem (3) thirteen line poem (4) eighteen and a half line poem Ans :- (2) (1) Ode (2) Elegy (3) Sonnet (4) Drama Ans :- (2) व्याख्या –Elegy एक elaborately formal lyric poem है जिसमें एक friend या relative की death पर शोक किया जाता है या जो एक solemn subject पर seriously reflect करती है। (1) drama (2) novel (3) novellas (4) short story Ans :- (4) व्याख्या- बिना किसी specified length के एक fictional prose tale, लेकिन एक volume के रूप में publish होने के लिए बहुत कम length की story को short story कहा जाता है। (1) poem (2) story (3) draina (4) novel Ans :- (3) व्याख्या –Conflict, drama का एक feature होता है। जिसमें main character को conflict solve करके goal achieve करना होता है। (1) sleep (2) teach (3) teach (4) deep Ans :- (3) (1) /guraj/ (2) gariz (3) giraz (4) /Gaera:Z Ans :- (*) (1) Use of word structure (2) Use of semantic structures of English language in daily life (3) Use of building structures in daily life (4) Use of graded structures of English language in daily life situations Ans :- (4) (1) Creating situation (2) Teacher’s talk (3) Bonding of alphabet (4) Creating nervousness Ans :- (1) व्याख्या-Classroom के context में communication के लिए निम्न conditions हैं (1) Situation और role real होने चाहिए। Communicative competence communication situation में mentally और verbally react करने की ability को involve करता है। (2) Communication के लिए एक need और purpose होना चाहिए। यह Students को language invent करने के लिए force करती है। (3) Communication freedom ir unpredictability involve करता है। (1) Communication knowledge of grammar (2) Communication knowledge of vocabulary (3) Capability of knowledge (4) Communication knowledge of grainmar and vocabulary Ans :- (4) (1) Learners learning of literature (2) Poor study habit (3) Pollution in English language (4) Limitation of learning English language in classroom Ans :- (4) व्याख्या –Acquisition Poor Environment challenge एक भाषा के foreign learner द्वारा सामना की गई स्थिति को संदर्भित करती है। जैसे यदि Japan में रहने वाला व्यक्ति English सीखता है। वह व्यक्ति text पढ़ने और स्कूल में grammar के rules को सीखने में सक्षम होगा, लेकिन वह daily life में बातचीत के माध्यम से सीखने में सक्षम नहीं होगा। यह Acquisition Poor Environment के रूप में जाना जाता है। (1) Time & Dime (2) Barricades of class (3) Learner’s prejudice (4) Unscathed Ear Ans :- (3) व्याख्या – Listening skill का main barrier है learmer’s prejudice कभी-कभी, learner strongly किसी topic पर opinion अपने mind में रखता है की भले ही वह listening कर रहा हो लेकिन वह उस view को follow नहीं कर पायेगा, इसे learner’s prejudice कहते हैं। Learner अपने rigid thoughts को neglect नहीं कर पाता और इसी कारण वह ऐसा कुछ भी accept नहीं कर पाता है जो उसके personal thoughts को restrain करता हो। (1) Particular skills left by regular teaching (2) Areas left by regular teaching (3) Limitation of class size (4) Both (1)&(2) Ans :- (4) व्याख्या- Remedial language teaching का उद्देश्य development of particular skills और regular teaching द्वारा छोड़े गए areas का विकास करना है। Late learners (अर्थात् वे छात्र जो सीखने में कक्षा की सामान्य गति का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं) की पहचान के लिए भी Remedial teaching का प्रयोग किया जाता है। (1) Drill and studying (2) Revision, drill, situational communicative practice and reviewing (3) Going through situational practice (4) Revision and practice Ans :- (2) (1) Importance of meaning of utterances rather than form and structure (2) Importance of form and structure (3) Importance of evaluation (4) Importance of learner Ans :- (1) व्याख्या – Communicative approach to evaluation meaning of utterance पर focus करती है ना की form और structure पर। इस approach में कैसे language communicate की जा रही है उसको importance दी जाती है। यह approach teacher को learner की performance a different profile oral understand HGG करती है। (1) Primary language (2) Secondary language (3) Third language (4) Language in context Ans :- (4) व्याख्या – The integral approach of language की testing में language का context शामिल है। यह approach मुख्य रूप से meaning it total communicative effects ar I Integral tests global proficiency पर प्रमुखता से focus करते हैं। (1) Approach to class (2) Communicative approach (3) Structural approach (4) Combination of communicative approach integrative approach and structural approach Ans :- (*) (1) Identification of senior learners (2) Identification of early learners (3) Identification of late learners (4) Identification of malady on language test and its causes Ans :- (4) (1) Nominated evaluator (2) Instruction objectives (3) Number of copies to be distributed (4) Seating arrangment Ans :- (2) (1) Arranging intensive practice (2) Arranging medicine (3) Arranging trouble (4) Arranging bubble spot Ans :- (1) Passage (81–84): Patriotism or love for one’s country is one of the noblest sentiments of man. It is love that comes from one’s gratefulness to the land where one is born, the country that provides everything that make life worth living-food, clothing and shelter, families, friends and the way of life of its people. Or, in other words, it is our country that gives us all that we enjoy and all that makes man’s life different from and richer than that of all other animals. That is why patriotic feelings are natural to man. (1) Patriotism (2) Love for country (3) Noblest sentiment (4) Patriotic feelings Ans :- (1) (1) emphasis (2) reformulation (3) Sequence (4) Addition : Ans :- (2) (1) is (2) are (3) were (4) has Ans :- (1) (1) Patriotism is second to any other sentiment. (2) Patriotism is not natural (3) One must be patriotic to an extent (4) One should be grateful to the land where one is born Ans :- (4) व्याख्या- Author के अनुसार जिस Country में Person born होता है, उस Country को respect देनी चाहिए क्योंकि वही land person को food, shelter etc. provide करता है। (1) the fallacy of hasty generalization (2) the fallacy of false analogy (3) the fallacy of composition (4) the fallacy of equivocation Ans :- (2) व्याख्या – Fallacy of false analogy consists that things which are similar in one aspect must be similar in others li may not be true in all cases. (1) for, against (2) with, as (3) like, as (4) while, during Ans :- (3) व्याख्या – Simile is an explicit comparison between two different things, actions or feelings, using the words ‘as’ or ‘like’ as in Wordworth’s line ‘T’ wandered lonely as a cloud’. (1) The sleet streaked her sneakers (2) The angry dog barked loudly (3) The clown caught the kid before he fell (4) This is how the world goes Ans :- (1) व्याख्या – दो या दो से अधिक syllables के vowels की sound में similarity या resemblance assonance कहलाता है। इसमें vowels में ही sound similarity occur होती है, consonant में नहीं और यह accented syllables में occur होती हैं। जैसे- The sleet streaked her sneakers. (1) Irony (2) Personification (3) Metaphor (4) Alliteration Ans :- (2) व्याख्या – Personification एक figure of speech है जो animals, ideas, trees, abstractions sitt objects of human form, character या feelings प्रदान करे; काल्पनिक creatures या things को इस तरह से प्रस्तुत किया जाता है जैसे वह वास्तविक रूप में ऐसे ही हो। इस line में wind को whistle करते हुए प्रस्तुत किया गया है इसलिए इसमें literary device ‘personification’ का use हुआ है। (1) Metaphor (2) Alliteration (3) hyperbole (4) Paradox Ans :- (2) व्याख्या- दो या दो से अधिक closely associated (निकटता से जुड़े) words 7 stressed syllables to initial letter I sound of repeat होनाAlliteration कहलाता है। जैसे- The lazy lizard lounged near the lake. (1) may (2) might (3) can (4)could Ans :- (2) व्याख्या- Might संभावना (possibility) दर्शाता है और दिए गए sentence में actions को consider करने की संभावना को दर्शाया गया है। Can/could ability को दर्शाता है जो दिए गए sentence में appropriate नहीं है। [/tab] [tab title=”भाषा – II : संस्कृत”] खण्ड – III भाषा – II : संस्कृत अत्र त्रिंशत् प्रश्नानि सन्ति। सर्वे प्रश्नाः समाधेयाः। (1) मां रसगोलकानि रोचन्ते। (2) मम रसगोलकानि रोचन्ते। (3) मह्यं रसगोलकानि रोचन्ते। (4) मया रसगोलकानि रोचन्ते। उत्तर : – (3) व्याख्या-रुच् धातु के योग में जिसे अच्छा लगता है, उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होगा तथा संस्कृत में अनुवाद करते समय मह्यं रसगोलकानि रोचन्ते बनेगा। (1) कण्ठः (2) दन्तः (3) ओष्ठौ (4) तालु उत्तर : – (3) व्याख्या-‘उपूपध्यमानीयां ओष्ठौ।’ उच्चारण नियमानुसार ‘प’ का उच्चारण स्थान ओष्ठ होगा। (1) अस्माभिः महाविद्यालयः गम्यते। (2) अस्माभिः महाविद्यालयं गम्यते। (3) वयं महाविद्यालयः गच्छामः। (4) अस्माभिः महाविद्यालयः गम्यन्ते। उत्तर : – (1) व्याख्या-कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय कर्ता में तृतीया विभक्ति में प्रथमा तथा क्रिया कर्मानुसार होती है। क्रिया में य जुड़ता है। अत: वयं के स्थान पर तृतीया विभक्ति में अस्माभिः होगा।। (1) सः ग्रामेण निकषा तिष्ठति। (2) सः ग्रामं निकषा तिष्ठति। (3) सः ग्रामात् निकषा तिष्ठति। (4) स: ग्रामाय निकषा तिष्ठति। उत्तर : – (2) व्याख्या-समया, निकषा आदि शब्दों के योग में जिसके समीप है उसमें द्वितीया विभक्ति अर्थात् कर्मकारक होता है। (1) सार्धम् (2) सह (3) सदृशम् (4) साकम् उत्तर : – (3) व्याख्या-ज्ञान के समान यहाँ कुछ भी पवित्र नहीं है के अनुसार समान अर्थात् सदृशम् शब्द उचित है। यही प्रसिद्ध उक्ति भी है। (1) पाठ्यपुस्तकविधितः (2) व्याकरणानुवादविधित: (3) पाठशालाविधितः (4) प्रत्यक्षविधितः उत्तर : – (4) व्याख्या-प्रत्यक्ष विधि से ही व्यवहार कौशल का ग्रहण होता है। (1) प्रत्यक्षविधिः (2) व्याकरणविधिः (3) पाठ्यपुस्तकविधिः (4) व्याख्याविधिः उत्तर : – (1) व्याख्या-प्रो. वी.पी. बोकील महोदय ने ही प्रत्यक्ष विधि को प्रतिपादित किया है। (1) विश्लेषणात्मकविधिः (2) मूल्याङ्कविधिः (3) व्याकरणविधिः (4) व्याख्याविधिः उत्तर : – (2) व्याख्या-(2) हरबर्टपञ्चपदी विधि का विकसित रुप ही मूल्यांकनविधि है। (1) व्याकरणम् (2) सूत्रम् (3) भाषा (4) श्लोकः उत्तर : – (3) व्याख्या-भावों की अभिव्यक्ति का सर्वोत्तम साधन भाषा होती है। मनुष्य अपने मन के भावों को भाषा के द्वारा ही व्यक्त कर सकता है। (1) श्रवणम्, भाषणम्, पठनम्, लेखनम् (2) भाषणम्, श्रवणम्, पठनम्, लेखनम् (3) पठनम्, लेखनम्, श्रवणम्, भाषणम् (4) लेखनम, भाषणम्, श्रवणम्, पठनम् उत्तर : – (1) व्याख्या-संस्कृत भाषा के शिक्षण का स्वाभाविक क्रम है- सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना। अर्थात् श्रवणम्, भाषणम्, पठनम्, लेखनम्। (1) ऊर्ध्वमुखः (2) अधोमुखः (3) अन्तुर्मखः (4) बहुमुखः उत्तर : – (4) व्याख्या-संस्कृत शिक्षण के लिए बहुमुखी प्रयास होने चाहिए। (1) द्विविधः (2) चतुर्विधः (3) त्रिविधः (4) पञ्चविधः उत्तर : – (2) व्याख्या-अभिनय चतुर्विधः होता है। (1) आकाशवाणी (2) पुस्तकम् (3) दूरदर्शनम् (4) श्यामफलकम् उत्तर : – (3) व्याख्या-दृश्य एवं श्रव्य साधनो में प्रमुख साधन दूरदर्शन है। (1) श्यामफलकम् (2) पुस्तकम् (3) चलच्चित्रम् (4) नाटकम् उत्तर : – (1) व्याख्या-दृश्य साधनों का सर्वोत्तम साधन श्यामफलक होता है जिसके माध्यम से विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। (1) बालकानां ज्ञानस्य सीमायाः विस्तारः। (2) व्यावहारिकज्ञानस्य सम्पादनाय प्रेरणा। (3) छात्राणां कल्पनाशक्तेः विकासः। (4) उपर्युक्तानि त्रीणि अपि। उत्तर : – (4) व्याख्या-पाठ्यपुस्तक का उद्देश्य बालकों के ज्ञान की सीमा का विस्तार, व्यावहारिक ज्ञान के सम्पादन हेतु प्रेरणा तथा छात्रों की कल्पना शक्ति के विकास के रुप में है। अतः तीनों उद्देश्य इसमें सम्मिलित हैं। (1) बुद्धिपरीक्षाः (2) अभिरुचिपरीक्षाः (3) आसक्तिपरीक्षाः (4) उपर्युक्ताः सर्वाः उत्तर : – (4) व्याख्या-संस्कृशिक्षणमूल्यांकन के साधनभूत विधियाँ बुद्धि परीक्षा, अभिरुचिपरीक्षा, आसक्ति परीक्षा आदि हैं। (1) वस्तुनिष्ठपरीक्षायाम् (2) शलाकापरीक्षायाम् (3) निवन्धपरीक्षायाम् (4) अन्त्याक्षरीपरीक्षायाम् उत्तर : – (2) व्याख्या-शलाकापरीक्षा के अन्तर्गत लघु काष्ठ खण्ड का प्रयोग किया जाता है। (1) मूल्याङ्कनेन (2) पाठ्यपुस्तकेन (3) गुरुमुखेन (4) न केनापि उत्तर : – (1) व्याख्या-मूल्यांकन के द्वारा उपचारात्मक शिक्षण किया जा सकता है। (1) बहुसमाधानप्रश्नाः (2) रिक्तस्थानपूरणम् (3) सत्यासत्यनिर्णयः (4) उपर्युक्ताः सर्वे उत्तर : – (4) व्याख्या-वस्तुनिष्ठपरीक्षा के प्रकार इस प्रकार हैं- बहुसमाधान प्रश्न, रिक्तस्थानपूरण प्रश्न, सत्यासत्य निर्णय प्रश्न। (1) अध्ययनेन (2) परीक्षया (3) पाठ्यपुस्तकेन (4) भाषणेन उत्तर : – (2) व्याख्या-छात्रों के ज्ञानात्मकक्षेत्र का परीक्षण करने हेतु परीक्षा ली जाती है अत: ‘परीक्षया’ उत्तर सही है। अधोलिखितम् अपठितं गद्यांशम् आधारीकृत्य निम्नाङ्किताः प्रश्नाः (81 – 85) समाधेयाः . परमेश्वरेण जगति समुत्पादितेषु सर्वद्रव्येषु विद्यैव सर्वश्रेष्ठं धनम्। विद्याधनेन विहीनः यो मानवोऽस्ति सः असभ्यः मूर्खः ग्राम्यश्च कथ्यते । ज्ञानेन विना यथा पशुः धर्माधर्मयोर्विचारं कर्तुं न शक्नोति तथैव मनवोऽपि विद्यया विहीनः पापपुण्ययोः कर्त्तव्याकर्त्तव्ययोर्विचारं कर्तुं न पारयति । विद्याविहीनो मानवोऽन्ध एव निगद्यते । आचार्यदण्डिनः कथनानुसारं विद्यैव शब्दाह्वयं ज्योतिः। यदि नामेयं विद्याज्योतिरस्मिन् जगति न भवेत् तर्हि जगदिदमखिलमपि अन्धकारावृत्तं सम्पत्स्येत। अतएव उक्तं “विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्” इति। (1) चतुर्थी (2) तृतीया (3)द्वितीया (4) पंञ्चमी उत्तर : – (2) व्याख्या-ज्ञानेन शब्द अकारान्त पुल्लिंग है अतः इसमें तृतीया विभक्ति है। (1) गद् (2) निगद् (3) गद्य (4) निगद्य उत्तर : – (1) व्याख्या-‘निगद्यते’ में गद् धातु है तथा यह लट् लकार प्रथम पुरुष एकवचन आत्मनेपदी रूप है। (1) क्त्वा (2) शतृ (3) तुमुन् (4) ल्यप् उत्तर : – (3) व्याख्या-कर्तुम् कृ+तुमुन् अर्थात् कृ धातु में तुमुन् प्रत्यय जुड़ा है। (1) अन्धकारात् आवृतम् (2) अन्धकारेण आवृतम् (3) अन्धकारस्य आवृतम् (4) अन्धकाराय आवृतम् उत्तर : – (2) व्याख्या-अन्धकारावृत्तम् का समास विग्रह अन्धकार से आवृत अर्थात् अन्धकारेणआवतृत्तम् होगा। (1) विद्या + इव (2) विद्य + एव (3) विद्या + एव (4) विद्य् + एव उत्तर : – (3) व्याख्या-विधैव का सन्धि विच्छेद विद्या+एव होगा क्योंकि वृद्धि संधि के नियमानुसार आ+ए ऐ आदेश होता है। निम्नलिखितं श्लोकम् आधारीकृत्य अधोलिखिताः प्रश्नाः (86-90) समाधेया : पुरस्कृता वर्त्मनि पार्थिवेन प्रत्युद्रता पार्थिवधर्मपल्या। तदन्तरे सा विरराज धेनुः दिनक्षपामध्यगतेव सन्ध्या।। (1) इन्द्रवज्राच्छन्दसः (2) उपेन्द्रवज्राच्छन्दसः (3) वंशस्थच्छन्दसः (4) उपजातिच्छन्दसः उत्तर : – (4) व्याख्या-उपजाति छन्द में प्रत्येक पाद में 12 वर्ण होते हैं यह इन्द्रवज्रा और उपेन्द्रवज्रा का सम्मिश्रण है। (1) वर्म (2) वर्त्मन् (3) वा (4) वत्म उत्तर : – (2) व्याख्या-‘वर्मनी’ का मल शब्द वर्मन है। (1) क्तवतु (2) क्त्वा (3) क्त (4) शतृ उत्तर : – (3) व्याख्या-पुरस्कृता:=पुरस्कृ+क्त होता है अर्थात् क्त प्रत्यय में ‘त’ शेष रहता है और यह भूतकालिक प्रत्यय है। (1) तृतीया (2) सप्तमी (3) द्वितीया (4) पञ्चमी उत्तर : – (1) व्याख्या-पार्थिव शब्द अकारान्त पुल्लिंग है तथा पार्थिवेन रूप तृतीया विभक्ति में बनता है। (1) लुट् (2) लिट् (3) लुङ् (4) लङ् उत्तर : – (2) व्याख्या-‘विरराज’ में लिट् लकार है। इसमें धातु को द्वित्व हो जाता है। [/tab] [tab title=”गणित”] खण्ड – IV (a) गणित इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है। जिन अभ्यर्थियों ने इस विषय का चयन किया है उन्हें सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) 25% लाभ (2) 25% हानि (3) 40% लाभ (4) 40% हानि उत्तर : – (2) व्याख्या – माना, एक पेन का क्र.