Solution : यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियाँ भारत के साथ व्यापार में अपार सम्भावनाएँ देखती थीं। यूरोप के बाजारों में भारतीय सूती कपड़े, रेशम, कालीमिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि की जबर्दस्त माँग थी। वे भारत में सस्ती कीमतों पर ये चीजें खरीदकर वापस यूरोप जाकर उन्हें ऊँची कीमतों पर बेच सकती थीं। इसी व्यापारिक सम्भावना के कारण वे भारत की ओर आकर्षित हो रही थीं। Show यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ क्यों आकर्षित हो रही थी? यूरोपीय कम्पनियों ने भारत के साथ व्यापार में आपार संभावनाएँ देखीं: 730 Views हैदर अली और टीपू सुल्तान .......................के शासक थे। 590 Views निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ
2955 Views बंगाल पर अंग्रेज़ों की जीत.................. की जंग से शुरू हुई थी। 691 Views मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के ............भाग में स्थित थीं। 563 Views डलहौज़ी ने .................का सिद्धान्त लागू किया। 608 Views भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के आकर्षण का क्या कारण था?यूरोप के बाजारों में भारतीय सूती कपड़े, रेशम, कालीमिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि की जबर्दस्त माँग थी। वे भारत में सस्ती कीमतों पर ये चीजें खरीदकर वापस यूरोप जाकर उन्हें ऊँची कीमतों पर बेच सकती थीं। इसी व्यापारिक सम्भावना के कारण वे भारत की ओर आकर्षित हो रही थीं।
यूरोप की व्यापारिक कंपनियों को भारत की ओर कैसे आकर्षित?हालांकि यूरोपीय भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में कामयाब हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था. (1) 20 मई, 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुंचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की. (2) 1505 ई.
भारत में यूरोपीय कंपनियों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का प्रमुख कारण क्या था?तत्कालीन भारतीय व्यापार पर अधिकार रखने वाले अरब व्यापारियों को जमोरिन का यह व्यवहार पसंद नहीं आया, अतः उनके द्वारा पुर्तगालियों का विरोध किया गया। बाद धीरे-धीरे पुर्तगालियों ने भारत आना आरंभ कर दिया। भारत में कालीकट, गोवा, दमन, दीव एवं हुगली के बंदरगाहों में पुर्तगालियों ने अपनी व्यापारिक कोठियों की स्थापना की।
यूरोपीय कंपनियों के लिए प्रमुख व्यापारिक वस्तु है कौन सी थी?किंतु यूरोपीय कंपनियों ने समुद्री व्यापार पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए अपनी नौ शक्ति का प्रयोग किया और भारतीय व्यापारियों को अपने एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए मज़बूर कर दिया।
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