RBSE Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Show
RBSE Class 10 Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. (ख) नन्हे से बच्चे के स्पर्श में रोमांच भरा उल्लास समाया रहता है। उसे स्पर्श करते ही ऐसा लगता है कि मानो बाँस और बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों। आशय यह है कि शिशु की मधुर मुसकान को देखकर नीरस और दूँठ हृदय में भी सरस प्रेम का संचार होने लगता है। रचना और अभिव्यक्ति- प्रश्न 5. प्रश्न 6. बच्चे से कवि की मलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए। फसल – प्रश्न 2.
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3. प्रश्न 4. रचना और अभिव्यक्ति – प्रश्न 5. (ख) वर्तमान जीवन-शैली मिट्टी के गुण-धर्म को बुरी तरह प्रभावित एवं प्रदूषित कर रही है। उसकी उपजाऊ शक्ति को विषैले रसायनों के मिश्रण से समाप्त करती है जिसके कारण धरती की उत्पादन क्षमता घटती है। रसायनों और फैक्ट्रियों आदि से निकले विषैले पदार्थों से मिट्टी के मूल स्वभाव में विकृति आ रही है। भूगर्भ के जल के विदोहन से मिट्टी के पोषक तत्त्व समाप्त हो रहे हैं। (ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जब मिट्टी उपजाऊ शक्ति वाला अपना गुण-धर्म ही छोड़ देगी तो ऐसी स्थिति में मिट्टी बंजर हो जायेगी जिसके कारण फसलें उत्पादित नहीं हो सकेंगी। जब फसलें ही नहीं होंगी तो प्राणी क्या खायेगा? ऐसी स्थिति में जीवन की कल्पना कैसे सम्भव हो सकती है? (घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी अहम् भूमिका हो सकती है, क्योंकि हम संज्ञावान् प्राणी हैं इसलिए हमें सबसे पहले मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी करनी चाहिए। रासायनिक खादों के स्थान पर कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। प्रदूषित करने वाले कारकों से मिट्टी की रक्षा करनी चाहिए।. अधिक फसल लेने के लालच में हमें कीटनाशक रसायनों का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। पाठेतर सक्रियता – इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के सम्पादक को पत्र लिखिए। महोदय, भवदीय फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए। RBSE Class 10 Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Important Questions and Answersअतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 1. कवि ने यहाँ बाल अवस्था के बालक द्वारा की जाने वाली नटखट और प्यारी हरकतों का वर्णन किया है। जैसे बालक जब किसी व्यक्ति को पहचानता नहीं है तो सीधी नजरों से न देखकर तिरछी नजरों से देखता है। और पहचानने के पश्चात् टकटकी लगाकर देखता है। इसमें कवि ने बच्चे की माँ को भी धन्यवाद दिया है कि वह बच्चे व पिता का परिचय करवाती है। पिता प्रवास पर गये होने के कारण प्रथम बार बच्चे को देखते हैं। इस कारण माँ द्वारा किये गये कार्यों को कवि धन्य बताते हैं। प्रश्न 2. उसी तरह हर मिट्टी की भी अलग-अलग विशेषता होती है। उनके रूप, रंग, गुण एक समान नहीं होते हैं। सभी मिट्टियों के विभिन्न गुणों का योगदान रहता है। सूर्य की किरणों का प्रभाव एवं मंद हवाओं का स्पर्श सबके सम्मिलित योगदान से ही फसल तैयार होती है। कवि ने कविता में यही भाव प्रस्तुत किया है। रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न – प्रश्न 1. नागार्जुन की कविताओं में भावुकता और कल्पना से अलग हटकर यथार्थपरक दृष्टिकोण दिखता है। इनकी साहित्य में रचनाएँ युगधारा’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘सतरंगें पंखों वाली’, ‘तुमने कहा था’, ‘तालाब की मछलियाँ’ आदि काव्य कृतियाँ हैं। ‘बलचनमा’, ‘रति नाथ की चाची’, ‘कुम्भीपाक’, ‘वरुण के बेटे’ आदि उपन्यास हैं। घुमक्कड़ प्रवृत्ति के नागार्जुन का देहांत सन् 1998 में हुआ था। यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Summary in Hindiकवि-परिचय : नागार्जुन का मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। इनका जन्म बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गाँव में सन् 1911 में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में हुई, फिर अध्ययन के लिए वे बनारस और कोलकाता गये। 