यूक्रेन से भारत क्या क्या आता है? - yookren se bhaarat kya kya aata hai?

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच चल रही लड़ाई तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) के खतरे से पूरी दुनिया को डरा रही है. इस लड़ाई ने वैश्विक महंगाई का डर भी बढ़ा दिया है लेकिन इस विश्व युद्ध का असर केवल कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों पर ही नहीं पड़ेगा. छोटे बड़े कई कारोबार ऐसे हैं जिन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है. यूक्रेन और भारत (India And Ukraine) के बीच कपड़ों का कारोबार एक ऐसा ही क्षेत्र है. आने वाले समय में भारत से यूरोप के शहरों में जाने वाले कपड़ों के कारोबार (Clothing Trade) पर भी असर पड़ सकता है. 

कपड़ों का कारोबार प्रभावित  

रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का असर भारत में कपड़ों की इंडस्ट्री पर पड़ने लगा है. Apparel City यानी कपड़ों के शहर नोएडा और दिल्ली समेत भारत के कई शहरों से यूरोप में रेडीमेड कपड़ों का निर्यात (Export) होता है. लेकिन युद्ध के माहौल में निर्यात तो छोड़िए, जो ऑर्डर तैयार थे वो भी अधर में हैं. फिलहाल ये असर यूक्रेन और भारत (India) के कारोबार पर पड़ रहा है लेकिन आने वाले वक्त में भारत से पूरे यूरोप (Europe) को हो रही कपड़ों की सप्लाई चेन (Supply Chain) पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. 

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आम आदमी की जेब पर पड़ा जोर

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का असर भारतीय रुपये (Indian Rupee), कच्चे तेल (Crude Oil) और सनफ्लावर ऑयल (Sunflower Oil) पर पड़ रहा है. इसके साथ ही युद्ध का असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन संकट का सीधा असर भारत की आम जनता पर भी पड़ेगा. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel), नेचुरल गैस (Natural Gas), एडिबल ऑयल (Edible Oil) और गेहूं (Wheat) महंगा हो सकता है. यूक्रेन और भारत के बीच तकरीबन 3 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है. 

भारत यूक्रेन से खरीदता है कई चीजें

भारत में मौजूद यूक्रेन एंबेसी (Ukraine Embassy) की वेबसाइट के मुताबिक भारत यूक्रेन से 2 बिलियन डॉलर यानी तकरीबन डेढ़ खरब का आयात (Import) करता है. भारत यूक्रेन से केमिकल्स, खाने का तेल और मशीनें खरीदता है. जबकि यूक्रेन भारत से दवाइयां, इलेक्ट्रिकल्स और कपड़े खरीदता है. यूक्रेन (Ukraine) भारत से 721 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 55 अरब का सामान आयात (Import) करता है. हालांकि जानकार मानते हैं कि भारत के कुल आयात-निर्यात कारोबार (Import-Export Business) में ये लेनदेन 10% से भी कम का है.  

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तेल की कीमतों में बढ़त

भारत (India) में अभी कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Prices) संभली हुई हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें 15% से ज्यादा बढ़ चुकी हैं. इसलिए ये तय है कि वैश्विक स्तर पर कारोबार को संभलने में लंबा वक्त लगेगा.  

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रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत ने तटस्‍थता की नीति का अनुसरण किया है। भारत की इस नीति का अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाया। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत और यूक्रेन के रिश्‍ते कैसे रहे हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत ने तटस्‍थता की नीति का अनुसरण किया है। भारत की इस नीति का अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाया। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्‍सा लिया। अमेरिका ने रूस को आक्रमणकारी माना। अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव रहा कि भारत भी अमेरिका व पश्चिम देशों के साथ आए। हालांकि, भारत ने इस दबाव को दरकिनार करते हुए रूस के साथ अपने सामरिक और आर्थिक रिश्‍तों को मजबूत किया। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत के यूक्रेन के साथ कैसे रिश्‍ते रहे हैं। इन‍ रिश्‍तों में पाकिस्‍तान का फैक्‍टर क्‍या है।

1- सोवियत संघ यूएसएसआर के विघटन के बाद भारत पहला मुल्‍क था, जिसने यूएसएसआर से अलग हुए यूक्रेन को मान्‍यता दी थी। 1991 में भारत ने सोवियत यूनियन से अलग हुए यूक्रेन को एक संप्रभु देश का दर्जा दिया। 1992 में भारत और यूक्रेन के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई। 1993 में यूक्रेन सरकार ने नई दिल्‍ली में उच्‍चायोग खोला। यह एशिया में उसका पहला हाईकमीशन था। दोनों देशों के बीच 17 द्विपक्षीय संबंधों पर भी हस्‍ताक्षर हुए और यूक्रेन, भारत का ट्रेड पार्टनर बन गया।