मू. = x ⇒ 12 पेनों का क्र.मू. = 12x माना, एक पेन का वि.मू. = y 16 पेनों का वि.मू. = 16y अब, 12x = 16y y = 0.75x ஃ लाभ/हानि प्रतिशत = (S.P. – C.P.) / C.P × 100 = (0.75x – x) / x = -25% = 25% हानि (1) ₹ 12,000 (2) ₹ 11,000 (3) ₹ 11,250 (4) ₹ 11,500 उत्तर : – (3) व्याख्या – माना , राशि के दो हिस्से x व y है – x/4 = y/5 ………..(1) अब , दो वर्षो का ब्याज = 2500 ⇒ x × 10/100 × 2 + y × 12/100 × 2 = 2500 समी. (1) से y का मान डालने पर, ⇒ x/5 + 5x/4 × 6/25 = 2500 ⇒ x = 5000 रु. ⇒ कुल राशि = x + y = 5000 + 6250 = 11250 रु. (1) 25% (2) 30% (3) 35% (4) 40% उत्तर : – (3) व्याख्या-पुराने मिश्रण में, शर्करा=40/ 100 3 लीटर = 1.2 लीटर अतः पानी- 3-1.2 = 1.8 लीटर नये मिश्रण में, पानी = 1.8 + 1 = 2.8 लीटर = शर्करा प्रतिशत = 1.2 / 2.8 + 1.2 × 100 = 30% (1) x = 25%; y = 12.5 (2) x = 12.5°; y = 25° (3) x = 15°; y = 30° (4) x = 30°; y = 15° उत्तर : – (*) व्याख्या-समान्तर चतुर्भुज में, आमने-सामने के कोण बराबर होते हैं। अत: 2x + 5y = 150° …(i) एवं 4x + y = 75° …….(ii) समी. (i)x 2 – (ii) करने पर, (4x + 10y) – (4x + y) = 300° – 75° = 9y = 225° = y = 25° व x = 75° – y / 4 = 12.5° परन्तु यह प्रश्न गलत है क्योंकि यदि ABCD समान्तर चतुर्भुज है, तो 75° व 150° कोणों का योग 180° होना चाहिए, जो कि नहीं है। (1) 10% (2) 11% (3) 20% (4) 21% उत्तर : – (4) व्याख्या – क्रय मूल्य (प्रति पेन्सिल ) = 10/11रु. विक्रय मूल्य (प्रति पेन्सिल)= 11/10रु. लाभ प्रतिशत = (11/10 – 11/10)/ (10/11) × 100 =(121-100) × 100 = 21% (1) 1 (2) 247 / 126 (3) 349/126 (4) 2 उत्तर : – (1) व्याख्या – x + ⅚ + 5/7 + 4/9 = 2(125/126) ⇒ x + (105+90+56)/126 = 377/126 ⇒ x + (377 – 251)/126 = 1 (1) 35° (2) 45° (3) 55° (4) 65° उत्तर : – (3) व्याख्या – चूँकि वृत के उत्तीर्ण कोण बराबर होते है , अतः ∠ADB = ∠ACB = x (माना ) एवं एक त्रिभुज के सभी कोणों का योग 180° होता है ,अतः ∠BDC + ∠BCD + ∠B = 180° ⇒ (85° – x) + (θ + x) + 40° = 180° ⇒ θ + 125° = 180° ⇒ θ = 55° (1) गणित की अपनी भाषा होती है जिसके माध्यम से सूत्र, प्रत्यय, सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जाता है। (2) गणित में अमूर्त प्रत्ययों की व्याख्या का अवसर होता है। (3) गणित में सामान्यीकरण का क्षेत्र संकुचित होता है। (4) संख्याएँ, स्थान, मापन आदि गणित का आधार है। उत्तर : – (3) व्याख्या – गणित में सामान्यीकरण का क्षेत्र संकुचित नहीं होता। यह स्थान, मापन व संख्याओं के द्वारा जीवन के विविध क्षेत्रों तक फैला हुआ है। (1) गणित का सामाजिक मूल्य (2) गणित का नैतिक मूल्य (3) गणित के कलात्मक मूल्य (4) गणित के अनुशासनात्मक मूल्य उत्तर : – (1) व्याख्या-गणित की उन्नति तथा वृद्धि देश की सम्पन्नता से सम्बन्धित है, यह गणित का सामाजिक मूल्य है। (1) योगात्मक आकलन (2) सूचनात्मक आकलन (3) निदानात्मक आकलन (4) परीक्षण उत्तर : – (3) व्याख्या-निदानात्मक आकलन विद्यार्थी की विषयगत कमजोरी के बिन्दुओं का पता लगाता है, जिससे उसे दूर करके भविष्य का शिक्षण अर्थात उपचारात्मक शिक्षण प्रदान किया जा सके। (1) विद्यार्थी अपनी उत्तर-पुस्तिकाओं में जैसा कार्य कर रहे हों उस तरफ देखना। (2) विद्यार्थी जब अन्य विद्यार्थियों को समझाने अथवा चर्चा में व्यस्त हों, उनको सुनना। (3) अध्यापक द्वारा पूछे गये प्रश्नों पर दिये जाने वाले उत्तरों को मॉनीटर करना। (4) विद्यार्थियों की उत्तर-पुस्तिकाओं को जाँच कर अंक/ग्रेडिंग प्रदान करना। उत्तर : – (4) व्याख्या-उत्तर-पुस्तिकाओं को जो कट अंक देना या ग्रेडिंग प्रदान करना औपचारिक आकलन की विशेषता है, अनौपचारिक आकलन की नहीं। (1) गणित शिक्षण में भाषा (2) गणित शिक्षण में मूल्य (3) गणित शिक्षण में सहसंबंध (4) गणित शिक्षण में उपकरण उत्तर : – (1) (1) गणित विचारों का तार्किक विज्ञान है। (2) गणित मनुष्य के मस्तिष्क में तर्क की आदत को बनाने का मार्ग है। (3) गणित अमूर्त विज्ञान नहीं है। (4) गणित को संख्या एवं स्थान के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया है। उत्तर : – (3) (1) गणित में विषयवस्तु विश्लेषण (2) गणित में त्रुटि विश्लेषण (3) गणित में विषयवस्तु संश्लेषण (4) गणित में त्रुटि संश्लेषण उत्तर : – (2) (1) पूर्व ज्ञान (2) प्रस्तावना (3) उद्देश्य कथन (4) आदर्श प्रश्न उत्तर : – (2) (1) गणित का पाठ्यक्रम विद्यार्थी केन्द्रित होना चाहिए। (2) गणित का पाठ्यक्रम क्रिया आधारित होना चाहिए। (3) गणित का पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक एवं तार्किक ढंग से व्यवस्थित होना चाहिए। (4) गणित का पाठ्यक्रम गणित अध्यापक की सहमति को आवश्यक नहीं मानता। उत्तर : – (4) (1) विद्यार्थियों को कक्षा के अन्दर एवं बाहर प्रश्न करना (2) मौखिक कार्य (3) विद्यार्थियों की उत्तर-पुस्तिकाओं का विश्लेषण (4) विद्यार्थियों में तुलना करके उत्तर : – (4) (1) 25 (2) 18 (3) 36 (4) 50 उत्तर : – (2) व्याख्या-माना, बड़ी व छोटी संख्याएँ क्रमशः हैं X व y. अब, 3x = 4y + 3 ……(i) 5x = 7y -1 …….(ii) समी. (i) × 5- (ii) × 3 करने पर, 15x-15x = (20y + 15)-(21y-3) = y = 18 (1) 706009 (2) 7006009 (3)7060009 (4) 70060009 उत्तर : – (3) व्याख्या-7000000+ 60000+ 9 = 7060009 3, 31%, 3/10, 0.313, 0.909/3 (1) 0.909/3 (2) 0.313 (3) 31% (4) 3/10 उत्तर : – (3) तो x और y के मान बराबर है – (1) x =9;y =3 (2) x = 3;y = 9 (3) x =5;y =8 (4) x = 4;y =8 उत्तर : – (3) व्याख्या-इस प्रश्न में दिए गए विकल्प डाल कर देखने पर, x = 5, y = 8 सही बैठता है। (1) ₹1,28,938 (2) ₹1,29,838 (3) ₹1,28,948 (4) ₹1,29,848 उत्तर : – (1) व्याख्या-8 गुना राशि = 8×55600 = 444800 संस्था को दान करने के पश्चात् बची हुई राशि = 444800 – 57986 = 386814 एक-तिहाई राशि = 386814 / 3 = 128938 (1) 36° (2) 40° (3) 140° (4) 160° उत्तर : – (2) व्याख्या – बहिष्कोणों की संख्या 9 होगी। एक सम बहुभुज के बहिष्कोणों का योग 360° होता है। अत: 9x = A 360° =x= 40° (1) 16 सेमी (2) 64 सेमी (3) 65 सेमी (4) 36 सेमी उत्तर : – (3) व्याख्या – माना , वर्ग की भुजा = a आयत की लम्बाई व चौड़ाई = 1, b (जहाँ l = 81) 4 a = 144 ⇒ a = 36 ………….(i) a2 =l b b = (36 × 36)/81 = 16 ……….(ii) अत: l – b = 81 – 16 = 65 सेमी. (1) 3 (2) -3 (3) 2 (4) -2 उत्तर : – (2) व्याख्या – अतः HCF = 2 × 2 × 2 × 3 अब , 1032x -408y = 24 ⇒ 1032/24 x – 408/24 y = 1 ⇒ 43x -17y = 1 ⇒ x + y = 7 समी. (i) + 17 × (ii) करने पर , 60x = 1 + 119 = 120 ⇒ x = 2 व y = 5 ⇒ x – y = -3 (1) 15 (2) 20 (3) 25 (4) 30 उत्तर : – (2) व्याख्या – इस प्रश्न में सर्वप्रथम HCF निकालना पड़ेगा अतः HCF = 15 , जो कि एक कक्षा में अधिकतम बैठाए जा सकने वाले छात्र के बराबर है। अतः आवश्यक कमरों की न्यूनतम संख्या = 60/15 + 105/15 + 135/5 = 4 + 7 + 9 = 20 (1) 20° (2) 40° (3) 15° (4) 25° उत्तर : – (1) व्याख्या – 2y + 75° + 35° = 180° y = 35° …………….(i) x = y + 35° = 70° ……………(ii) ∠PAQ + ∠PQA + ∠x° = 180° ∠PAQ + 90° + 70° = 180° ∠PAQ = 20° (1) 70° (2) 110° (3) 140° (4) 80° उत्तर : – (2) व्याख्या – ∠B + ∠C = 180° – 40° = 140° ⇒ (∠B + ∠C)/2 = 70° ………….. (i) ∠BOC + [(∠B + ∠C)/2] = 180° ⇒ ∠BOC = 110° (1) x+y = a+b (2) x + y =a-b (3) x-y = a + b / 2 (4) x + y / 2 = a – b उत्तर : – (1) व्याख्या – a = x2 + y2 b = x1 + y1 a + b = (x1 +x2 ) + ( y1+ y2) ⇒ a + b = x + y (1) 10 (2) 30 (3) 50 (4)70 उत्तर : – (3) व्याख्या – माना कक्षा के बाकि सभी छात्रों के अंको का योग = x कुल छात्र संख्या = n अब , [(x + 108)/n]-[(x + 98)/n] = ⅕ ⇒ (x + 108 – x – 98)/n = ⅕ ⇒ 10/n = ⅕ ⇒ n = 50 [/tab] [tab title=”पर्यावरण अध्ययन”] खण्ड – IV (a) पर्यावरण अध्ययन इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है। जिन अभ्यर्थियों ने इस विषय का चयन किया है उन्हें सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) गोडावण (2) मोर (3) गिद्ध (4) सारस उत्तर : – (1) व्याख्या- गोडावण राजस्थान का राज्य पक्षी है। इसे 22 मई, 1981 को राज्य पक्षी घोषित किया गया। यह अत्यन्त शर्मीला पक्षी है। इसे ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड, चिड़िया तुकदार, नाहर गुजनी हुंकना, माल मोरडी व तिलोर आदि नामों से भी जाना जाता है। (1) बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी – नई दिल्ली (2) भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण – कोलकाता मम (3) भारतीय वन्यजीव संस्थान – कोयम्बटूर (4) राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान- जोधपुर उत्तर : – (2) व्याख्या-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में स्थित है, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून में स्थित है, प्राकृतिक इतिहास विषय पर जानकारी का आदान-प्रदान करने हेतु मुम्बई प्राकृतिक इतिहास सोसायटी (Bombay Natural History Society) की स्थापना सन् 1883 में की गयी। (1) जीवाश्म ईंधन (2) जल विद्युत (3) पवन ऊर्जा (4) सौर ऊर्जा उत्तर : – (1) व्याख्या- नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) – जब किसी ऊर्जा स्त्रोत का उपयोग पुन: या सतत् रूप से किया जा सकता हो तो ऐसे स्रोत से प्राप्त ऊर्जा को ‘नवीकरणीय ऊर्जा’ कहते हैं जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जल विद्युत, भूतापीय ऊर्जा आदि हैं। अनवीकरणीय ऊर्जा (Non renewable energy) – जब किसी ऊर्जा स्रोत का उपयोग दोबारा न किया जा सके तथा उसकी उपलब्धता सीमित हो तो ऐसे स्त्रोतो से प्राप्त ऊर्जा को अनवीकरणीय ऊर्जा कहते हैं। जैसे जीवाश्म ईंधन- कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि। (1) हीकल (2) हमबोल्ट (3) टेंसले (4) ओडम उत्तर : – (3) व्याख्या –सर आर्थर टेंसले (Sir Arthur Tansley) द्वारा सन् 1935 में ‘पारितंत्र’ शब्द दिया गया था। इसमें जैविक व अजैविक दोनों घटक पाये जाते हैं । सागर सबसे बड़ा पारितंत्र है। (1) बैंगलुरु (2) मैसूर (3) श्रीनगर (4) मासिनराम उत्तर : – (4) व्याख्या- मासिनराम भारत का सर्वाधिक वर्षा (11872 मिमी.) वाला स्थान है। यह मेघालय राज्य के पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है। (1) भूमि’ (2) वायु (3) पौधे (4) जल उत्तर : – (3) व्याख्या-जैविक घटक (Bioticcomponent)- वे घटक जो सजीव होते हैं। उदाहरण- पादप, जन्तु व सूक्ष्मजीवी आदि। अजैविक घटक (Abiotic component)- इनमें कार्बनिक, अकार्बनिक व जलवायवीय कारक जैसे- वायु, जल, मृदा व सूर्य का प्रकाश आदि हैं। (1) Cd प्रदूषण (2) SO2 प्रदूषण (3) Hg प्रदूषण (4) उक्त कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या-जल में मर्करी (Hg) धातु के प्रदूषण के कारण मिनामाटा रोग तथा कैडमियम (Cd) के प्रदूषण के कारण इटाई-इटाई वायसों रोग होता है। (1) फिल्म स्ट्रिप (2) चार्ट (3) चित्र विस्तारक यंत्र (एपीडायास्कोप) (4) स्लाइड उत्तर : – (2) व्याख्या-चार्ट दृश्य सामग्री है। चार्ट का उपयोग किसी चित्र या आँकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्षेपित सामग्री नहीं है। (1) वनोन्मूलन (2) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण (3) वृहद पौधारोपण (4) जलाशयों की सफाई उत्तर : – (1) व्याख्या-वनोन्मूलन का अर्थ है- वनों का विनाश। यह गतिविधि पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नहीं है। (1) भूमिका निर्वाह (2) व्याख्यान (3) वर्णन (4) विचार-गोष्ठी उत्तर : – (4) व्याख्या विचार गोष्ठी में परस्पर चर्चा द्वारा विचार किया जाता है। अतः यह सामूहिक चर्चा से संबंधित शिक्षण विधि है। (1) विद्यालय में उपस्थिति के समय बालक के प्रत्येक पहलू का मूल्यांकन करना। (2) विद्यालय में उपस्थिति के समय बालक की रुचि का मूल्यांकन करना। (3) विद्यालय में उपस्थिति के समय बालक के ज्ञान एवं बोध का मूल्यांकन करना। (4) विद्यालय में उपस्थिति के समय बालक के कौशलों का मूल्यांकन करना। उत्तर : – (1) व्याख्या-समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, मूल्यांकन का वह प्रकार है जो बालक के चहुंमुखी विकास तथा निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया से संबंध रखता है। इसमें शैक्षिक और सहशैक्षिक, आन्तरिक व बाह्य मूल्यांकन शामिल किये जाते हैं। यह विचार सर्वप्रथम 1967 में स्क्रीवेन ने पाठ्यक्रम मूल्यांकन हेतु प्रस्तुत किया जिसे 1971 में बैंजामिन सैमुअल ब्लूम ने *शिक्षण मूल्यांकन हेतु अपनाया। मूल्यांकन व मापन के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियों के निराकरण हेतु भारत में समग्र एवं सतत् मूल्यांकन को लागू किया गया। (1) इन्टरनेशनल एन्वायरनमेंटल एजूकेशन प्रोजेक्ट (2) इन्टरनेशनल एन्वायरनमेंटल एजूकेशन प्रोग्राम (3) इण्डियन एन्वायरनमेंटल एजूकेशन प्रोजेक्ट (4) इण्डियन एन्वायरनमेंटल एजूकेशन प्रोग्राम उत्तर : – (2) व्याख्या-आई.ई.ई.पी. का पूर्णरूप है- इन्टरनेशनल एन्वायरमेंटल एजूकेशन प्रोग्राम। (1) अवलोकन करना (2) चर्चा करना (3) प्रयोग करना (4) उपचारात्मक शिक्षण करना उत्तर : – (4) व्याख्या-उपचारात्मक शिक्षण केवल उपलब्धि परीक्षण के आधार पर कमजोर या पिछड़े बालकों के लिए आयोजित किया जाता है। (1) अच्छा शिक्षण क्रिया आधारित होता है। (2) अच्छा शिक्षण लोकतांत्रिक होता है। (3) अच्छा शिक्षण मूल्य आधारित नहीं होता है। (4) अच्छा शिक्षण सुव्यवस्थित निश्चित उद्देश्ययुक्त होता है। उत्तर : – (3) व्याख्या-अच्छा शिक्षण मूल्य आधारित होना चाहिए। (1) वन संरक्षण (2) राजनीतिक संरक्षण (3) जल संरक्षण (4) मृदा संरक्षण उत्तर : – (2) व्याख्या-राजनीतिक संरक्षण विषय पर्यावरण अध्ययन की विषयवस्त में सम्मिलित नहीं किया जाता। (1) पुनर्बलन का नियम (2) तत्परता का नियम (3) अभ्यास का नियम (4) प्रभाव का नियम उत्तर : – (1) व्याख्या-थॉर्नडाइक ने प्रयास व त्रुटि के नियम का प्रतिपादन किया था। इस सिद्धान्त में उसने सीखने के तीन मुख्य या प्राथमिक नियम बताए 1. तत्परता का नियम, 2. अभ्यास का नियम, 3. संतोष/प्रभाव का नियम। (1) 1938 (2) 1988 (3) 1986 (4) 2017 उत्तर : – (3) व्याख्या-भारत में 1979 में सरकार द्वारा बाल मजदूरी को खत्म करने के उपाय के रूप में गुरुपाद स्वामी समिति का गठन किया गया था। 