1936 में वे श्रीलंका गये और वहीं जाकर वे बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए। घुमक्कड़ी और अक्खड़ स्वभाव के धनी नागार्जुन ने अनेक बार सम्पूर्ण भारत की यात्रा की। सन् 1998 में उनका स्वर्गवास हो गया। इनके द्वारा रचित काव्य-कृतियाँ-‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखों वाली’, ‘हजार-हजार बाँहों वाली’, ‘तुमने कहा था’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’, ‘मैं मिलटरी का बूढ़ा घोड़ा’ आदि हैं। पाठ-परिचय : पाठ्यक्रम में नागार्जुन द्वारा रचित दो कविताएँ-(i) ‘यह दंतुरित मुसकान’ और (ii) ‘फसल’ संकलित हैं। (i) ‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुसकान देखकर कवि के मन में जो सहज भाव उमड़ते हैं, उन्हें कविता में अनेक बिम्बों के माध्यम से प्रकट किया गया है। (ii) ‘फसल’ शीर्षक कविता में कवि ने बतलाया है कि फसल शब्द सुनते ही खेतों में लहलहाती फसल आँखों के सामने आ जाती है। परन्तु फसल है क्या, और उसे पैदा करने में किन-किन तत्त्वों का योगदान होता है, इन सब बातों पर इसमें प्रकाश डाला गया है। सप्रसंग व्याख्याएँ 1. तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश नागार्जुन द्वारा रचित “यह दंतुरित मुस्कान’ कविता से लिया गया है। कवि ने इसमें छोटे बच्चों की मनोहारी मुस्कान देख मन के भावों को प्रकट किया है। व्याख्या – कवि नन्हे से बच्चे को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि तुम्हारे नन्हे-नन्हे निकलते दाँतों वाली मुसकान इतनी मनमोहक है कि यह मरे हुए आदमी में भी जान डाल सकती है। कहने का आशय यह है कि यदि कोई निराश-उदास और बेजान व्यक्ति भी तुम्हारी इस दंतुरित मुसकान को देख ले, तो वह भी एक बार प्रसन्नता से खिल उठे। उसके भी मन में इस दुनिया की ओर आकर्षण जाग उठे। कवि कहता है कि तुम्हारे इस धूल से सने हुए नन्हे तन को देखता हूँ तो ऐसा लगता है कि मानो कमल के फूल तालाब को छोड़कर मेरी झोंपड़ी में खिल उठे हों। कहने का आशय यह है कि तुम्हारा सुन्दर-सुकोमल मुख कमल के समान प्रतीत होता है, जिसे देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। ऐसा लगता है कि तुम जैसे प्राणवान का स्पर्श पाकर ये चट्टानें पिघल कर जल बन गई होंगी। कहने का आशय यह है कि बच्चे की मधुर मुसकान पाषाण हृदय मनुष्य को भी पिघलाकर अति कोमल हृदय वाला बना देती है। नन्हे से बच्चे के शरीर का स्पर्श पाकर बाँस और बबूल वृक्ष भी शेफालिका के फूलों की तरह झरने लगते हैं। आशय यह है कि कवि का मन बाँस और बबूल की भाँति शुष्क, कठोर और झकरीला हो गया था। बच्चे की मधुर मुसकान को देखकर उसका मन भी पिघलकर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुन्दर हो गया है। विशेष :
2. तुम मुझे पाए नहीं पहचान? कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन द्वारा लिखित ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से लिया गया है। बच्चे के साथ अपने स्नेहशील बंधन को कवि व्यक्त कर रहे हैं। व्याख्या – कवि शिशु को लक्ष्य कर कहता है कि तुम मेरी ओर एकटक होकर देख रहे हो, इससे ऐसा लगता है कि तुम मुझे पहचान नहीं पाये हो। कवि बच्चे से उसके पास खड़ा होकर पूछता है कि तुम मुझे इस तरह लगातार देखते हुए थक गये होगे। इसलिए लो मैं तुम पर से अपनी नजर स्वयं हटा लेता हूँ। तुम मुझे पहली बार देख रहे हो, इसलिए यदि मुझे पहचान भी न पाए तो वह स्वाभाविक ही है। कवि पत्नी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हुआ कहता है कि यदि तुम्हारी माँ माध्यम न बनी होती तो आज मैं तुम्हारी दन्तुरित एवं मनमोहक मुस्कान नहीं देख पाता। तुम्हारी माँ ने ही बताया कि यह दन्तुरित मुसकान वाला शिशु मेरी ही सन्तान है। विशेष :
3. धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य! कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन द्वारा लिखित ‘यह दंतुरित मुस्कान’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि माँ की महिमा को व्यक्त कर रहे हैं। व्याख्या – कवि नन्हे शिशु को सम्बोधित करके कहता है कि तुम अपनी मोहक छवि के कारण धन्य हो। तुम्हारी माँ भी तुम्हें जन्म देकर और तुम्हारी सुन्दर रूप-छवि निहारने के कारण धन्य है। दूसरी ओर एक मैं हूँ जो लगातार लम्बी यात्राओं पर रहने से तुम दोनों से पराया हो गया हूँ। इसीलिए मुझ जैसे अतिथि से तुम्हारा सम्पर्क नहीं रहा। अर्थात् मैं तुम्हारे लिए अनजान ही रहा हूँ। यह तो तुम्हारी माँ है जो तुम्हें अपनी उँगलियों से तुम्हें मधुपर्क चटाती रही, अर्थात् तुम्हें वात्सल्य भरा प्यार देती रही। अब तुम इतने बड़े हो गये हो कि तिरछी नजर से मुझे देखकर अपना मुँह फेर लेते हो, इस समय भी तुम वही कर रहे हो। इसके बाद जब मेरी आँखें तुम्हारी आँखों से मिलती हैं, अर्थात् तुम्हारा-मेरा स्नेह प्रकट होता है, तब तुम मुस्करा पड़ते हो। इस स्थिति में तुम्हारे निकलते हुए दाँतों वाली तुम्हारी मधुर मुसकान मुझे बहुत सुन्दर लगती है और मैं तुम्हारी उस मधुर मुसकान पर मुग्ध हो जाता हूँ। विशेष :
फसल कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन द्वारा लिखित कविता ‘फसल’ से लिया गया है। इसमें कवि ने फसल के उत्पन्न होने में सबके सहयोग का वर्णन किया है। व्याख्या – कवि यहाँ फसल उगाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में वर्णन करता हआ कहता है कि ये जो खेतों में फसलें फल-फूल रही हैं, इनमें एक नहीं, दो नहीं, बल्कि सैकड़ों नदियों का जल इन फसलों को सींच रहा है जिसके कारण फसलें तैयार हो रही हैं। इन फसलों को तैयार करने में एक नहीं, दो नहीं, लाखों-लाखों और करोड़ों-करोड़ों लोगों के हाथों का स्पर्श मिला है। अर्थात् न जाने कितने किसान-मजदूरों ने इन्हें तैयार किया है। उन सबकी मेहनत इन तैयार फसलों में झलकती है। इसके साथ ही एक नहीं, दो नहीं, न जाने कितने खेतों की मिट्टी का गुण और स्वभाव इन फसलों में आ गया है और इनका विकास हुआ हैं। अतः मिट्टी, मानव का श्रम तथा नदियों का जल ये सभी मिलकर फसल उगाने में अपना-अपना योगदान देते हैं विशेष :
2. फसल क्या है? कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन की कविता ‘फसल’ से लिया गया है। इसमें कवि ने नदी, सूर्य एवं मनुष्य के हाथों के संयोग से फसल होना बताया है। व्याख्या – कवि फसल को लेकर प्रश्न करते हुए उत्तर देता है कि ये फसलें और कुछ नहीं हैं केवल नदियों के जल के प्रभाव का जादू हैं तथा मनुष्य के हाथों के स्पर्श अर्थात् उसके श्रम का सुखद परिणाम हैं। ये फसलें कहीं भूरी मिट्टी से उपजी हैं, तो कहीं काली मिट्टी से तो कहीं संदली मिट्टी से उपजी हैं। ये फसलें सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सूरज की किरणों ने ही इन फसलों को अपनी ऊष्मा देकर इस तरह का रूपाकार प्रदान किया है। इसके साथ ही हवाओं की थिरकन सिमट कर इनमें समा गयी है। अर्थात् इन्हें बड़ा करने में हवा की भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अर्थात् फसल प्राकृतिक तत्त्वों और मानव श्रम के सन्तुलित संयोग का प्रतिफल है। विशेष :
दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। कवि को बच्चे की मुसकान बहुत मनमोहक लगती है जो मृत शरीर में भी प्राण डाल देती है।
यह दंतुरित मुस्कान कविता में कवि ने क्या संदेश दिया?इस कविता में छोटे बच्चे की मन को हरने वाली मुस्कान को देखकर कवि के मन में जो भाव उमङते है , उन्हें कवि ने कविता में अनेक बिम्बों के माध्यम से प्रकट किया है। कवि का मानना है कि सुन्दरता में ही जीवन का संदेश होता है। इस सुन्दरता का विस्तार ऐसा है कि कठोर मन को भी पिघला देती है।
दंतुरित मुस्कान से आप क्या समझते हैं?भावार्थ- इस कविता में कवि एक ऐसे बच्चे की सुंदरता का बखान करता है जिसके अभी एक-दो दाँत ही निकले हैं; अर्थात बच्चा छ: से आठ महीने का है। जब ऐसा बच्चा अपनी मुसकान बिखेरता है तो इससे मुर्दे में भी जान आ जाती है।
तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान इस पंक्ति में कौन सा रस है?मृतक में भी डाल देगी जान।
इन पंक्तियों में वात्सल्य रस है। वात्सल्य रस की परिभाषा के अनुसार जब अपने से किसी छोटे प्रियजन के प्रति स्नेह उमड़े जैसे, माता का पुत्र के प्रति।
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