2- हालांकि, बाद में दोनों देशों के रिश्‍तों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। वर्ष 1998 में तत्‍कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो यूक्रेन के साथ रिश्‍ते तल्‍ख हो गए। उस समय से दोनों देश अपने संबंधों को सामान्‍य बनाने में जुटे हैं। परमाणु परीक्षण के दौरन भारत को उम्‍मीद थी कि वह उसका साथ देगा। 1998 में आपरेशन शक्ति के तहत भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे। ऐसे गाढ़े वक्‍त पर जब दुनिया के कई विकसित मुल्‍कों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे, उस वक्‍त यूक्रेन भारत के खिलाफ खड़ा था। यूक्रेन ने दुनिया के 25 देशों के साथ मिलकर भारत के इस कदम का विरोध किया। हालांकि, भारत सरकार ने अपने परीक्षण के पक्ष में कहा था कि यह परीक्षण उसने अपनी सुरक्षा के लिए उठाया है। यूक्रेन ने संयुक्‍त राष्‍ट्रसंघ (UN) के उस प्रस्‍ताव का समर्थन भी किया, जिसमें भारत को और ज्‍यादा परमाणु परीक्षण करने से रोकने की बात कही गई थी।

3- यूक्रेन देश के पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान को हथियारों की आपूर्ति करता रहा है। यूक्रेन और पाकिस्‍तान के बीच रक्षा सौदे का लंबा इतिहास रहा है। यूक्रेन सबसे ज्‍यादा हथियार पाकिस्‍तान को आपूर्ति करता है। पाकिस्‍तान और यूक्रेन के बीच हथियारों के लिए 1.6 अरब डालर का रक्षा सौदा हुआ है। पाकिस्‍तानी सेना में शामिल टी-80 टैंक यूक्रेन में ही बना है। वर्ष 2017 में दोनों देशों ने वह द्विपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था इसमे टी-80 टैंक के अपग्रेडेड वर्जन को खरीदे जाने का जिक्र था।

4- आतंकवाद के मामले में यूक्रेन कई बार पाकिस्‍तान के पक्ष में खड़ा रहा है। भारत कई बार खतरनाक हथ‍ियारों की आपूर्ति पर भी आपत्ति कर चुका है, लेकिन यूक्रेन ने भारत की मांग को हर बार अनसुना किया है। यूक्रेन ने पाकिस्‍तान को 320 टी-80 टैंकों का निर्यात बंद नहीं किया। कश्‍मीर में पा‍क समर्थित आतंकवाद का मामला हो या फिर पाक में आतंकियों को मिलने वाली मदद यूक्रेन ने कभी भी भारत का साथ नहीं दिया। ऐसे में रूस यूक्रेन जंग के बीच ही संयुक्‍त राष्‍ट्र में जब रूस के खिलाफ वोटिंग हुई तो भारतीय अधिकारी नदारद रहे।

Edited By: Ramesh Mishra

रूस यूक्रेन युद्ध का भारत पर क्या असर?

भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारत के एक्सपोर्ट के कारोबार में शामिल व्यापारियों की नींद उड़ा दी थी. फार्मास्यूटिकल्स, मूंगफली, सिरेमिक,आयरन एंड स्टील, चाय, पेट्रोलियम आदि के निर्यात के कारोबार से जुड़े भारतीय व्यापारियों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी.

यूक्रेन से भारत में क्या आयात होता है?

वहीं, इस साल के करीब 11 महीने में फरवरी तक ही 3.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हो चुका है. बता दें कि भारत यूक्रेन को भी टेलीकॉम प्रोडक्ट, आयरन, स्टील और फार्मासुटिकल्स प्रोडक्ट भेजता है. वहीं, यूक्रेन से वेजिटेबल ऑयल, फर्टिलाइजर्स, कैमिकल्स, प्लास्टिक और प्लाईवुड आदि आइटम आयात किए जाते हैं.

रूस से भारत क्या क्या खरीदता है?

हालांकि अमेरिका व उसके सहयोगी देशों के प्रतिबंधों (US Sanctions On Russia) के चलते रूस का क्रूड ऑयल सस्ता है. इसका फायदा भारत और चीन जैसे देश उठा रहे हैं. क्रूड ऑयल की बढ़ी इस खरीद के चलते अप्रैल महीने में रूस से भारत का कुल आयात बिल बढ़कर 2.3 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो ठीक एक साल पहले की तुलना में 3.5 गुना है.

यूक्रेन क्या निर्यात करता है?

रूस की अर्थव्यवस्था का बड़ा दारोमदार कच्चे तेल और गैस के निर्यात पर टिका है. यूक्रेन पर हमले से पहले दुनिया में इस्तेमाल होने वाले हर दस बैरल में से एक बैरल कच्चा तेल रूस का हुआ करता था. लेकिन अब युद्ध की वजह से अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन ने रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.