1986 में इस समिति की सिफारिश के आधार पर बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसमें विशेष खतरनाक व्यवसाय व प्रक्रिया के बच्चों के रोजगार एवं अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्तों का निर्धारण किया गया। (1) 16 वर्ष एवं 18 वर्ष (2) 18 वर्ष एवं 21 वर्ष (3) 18 वर्ष एवं 18 वर्ष (4) 21 वर्ष एवं 21 वर्ष उत्तर : – (2) व्याख्या-वर्ष 1929 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम के माध्यम से महिलाओं और पुरुषों के विवाह की न्यूनतम आयु क्रमश: 14 और 18 निर्धारित कर दी गई। वर्ष 1949 में संशोधन के माध्यम से महिलाओं के लिये विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाकर 15 वर्ष कर दी की न्यूनतम आयु को क्रमश: 18 वर्ष और 21 वर्ष कर दिया गया। (1) उदयपुर (2) अजमेर (3) सीकर (4) भीलवाडा उत्तर : – (4) (1) फॉलिक अम्ल (2) कोकेन (3) एस्कॉर्बिक अम्ल (4) पैथिडीन उत्तर : – (4) व्याख्या-पैथिडीन या मेपरिडीन (Meperidine) का व्यापारिक नाम डेमरोल (Demrol) है तथा इसका प्रयोग गंभीर दर्द में किया जाता है। इसके शरीर पर प्रभाव अफीम या मॉर्फिन के समान होते हैं। (1) आंध्रप्रदेश (2) असम (3) केरल (4) तमिलनाडु उत्तर : – (3) व्याख्या केरल राज्य को 1 नवम्बर, 2016 को स्वच्छ भारत मिशन के तहत् खुले में शौच मुक्त (ODF) राज्य घोषित किया गया। ऐसा घोषित होने वाला यह सिक्किम एवं हिमाचल प्रदेश के बाद तीसरा राज्य था। ज्ञातव्य है कि 2 अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने संपूर्ण भारत को ODF घोषित कर दिया। (1) 10 (2) 25 (3) 35 (4) 0 उत्तर : – (1) व्याख्या-राजस्थान के राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या 10 है। इनका चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। (1) मेल्विन कैल्विन (2) वालेस कैरोथर्स (3) रॉबिन हिल (4) पीटर मिशेल उत्तर : – (2) व्याख्या-नायलॉन (Nylon) एक ऐमाइड बहुलक है तथा इसका प्रयोग वस्त्र, गीयर व बियरिंग बनाने में किया जाता है। यह एक प्लास्टिक व कृत्रिम रेशा दोनों हैं। (1) बेणेश्वर मेला (2) पुष्कर मेला (3) खेजड़ली मेला (4) माघ मेला उत्तर : – (4) व्याख्या-राजस्थान में बेणेश्वर मेला डूंगरपुर जिले में, पुष्कर मेला अजमेर जिले में तथा खेजड़ली मेला जोधपुर जिले में लगता है। माघ मेले का संबंध प्रयाग स्नान से हैं, जो उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में लगता है। (1) 1920 (2) 1856 (3) 1853 (4) 1959 उत्तर : – (3) व्याख्या-यह रेलगाड़ी गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के काल में बोरीबंदर (बॉम्बे) से थाणे तक 16 अप्रैल, 1853 को चलाई गई। (1) मधुमक्खी पालन (2) मछली पालन (3) मुर्गी पालन (4) उक्त कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-पिसीकल्चर (Pisciculture) या एक्वाकल्चर (Aquaculture) मछली पालन को कहते हैं। मधुमक्खी पालन- एपीकल्चर (Apiculture) मुर्गी पालन-पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) (1) ताँबा (2) रॉक फास्फेट (3) जिंक (4) यूरेनियम उत्तर : – (2) व्याख्या राज्य में सर्वाधिक रॉक फॉस्फेट उदयपुर की झामरकोटड़ा खान से निकलता है। इस खान की खोज 1968 में हुई थी। (1) मधुमेह (2) हृदयाघात (3) उच्च रक्तचाप (4) डिप्थीरिया उत्तर : – (4) व्याख्या-डिप्थीरिया नाक व गले से संबंधित एक गंभीर संक्रमण है जो कि कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरीआइ (Corynebacterium diptheriae) के कारण होता है । संक्रामक बीमारियाँ रोगाणुओं से होती हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्पर्क से फैलती हैं। संक्रामक रोग के कारणों में बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और सूक्ष्म (जैसे- मलेरिया या फाइलेरिया रोग के परजीवी) परजीवी शामिल होते हैं। (1) विडाल (2) एमपी. (3) इएसआर (4) एलिसा उत्तर : – (*) व्याख्या – एलिसा टेस्ट (Elisa test)- यह मुख्यत: एन्टीबॉडी परीक्षण है जिसका प्रयोग HIV, एनीमिया, सिफलिस, जीका वायरस, कोरोना वायरस आदि की जाँच हेतु किया जाता है। विडाल टेस्ट (Widal test)- टायफाइड की जाँच हेतु। एमपी टेस्ट (MP)- मलेरिया की जाँच हेतु। ईएसआर टेस्ट (ESRtest)-RBC की जाँच से संबंधित। (1) 1985 (2) 2005 (3) 1995 (4) 1990 उत्तर : – (3) [/tab] [/tabs] REET 2015 Level-I Previous Year Paper खण्ड – I बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र इस खण्ड के कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) 3 अथवा 4 वर्ष (2) 6 अथवा 7 वर्ष (3) 8 अथवा 9 वर्ष (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या-8-9 वर्ष की अवस्था उत्तर बाल्यावस्था के अंतर्गत आती है। उत्तर बाल्यावस्था में बालक की दृष्टि एवं श्रवण इन्द्रियाँ पूर्णत: विकसित हो जाती हैं। पूर्णतः विकसित होने से तात्पर्य है कि बालक ध्यानपूर्वक देखकर एवं सुनकर अर्थ ग्रहण करने लगता है। (1) शैशव (2) उत्तर बाल्यकाल (3) किशोरावस्था (4) प्रौढ़ावस्था उत्तर : – (2) व्याख्या-6-12 वर्ष की अवस्था उत्तर बाल्यावस्था कहलाती है। रॉस के अनुसार, “बाल्यावस्था मिथ्या परिपक्वता का काल है।” इस अवस्था की प्रमुख विशेषताएँ हैं- रुचियों में परिवर्तन, निरुद्देश्य भ्रमण की प्रवृत्ति, संग्रह एवं खोज की प्रवृत्ति, सामाजिक गुणों का विकास, रचनात्मक कार्यों में आनंद, टोली बनाना। (1) समानता का सिद्धान्त (2) अनुरूप तत्त्वों का सिद्धान्त (3) औपचारिक नियमों का सिद्धान्त (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-थॉर्नडाईक के अधिगम अन्तरण के सिद्धांत के अनुसार एक स्थिति में प्राप्त ज्ञान उसी के समान दूसरी स्थिति आने पर उसमें सहायक होता है। जैसे- संस्कृत का ज्ञान हिन्दी के अध्ययन में सहायक होता है। (1) समानता (2) भिन्नता (3) प्रत्यागमन (4) अभिप्रेरणा उत्तर : – (4) व्याख्या-अभिप्रेरणा वंशानुक्रम का सिद्धांत नहीं है। अभिप्रेरणा किसी कार्य को करने या सीखने के लिए प्रेरित करने वाली स्थिति है। समानता का नियम- मनुष्यों की संतान मनुष्य यानी जैसे माता-पिता वैसी ही संतान होती है। विभिन्नता का नियम- बच्चे अपने माता-पिता से कई बातों में अलग होते हैं। प्रत्यागमन का नियम- बच्चे अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को न अपनाकर सामान्य गुणों को अधिक अपनाते हैं। जैसे- बुद्धिमान माता पिता की संतान अल्पबुद्धि होना। (1) ज्ञानात्मक (2) भावात्मक (3) क्रियात्मक (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (1) व्याख्या-चिंतन समस्या समाधान संबंधी मानसिक व्यवहार है। इसमें आरम्भ से अंत तक कोई न कोई समस्या विद्यमान रहती है। चिंतन एक संज्ञानात्मक क्रिया है। रॉस के अनुसार, “चिंतन मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पक्ष है।” (1) पारम्परिक अनुकूलन (2) मनोविज्ञान (3) वातावरण (4) मनोदैहिक उत्तर : – (1) व्याख्या-संकेत अधिगम रॉबर्ट गैने द्वारा बताये गये अधिगम के आठ प्रकारों में से एक है। संकेत अधिगम में संकेत मिलने मात्र से ही अधिगम होता है। इसमें पहले संकेत (उद्दीपक) दिया जाता है और फिर अनुक्रिया होती है। थोड़े समय बाद प्राणी को समझ आ जाता है कि उद्दीपक मिलने पर क्या प्रतिक्रिया/अनुक्रिया करनी है। जैसे- किसी बच्चे को घंटी बजते ही भोजन मिलना। कुछ समय बाद बालक को पता चल जाता है कि घंटी बजते ही भोजन मिलेगा तो वह कुछ समय बाद केवल घण्टी बजते ही खाना खाने के लिए तत्पर हो जाता है। (1) भूख (2) पुरस्कार (3) रुचि (4) विश्राम उत्तर : – (2,3) व्याख्या-पुरस्कार एवं रुचि दोनों ही अर्जित प्रेरक हैं। मैसलो के अनुसार अभिप्रेरक दो प्रकार के होते हैं 1. जन्मजात अभिप्रेरक- भूख, प्यास, नींद, विश्राम, शीत, ताप आदि। 2. अर्जित अभिप्रेरक- सम्मान, रुचि, आत्म प्रतिष्ठा, पुरस्कार, जीवन लक्ष्य। (1) ज्ञानात्मक जागृति द्वारा (2) भावात्मक जागृति द्वारा (3) दोनों (A) और (B) (4) उपर्युक्त कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-जैम्स ड्रैवर के अनुसार, “अभिप्रेरणा एक भावात्मक-क्रियात्मक कारक है जो कि चेतन एवं अचेतन लक्ष्य की ओर होने वाले व्यक्ति के व्यवहार की दिशा को निश्चित करने का कार्य करता है।” अभिप्रेरणा एक आंतरिक शक्ति है, अत: अभिप्रेरणा भावनात्मक जागृति द्वारा वर्णित होती है। (1) बिने ने (2) रीड ने (3) टरमन ने (4) कैटेल ने उत्तर : – (3) व्याख्या-बुद्धिलब्धि शब्द का प्रथम प्रयोग 1912 में जर्मन विचारक स्टर्न ने किया। इसे सम्प्रत्यय के रूप में स्थापित करने का श्रेय टरमन को है जिसने सन् 1916 में बुद्धिलब्धि सूत्र दिया। (1) गहन दृष्टिकोण (2) सतही दृष्टिकोण (3) मानकीय दृष्टिकोण (4) प्रेक्षणात्मक दृष्टिकोण उत्तर : – (2) व्याख्या-बाह्य आभास के आधार पर व्यक्तित्व का वर्णन सतही दृष्टिकोण कहा जाएगा, क्योंकि व्यक्तित्व मनुष्य के बाहरी एवं आंतरिक दोनों प्रकार के गुणों का योग होता है। (1) बुद्धि स्तर में (2) अभिवृत्ति में (3) गतिवाही योग्यता में (4) उपर्युक्त सभी में उत्तर : – (4) व्याख्या-प्रत्येक व्यक्ति मानसिक, सांस्कृतिक, जैविक एवं संवेगात्मक रूप से एक-दूसरे से अलग होते हैं। इसे ही व्यक्तिगत भेद (व्यक्तिगत भिन्नता) कहा जाता है। व्यक्तिगत भेद शारीरिक, संवेगात्मक, बुद्धि, उपलब्धि, अभिवृत्ति, रुचि, गतिवाही योग्यता, आयु आदि के स्तर पर पाये जाते हैं। (1) पूर्वानुभव (2) भाषा (3) तर्क (4) समस्या उत्तर : – (4) व्याख्या-मानव की किसी समस्या विशेष के संबंध में सोचना-विचारना चिंतन कहलाता है। रायबर्न ने लिखा है कि-“चिंतन इच्छा संबंधी प्रक्रिया है जो किसी असंतोष के कारण आरम्भ होती है।” (1) अलफ्रेड बिने ने. (2) स्पीयरमैन ने (3) गिलफोर्ड ने (4) थर्स्टन ने. उत्तर : – (2) व्याख्या-सामान्य तथा विशिष्ट कारक सिद्धांत को द्विकारक सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन स्पीयरमैन ने 1904 में किया। उनके अनुसार बुद्धि की संरचना में मूल रूप से दो कारक निहित होते हैं- सामान्य कारक तथा विशिष्ट कारक। स्पीयरमैन ने सामान्य कारक को मानसिक ऊर्जा नाम दिया (1) सम्बन्धन (2) जिज्ञासा (3) उपलब्धि (4) आक्रामकता उत्तर : – (3) व्याख्या-मैक्कीलैण्ड ऐटकिन्सन ने उपलब्धि अभिप्रेरणा का विचार प्रस्तुत किया। उच्च उपलब्धि अभिप्रेरणा वाले व्यक्ति उच्च कठिनाई के कार्य चुनते हैं। प्रगतिशील परिवारों में बच्चे अपेक्षाकृत उच्च उपलब्धि अभिप्रेरणा का मार्ग चुनते हैं। (1) सामान्य बुद्धि का अभाव (2) शारीरिक दोष (3) विशिष्ट पिछड़ापन (4) स्वस्थ वातावरण उत्तर : – (4) व्याख्या-स्वस्थ वातावरण पिछड़ेपन का कारण नहीं है। सिरिल बर्ट ने कहा है कि- “पिछड़ा बालक वह है जो अपने विद्यालय जीवन के मध्य में अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा के उस कार्य को न कर सके जो उसकी आयु के बालकों के लिये सामान्य कार्य है।” (1) मन्न ने (2) शैल्डन ने (3) हिप्पोक्रेट्स ने (4) कैटेल ने उत्तर : – (3) व्याख्या-व्यक्तित्व का पहला प्रकारात्मक वर्गीकरण ग्रीक चिकित्साशास्त्री हिप्पोक्रेट्स (400 ई.पू.) ने अपनी पुस्तक ‘नेचर ऑफ मेन’ में किया। उसने चार प्रकार के व्यक्तित्व बतलाए 1. कफ प्रकृति वाले- आलसी, तामसी, निष्क्रिय व शांत। 2. काले पित्त वाले- विषादी, चिंताग्रस्त व निराशावादी। 3. पीले पित्त वाले- क्रोधी, दोपशील व चिड़चिड़े। 4. अधिक रुधिर वाले- उत्साही व खुशमिजाज। (1) समस्या समाधान विधि (2) रक्षात्मक यांत्रिकता (3) व्यक्तिगत विधि (4) उक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-जब व्यक्ति समय की माँग के अनुसार कार्य नहीं कर पाता है तो वह तनाव (Tension) का शिकार हो जाता है। तनाव एवं अन्य मानसिक रोगों से बचने के लिए जो उपाय अपनाये जाते हैं, उन्हें रक्षात्मक युक्तियाँ कहते हैं। (1) तनाव (2) पिछड़ापन (3) डिसलेक्सिया (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या-डिसलेक्सिया एक प्रकार का रीडिंग डिसऑर्डर है। इसमें बालक को वर्णमाला सीखने में, शब्दों व नामों को याद रखने में, पहले/बाद में, दाएँ/बाएँ आदि का भेद समझने में कठिनाई आती है। हकलाना, भाषण में संकोच होना आदि भी डिसलेक्सिया के लक्षण हैं। (1) पिछड़े हुए (2) प्रतिभाशाली (3) मानसिक रूप से पिछड़े (4) उक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-स्किनर एवं हैरीमैन ने प्रतिभाशाली बालकों में निम्न विशेषताएँ बताई हैं विशाल शब्दकोश, मानसिक प्रक्रिया की तीव्रता, दैनिक कार्यों में विभिन्नता, श्रेष्ठ सामान्य ज्ञान, सामान्य अध्ययन में रुचि, उच्च शैक्षिक उपलब्धि, अमूर्त विषयों में रुचि, तीव्र अन्तर्दृष्टि, मंद बुद्धि व सामान्य बालकों से अरुचि, पाठ्यविषयों में अत्यधिक रुचि या अरुचि, उच्च बुद्धिलब्धि। (1) 70 से कम (2) 70 से ऊपर (3) 80-100 के बीच (4) उक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (1) व्याख्या-अमेरिकन एसोसिएशन ऑन मैन्टल डैफिसियेन्सी के अनुसार मानसिक पिछड़ेपन में सामान्य बौद्धिक कार्य सामान्य से कम स्तर के होते हैं। टरमन ने बुद्धिलब्धि 70 से कम के बालकों को मंदबुद्धि बालक कहा। स्किनर ने मानसिक मंदता के लिये मंदबुद्धि, अल्पबुद्धि, विकल बुद्धि, धीमी गति से सीखने वाले तथा मूढ़ शब्द का प्रयोग किया है। (1) आश्रित चर (2) स्वतंत्र चर (3) मध्यस्थ चर (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (1) व्याख्या-शिक्षण के मुख्य रूप से तीन चर हैं 1. स्वतंत्र चर- शिक्षक। 2. आश्रित चर- विद्यार्थी। 3. मध्यस्थ चर- पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री। (1) मानक (2) निर्माणात्मक (3) योगात्मक (4) सी.सी.ई. उत्तर : – (1) व्याख्या-मूल्यांकन एक सतत एवं व्यापक प्रक्रिया है जिसमें छात्रों की सफलताओं का सही अनुमान लगाने का प्रयास किया जाता है। मूल्यांकन में अर्जित ज्ञान एवं संशोधित व्यवहार दोनों की परख की जाती है। निर्माणात्मक, योगात्मक एवं सी.सी.ई. (सतत एवं व्यापक मूल्यांकन) तीनों ही मूल्यांकन के प्रकार हैं। (1) सीखने के लिए प्रेरणा का अभाव (2) सृजनशीलता को पोषित होने के अवसर नहीं मिलना (3) विद्यालय में पक्षतापूर्ण वातावरण का सामना करना (4) रहने के लिए स्वस्थ परिवेश उत्तर : – (4) व्याख्या – सामाजिक रूप से वंचित बालकों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं। ऐसे बालकों को सामाजिक, मानसिक, संवेगात्मक प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ जाता है। (1) उपभोक्ता ही अनुसंधानकर्ता है। (2) समस्याओं का हल शीघ्रता से प्राप्त हो जाता है। (3) समस्याओं का हल अभ्यास में ले आया जाता है और उसका मूल्यांकन नहीं किया जाता है। (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं। उत्तर : – (3) व्याख्या-क्रियात्मक अनुसंधान के जनक स्टीफन एम. कोरे हैं। क्रियात्मक अनुसंधान विद्यालय से संबंधित व्यक्तियों (शिक्षक, प्रशासक, प्रधानाचार्य) द्वारा विद्यालय से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है। क्रियात्मक अनुसंधान में समस्या का मूल्यांकन भी किया जाता है। (1) 40 घंटे (2) 42 घंटे (3) 45 घंटे (4) 48 घंटे उत्तर : – (3) व्याख्या-शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act., 2009) में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। RTE के तहत शिक्षक के लिए एक सप्ताह में कार्य के न्यूनतम 45 घण्टे होंगे। इस एक्ट के तहत प्राथमिक स्तर पर न्यूनतम कार्य दिवस 200 दिन एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर न्यूनतम कार्य दिवस 220 दिन होंगे। (1) करके सीखने पर (2) रटने पर (3) समस्या हल करने पर (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (1) व्याख्या-राष्ट्रीय पाठ्यचर्या-2005 बालकेन्द्रित शिक्षा का दस्तावेज है। इसमें करके सीखने पर बल दिया गया है। (1) शैक्षिक उद्देश्य (2) मूल्यांकन (3) शिक्षण अनुभव (4) अधिगम अनुभव उत्तर : – (3) व्याख्या-ब्लूम के मूल्यांकन त्रिकोण में शैक्षिक उद्देश्य, मूल्यांकन व अधिगम अनुभव को शामिल किया गया है। (1) स्नायुमण्डल (2) मांसपेशियों की वृद्धि (3) एंडोक्राइन ग्लैण्ड्स (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या-शारीरिक विकास से तात्पर्य बालक की शारीरिक संरचना एवं उसमें होने वाले परिवर्तन से है। शारीरिक विकास के अंतर्गत बालक के शरीर के भार, लम्बाई, हड्डियों आदि का विकास एवं मजबूत होना शामिल है। (1) वुडवर्थ (2) रॉस (3) एनास्टसी (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-यह कथन रॉस का है। जिस्बर्ट ने कहा- “वह हर वस्तु जो किसी वस्तु को घेरे हुए है वातावरण है।” एनास्टसी ने कहा कि, “वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के पित्र्यैक के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है।” वुडवर्थ का मानना है कि “सभी बाहरी तत्व जो जीवन को आरम्भ से प्रभावित करते हैं वातावरण है।” (1)7 वर्ष (2) 11 वर्ष (3) 9 वर्ष (4) 6 वर्ष उत्तर : – (2) व्याख्या-बालक की आयु व मानसिक विकास के कुछ तथ्य इस प्रकार हैं- 8 वर्ष-कहानी याद करना, १ वर्ष-समय तारीख व वर्ष का ज्ञान, 10 वर्ष-कहानियाँ सुनाने की क्षमता, 11 वर्ष-तर्क, जिज्ञासा व निरीक्षण शक्ति तथा 12 वर्ष-समस्या समाधान शक्ति। खण्ड – II भाषा – I : हिन्दी इस खण्ड के कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न करना अनिवार्य है (1) सरल वाक्य (2) मिश्र वाक्य (3) आज्ञार्थक वाक्य (4) संयुक्त वाक्य उत्तर : – (3) व्याख्या-संरचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-सरल वाक्य, मिश्र वाक्य, संयुक्त वाक्य। अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं-विधानार्थक, निषेधवाचक, प्रश्नवाचक, आज्ञार्थक, संदेहार्थक, इच्छार्थक, संकेतवाचक, विस्मयादिबोधक वाक्य। (1) गरीबी में जीना।। (2) गरीबी में भी तंदुल का शौक रखना। (3) सामान्य किन्तु प्रेमपूर्वक भेंट। (4) बढ़-चढ़ कर बातें करना। उत्तर : – (3) व्याख्या-‘सुदामा’ के तंदुल लोकोक्ति का अर्थ है-‘सामान्य किन्तु प्रेमपूर्वक भेंट।’ लोक में प्रचलित उक्ति या कथन को लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति अपने आप में पूर्ण वाक्य होती है तथा बिना किसी दूसरे वाक्य की मदद के पूर्ण अर्थ प्रकट करती है। (1) लोग मजदूरी की परवाह करते हैं, काम ही नहीं। (2) पूरी मजदूरी देने पर अच्छा काम होता है। (3) साधारण काम के अधिक पैसे माँगना। (4) बिना काम के दौलत चाहना। उत्तर : – (2) व्याख्या-‘खरी मजूरी चोखा काम’ लोकोक्ति का अर्थ है-‘पूरी मजदूरी देने पर अच्छा काम होता है।’ लोक में प्रचलित उक्ति या कथन को लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति अपने आप में पूर्ण वाक्य होती है तथा बिना किसी दूसरे वाक्य की मदद के पूर्ण अर्थ प्रकट करती है। (1) अनुकरण विधि (2) आगमन-निगमन विधिः (3) भाषा प्रयोगशाला (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- हिन्दी भाषा शिक्षण की अनेक विधियाँ हैं। प्रत्यक्ष विधि, साहचर्य विधि, भाषा संसर्ग विधि, प्रदर्शन विधि, आगमन विधि, निगमन विधि, रसास्वादन विधि, अक्षर बोध विधि, अनुकरण विधि, भाषा प्रयोगशाला विधि, व्याख्यान विधि, संवाद विधि, प्रश्नोत्तर विधि, व्यास विधि आदि तमाम भाषा शिक्षण की विधियाँ हैं। (1) छात्र को घर पर व्यस्त रखना। (2) पढ़ाये गये पाठ को दोहराने के लिए अवसर देना।। (3) सुलेख की योग्यता का विकास करना। (4) सम्बन्धित पाठ में रुचि उत्पन्न करना। उत्तर : – (2) व्याख्या- कक्षा कार्य की पूर्णता व दोहराव के लिए गृहकार्य आवश्यक है। इस प्रकार के प्रश्नों में सभी विकल्प सही होते हैं, किन्तु हमें प्राथमिकता के आधार उत्तर का चयन करना होता है। इस प्रश्न में चारों ही विकल्प सही उत्तर हैं, किंतु गृहकार्य का सर्वप्रमुख उद्देश्य पढ़ाये गए पाठ को दोहराने के अवसर देना है। (1) पाठ संसर्ग उपागम (2) रचना शिक्षण उपागम (3) उक्त (A) एवं (B) दोनों (4) उक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या-पाठ संसर्ग उपागम- पाठ संसर्ग उपागम में पाठ्यपुस्तक के पाठों को पढ़ाने के दौरान ही भाषिक तत्वों का ज्ञान करवाया जाता है। रचना शिक्षण उपागम- रचना के दो रूप हैं- मौखिक एवं लिखित । मौखिक रचना में उच्चारण शिक्षण पर बल दिया जाता है एवं लिखित रचना में वर्तनी शिक्षण पर अधिक बल दिया जाता है। (1) शब्दकोश का उपयोग (2) छात्रों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति को बढ़ाना (3) शिक्षक द्वारा अच्छे व नये शब्दों का प्रयोग (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- कक्षा शिक्षण से लेकर स्वाध्याय तक कई प्रकार से छात्रों को शब्द भण्डार में वृद्धि का अवसर दिया जा सकता है। (1) पाँच (2) दो (3) सात (4) तीन उत्तर : – (2) व्याख्या- आगमन विधि के दो रूप हैं- प्रयोग विधि, सहयोग विधि। (1) कक्षा के अंदर (2) कक्षा के बाहर (3) दोनों में ही (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या- सुनना, बोलना, पढ़ना व लिखना शिक्षण कौशल हैं। इनका प्रयोग कक्षा के अन्दर व बाहर दोनों जगह किया जाता है। (1) पत्र लेखन (2) निबन्ध लेखन (3) वाद-विवाद (4) नाट्य लेखन उत्तर : – (3) व्याख्या- वाद-विवाद मौखिक अभिव्यक्ति का साधन है। वाद-विवाद या वहस किसी विषय पर चर्चा करने की एक औपचारिक विधि है। (1) अक्षर सिखाना (2) बारहखड़ी सिखाना (3) लेखन सम्बन्धी जिज्ञासा उत्पन्न करना (4) उनको क्रियाशील बनाना उत्तर : – (3) व्याख्या- किसी भी कार्य को सिखाने से पहले उसके प्रति जिज्ञासा यानी जानने की इच्छा जाग्रत करना आवश्यक है। (1) समाचार-पत्र (2) पत्रिकाएँ (3) पाठ्यपुस्तक (4) विद्यालय पत्रिकाएँ उत्तर : – (3) व्याख्या- पाठ्यपुस्तक मीडिया नहीं है, क्योंकि मीडिया जनसंचार का माध्यम होता है, जबकि पाठ्यपुस्तक शिक्षा का माध्यम है। (1) टीवी चैनल (2) उपग्रह अनुदेशात्मक दूरदर्शन प्रयोग (3) (1) व (2) दोनों (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या – साइट का मतलब है- SITE अर्थात् Satellite Instructional Television Experiment. यह कार्यक्रम इसरो व नासा के संयुक्त तत्त्वावधान में भारत में 1975 में लॉन्च किया गया। इसके माध्यम से भारत में सूचनात्मक दूरदर्शन प्रसारण उपलब्ध करवाया गया। (1) रटाई से मुक्ति (2) पाठ्यक्रम व्याप्ति (3) निष्पक्ष मूल्यांकन (4) विद्यार्थियों का हित उत्तर : – (3) व्याख्या- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का निर्माण सर्वप्रथम सन् 1845 ई. में होरासमैन ने किया। जे.एम. राईस ने इन परीक्षणों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को न्यू टाइप प्रश्न कहा जाता है। ये अधिक विश्वसनीय व वैध होते हैं तथा निष्पक्ष मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की प्रमुख विशेषता है। (1) वस्तुनिष्ठ (2) अतिलघूत्तरात्मक (3) निबन्धात्मक (4) लघूत्तरात्मक उत्तर : – (3) व्याख्या- निबन्धात्मक परीक्षाओं को परम्परागत परीक्षा कहा जाता है। इसमें किसी विषय या प्रकरण पर परीक्षार्थी को विस्तृत रूप से विचार लिखने का अवसर दिया जाता है। (1) मॉरीसन (2) हरबर्ट (3) ब्लूम (4) क्रेथवाल उत्तर : – (3) व्याख्या- बैंजामिन सैमुअल ब्लूम अमेरिकी शिक्षाविद् थे। उन्होंने 1956 में शिक्षा के अन्तर्गत सीखने के उद्देश्यों का जो वर्गीकरण किया, उसे ब्लूम टैक्सोनॉमी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने मूल्यांकन प्रक्रिया को. त्रिमुखी बताया। जिसमें उद्देश्य, अधिगम अनुभव व मूल्यांकन के उपकरण शामिल हैं। (1) अध्यापकों की कमियों का उपचार करते हैं। (2) छात्रों के घायल होने पर उपचार करते हैं। (3) छात्रों की कमजोरियों का निदान कर उन्हें दूर करने हेतु शिक्षण करते हैं। (4) कुछ कह नहीं सकते। उत्तर : – (3) व्याख्या- उपचारात्मक शिक्षण में छात्रों की कमजोरियों का निदान कर उन्हें दूर करने हेतु शिक्षण करते हैं। डेविस ने उपचारातमक कार्यक्रम सम्पन्न करने के लिए 4 चरणों का सुझाव दिया- 1. योजना बनाना 2. संगठन 3. क्रियान्वयन 4. मूल्यांकन। (1) प्रारंभिक (2) माध्यमिक (3) उच्च माध्यमिक (4) उच्च कक्षाओं में उत्तर : – (1) व्याख्या- उच्चारण सुधारने का कार्य प्रारम्भिक कक्षाओं में करना चाहिए, क्योंकि उच्चारण संबंधी अशुद्धियों को उच्च कक्षाओं में नहीं सुधारा जा सकता। निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 49 से 53 तक के उत्तर दीजिए – भारत अब प्रौढ़ावस्था में आ पहुँचा है। भीषण घात-प्रतिघात से साक्षात्कार करते हुए भी उसने बहुमुखी विकास किया है, इसमें संदेह नहीं। लेकिन उसका एक प्रकोष्ठ अंधकार में अभी भी डूबा हुआ है-हृदय, जो कि मानवीय क्रिया व्यापार का नियन्ता है। इस समय वह स्वार्थपरता और भोगवाद के ऐसे रोग से ग्रसित हो गया है जिसके कारण मानवीय आचरण भी बनैला हो गया है। क्षेत्रवाद, जातिवाद, भाषावाद, सम्प्रदायवाद प्रभृति विभीषिकाएँ जो आजादी के साथ उपहार में मिली थीं, आए दिन कहीं-न-कहीं अपनी लोमहर्षक लीला सम्पन्न करती रहती हैं। परिणामस्वरूप शिथिल पड़ते अनुशासन के बंधन, विखण्डित होती श्रद्धा और कलंकित होता विश्वास; मानवता के लिए काँटों की सेज बन प्रस्तुत हो रहे हैं। फिर भी 21वीं सदी में प्रवेश की अधीरता हमें सर्वाधिक रही है। कतिपय लोल कपोलों की कृत्रिम रंगीनियाँ समूचे देशवासियों का पर्याय मान लेना उचित नहीं। अत: कल्पना के भव्य महलों के ध्वंसावशेषों पर यथार्थ की झोंपड़ियों का निर्माण ही उचित होगा। (1), रंगीनियाँ (2) ध्वंसावशेषों (3) अधीरता (4) संप्रदायवाद उत्तर : – (2) व्याख्या-‘ध्वंसावशेषों’ शब्द में संधि तथा प्रत्यय दोनों ही प्रयुक्त हुए हैं। संधि – ध्वंसावशेषों = ध्वंस + अवशेषों इसमें दीर्घ स्वर संधि है। यहाँ अ + अ के योग से ‘आ” स्वर बना है। प्रत्यय – इसमें ‘ध्वंसावशेष’ मूल शब्द एवं ‘ओं’ प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है। (1) घात-प्रतिघात (2) भारतवासियों (3) कर्मयोगी (4) आत्मनिर्भरता उत्तर : – (1) व्याख्या-इसमें विकल्प (1) सही है। घात-प्रतिघात में समास एवं उपसर्ग दोनों प्रयुक्त हुए हैं। समास = घात-प्रतिघात = घात और प्रतिघात (द्वन्द्व समास) उपसर्ग = ‘प्रतिघात’ शब्द में ‘प्रति’ उपसर्ग एवं ‘घात’ मल शब्द है। (1) मानवीय (2) मानवता (3) अधीर (4) विखण्डित उत्तर : – (4) व्याख्या-विखण्डित शब्द तत्सम शब्द है। विखण्डित में उपसर्ग एवं प्रत्यय दोनों प्रयुक्त हुए हैं। ‘विखण्डित’ शब्द में ‘वि’ उपसर्ग, ‘खण्ड’ मूल शब्द एवं ‘इत’ प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है। (1) लोमहर्षक (2) आत्मनिर्भरता (3) देशवासियों (4) सर्वाधिक उत्तर : – (1) व्याख्या – लोमहर्षक लोम को हर्पित कर देने वाला। तत्पुरुष समास में द्वितीय पद की प्रधानता रहती है एवं कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। ‘लोमहर्षक’ में ‘को’ कारक चिह्न का लोप हुआ है। अत: इसमें कर्म तत्पुरुष समास है। (1) स्वतंत्रता (2) श्रद्धा (3) झोंपड़ियों (4) आजादी उत्तर : – (1, 2) व्याख्या-तत्सम शब्द संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में ग्रहण किए गए हैं, जबकि तदभव शब्द संस्कृत से परिवर्तित होकर हिन्दी में आए हैं। ‘स्वतंत्रता’ एवं ‘श्रद्धा’ तत्सम शब्द हैं। निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्न सं. 54 से 58 तक के उत्तर दीजिए कुसुम शाम को मंदिर में दर्शन करते हुए घर गई। वह देर तक गीत गाती रही। उसे समय का पता ही न था। आधी रात बीत गई। उसने सितार बजाया। फिर भी उसका मन न लगा। उसने टहलना शुरू किया. रात किसी तरह कटी। सुबह उसकी आँखें नींद से बोझिल हो रही थीं। वह देर तक सोती रही। माँ ने आकर जगाया और कलेवा करने के लिए कहा। जैसे-तैसे वह उठी, नहाई और साइकिल से कॉलेज के लिए चली। कॉलेज में उसकी सखी ने घी के पराँठे खिलाये। कुसुम के संगीत प्रेम की कॉलेज में छात्र ही नहीं, परिवार में मामा, चाचा, नाना और भाई-बहन भी प्रशंसा करते हैं। (1) शाम (2) रात (3) कलेवा (4) आँखें उत्तर : – (3) व्याख्या-जब प्राणीवाचक संज्ञा पुरुष जाति का बोध कराए तो उसे पुल्लिंग कहते हैं और जब स्त्री जाति का बोध कराए तो उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। ‘कलेवा’ शब्द नित्य पुल्लिंग शब्द है। जो शब्द केवल पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त होते हैं, उन्हें नित्य पुल्लिंग कहते हैं। शाम, रात, आँखें नित्य स्त्रीलिंग शब्द हैं (1) सामान्य भूत (2) आसन्न भूत (3) पूर्ण भूत (4) संदिग्ध भूत उत्तर : – (1) व्याख्या-क्रिया के जिस रूप से भूतकाल में क्रिया के सामान्य रूप से समाप्त हो जाने का संकेत मिलता है, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। सामान्य भूतकाल के वाक्यों के अंत में सामान्यत: आ, इ, ए आदि शब्द आते हैं (1) घी (2) गीत (3) घर (4) सखी उत्तर : – (1) व्याख्या-कारक चिह्न के प्रयोग के बावजूद ‘घी’ शब्द का बहुवचन नहीं बनता तथा यह सदैव एकवचन ही रहता है। तरल पदार्थ घी, दूध, शराब आदि सदैव एकवचन ही रहते हैं। अन्य सभी विकल्पों में भी एकवचन शब्द-गीत, घर, सखी हैं, किन्तु इनका बहुवचन-गीतों, घरों, सखियों/सखियाँ बनता है। (1) चाचा (2) छात्र (3) साइकिल (4) मामा उत्तर : – (3) व्याख्या-‘साइकिल’ शब्द का लिंग कभी भी परिवर्तित नहीं होता।चाचा, छात्र, मामा पुल्लिंग शब्द हैं इनके स्त्रीलिंग रूप इस प्रकार हैं चाची, छात्रा, मामी। (1) दर्शन (2) मन (3) पराठा (4) सितार उत्तर : – (1) व्याख्या – ‘दर्शन’ शब्द सदैव बहुवचन रहता है। इसका एकवचन नहीं होता है। ‘मन’ शब्द सदैव एकवचन रहता है। ‘पराँठा’ शब्द का बहुवचन पराँठे/पराँठों होता है। ‘सितार’ का बहुवचन सितारों या सितारे होगा। (1) संकेत वाचक (2) विधान वाचक (3) इच्छा वाचक (4) विस्मय वाचक उत्तर : – (3) व्याख्या-ऐसे वाक्य जिनसे हमें वक्ता की कोई इच्छा, कामना, आकांक्षा, आशीर्वाद या शुभकामना आदि का बोध हो, वह वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाता है। इस वाक्य में वक्ता द्वारा शुभकामना दी जा रही है। (1) छोटा भाई (2) धार्मिक पुस्तकं अधिक (3) मेरा भाई प्रशांत (4) पढ़ता है उत्तर : – (2) व्याख्या-वाक्य के दो अनिवार्य अंग होते हैं-उद्देश्य एवं विधेय। वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए (कर्ता), यह उद्देश्य कहलाता है। उद्देश्य की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द समूह को उद्देश्य का विस्तार कहा जाता है। वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए (क्रिया), वह विधेय कहलाता है। विधेय की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द समूह को विधेय का विस्तार कहते हैं। यहाँ ‘धार्मिक पुस्तकें अधिक’ विधेय का विस्तार है, क्योंकि यह विधेय शब्द ‘पढ़ता है’ की विशेषता बता रहा है। Section – II English Language – I There are 30 questions in this section. All questions are compulsory. the same consonant sound? (1) Charm-Choice (2) Church-Chemistry (3) Cheap-Keep (4) Ship-Chip Ans :- (1) व्याख्या-Charm और Choice दोनों ‘च’ (t∫) से प्रारम्भ होता है इसलिए यह सही answer है। Church – Chemistry = Church ‘च’ (t∫) से प्रारम्भ होता है और Chemistry ‘क’ (k) से प्रारम्भ होता है। Cheap – Keep = Cheap ‘च’ (t∫) से प्रारम्भ होता है और Keep ‘क’ (k) से प्रारम्भ होता है। Ship-Chip = Ship’श’ (∫I) से प्रारम्भ होता है और Chip ‘च’ (t∫) से प्रारम्भ होता है। (1) kid-beat-tight (2) deep-keep-sweep (3) find-seat-kite (4) feed-fine-mean Ans :- (2) व्याख्या – Kid-beat-tight= Beat के vowel sound में ‘ई'(i:) है, Kid के vowel sound में ‘इ’ (I) है और Tight के vowel sound में ‘आई’ (al) है। Deep-keep-sweep = सबके vowel sounds में ‘ई’ (i:) है इसलिए यह सही answer है। Find-seat-kite = Scat के vowel sound में ‘ई’ (i:) है और बाकी सबके vowel sounds में ‘आई’ (aI) है। Feed-fine-mean= Fine के vowel sound में ‘आई’ (al) है और बाकी सबके vowel sounds में ‘ई’ (1.) है। (1) /s/ (2) /dzl (3) /∫/ (4)/t∫/ Ans :- (3) (1) listening-speaking-reading-translation (2) speaking-talking-answering-expressing (3) listening-speaking-reading-writing (4) reading-writing-questioning-communicating Ans :- (3) व्याख्या – Listening. Speaking, Reading और Writing को ba sic language skills माना गया है। इन्हीं skills की मदद से language को effectively सीखा जा सकता है। (1) knowledge (2) skills (3) power (4) copying Ans :- (2) व्याख्या – Language learning को skill माना गया है क्योंकि इसकी मदद से person अपने emotions, ideas और desires को communicate कर पाता है। अतः यह language learning skill से संबंधित है। (1) Dodson (2) Smith (3) Herbert (4) Redson Ans :- (1) व्याख्या – Bilingual method को University College of Wales (U.K.) के Professor C.J. Donson ने invent किया। (1) Oral fluency (2) Command over speech (3) Use of mother tongue (4) Listening and speaking Ans :- (3) व्याख्या – Grammar-Translation method English teaching का एक बहुत popular method है। इस method में mother tongue की help से teacher द्वारा reading पर stress दिया जाता है और word meanings समझाने में भी मदद मिलती है। (1) Direct method (2) Structural method (3) Grammar and translation method (4) Project method Ans :- (4) व्याख्या – Students को language learning के carly stages में language के essential tools, जिनको केवल उनके use की practice करके master रखता है को सिखाने का aim structural method रखता है। इस method में definite pattern में words के combination को use करके communication किया जाता है। (1) listening and writing (2) reading and writing (3) speaking and listening (4) speaking and writing Ans :- (4) व्याख्या – Listening and reading = receptive skill Speaking and writing = productive skill (1) Vocabulary practice (2) Quizzes (3) Dictations (4) Pronunciation Ans :- (4) व्याख्या – Pronunciation की मदद से students को word की correct sound की knowledge होती है और इसी knowledge की help से proper speech habits develop की जाती हैं। (1) if they are taught in an integrated manner. (2) with the help of challenging drills. (3) through written tests and practices. (4) if taught in isolation Ans :- (1) व्याख्या – Reading, writing, speaking it listening को साथ integrated manner में पढ़ना चाहिए क्योकि इसकी मदद pupil एक language की चारों skills को easily सीख लेगा। यह manner time saver भी माना जाता है। (1) an audio aid (2) a visual aid (3) an audio-visual aid (4) none of above Ans :- (3) व्याख्या – Video को audio-visual aid इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें voice (audio) आती हैं तथा इसमें picture (visual) दिखती भी है। (1) easy (2) interesting (3) effective (4) all of these Ans :- (4) व्याख्या – Audio-visual aids की मदद से teacher lesson को effectively present कर पाता है और देखने के बाद student ज्यादा time तक content को retain कर सकता है। यह एक easy और effective aid है, जिसकी मदद से students की critical और analytical thinking में improvement होता है। (1) normative (2) effective (3) formative (4) cognitive Ans :- (3) व्याख्या – Unit test को formative evaluation माना जाता है if method class-room situation में learning experiences को assess करने के लिए use किया जाता है। (1) speaking (2) reading (3) writing (4) speaking and writing Ans :- (4) व्याख्या – Proficiency test में language का test लिखा जाता है, जिसमें speaking और writing skill include होती है। (1) grammatical accuracy (2) situational appropriateness (3) fluency (4) all of above Ans :- (4) (1) limited (2) minimum (3) multiple (4) no Ans :- (3) व्याख्या – Objective type questions में multiple option दिए होते है जिनमे से केवल एक option correct answer होता है। (1) complex (2) reliable (3) ambiguous (4) simple Ans :- (2) Passage (Q.No. 49 to 53) “The Kingfisher is a bird that gets its name because it truly is a king among the fish catching birds. In catching fish it sits on a limb of a tree that hangs over a stream, looking into the water beneath. Then, as it sights a fish, it drops like a stone into the water. Seconds later it pops up with the fish in its bill. In addition to fish, it eats worms, crabs and is selfish. It is found mostly near the fresh water streams of Europe and North america. The Kingfisher’s cry is shrill and piercing. The North American Kingfisher, called the belted kingfisher, because of a belt of blue feathers across its white breast, is larger than the European variety. The European kingfisher is a beautiful bird. Its feathers are bright blue, orange, deep red, pink and green.” (1) bill (2) limb (3) shrill (4) pops up Ans :- (2) (1) fresh (2) belted (3) piercing (4) bright Ans :- (1) (1) Enthusiastic (2) Enthusastic (3) Enthuesistic (4) Enthesistic Ans :- (1) व्याख्या – The correct spelling is ENTHUSIASTIC, (1) bcautify (2) beauty (3) beautifully (4) beautifulness Ans :- (2, 4) व्याख्या – Beautify = Verb form Beauty = Noun form Beautifully = Adverb form Bcauufulness = Noun form (1) stream (2) pops (3) shrill (4) drops Ans :- (1) व्याख्या – Stream= a small current of water, नदी, प्रवाह Pops = फटफटाना Shrill = तेज़, तीष्ण, तीखा Drops = बूँदें assage (Q. 54 to 58) Animals may become extinct in many ways. First of all they may evolve into another species and not really die out of all. For example, through time, many early form of horses and Human beings have progressively changed by evolution into new species. The old species has changed and not really die out, so this is called pseudo extinction. The Second common way, in which animals have died out, is for a single species disappear because of some local disturbance. Many animals that have very special diets, for example, could die out very easily if their source of food goes down. It is thought that certain species of dinosaurs were adapted to eating particular kinus of reedy plants. When these disappeared, those particular species of dinosaurs starved and died out. (1) adjecitves (2) adverbs (3) nouns (4). verbs Ans :- (1) व्याख्या – दिए गए words ‘extinct’ और ‘particular Adjectives हैं क्योकि शब्द ‘extinct”animals’ noun और शब्द ‘particular ‘kinds’ noun को विशेषीकृत कर रहे हैं। (1) For example (2) The old species (3) Local disturbance (4) Starved and died out Ans :- (2) (1) simple present (2) simple past (3) present perfect (4) past perfect Ans :- (3) व्याख्या- उपर्युक्त sentence में ‘has changed’ का उपयोग किया गया है जो ‘Present Perfect Tense’ को दर्शाता है, क्योंकि Present Perfect Tense structure: Subject + has/have + past participle form of verb का प्रयोग किया जाता है। (1) early-earlier-carliest (2) hot-more hot-hottest (3) easy-more easy-most easy (4) special-specialer-specialist Ans :- (1) व्याख्या – Adjectives की तीन degrees होती हैं, positive, comparative and superlative. Adjective का सबसे सरल रूप positive degree है, जब वस्तुओं के दो रूपों की तुलना की जा रही है, तो comparative degree का उपयोग किया जाता है। जब तीन या अधिक वस्तुओं की तुलना की जा रही है, तब superlative degree लागू होती Early (Positive), Earlier (Comparative), Earliest (Superlative) (1) simple past (2) simple present (3) present progressive (4) none of above Ans :- (2) व्याख्या – यह sentence present tense में है। (1) How did she complete the task? (2) How she completed the task? (3) How did she completed the task? (4) How she did complete the task? Ans :- (1) व्याख्या-जिस manner या method के संबंध में question बनाना हो तब उस manner को छोड़कर ‘How’ और helping verb लगाकर लिखते हैं। Did के साथ verb की first form का प्रयोग किया जाता है इसलिए question में complete का उपयोग होगा। (1) He is known by me (2) He knows me (3) He is known to me (4) None of the above Ans :- (3) व्याख्या- इस वाक्य में verb एक prepositional verb है क्योंकि यह ‘to’ preposition को carry करती है। वाक्य की voice बदलते समय, हम preposition को नहीं छोड़ते हैं और यह अपरिवर्तित रहता है इसलिए दिए गए वाक्य की passive voice होगी: He is known to me. खण्ड – II भाषा – I : संस्कृत अत्र त्रिंशत् प्रश्नानि सन्ति। सर्वे प्रश्नाः समाधेयाः। (1) सः ईश्वर नमति। (2) सः ईश्वराय नमस्करोति । (3) सः ईश्वरस्य नमस्करोति । (4) स: ईश्वरेण नमस्करोति। उत्तर : – (1) व्याख्या – नम् धातु के योग में साधारण कर्म कारक का प्रयोग किया जाता है। अतः सः ईश्वरं नमति शुद्ध है। (1) अहितं मनोहारि च सुलभं वचः। (2) हितं मनोहारि च सुलभं वचः। (3) हितं अमनोहारि च दुर्लभं वचः। (4) हित मनोहारि च दुर्लभं वचः। उत्तर : – (4) व्याख्या- हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः सूक्ति का शुद्ध रूप है। (1) बले: वसुधां याचति। (2) बलिं याचते वसुधाम्। (3) बलि याचते वसुधा। (4) बलिना याचते वसुधा। उत्तर : – (2) व्याख्या- याच् आदि 16 द्विकर्मक धातुओं के साथ दो कर्म होने के कारण वसुधा और बलि दोनों में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। (1) श्रवणं (2) पठनम् (3) सम्भाषणम् (4) लेखनम् उत्तर : – (1) व्याख्या- संस्कृतभाषा शिक्षण का प्रथम कौशल श्रवणं है। (1) पाठनम् (2) अभिनयम् (3) लेखनम् (4) वाचनम् उत्तर : – (2) व्याख्या- नाटक की पाठयोजना में शिक्षक रंगमंच में ‘अभिनय’ करवाता है। यही इसका मुख्य भाग होता है। (1) नाटकम् (2) महाकाव्यम् (3) खण्डकाव्यम् (4) कथा उत्तर : – (1) व्याख्या- अभिज्ञानशाकुन्तलम् महाकवि कालिदास रचित एक नाटक है। (1) कथाश्रवणम् (2) सरलभाषा (3) कथायाः मुख्यविशेषता (4) पुस्तकस्य प्रयोगः उत्तर : – (4) व्याख्या- कथाश्रवण में कथा को सुनना, उसकी भाषा का सरल होना, कथा की मुख्य विशेषता जानना आवश्यक है। पुस्तक का प्रयोग उसमें आवश्यक नहीं है क्योंकि कथा श्रवण की जाती है। (1) अनुरागः (2) परागः (3) विरागः (4) संलापः उत्तर : – (2) व्याख्या- अनुराग, विराग, संलाप में क्रमशः अनु, वि, सम् उपसर्ग लगे हैं परन्तु पराग एक उपसर्ग विहीन शब्द है। (1) भारतीयसंस्कृते: परिचयः। (2) स्वाध्यायं प्रति छात्राणां अभिरूच्युत्पादनम् । (3) शुद्धोच्चारणस्य सामर्थ्यप्रदानम् (4) सर्व उत्तर : – (4) व्याख्या- संस्कृत शिक्षण की प्राचीन पद्धति का मुख्य उद्देश्य है भारतीय संस्कृत का परिचय, स्वाध्याय के प्रति छात्रों में अभिरुचि उत्पादन, शुद्धोच्चारण का सामर्थ्य प्रदान करना है। (1) वयः (2) पञ्च (3) चत्वारः (4) पष्ट उत्तर : – (*) व्याख्या- इसका कोई विकल्प सही नहीं है। मूल्यांकन दो प्रकार का होता है- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक। इनके कई विभाग होते हैं। (1) छात्रेषु संस्कृतलेखनस्य योग्यतोत्पादनम्। (2) छात्राणां शब्दभण्डारस्य अभिवर्धनम्। (3) शब्दकोपस्य वृद्धि: भवति । (4) सर्वमपि। उत्तर : – (4) व्याख्या- अनुवाद शिक्षण के उद्देश्यों के अन्तर्गत छात्रों में संस्कृतलेखन की योग्यता उत्पन्न करना, छात्रों के शब्द भंडार की अभिवृद्धि करना, शब्दकोप की वृद्धि करना आदि आते हैं। (1) छात्राणाम् त्रुटिनिवारणार्थम् (2) पठनस्य अभ्यासः (3) लेखनकलासु निपुणता (4) सर्वमपि उत्तर : – (4) व्याख्या- उपचारात्मक शिक्षण में छात्रों की त्रुटि का निवारण, पठन का अभ्यास, लेखन कला में निपुणता आदि आते हैं। (1) श्रवणं, भाषणं, पठनम्, लेखनम्। (2) भाषणं, लेखनं, पठनम्, श्रवणम्। (3) पठनम्, भाषणम्, श्रवणम्, लेखनम् । (4) लेखनम्, पठनम्, भाषणम्, श्रवणम्। उत्तर : – (1) व्याख्या- भाषा कौशल का सही क्रम है- श्रवणं, भाषणं, पठनं लेखनं। (1) निबन्धनात्मका: (2) लघूत्तरात्मका: (3) अतिलघूत्तरात्मकाः (4) समन्विताः उत्तर : – (4) व्याख्या- संस्कृत मूल्यांकन हेतु प्रश्न समन्वित होने चाहिए अर्थात् उनमें निबन्धात्मक, लघूत्तरात्मक, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न सम्मिलित होने चाहिए। (1) अलं हसिताय (2) अलं हसितेन (3) अलं हसितः (4) अलं हसितस्य उत्तर : – (2) व्याख्या- मना (अलं) करने के अर्थ में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। अतः ‘अलं हसितेन’ शुद्ध है। (1) मन+रथः (2) मनु+रथः (3) मनस्-रथः (4) मनोरथः उत्तर : – (3) व्याख्या- विसर्ग सन्धि है और मनस् में स्थित स् को विसर्ग हो’ओ’ आदेश होता है। अतः मनस्रथः शुद्ध है। (1) अन्तर्राष्ट्रियम् (2) अन्तराष्ट्रीयम् (3) आन्ताराष्ट्रीयम् (4) अन्ताराष्ट्रियम् उत्तर : – (4) व्याख्या – अन्ताराष्ट्रियम् का संधि विच्छेद है अन्तर्राष्ट्रियम् यहाँ र का लोप तथा अन्तिम् स्वर को दीर्घ हो जाता है। अत: अन्ताराष्ट्रियम् शब्द शुद्ध है (1) मञ्चेषु (2) नाट्यस्थलेषु (3) गृहेषु (4) विद्यालयेषु उत्तर : – (4) व्याख्या-लेखन कला का अत्यधिक महत्व विद्यालय में होता है। जहाँ शिक्षक तथा विद्यार्थी दोनों लिखते हैं निम्नलिखितम् अपठितं गद्यांशं आधारीकृत्य निम्नलिखित-व्याकरण सम्बन्धिनः प्रश्नाः (49-53) समाधेया: संस्कृतभाषा जगतः सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा, सर्वोत्कृष्ट साहित्यसंयुक्ता च वर्तते । अनंतानन्तवर्षेषु व्यपगतेष्वपि अस्याः माधुर्यम्, उदारत्वं च नाद्यापि विकृतम्। पाश्चात्यदेशीया विचारशीलाः कीलहान-मैक्समूलर-मैकडानाल्ड कीथादयः विद्वांसः संस्कृतभाषायाः प्रशंसामकुर्वन्। सर्वासामार्यभाषाणाम् उत्पत्तिः अत एव बभूव। पुरा सर्वे जनाः संस्कृतभाषायैवाभाषन्त। अत: सर्वमपि प्राक्तनं साहित्य संस्कृतभाषायामेव उपलभ्यते। सर्वे प्राचीनतमाः ग्रंथाः चत्वारो वेदाश्च संस्कृतभाषायामेव सन्ति । वेदेषु मानवकर्तव्याकर्तव्ययोः सम्यक् निर्धारणमस्ति । संस्कृतसाहित्यं भारतस्य गौरवं उद्घोषयति। समस्तं देशं च एकतासूत्रे बनाति। अस्य साहित्यस्य प्रचारः प्रसारश्च नितांत लाभप्रदः एतज्ज्ञानविहीनस्तु पशुरेव। (1) प्रथमा (2) षष्ठी (3) सप्तमी (4) तृतीया उत्तर : – (2) व्याख्या- जगत् शब्द की षष्ठी विभक्ति में जगतः रूप बनता है। (1) यणसन्धिः (2) विसर्गसन्धिः (3) वृद्धिसन्धिः (4) पररूपसन्धिः उत्तर : – (1) व्याख्या- यण सन्धि के नियमानुसार इक् के स्थान पर यण् आदेश होता है अर्थात् इ के स्थान पर य्, उ के स्थान पर व्, ऋ के स्थान पर र तथा लु के स्थान पर ल आदेश होता है। अतः यहाँ व्यपगतेषु अपि होने से यण् सन्धि होगी। (1) क्तवतु (2) क्त्वा (3) क्त (4) ण्वुल उत्तर : – (3) व्याख्या- क्त प्रत्यय में ‘त’ शेष रहता है तथा यह भूतकालिक प्रत्यय है। (1) सप्त (2) पञ्च (3) दश (4) चत्वारः उत्तर : – (4) व्याख्या- संस्कृत में चार वेद हैं जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। (1) एकतायाः सूत्रे (2) एकता सूत्रे (3) एकताम् सूत्रे (4) एकस्मिन् सूत्रे उत्तर : – (1) व्याख्या- ‘एकतासूत्रे:’ का समास विग्रह ‘एकता के सूत्र में’ अर्थात् एकताया: सूत्रे शुद्ध है। ‘ अधोलिखित गद्यांश आधारीकृत निम्नलिखिताः प्रश्नाः (54-58) समाधेया: भारतवर्ष एकः महान् देशः वर्तते। अस्मिन् अनेके प्रदेशाः सन्ति। तेषु राजस्थानप्रदेयशोऽपि एकः वर्तते । अयं प्रदेशा: मूलत: विविधराजा स्थली वर्तते । स्वतन्त्रताप्राप्तिपश्चात तेषां एकीकरणम् अभवत्। अस्मिन् एकीकरणे पटेल महोदयस्य महत्वपूर्ण भूमिका आसीत् । साम्प्रतं राजस्थान प्रदेश: एकं राज्यं वर्तते । अस्य राजधानी जयपुरम् अस्ति। राजस्थान प्रदेशस्य काश्चन एतादृश्य: विशेषताः सन्ति या खलु अन्यत्र न लभन्ते। अस्य प्रदेशस्य भूमिः वीरा वीरांगनानां च जननी वर्तते। साम्प्रतं शिक्षाक्षेत्रे राजस्थान प्रदेश: उन्नतिपथमारूढो वर्तते । अत्र छात्राणां कृते उच्च शिक्षायाः उत्तमा व्यवस्था वर्तते । अत्र अनेकानि रमणीयानि स्थानानि वर्तन्ते । अस्य प्रदेशस्य भाषा राजस्थान वर्तते । अत्रत्या संस्कृतिः सर्वत्र प्रसिद्धा। (1) सप्तमी बहुवचनम् (2) षष्ठी बहुवचनम् (3) पञ्चमी बहुवचनम् (4) चतुर्थी बहुवचनम् उत्तर : – (2) व्याख्या- राजन् शब्द की षष्ठी विभक्ति बहुवचन का रूप राज्ञाम् होता है। (1) लट्लकारे (2) लोट लकारे (3) लङ्लकारे (4) विधिलिङ्लकारे उत्तर : – (3) व्याख्या- अभवत् रूप भूतकाल अर्थात् लङ्लकार में बनता है। (1) वीरांगनानाम् (2) वीरान् (3) वीराणि (4) वीरेषु उत्तर : – (1) व्याख्या- ‘वीराणाम्’ का विलोम वीरांगनानाम् होता है। (1) छात्रेषु (2) छात्राय (3) छात्रेण (4) छात्रान् उत्तर : – (*) व्याख्या- इसका कोई विकल्प सही नहीं है। (1) अत्र अनेकानि रमणीयानि स्थानानि सन्ति। (2) अत्र अनेकानि रमणीयानि स्थानानि आसीत्। (3) अत्र अनेकानि रमणीयानि स्थानानि वर्तन्ताम् । (4) अत्र अनेकानि रमणीयानि स्थानानि भविष्यन्ति। उत्तर : – (3) व्याख्या- वृत् धातु आत्मनेपदी है और लोट् लकार में प्रथम पुरुष बहुवचन में वर्तन्ताम् रूप बनता है। अतः अत्र अनेकानि रमणीयानि का स्थानानि वर्तन्ताम् शुद्ध है। (1) हरिः वैकुण्ठम् अधिवसित। (2) हरिः वैकुण्ठम् वसति। (3) हरिः वैकुण्ठे अधिवसित। (4) हरि वैकुण्ठे उपवसति। उत्तर : – (1) व्याख्या-अधि उपसर्ग पूर्वक वस् धातु के साथ वैकुण्ठ में द्वितीया विभक्ति लगेगी तथा हरिः वैकुण्ठम् अधिवसति वाक्य बनेगा। (1) सः पत्रेण लिखति। (2) तेन पत्रम् लिख्यते। (3) तेन पत्रम् लिखति। (4) सः पत्रम् लिख्यते। उत्तर : – (2) व्याख्या- कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म के अनुसार आती है तथा क्रिया में ‘य’ जुड़ता है। अतः सः की तृतीया विभक्ति तेन पत्रम् में प्रथमा विभक्ति तथा लिख् धातु में ‘य’ जुड़कर तेन पत्रम् लिख्यते बनेगा। खण्ड – III भाषा – II : हिन्दी इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है । सभी प्रश्न अनिवार्य है । (1) संजा उपवाक्य (2) विशेषण उपवाक्य (3) क्रिया-विशेषण उपवाक्य (4) क्रिया उपवाक्य उत्तर : – (2) व्याख्या-मिश्र वाक्य में दो प्रकार के उपवाक्य पाए जाते हैं-प्रधान उपवाक्य एवं आश्रित उपवाक्य। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं संज्ञा उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य, क्रिया-विशेषण उपवाक्य। विशेष उपवाक्य-ऐसे उपवाक्य जो प्रधान उपवाक्य में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण उपवाक्य कहलाते हैं। विशेषण उपवाक्य जो, जिसका, जहाँ, जिसकी, जिसने आदि से शुरू होते हैं। (1) करण कारक (2) कर्म कारक (3) अपादान कारक (4) संप्रदान कारक उत्तर : – (1) व्याख्या-क्रिया के साथ संज्ञा-सर्वनाम के संबंध को कारक कहते हैं। वाक्य में ‘कलम’ करण कारक में है, क्योंकि कलम के साथ कारक चिह्न ‘से’ लगा हुआ है जो कि ‘करण कारक’ का है। करण कारक में ‘से’ कारक चिह्न साधन का बोध कराता है। (1) विशेषण उपवाक्य (2) संज्ञा-विशेषण उपवाक्य (3) क्रिया-विशेषण उपवाक्य (4) सरल उपवाक्य उत्तर : – (1) व्याख्या-मिश्र वाक्य में दो प्रकार के उपवाक्य पाए जाते हैं-प्रधान उपवाक्य एवं आश्रित उपवाक्य। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-संज्ञा उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य, क्रिया-विशेषण उपवाक्य। विशेषण उपवाक्य-ऐसे उपवाक्य जो प्रधान उपवाक्य में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण उपवाक्य कहलाते हैं। विशेषण उपवाक्य जो, जिसका, जहाँ, जिसकी, जिसने आदि से शुरू होते हैं। (1) लिखना (2) पढ़ना (3) बोलना (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- सुनना, बोलना, लिखना व पढ़ना भाषा के चार कौशल हैं। (1) जॉन डीवी (2) डब्ल्यू.एच. किलपैट्रिक (3) डाल्टन (4) अरस्तू उत्तर : – (2) व्याख्या- योजना विधि को प्रायोजना विधि भी कहते हैं। किल पैट्रिक को इसका प्रवर्तक माना जाता है। किलपैट्रिक अमेरिकन शिक्षाशास्त्री जॉन डीवी के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। इन्हें प्रोजेक्ट विधि (योजना विधि) का जनक माना जाता है। (1) महापुरुषों की जीवनियाँ (2) रसानुभूति कविताएँ (3) पौराणिक गाथाएँ (4) परियों की कहानियाँ उत्तर : – (4) व्याख्या-परियों की कहानी छोटे बच्चों में कल्पनाशीलता विकसित करने का सशक्त माध्यम है। (1) प्रेरणा का सिद्धान्त (2) क्रिया द्वारा सीखने का सिद्धान्त (3) जीवन से जोड़ने का सिद्धान्त (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- प्रेरणा का सिद्धांत-शिक्षण के दौरान बालक को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। प्रेरणा उत्पत्र होने पर ही बालक की अध्ययन के प्रति रुचि जाग्रत हो पाएगी। क्रिया द्वारा सीखने का सिद्धांत- शिक्षण में ‘करके सीखने’ पर बल दिया जाए। जीवन से जोड़ने का सिद्धांत-शिक्षण के दौरान बालक को जो कुछ भी पढ़ाया जाए, वह सामान्य जीवन से जोड़कर पढ़ाया जाए। (1) कक्षा दो (2) कक्षा तीन (3) कक्षा पाँच (4) कक्षा आठ उत्तर : – (3) व्याख्या- भाषायी कौशलों- सुनना (श्रवण), बोलना (उच्चारण), पढ़ना (पठन), लिखना (लेखन) का विकास प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) में पूर्ण हो जाना चाहिए, क्योंकि कक्षा पाँच तक बालक भाषायी कौशलों के विकास के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार हो जाता है। (1) शुद्ध उच्चारण (2) उचित गति (3) व्याकरण सम्मत भाषा का प्रयोग (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- मौखिक अभिव्यक्ति के मूल्यांकन में शुद्ध उच्चारण, उचित गति या आरोह-अवरोह तथा व्याकरण सम्मतता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। (1) व्याख्या प्रणाली (2) तुलना प्रणाली (3) गीत प्रणाली (4) खेल प्रणाली उत्तर : – (4) व्याख्या- खेल प्रणाली में चिड़िया उड़, तीतर उड़ जैसे खेलों के माध्यम से श्रवण कौशल का विकास किया जाता है। खेल विधि के जनक हेनरी काल्डवेल कुक हैं। (1) पूरक पुस्तक (2) ब्ल्यू प्रिंट (3) पाठ्यक्रम (4) प्रश्नों के प्रकार उत्तर : – (2) व्याख्या- ब्ल्यू प्रिंट को नीलपत्र भी कहा जाता है। इसमें शिक्षण उद्देश्यों, पाठ्यवस्तु एवं अंकभार के आधार पर प्रश्नों के प्रकार का विवरण तैयार किया जाता है। (1) छाया चित्र (2) दूरदर्शन (3) चलचित्र (4) ड्रामा उत्तर : – (1) व्याख्या-छाया चित्र केवल दृश्य सामग्री है। किसी भी वस्तु से निकलने वाले विकिरण को रिकॉर्ड करके कोई स्थिर या चलायमान तस्वीर बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र या फोटोग्राफ कहते हैं। (1) विद्यालय पत्रिका (2) नाटक (3) वाद-विवाद (4) क्विज कार्यक्रम उत्तर : – (3) व्याख्या- वाद-विवाद छात्रों को मौखिक कौशल का अच्छा अवसर प्रदान करता है। वाद-विवाद या बहस किसी विषय पर चर्चा की औपचारिक विधि है। (1) वस्तुनिष्ठता (2) विश्वसनीयता (3) वैधता (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या- एक अच्छे मूल्यांकन में दो प्रकार की विशेषताएँ होती हैं तकनीकी विशेषताएँ व व्यावहारिक विशेषताएँ। तकनीकी विशेषताओं में वस्तुनिष्ठता, वैधता, विश्वसनीयता, व्यापकता व विभेदकारिता का गुण होना चाहिए। व्यावहारिक विशेषताओं में सरलता, सहजता, मितव्ययता, मानकीकरण, स्पष्टता आदि गुण सम्मिलित किए जाते हैं। (1) सुनना (2) बोलना (3) पढ़ना (4) लिखना उत्तर : – (1) व्याख्या- भाषा सीखने का स्वाभाविक क्रम है- सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना। सबसे पहले बालक सुनकर ही चीजें सीखता है। उसके बाद क्रमश: बोलना, पढ़ना व लिखना सीखता है। इसे ‘LSRW’ से याद रखा जा सकता है- L – Listening (सुनना), S – Speaking (बोलना), R – Reading (पढ़ना), W- Writing (लिखना)। (1) विषय का विस्तृत ज्ञान (2) बाल मनोविज्ञान का ज्ञान (3) शिक्षण विधियों का ज्ञान (4) शुद्ध उच्चारण उत्तर : – (4) व्याख्या- शुद्ध उच्चारण भाषा शिक्षक का अनिवार्य गुण है। अन्य गुण जैसे-विषय का ज्ञान, बाल मनोविज्ञान का ज्ञान तथा शिक्षण विधियों का ज्ञान तो सभी शिक्षकों के लिए आवश्यक है ही। (1) शैक्षणिक उद्देश्यों को लिखना। (2) छात्रों की कमियों के कारणों की जानकारी प्राप्त करना। (3) निर्माण करना। (4) सलंकन योजना तैयार करना। उत्तर : – (2) व्याख्या- उपलब्धि परीक्षण के 4 सोपान हैं 1. परीक्षण की योजना बनाना-योजना के अन्तर्गत एक ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया जाता है। इसमें उद्देश्य, पाठ्यवस्तु व अंक भार के आधार पर प्रश्नों के प्रकार का विवरण तैयार हो जाता है। 2. पदों की रचना करना- इसके अन्तर्गत ब्ल्यू प्रिंट के अनुसार विभिन्न शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का निर्माण किया जाता है। प्राय: इसमें आवश्यकता से दोगुने प्रश्न तैयार किए जाते हैं। 3.पदों का विश्लेषण या चयन करना- पदों का विश्लेषण या चयन दो प्रकार से किया जाता है। प्रथम सामान्य जाँच जिसमें प्रश्नों की भाषा, व्याकरणादि की शुद्धि, दोहराव आदि की जाँच की जाती है। दूसरे स्तर पर तकनीकी जाँच की जाती है जिसमें प्रश्नों की वस्तुनिष्ठता, वैधता, विश्वसनीयता, व्यापकता व विभेदकारिता की कसौटी की जाँच की जाती है। 4. परीक्षण का मूल्यांकन करना- उपलब्धि परीक्षण के इस अंतिम सोपान में प्रश्न पत्र लगभग अंतिम रूप ले चुका होता है। इस चरण में प्रश्न पत्र की विश्वसनीयता गुणांक की जाँच की जाती है जो 0.80 से कम नहीं होना चाहिए। (1) व्यक्तित्व मापनी (2) अभिवृत्ति मापनी (3) उपलब्धि मापनी (4) प्रायोगिक परीक्षा उत्तर : – (2) व्याख्या- अभिवृत्ति मापनी द्वारा भावात्मक पक्ष के मूल्यांकन या परीक्षण के लिए रुचि परीक्षण, अभिवृत्ति परीक्षण, समायोजन परीक्षण, मूल्य परीक्षण व समाजमिति परीक्षण आयोजित किए जाते हैं। प्रश्न संख्या 79 से 83 तक के उत्तर निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दीजिए फ्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक रोमा रोलां ने कहा था कि पूर्व में एक भयंकर आग लगी है जो कि वहाँ के अंधविश्वास एवं कुरीतियों रूपी झाड़ झंखाड़ को दग्ध करती हुई शीघ्र ही पाश्चात्य को भी अपनी चपेट में लेने वाली है। रोमा रोलां का संकेत स्पष्ट रूप से दयानंद सरस्वती की ओर था जो कि भारतीय जन-जागरण के पुरोधा के रूप में उभकर सामने आये थे। (1) तत्पुरुष (2) कर्मधारय (3) द्वन्द्व (4) अव्ययीभाव उत्तर : – (2) व्याख्या-अंधविश्वास = अंधा है जो विश्वास । कर्मधारय समास में द्वितीय पद प्रधान रहता है एवं दोनों पदों के मध्य विशेषण-विशेष्य या विशेष्य-विशेषण का संबंध पाया जाता है। विशेषण-विशेषता बताने वाला शब्द। विशेष्य-जिसकी विशेषता बतायी जाए वो शब्द। यहाँ अंधविश्वास में विशेषण-विशेष्य का संबंध है। (1) दार्शनिक (2) झाड़-झंखाड़ों (3) कुरीतियों (4) पाश्चात्य उत्तर : – (3) व्याख्या-करीतियों शब्द तत्सम शब्द है, क्योकि यह संस्कत से लिया गया है। कुरीतियों में ‘कु’ उपसर्ग, ‘रीति’ मूल शब्द एवं ‘यों’ प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है। (1) गुण (2) व्यंजन (3) यण (4) विसर्ग उत्तर : – (4) व्याख्या-‘पुरोधा’ – पुरः धा (विसर्ग संधि) विसर्ग संधि में अः + घोष व्यंजन आने पर विसर्ग (B) का परिवर्तन ‘ओ’ में हो जाता है। हिन्दी में क, ख, च, एद, त्, त्, थ, प, फ, श्, प, स् (कुल 13) अघोप व्यंजन हैं। इनको छोड़कर सभी व्यंजन एवं हिन्दी के सभी स्वर घोप हैं। (1) संकेत (2) चपेट (3) आग (4) झाड़ उत्तर : – (1) व्याख्या-वे शब्द जो संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में ग्रहण कर लिए गए हैं, वे तत्सम कहलाते हैं और जो शब्द संस्कृत से कुछ परिवर्तनों के बाद हिन्दी में ग्रहण किए गए हैं, वे तद्भव कहलाते हैं। ‘संकेत’ शब्द तत्सम शब्द है। (1) भयंकर (2) उभरकर (3) करती हुई (4) के रूप में उत्तर : – (2) व्याख्या-पूर्वकालिक क्रिया वाले वाक्य में दो क्रियाएँ होती हैं। एक क्रिया के सम्पन्न हो जाने के बाद ही दूसरी क्रिया सम्पन्न होती है। पूर्व में यानी पहले सम्पन्न क्रिया ही पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। उभरकर’ पूर्वकालिक क्रिया है, क्योंकि इस शब्द से हमें यह संकेत मिल रहा है कि ‘उभरना’ क्रिया के बाद कोई अन्य क्रिया भी सम्पन्न हुई होगी। प्रश्न संख्या 84-88 के उत्तर निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दीजिए क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो-1 उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत सरल हो-2 तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिन्धु किनारे-3 बैठे पढ़ते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे-4 उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से-5 उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से-6 सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में-7 चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूढ़ बंधन में-8 सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की-9 संधिवचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की-10 प्रश्न 84. उपर्युक्त काव्यांश के प्रथम चरण का भाव है (1) क्षमा करना भुजंग का स्वभाव है। (2) क्षमा शक्तिशाली को ही शोभा देती है। (3) बलहीन व्यक्ति के लिए क्षमा आभूषण है। (4) भुजंग का गरल ही उसकी क्षमा है। उत्तर : – (2) व्याख्या-काव्यांश के प्रथम चरण में बताया गया है कि क्षमा उस साँप को ही शोभा देती है जिसके पास विष हो यानी क्षमा शक्तिशाली को ही शोभा देती है। (1) अनुनय-विनय से दुष्टों को नहीं समझाया जा सकता। (2) अनुनय-विनय को कभी नहीं त्यागना चाहिए। (3) विनम्रता जीवन का सार है। (4) अनुनय के प्यारे-प्यारे छंद निरर्थक होते हैं। उत्तर : – (1) व्याख्या-तीसरे और चौथे चरण में बताया गया है कि राम तीन दिन तक समुद्र से रास्ते के लिए अनुनय करते रहे, लेकिन उनके अनुग्रह का समुद्र पर कोई असर नहीं हुआ तब मजबूर होकर श्रीराम को अस्त्र शस्त्र उठाने पड़े यानी दुष्ट लोगों को अनुनय-विनय से नहीं समझाया जा सकता। (1) माधुर्य गुण युक्त, किन्तु अंत तक पहुँचते-पहुँचते ओजपूर्ण (2) अति सरल (3) कठिन, समझने में दुष्कर (4) विषय वस्तु के प्रतिकूल/विपरीत उत्तर : – (*) व्याख्या-यह बोनस अंक प्रश्न है। इसमें कोई विकल्प सही नहीं है। इस काव्यांश की भाषा ओजगुण से युक्त है। जिस काव्य को पढ़ने से हृदय में उत्साह एवं उमंग का संचार होता है, वह काव्य ओज गुण से परिपूर्ण होता है। ओज गुण से युक्त रचना में ट, ठ, ड, ढ, ण, र वर्णों की प्रचुरता रहती है। इस काव्यांश में भी ठ, ढ, र वर्णों की प्रचुरता है। (1) समुद्र की उदंडता की (2) समुद्र के साहस की (3) राम की सहनशीलता की (4) राम के पौरुष की उत्तर : – (4) व्याख्या – काव्यांश के 5,6,7 चरण में राम के पौरुष का वर्णन है। राम ने पहले समुद्र से अनुनय-विनय की, किन्तु जब समुद्र पर उनके अनुनय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो उनका स्वाभिमान जाग गया और उन्होंने शस्त्र धारण कर लिये।। (1) क्रोध में (2) प्रहार करने में (3) शर में (4) सन्धिवचन में उत्तर : – (3) व्याख्या-विनय की दीप्ति शर (बाण) में ही बसती है यानी शक्तिशाली के सामने सभी विनीत रहते हैं। (1) क्रिया सदैव सामान्य वर्तमान काल की होती है। (2) क्रिया सदैव भूतकाल की होती है। (3) क्रिया अपूर्ण वर्तमान काल की होती है। (4) क्रिया पूर्ण वर्तमान काल की होती है। उत्तर : – (2) व्याख्या-कर्ता के साथ जब भी ‘ने’ कारक चिह्न प्रयुक्त हो जाता है तो क्रिया सदैव भूतकाल में ही होती है और इस स्थिति में क्रिया सामान्यतः सकर्मक होती है, किन्तु खाँसना, छींकना, थूकना आदि अकर्मक क्रियाएँ इसका अपवाद हैं। (1) क्रिया-विशेषण (2) संबंधबोधक (3) समुच्चयबोधक (4) संज्ञा-विशेषण उत्तर : – (4) व्याख्या-वे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई परिवर्तन (विकार) नहीं होता है, वे शब्द अव्यय (अविकारी) कहलाते हैं। अव्यय चार प्रकार के होते हैं- क्रिया-विशेषण, सायबोधक, संबंध बोधक एवं विस्मयादिबोधक। वर्तमान में ‘निपात’ अप्पा के पाँचवें प्रकार के रूप में प्रयुक्त होता है। Section – III English Language – II There are 30 questions in this section. All questions are compulsory. (1) Dialogue with self by the character. (2) It is for the audience. (3) It expresses the mind and innermost feeling of the character on the stage. (4) All of above. Ans :- (4) (1) Three quatrains and a couplet (2) Two quatrains and a couplet (3) Four quatrains and a couplet (4) None of above Ans :- (1) (1) Mourning or lamentation peom. (2) It is formal and sustained poem. (3) It is judged by its theme or subject matter not by it’s meter or stanza form. (4) All of above Ans :- (4) व्याख्या- Elegy एक elaborately formal lyricpoem है जिसमें एक friend की death पर शोक किया जाता है या जो एक solemn subject पर seriously reflect करती है। (1) One sound (2) Two sounds glide (3) Single word (4) Double words Ans :- (2) (1) 8 (2) 9 (3) 12 (4) 14 Ans :- (3) व्याख्या- Below mentioned are 12 monophthongs used in English –
(1) /IgZxmI’neIഽƏn/ (2) /ekdzemineഽƏn/ (3) /egzemIneഽƏn/ (4) /egdzƏmineഽƏn/ Ans :- (*) (1) /kla:sIz/ (2) /klasedz/ (3) /klesedz/ (4) /klasIdz/ Ans :- (1) व्याख्या – Classes का सही phonetic transcription’/kla:sIz/ है। (1) /Iηgli∫ / (2) /Ingli∫/ (3) /english/ (4) /eηglis/ Ans :- (1) व्याख्या – English का सही phonetic transcription’/Iηgli∫/’ है। (1) Grammatical competence (2) Strategic and socio-linguistic competence (3) Discourse competence (4) All of these Ans :- (4) (1) deficiency (2) aphasia (3) dumbness (4) handicap Ans :- (2) व्याख्या – Delayed language development brain damage के कारण हो सकता है, इसे Aphasia कहा जाता है। (1) Socio-economic,emotional, environmental and educational causes (2) Excessive use of toffees, chocolates and fast food (3) Poor model (4) Repression and overcontrol by parents and teachers Ans :- (2) (1) Appropriatencess (2) Acceptable language (3) Fluency (4) All of these Ans :- (4) व्याख्या – Communicative Approach का goal है कि learner target language में fluently and appropriateness के साथ communicate करे। (1) over emphasis on grammar (2) lack of language laboratory (3) teaching through translation (4) all of above Ans :- (4) व्याख्या – अभी भी school curriculum में grammar और composition एक important place occupy करते हैं। English के teacher को training के लिए language laboratory अत्यधिक आवश्यक है। Students को correct pronunciation सिखाने के लिए teacher के pronunciation correct होने चाहिए। कुछ schools में present era में भी English Translation method द्वारा पढ़ाई जाती है। Students को English में बोलने के लिए ना के बराबर chance मिलते है। (1) normative (2) formative (3) effective (4) affective Ans :- (2) व्याख्या – Unit test को formative evaluation माना जाता है क्योंकि यह method class room situation में learning experiences को asses करने के लिए use किया जाता है। (1) objective type (2) essay type (3) true and false (4) none of these Ans :- (1) व्याख्या –Objective test को highly reliable test माना जाता है क्योकि इस test में केवल एक ही उत्तर correct होता है और उसके basis पर ही knowledge test की जाती है। (1) J.K. Device (2) Bloom (3) Billows (4) Simpson Ans :- (1) व्याख्या – JK. Device द्वारा four steps of teaching दिए गए थे। (1) Action research (2) Programmed test (3) Both (1) and (2) (4) None of the above Ans :- (3) व्याख्या – Strategies and devices of Remedial Teaching are – (i) Tuitorial device of remedial teaching. (ii) Action-research showing classroom problem (iii) Programmed Test i.e. branding material (iv) Language laboratory (V) Supervised study (1) to diagnose learning difficulties (2) to eliminate ineffective habits (3) reteach incorrectly learnt skills (4) both (2) and (3) Ans :- (4) व्याख्या – हर classroom में कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जो किसी particular subject या subjects सीखने में difficulties महसूस करते हैं। उन students के लिए learning difficulty को diagnose करके और ineffective habits a eliminate as the fog remedial teaching की जाती है। Prose : (Q. 79 to 83) There is no short cut to success. The route to success is hard and long. Consistent hard work is the main secret of success. Those who shun work are bound to fail. The second ingredient of success is perseverance. Perseverance is steadfast pursuit of an aim without any let-up or hindrance. There may be difficulties, obstacles, hurdles and barriers in your path, but you don’t have to get discouraged, disheartened and frightened. You have to push on with fortitude. Temptations of comfort and enjoyment have to be brushed aside. Another important and indispensible requirement for Success is concentration all your attention and energy should be riveted to your aim in life. You should not be able to think of anything except your goal. No digressions and deviations. (1) sequence (2) addition (3) emphasis (4) time Ans :- (1) व्याख्या- दिए गए passage में ‘second’ शब्द का उपयोग sequence दर्शाने के लिए किया गया है। ‘The second ingredient of success is perseverance’ में first के बाद second ingredient की बात कही गई है जो एक sequence है। (1) Aim of life (2) Hard work and Success (3) Shortcut of Success (4) The secret of Success Ans :- (4) (1) result (2) results (3) resulted (4) none Ans :- (2) (1) Success is the result of hard work. – (2) Perseverance is essential for success. (3) To get success, get rid of all obstacles. (4) All of above Ans :- (4) व्याख्या- Author के according consistent hard work, perseverance success attain करने के secrets हैं। Writer ने यह भी कहा है कि obstacles और hurdles को cross करके ही successful बना जा सकता है। Hard work is essential for success, So people are hard working Above lines contain (1) the fallacy of hasty generalization (2) the fallacy of false analogy (3) the fallacy of equivocation (4) the fallacy of composition Ans :- (1) व्याख्या- -Fallacy of hasty generalization occurs when some ones generalize an experience from examples, not evidence. Poetry (Q.84 to 88) Extract : 1 1 The seed I spent or sown it where 2. The land is his and none of mine? 3. We speak like strangers, there’s no sign 4. Of understanding in the air 5. This child is built to my design 6. Yet what he loves I cannot share Extract : 2 7 Silence surrounds us. I would have 8. Him prodigal, returning to 9. His father’s house, the home he knew, 10. Rather than see him make and move 11. His world, I would forgive him too, 12. Shaping from sorrow a new love. Extract :3 13. Father and son, we both must live 14. On the same globe and the same land, 15. He speaks : I cannot understand. 16. Myself, why anger grows from grief. 17. We each put out an empty hand 18. Longing for something to forgive (1) a b b a a b (2) a b b c d e (3) a b c d e f (4) a b b a b a Ans :- (4) व्याख्या – The pattern in which rhymed line endings are arranged in a poem or stanza, is called rhyme scheme. Here rhyme scheme is – The seed I spent or sown it where (A) The land is his and none of mine? (B) We speak like strangers, there’s no sign (B) Of understanding in the air (A) (1) alliteration (2) assonance (3) simile (4) personification Ans :- (1) व्याख्या-दो या दो से अधिक closely associated (निकटता से जुड़े) words या stressed syllables के initial letter या sound का repeat होना Alliteration कहलाता है। जैसे-Silence surrounds us. (1) Only line 3 (2) Only line 5 (3) Both lines 3 and 5 (4) None of above Ans :- (1) व्याख्या- वह figure of speech जिसमें दो subjects के बीच में similarity directly express की जाती है. simile कहलाती है। ज्यादातर similes को as या like से introduce किया जाता है। इस line में like word से direct comparison किया गया है। जैसे- We speak like strangers (1) 9.10, 11 (2) 7, 11, 12 (3) 7, 9, 10, 12 (4) all of above Ans :- (*) व्याख्या-दिए गए extract में assonance का उपयोग नहीं किया गया है, इसलिए यह Bonus question है। (1) 14, 15, 17 (2) 13, 14, 18 (3) 13, 15, 17, 18 (4) 14, 15, 16 Ans :- (1) व्याख्या-Extract 3 में 13 व18 तथा 14, 15 व 17 Rhyming में हैं। (1) can (2) may (3) could (4) must Ans :- (4) व्याख्या- Must compulsion दर्शाता है और दिए गए sentence में traffic rules को follow करने अनिवार्यता को दर्शाया गया है। May possibility और can, could ability को दर्शाते हैं। (1) blow up (2) breakdown (3) fallout (4) none Ans :- (1) व्याख्या- Blowup =explode; विस्फोट होना। खण्ड – III भाषा – II : संस्कृत अत्र त्रिंशत् प्रश्नानि सन्ति। सर्वे प्रश्नाः समाधेयाः। (1) बालकं पुस्तकं रोचते। (2) बालकेन पुस्तकं रोचते। (3) बालकाय पस्तकं रोचते। (4) बालकस्य पुतकं रोचते। उत्तर : – (3) व्याख्या- रुच् धातु के योग्य में जिसे अच्छा लगता है उसमें चतुर्थी विभक्ति आती है। अतः बालक शब्द में चतुर्थी विभक्ति आएगी। (1) तेन गृहम् गम्यते। (2) तथा गृहम् गच्छते। (3) तेन गृहम् गच्छति। (4) तेन गृहे गम्यते। उत्तर : – (1) व्याख्या- वाच्य परिवर्तन करते समय कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्मानुसार होती है। क्रिया में क्रिया में ‘य’ जुड़ जाता है तथा आत्मनेपद के रूप में प्रयुक्त होती है। अतः सः की तृतीया विभक्ति तेन, गृहम् की प्रथमा विभक्ति गृहम् तथा क्रिया गम्यते प्रयुक्त होगी। (1) जनं (2) बलम् (3) धनम् (4) धर्मम् उत्तर : – (2) व्याख्या- दुर्बल का बल राजा होता है यही सूक्ति प्रसिद्ध है। अत: बलम् शब्द सही है। (1) बोधात्मकम् (2) ज्ञानात्मकम् (3) रचनात्मकम् (4) सर्वाणि उत्तर : – (4) व्याख्या- संस्कृत शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य बोधात्मक, ज्ञानात्मक ‘रचनात्मक है। (1) पञ्च (2) एकादश (3) सप्त (4) चत्वारि उत्तर : – (2) व्याख्या- बाह्य प्रयत्नों के प्रकार 11 हैं। (1) साक्षात्कारपरीक्षा (2) मौखिकपरीक्षा (3) वस्तुनिष्ठपरीक्षा (4) लिखितपरीक्षा उत्तर : – (3) व्याख्या- वस्तुनिष्ठ परीक्षा की अपेक्षा निबन्धात्मक परीक्षा कम विश्वसनीय है। (1) सप्त (2) सपादसप्त (3) दश (4) अष्ट उत्तर : – (4) व्याख्या- पाणिनी रचित अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं जैसा कि नाम से भी स्पष्ट हो रहा है। (1) तालु (2) कण्ठोष्ठ (3) ओष्ठ (4) मूर्धा उत्तर : – (1) व्याख्या- उच्चारण नियम ‘इचुयशानां तालु’ के अनुसार ‘य’ का उच्चारण तालु से होता है। (1) नियोजनम् (2) क्रियान्वयम् (3) मूल्यांकनम् (4) सर्वाणि उत्तर : – (4) व्याख्या- स्वाध्याय प्रणाली के प्रमुख सोपान हैं-नियोजनम्, क्रियान्वयन तथा मूल्यांकन। (1) पठनम् (2) लेखनम् (3) श्रवणम् (4) सम्भाषणम् उत्तर : – (3) व्याख्या- संस्कृत भाषा कौशल का सर्वप्रथम कौशल श्रवण है। (1) आकाशवाणी (2) मानचित्रम् (3) ग्रामोफोन (4) टेपरिकॉर्डर उत्तर : – (2) व्याख्या- संस्कृत शिक्षण में श्रव्य साधन में उपयोगी है आकाशवाणी, ग्रामोफोन, टेपरिकॉर्डर परन्तु मानचित्र उपयोगी नहीं है। (1) श्यामपट्टः (2) चार्ट: (3) चित्रं (4) मानचित्रं उत्तर : – (1) व्याख्या- एक संस्कृत अध्यापक का अभिन्न मित्र श्यामपट्ट होता है। उसके बिना संस्कृत शिक्षण प्रभावी नहीं होता है। (1) व्याकरणस्य ज्ञानम् (2) व्यवहारज्ञानम् (3) शुद्धोच्चारणम् (4) विद्यार्थिनां रुचिः उत्तर : – (3) व्याख्या-शुद्ध उच्चारण करना भाषा शिक्षण की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। (1) निबन्धात्मका: (2) लघूत्तरात्मकाः (3) वस्तुनिष्ठप्रश्नाः (4) सर्वे उत्तर : – (4) व्याख्या- लिखित परीक्षा में निबन्धात्मक, लघूत्तरात्मक तथा अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न सभी प्रकार के प्रश्न सम्मिलित होते हैं। (1) चित्रानुवादः (2) अक्षरशः अनुवादः (3) तथ्यानुवादः (4) छायानुवादः उत्तर : – (1) व्याख्या- अनुवाद के अन्तर्गत- अक्षरशः, अनुवाद, तथ्यानुवाद तथा छायानुवाद सम्मिलित होते हैं चित्रों का कोई अनुवाद नहीं किया जाता। (1) सर्वा (2) सर्वे (3) सर्वाणि (4) सर्वम् उत्तर : – (2) व्याख्या- सर्व शब्द का पलिंग बहुवचन रूप ‘सर्वे’ होता है। (1) उपचारात्मकम् (2) व्यापकम (3) मौखिकम् (4) विकल्पात्मकम् उत्तर : – (1) व्याख्या- उपचारात्मक शिक्षण ही परिष्कारात्मक शिक्षण है। (1) संश्लेषणात् विश्लेषणम् (2) कठिनात् कठिन प्रति (3) सरलात् कठिनं प्रति (4) तर्कात् मनोविज्ञानं प्रति उत्तर : – (3) व्याख्या- शिक्षण हमेशा सरल से कठिन की ओर होना चाहिए। अधोलिखितम् अपठितम् गद्यांशम् आधारीकृत्य निम्नांकिता: प्रश्ना: (79-83) समाधेया: मम विद्यालयः नगरस्य एकस्मिन् सुरम्ये स्थले स्थितः अस्ति। प्राङ्गणस्य मध्ये एकं सुंदरम् उद्यानम् वर्तते। अत्र अध्यापकानां संख्या सप्ततिः छात्राणां च सहस्रद्वयं वर्तते। अध्यापका: अतीव निपुणाः योग्या: च सन्ति । शिक्षाक्षेत्रे अस्य ख्याति: सम्पूर्णदेशे अस्ति । अत: दूरतः पठनाय अत्र छात्राः प्रवेशं लभन्ते । क्रीडाक्षेत्रे सदा प्रमुखं स्थानं प्राप्नोति। अहं गर्वितः भाग्यशाहली च यः एतादृशे अत्युत्तमे विद्यालये शिक्षा लभे। (1) प्रथमा (2) द्वितीया (3) षष्ठी (4) पञ्चमी उत्तर : – (3) व्याख्या- अस्मद् शब्द की षष्ठी विभक्ति में ‘मम’ बनता है। (1) शिक्षायाम् क्षेत्रे (2) शिक्षाम् क्षेत्रे (3) शिक्षया क्षेत्रे (4) शिक्षायाः क्षेत्रे उत्तर : – (4) व्याख्या- शिक्षाक्षेत्रे का समास विग्रह शिक्षा के क्षेत्र में अर्थात् शिक्षायाः क्षेत्रे होगा। (1) स्था+क्तवतु प्रत्यय (2) स्था+शतृ प्रत्यय (3) स्था+क्त प्रत्यय (4) स्थ् इतः प्रत्यय उत्तर : – (3) व्याख्या- स्थितः में क्त प्रत्यय लगा है। (1) अति उत्तमे (2) अत्य+उत्तमे (3) अति+त्तमे (4) अत्युत्तमे उत्तर : – (1) व्याख्या- यण् सन्धि के नियमानुसार इ के स्थान पर य् आदेश होता है यदि स्वर परे हो। अतः यहाँ अति उत्तमे संधि विच्छेद होगा। (1) प्राप् धातु (2) प्रप् धातु (3) प्रपन् धातु (4) आप् धातु उत्तर : – (4) व्याख्या- प्राप्नोति में प्र उपसर्ग पूर्वक आप् धातु है। निम्नलिखितं श्लोकम् आधारीकृत्य निम्नांकिताः प्रश्नाः (84-88) समाधेया – विधा नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नं गुप्त धनम् विद्या भोगकरी यशः सुखकरी, विद्या गुरुणां गुरुः। विद्या बन्धुजनो विदेशगमने, विधा परं दैवतम्, विधा राजसु पूज्यते, नहि धनं विद्याविहीनः पशुः । (1) शत (2) क्तः (3) क्तवतु (4) ण्वुल उत्तर : – (2) व्याख्या- प्र+छिद्+क्त = प्रच्छिन्न बनता है। अतः यहाँ क्त प्रत्यय सही होगा। (1) प्रथमा (2) पञ्चमी (3) सप्तमी (4) षष्ठी उत्तर : – (1) व्याख्या- यशस् शब्द का प्रथमा विभक्ति एकवचन रूप यशः बनेगा। (1) राजा (2) राज (3) राजन् (4) राजस् उत्तर : – (3) व्याख्या- यहाँ राजन् मूल शब्द है। (1) कर्मधारयः (2) तत्पुरुषः (3) बहुव्रीहिः (4) अव्ययीभावः उत्तर : – (2) व्याख्या- विधाविहीन: का समास विग्रह विद्या से हीन अर्थात् विद्यायाः हीनः होगा और विभक्ति लोप होने से तत्पुरुष समास होगा। (1) सप्तमी एकवचनम् (2) षष्ठी एकवचनम् (3) षष्ठी बहुवचनम् (4) तृतीया बहुवचनम् उत्तर : – (3) व्याख्या- गुरु शब्द का षष्ठी बहुवचन ‘गुरुणाम्’ होता है। उपर्युक्तस्थानं पूरयत (1) कण्ठः (2) कण्ठतालु (3) जिह्वा (4) मूर्धा उत्तर : – (*) व्याख्या- ऋतुरपाणां मूर्धा अर्थात् ऋ, टवर्ग र तथा ष का उच्चारण मूर्धा से होता है। (1) नासिका (2) मुख (3) जिह्वामूलम् (4) कण्ठोष्ठम् उत्तर : – (*) व्याख्या- ज्, म्, ङ, ण, न् का उच्चारण स्थान नासिका है। खण्ड – IV (a) गणित इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है। जिन अभ्यर्थियों ने इस विषय का चयन किया है उन्हें सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) 2 (2) 6 (3) 14 (4) 4 उत्तर : – (*) व्याख्या- हिन्दी अनुवाद के अनुसार अभीष्ट हानि प्रतिशत = 6/(144+6) × 100 = 600/150 = 4% अंग्रेजी अनुवाद के अनुसार अभीष्ट हानि प्रतिशत = 6/144 × 100 = 4⅙% नोट- अंग्रेजी व हिन्दी अनुवाद की भाषा में अन्तर होने के कारण ये प्रश्न Bonus कर दिया गया था। (1) 15 (2) 13 (3) 7 (4) 4 उत्तर : – (2) व्याख्या- तीसरी संख्या का मान = (3 × 7)- (2 × 4) = 21-8= 13 (1) 40% (2) 39.2% (3) 38.4% (4) 38% उत्तर : – (2) व्याख्या- अभीष्ट लाभ प्रतिशत = (348000 – 250000) / 250000 × 100 = 98000 × 100 / 250000 = 39.2% (1) 3 वर्ष (2) 27 वर्ष (3) 2 वर्ष (4) 37 वर्ष उत्तर : – (1) व्याख्या- अभीष्ट समय =100 × 1080 / 3000 × 12 = 3 वर्ष (1) 4% (2) 5⅔% (3) 6% (4) 6⅔% उत्तर : – (1) व्याख्या ∵ साधारण ब्याज मूलधन का ⅖ है। ஃ मूलधन = 5 तथा साधारण ब्याज = 2 प्रश्नानुसार, 5 × R × 10 /100 = 2 R=4% वार्षिक (1)40° (2)50° (3) 140° (4) 130° उत्तर : – (4) व्याख्या- ∠AOC + ∠BOC =180° (रैखिक युग्म) = 50° + ∠BOC = 180° = ∠BOC = 180° – 50° = ∠BOC=130° (1) 105° (2) 115° (3) 95° (4) 75° उत्तर : – (1) व्याख्या- -ΔABC के लिये ∠ECD = ∠ABC+ ∠BAC (बाह्य कोण) ∠ECD=50° +30° =80° अब, ∠ECD के लिये – ∠AED =∠ECD + ∠EDC (बाह्य कोण) =∠AED = 80° +25° = 105° (1) तीसरी भुजा से छोटा (2) तीसरी भुजा से बड़ा (3) तीसरी भुजा के बराबर (4) तीसरी भुजा का उत्तर : – (2) व्याख्या- किसी त्रिभुज में दो भुजाओं की लंबाई का योग सदैव तीसरी भुजा से बड़ा होता है। (1) 112 वर्ग मी. (2) 120 वर्ग मी. (3) 132 वर्ग मी. (4) 289 वर्ग मी. उत्तर : – (2) व्याख्या- यहाँ अर्द्ध परिमाप S = 46/2 = 23 मीटर (1) बैकन (2) हॉगबेन (3) लॉक (4) डटन उत्तर : – (2) (1) 3:8 (2) 3 : 4 (3) 9:16 (4) 27 : 64 उत्तर : – (3) व्याख्या- घनों के आयतनों का अनुपात = 27 : 64 अतः उनकी भुजाओं का अनुपात = (27)1/3 : (64)1/3 = 3:4 अत: उनके सम्पूर्ण पृष्ठों के क्षेत्रफलों का अनुपात = 32:42 = 9 : 16 (1) स्थान का (2) शिक्षा का (3) गणनाओं का (4) मानव जीवन का उत्तर : – (1, 3) व्याख्या-गणित को स्थान व गणनाओं के अलावा तर्क का विज्ञान भी कहा जाता है। रोजर बैकन ने इसे सभी विज्ञानों का द्वार तथा कार्ल फ्रेडरिक गौस ने गणित को विज्ञान की रानी कहा है। (1) सांस्कृतिक (2) सामाजिक (3) धार्मिक (4) मानसिक उत्तर : – (4) व्याख्या-गणित का सम्बन्ध तर्क से है। तर्क मानसिक क्षमता से संबंधित होता है। लॉक ने लिखा है कि गणित वह मार्ग है जिसके द्वारा बच्चों के मन में तर्क करने की आदत विकसित होती है। (1) (a-b) 2a2+b2-2ab (2) (a-b)2 a2+b2-2ab (3) (a-b)2 =a2-2ab+b2 (4) (a-b)2 =a2 +2ab+b2 उत्तर : – (3) व्याख्या – (a-b)2 = (a-b) (a-b) = a2 – ab-ba + b2 =a – 2ab + b2 (1) उद्देश्यों का (2) प्रकृति का (3) कठिनाई स्तर का (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (1) व्याख्या-उपलब्धि परीक्षण का उद्देश्य बालक द्वारा अर्जित ज्ञान का, मूल्यांकन करना है। फ्रीमेन ने उपलब्धि परीक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि उपलब्धि परीक्षण, परीक्षण का वह स्वरूप ह जिसमें व्यक्ति द्वारा अर्जित ज्ञान, समझ व कौशल का मापन किया जाता है। नैदानिक परीक्षण का उद्देश्य बालक के विषयगत पिछड़ेपन के कारणों को ढूँढना है ताकि उसका उपचार किया जा सके। (1) सांस्कृतिक (2) मनोवैज्ञानिक (3) सामाजिक (4) आर्थिक उत्तर : – (3,4) व्याख्या-गणित का आधार संख्या, स्थान, दिशा तथा मापन है। ये क्षेत्र मनुष्य के सामाजिक व आर्थिक जीवन से सम्बन्धित है। (1) विषयवस्तु से (2) मूल्यांकन प्रविधियों से (3) उद्देश्यों से (4) सीखने की क्रियाओं से उत्तर : – (3) व्याख्या-बी.एस.ब्लूम ने मूल्यांकन प्रक्रिया को त्रिमुखी बताया है। (1) अप्रक्षेपित (2) प्रत्यक्ष अनुभव (3) प्रक्षेपित (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं उत्तर : – (2) व्याख्या-प्रत्यक्ष अनुभव सीखने की सबसे प्रभावशाली सामग्री है। इससे होने वाला अधिगम वास्तविक एवं स्थायी होता है। यह एक प्रकार से ‘करके सीखना’ (Learning by doing) है। (1) विश्वसनीयता (2) वैधता (3) वस्तुनिष्ठता (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) (1) योजना (2) मार्गदर्शन (3) शिक्षण (4) बजट बनाना उत्तर : – (4) व्याख्या-‘बजट बनाना’ अर्थशास्त्र का क्षेत्र है जो अर्थशास्त्रियों का कार्य है। शिक्षक का कार्य शैक्षिक योजना (वार्षिक, मासिक व दैनिक) बनाना, शिक्षण कराना तथा मार्गदर्शन प्रदान करना है। (1) 17 (2) 16 (3) 15 (4) 12 उत्तर : – (3) व्याख्या- 4 – (2 – 9)0 + 32 ÷ 1 + 3 = 4 – (-7)0 + 32 ÷ 1 + 3 = 4 – 1 + (9 ÷ 1) + 3 = 4 – 1 + 9 + 3 = 15 (1) 1 (2) 2 (3) 3 (4) 4 उत्तर : – (4) व्याख्या- यहाँ घात 98 को 4 से विभाजित करने पर शेषफल 2 होगा। अत: 32 अब 9 अब 9 को 5 से विभाजित करने पर शेषफल 4 प्राप्त होगा। अत: 3% को 5 से विभाजित करने पर अभीष्ट शेषफल 4 होगा। (1) 24/25 (2) 10/11 (3) 99/100 (4) 68/69 उत्तर : – (2) व्याख्या- चूंकि सभी भिन्नों में अंश व हर का अंतर समान है। अत: सबसे छोटे अंश वाली भिन्न सबसे छोटी होगी। अतः 10/11 < 24/25 < 68/69 < 99/100 (1) 10110 (2) 11010 (3) 10011 (4) 101010 उत्तर : – (1) व्याख्या- दस हजार + दस इकाई + दस दहाई = 10 × 1000 + 10 × 1+ 10 × 10 = 10000 + 10 + 100 = 10110 (1) 2 घंटे (2)3 घंटे (3) 4 घंटे (4) 5 घंटे उत्तर : – (3) व्याख्या- माना अभीष्ट समय x घण्टे है। अतः प्रश्नानुसार x घण्टों में सैकण्डों की संख्या = 10 दिनों में मिनटों की संख्या = x × 60 × 60 = 10 × 24 × 60 = x = 10 × 24 × 60/60 × 60 = 4 घण्टे (1) 4 (2)6 (3) 64 (4) 256.25 उत्तर : – (1) व्याख्या- (256)0.16 × (16)0.18 = (28)0.16 × (24)0.18 = 21.28 × 20.72 = 21.28÷0.72 = 22 =4 (1)-16–15 (2)-16<-20 (3)-16>1 (4)-16<-3 उत्तर : – (4) व्याख्या- ऋणात्मक संख्याओं में जिस संख्या का संख्यात्मक मान बड़ा होता है वह संख्या छोटी होती है। चूंकि (-16) का संख्यात्मक मान 16 है, जो (-3) के संख्यात्मक मान 3 से बड़ा है। अतः -16<-3 (1) 3600 (2) 2500 (3) 1600 (4) 900 उत्तर : – (4) व्याख्या – ल.स.प. (10, 12, 15, 18) = 180 = 2 × 2 × 3 × 3 × 5 यहाँ 5 का युग्म नहीं है। अतः अभीष्ट संख्या = 2 × 2 × 3 × 3 × 5 × 5 = 900 (1) 1/54 (2) 10/27 (3) 20/3 (4) उपर्युक्त कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या- भिन्नों का ल.स.प. = अंशों का ल.स.प./हरों का म.स.प. अत: ल.स.प. (⅓, 2/9, ⅚, 4/27) = ल.स.प.(1,2,5,4)/ म.स.प. (3,9,6,27)= 20/3 (1) 21 (2) 24 (3) 28 (4) 84 उत्तर : – (3) व्याख्या- माना दी गई संख्याएँ 3x व 4x हैं। अत: ल.स.प. (3x, 4x) = 12x अतः प्रश्नानुसार – 12x = 84 x = 8412=7 अतः अभीष्ट बड़ी संख्या = 4x = 4 × 7 = 28 खण्ड – IV (a) पर्यावरण अध्ययन इस खण्ड में कुल 30 प्रश्न है। जिन अभ्यर्थियों ने इस विषय का चयन किया है उन्हें सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। (1) वास्तविक, सीधा व छोटा (2) आभासी, सीधा एवं आवर्धित (3) आभासी, उल्टा एवं छोटा (4) वास्तविक, उल्टा एवं छोटा उत्तर : – (2) व्याख्या- अवतल दर्पण (Concave mirror) के अत्यन्त निकट जब बिम्ब को रखते हैं, तो प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा एवं आवर्धित बनता है, क्योंकि वस्तु फोकस एवं ध्रुव के बीच होगी, जिससे बिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा और यह वस्तु से आवर्धित (बड़ा) होगा। (1) अरावली हिल्स (2) खासी हिल्स (पहाड़ियाँ) (3) हिमालय (4) उपर्युक्त कोई नहीं उत्तर : – (3) व्याख्या- भारत के जैव विविधता हॉट-स्पॉट क्षेत्र (1) पूर्वी हिमालय क्षेत्र (2) पश्चिमी घाट क्षेत्र (3) इंडो बर्मा क्षेत्र (4) सुण्डालैण्ड क्षेत्र (1) बाघ (2) गाय (3) ऊँट (4) भेड़ उत्तर : – (3) व्याख्या-ऊँट को 30 जून, 2014 को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया। ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं। विश्व में इनकी संख्या लगातार घट रही है। 20वीं राष्ट्रीय लाइवस्टाक गणना- 2019 के अनुसार राजस्थान में 2012 में जहाँ 3.26 लाख ऊँट थे जो 2019 में घटकर 2.13 लाख रह गए हैं। (1) सभी धातुएँ तन्य होती हैं (2) सभी अधातुएँ तन्य होती हैं (3) सामान्यतः धातुएँ तन्य होती हैं (4) कुछ अधातुएँ तन्य होती हैं। उत्तर : – (3) व्याख्या- धातुओं के सामान्य गुण निम्न प्रकार हैं 1. धातुओं में तन्यता, आघातवर्ध्यता व चमक होती है। 2. धातुएँ कठोर होती हैं तथा ऊष्मा व विद्युत की सुचालक भी होती हैं। 3. धातुओं का घनत्व व गलनांक भी उच्च होता है। उपरोक्त गुण सामान्यत: धातुओं में होते हैं। इनके अपवाद भी होते हैं। (1) वाहन (2) उद्योग (3) ठोस अपशिष्ट (4) धूल के कण उत्तर : – (3) व्याख्या- वायु प्रदूषण के अनेक कारण हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआँ, उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ, धूल के कण, गैसीय अपशिष्ट आदि। ठोस अपशिष्ट से मृदा प्रदूषण तथा जल प्रदूषण होता है। (1) वूलर झील (2) रुद्रसागर झील (3) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (4) राजसमंद झील उत्तर : – (4) व्याख्या-आर्द्रभूमियों पर सम्मेलन, रामसर, ईरान में 1971 में हस्ताक्षरित एक अंतरसरकारी संधि है, जो आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों के संरक्षण और युक्तिसंगत उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की रूपरेखा प्रदान करती है। चिल्का झील के पुनरुद्धार के लिए देश को रामसर संरक्षण अवॉर्ड दिया गया। भारत में वर्तमान में 37 रामसर स्थल (वेटलैंड्स) हैं। (1) जल विद्युत (2) प्राकृतिक गैस (3) पवन ऊर्जा (4) सौर ऊर्जा उत्तर : – (2) व्याख्या-नवीकरणीय संसाधन वे हैं जिनको रिन्यू किया जा सकता है। डीजल, पेट्रोल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि नवीकरणीय जर नहीं हैं। (1) डब्ल्यू.सी. डेम्पीयर (2) बी.एस.ब्लूम (3) कार्ल पॉपर (4) जे.डब्ल्यू.एन, सुल्लिवन उत्तर : – (1) व्याख्या-यह परिभाषा विलियम सेसिल डैम्पियर द्वारा दी गई। (1) बॉटनी (2) हॉर्टीकल्चर (3) जियोलॉजी (4) एनाटोमी उत्तर : – (2) व्याख्या- हॉर्टीकल्चर (Horticulture)- उद्यान विज्ञान जिसमें फल, सब्जी व फूलों को उगाने का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत फल, सब्जी, कन्दमूल फसलें, फूल, औषधीय पौधे, मसाले, बागवानी, फसलें आदि आती हैं। बॉटनी (Botany)- वनस्पति विज्ञान जिसमें पादपों का अध्ययन किया जाता है। जियोलॉजी (Geology)- भूविज्ञान जिसमें पृथ्वी संबंधी अध्ययन किया जाता है। एनाटोमी (Anatomy)- शरीर रचना विज्ञान जिसमें शरीर के अंग व प्रत्यंग की रचना का अध्ययन किया जाता है। (1) विज्ञान के तथ्यों और सिद्धान्तों एवं इसके अनुप्रयोगों को जानना। (2) प्राकृतिक जिज्ञासा, सौन्दर्यपरकता की अनुभूति तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सृजनात्मकता का पोषण। (3) ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सहयोग के मूल्यों को आत्मसात करना। (4) उपर्युक्त सभी। उत्तर : – (4) व्याख्या-प्राथमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षण पर्यावरण अध्ययन के अन्तर्गत कराया जाता है। (1) आवश्यकता का सिद्धान्त (2) उपयोगिता का सिद्धान्त (3) जीवन से सम्बन्धित होने का सिद्धान्त (4) उपर्युक्त सभी उत्तर : – (4) व्याख्या-पर्यावरण अध्ययन में आवश्यकता, उपयोगिता, रुचि व जीवन संबंधितता के सिद्धान्त पर प्रभावी अधिगम संभव होता है। (1) नाइट्रोजन (N) (2) मेथेन (CH) (3) कार्बन डाइऑक्साइड (CO) (4) सल्फर डाइऑक्साइड (SO) उत्तर : – (*) व्याख्या- इस प्रश्न के दो विकल्प (2,3) सही हैं। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के पीछे मुख्य कारण ‘ग्रीन हाउस गैसें’ होती हैं। इनमें कार्बन डाइऑक्साइड (Co),CFC, मेथेन (CH.) व नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) प्रमुख हैं। परन्तु सबसे प्रमुख कारण कार्बन डाइऑक्साइड है, इसलिए वरीयता क्रम के अनुसार कार्बन डाइऑक्साइड ही वैश्विक ऊष्णन में अधिक प्रभावी भूमिका निभाती है। (1) चार (2) तीन (3) आठ (4) छः उत्तर : – (1, 4) व्याख्या-प्रायोजना विधि का प्रारम्भ अमेरिका में जॉन डी.वी. ने किया। यह विधि किलपैट्रिक के प्रयोजनवाद पर आधारित है। इस विधि में बालक अपने अनुभव के आधार पर सीखता है। इस विधि में 6 चरण होते हैं-नियोजन, प्रस्थिति प्रदान करना, क्रियान्वयन, योजना के उद्देश्य व चयन, मूल्यांकन व सारांश लेखन। (1) आगमन (2) मनोरंजक एवं खेल संबंधी (3) रटने का (4) निगमन का उत्तर : – (2) व्याख्या-छोटी कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन विषय में रुचि उत्पन्न करने के लिए बच्चों के लिए मनोरंजक एवं खेल संबंधी गतिविधियों की अधिकता होनी चाहिए। इससे बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं। (1) विश्लेषण विधि (2) स्वत:शोध विधि (3) संश्लेषण विधि (4) आगमन विधि उत्तर : – (4) व्याख्या-आगमन विधि में शिक्षण सूत्र हैं- ज्ञात से अज्ञात व उदाहरण से नियम। इन शिक्षण सूत्रों में जो उदाहरण होता है, वह विशिष्ट होता है तथा जो नियम होते हैं वे सामान्य। अतः आगमन विधि में विशिष्ट से सामान्य का सिद्धान्त प्रयुक्त होता है। (1) बुलेटिन बोर्ड (2) ओ.एच.पी. (3) प्रतिमान (4) फ्लैनल बोर्ड उत्तर : – (2) व्याख्या-प्रक्षेपित सामग्री से अभिप्राय ऐसी सहायक सामग्री से है जिसमें प्रदर्शन के लिए विद्युत यंत्रों या उपकरणों की आवश्यकता होती है। जैसे- सिनेमा, फिल्म, वीडियो आदि। ओएचपी अर्थात् ओवर हैड प्रोजेक्टर स्वयं एक उपकरण है। (1) वैधता (2) विश्वसनीयता (3) (1) व (2) दोनों (4) व्यापकता/विस्तृत उत्तर : – (3) व्याख्या-एक अच्छे प्रश्नपत्र की तकनीकी विशेषताओं में वस्तुनिष्ठता, वैधता, विश्वसनीयता, व्यापकता व विभेदकारिता का गुण होना चाहिए। दिए गए विकल्पों में विकल्प (3) ही अधिक सही होगा। (1) 2006 (2) 2008 (3) 2011 (4) 1997 उत्तर : – (1) व्याख्या-बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून सर्वप्रथम सन् 1929 में पारित किया गया था। बाद में सन् 1949 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए। इस समय विवाह की न्यूनतम आयु बालिकाओं के लिए 18 वर्ष और बालकों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। (1) कम से कम दो भिन्न लिंग वाले वयस्क साथ रहते हों। (2) प्रत्येक सदस्य की आय भिन्न जमा की जाती हो। (3) वे समान आवास, भोजन और समान सामाजिक क्रियाओं का उपयोग करते हों। (4) सुरक्षा एवं बच्चों का साझा उत्तरदायित्व उत्तर : – (2) व्याख्या-परिवार की विशेषता के लिए यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक सदस्य की आय भिन्न जमा की जाती हो। (1) 16 अगस्त, 1996 (2) 5 जून, 1990 (3) 22 जुलाई, 2002 (4) 26 सितम्बर, 1994 उत्तर : – (4) व्याख्या-बाल श्रम उन्मूलन राष्ट्रीय प्राधिकरण (NAECL) की स्थापना 26 सितम्बर, 1994 को भारत सरकार में श्रम मंत्री के नेतृत्व में की गई थी। (1) यूरिया (2) सोडियम फॉस्फेट (3) डी.ए.पी. (4) वर्मी कम्पोस्ट उत्तर : – (*) व्याख्या-यूरिया, सोडियम फॉस्टफेट, डी.ए.पी. व वर्मी कम्पोस्ट सभी उर्वरक के प्रकार हैं तथा बागवानी में आवश्यकतानुसार सभी उपयोगी हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद बागवानी के लिए अधिक उपयोगी है। वस्त्र का प्रकार राज्य (1) फिरन – जम्मू एवं कश्मीर (2) पानो-भाजू – पश्चिमी बंगाल (3) राहिदे – हिमाचल प्रदेश (4) फुलकारी – पंजाब उत्तर : – (2) व्याख्या-पानो-भाजू अरुणाचल प्रदेश में गोयन महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली पारंपरिक वेशभूषा है। (1) संगमरमर (2) कोटा स्टोन (3) घीया पत्थर (सेलखड़ी) (4) सेण्ड स्टोन उत्तर : – (3) व्याख्या-घीया पत्थर या सेलखड़ी इमारती पत्थर नहीं है। (1) 20 (2) 25 (3) 22 (4) 24 उत्तर : – (2) व्याख्या-राजस्थान में 25 लोकसभा सीट हैं। 29 अप्रैल व 6 मई, 2019 को यहाँ सत्रहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में सभी 25 सीट भारतीय जनता पार्टी ने जीती हैं। मेला – राज्य (1) अम्बाजी मेला – गुजरात (2) माघ मेला – उत्तरप्रदेश (3) नैनादेवी मेला – असम (4) बेणेश्वर मेला – राजस्थान उत्तर : – (3) व्याख्या-नैना देवी मेले का संबंध असम से न होकर हिमाचल प्रदेश से है। (1) डीडवाना (2) नागौर (3) बाड़मेर (4) परबतसर उत्तर : – (1) व्याख्या-डीडवाना राजस्थान की खारे पानी की प्रमुख झील है। यहाँ राज्य सरकार द्वारा राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स स्थापित कर खारे पानी से नमक बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया। (1) 1981 (2) 1985 (3) 1986 (4) 1988 उत्तर : – (*) व्याख्या-भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को 24 दिसंबर. 1986 को तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने स्वीकृति प्रदान की थी। भारत सरकार ने अब इसके स्थान पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 तैयार किया है, जिसे 20 जुलाई, 2020 से लागू कर दिया है। इस अधिनियम में ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेता व मंचों को भी सुरक्षा प्रदान की गई है तथा शिकायतों के निवारण में उपभोक्ताओं के हितों का अधिक ख्याल रखा गया है। (1) प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (2) एण्टअमीबा (3) रिट्रोवाइरस (4) साल्मोनेला उत्तर : – (1) व्याख्या- मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) नामक प्रोटोजोआ से होता है। इस रोग की वाहक मादा मच्छर एनोफिलीज (Anapheles) होती है। सिरदर्द, मितली, पेशीय वेदना तथा तीव्र ज्वर मलेरिया के प्रमुख लक्षण हैं। इसके उपचार में कुनैन, क्लोरोक्वीन, प्राइमाक्वीन, पैलुड्रिन आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है। (1) आमाशय (2) श्वसनिका (3) आंत्र (4) वायु कोष उत्तर : – (2) व्याख्या- पक्ष्माभ उपकला शरीर के सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं। ये त्वचा, मुँह, आहारनाल तथा फेफड़ों की बाहरी सतहों पर पाए जाते हैं। अतः ये श्वसनिका में मिलते हैं। (1) जाइलम (2) पेरेनकाइमा (3) कॉलेनकाइमा (4) स्क्लेरेनकाइमा उत्तर : – (1) व्याख्या- जाइलम पौधों में पाया जाने वाला जटिल ऊतक है। जायलम जड़ों से पानी व खनिजों को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है। यह चार प्रकार की कोशिकाओं- वाहिनिकाओं, वाहिकाओं, काष्ठ तन्तु तथा काष्ठ मृदूतक से मिलकर बने होते हैं। व्यापारिक शब्द में कौन सा प्रत्यय हैं?'व्यापारिक' शब्द व्यापार के साथ 'इक' प्रत्यय के योग से बना है।
कौन से शब्द में इक प्रत्यय?'इक' प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए − विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार - Hindi Course - B.
इक प्रत्यय के योग से बना शब्द कौन सा है?इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्द निम्नलिखित है :. दैनिक --- दिन + इक. सामाजिक --- समाज + इक. आर्थिक ---- अर्थ + इक. व्यापारिक ----- व्यापार + इक. दीर्घकालिक शब्द में कौन सा प्रत्यय है * क काल ख दीर्घ ग लिक घ इक?सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय. |