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बच्चे का वजन बढ़ने का कोई फिक्स पैटर्न नहीं होता है। सभी बच्चों का वजन अलग-अलग तरीके से बढ़ता है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता जरूर है और इससे बच्चे के विकास को ट्रैक करने में मदद मिलती है। जन्म के बाद पहले हफ्ते में शिशु का 10 पर्सेंट वजन घटता है लेकिन अगले एक या दो हफ्ते में यह वजन वापिस बढ़ जाता है। अगले तीन महीनों में ठीक तरह से दूध पीने पर रोज बच्चे को 30 ग्राम वेट बढ़ता है। हर बच्चा अलग होता है और यह बताना मुश्किल होगा कि बेबी का कितना वजन बढ़ेगा। हालांकि, बच्चे का धीमी गति से वजन बढ़ने का मतलब है कि उसे पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है। यह भी पढ़ें : बच्चे के पतलेपन से परेशान न हों, ये चीजें खिलाकर बढ़ाएं उसका वजन शिशु के धीमे विकास का कारणनवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाना चाहिए। समय के साथ बच्चे की भूख बढ़ती जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने के लिए शिशु जितनी कैलोरी खर्च करता है, उससे ज्यादा कैलोरी उसे मिलनी चाहिए। लगातार बच्चे का वजन न बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि पर्याप्त मात्रा में कैलोरी न मिलना, पोषक तत्वों को न सोख पाना और कैलोरी ज्यादा खर्च करना। पर्याप्त कैलोरी न लेनाशिशु के लिए कैलोरी का एक ही स्रोत है और वो है ब्रेस्टमिल्क। जब शिशु को पर्याप्त कैलोरी नहीं मिलती है, तो उसका विकास धीमा पड़ जाता है। स्तन ठीक तरह से न खींच पाने, दिन में कम बार स्तनपान करवाने, देर तक दूध न पिलाने और ब्रेस्ट मिल्क कम आने पर ऐसा हो
सकता है। हर एक से दो घंटे में शिशु को दूध पिलाएं। अगर आपको ब्रेस्ट मिल्क नहीं आ रही है या शिशु दूध नहीं खींच पा रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करें। यह भी पढ़ें : 6 महीने के दुबले-पतले बच्चे का वजन बढ़ाना है, घर पर बनाएं ये हेल्दी रेसिपी पोषक तत्व न सोख पानाकुछ मामलों में ठीक तरह से दूध पिलाने पर भी शिशु विकास धीमा होता है। ऐसा बेबी के किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण दूध से पोषक तत्वों को न सोख पाने पर होता है। गैस्ट्रोइसोफेजल रिफलक्स या फूड एलर्जी या फूड सेंसिटिविटी से पोषक तत्वों को सोखने में दिक्कत हो सकती है। दूध पीने के तुरंत बाद बच्चे को उल्टी हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ज्यादा कैलोरी बर्न करनाशरीर के जरूरी कार्यों को करने के लिए शिशु कैलोरी का इस्तेमाल करता है। इसके अलावा बच्चा ऐसा कोई काम नहीं करता है जिसमें ज्यादा कैलोरी बर्न होती हो। लेकिन कुछ बच्चे कैलोरी को जल्दी पचा लेते हैं इसलिए उन्हें ज्यादा कैलोरी चाहिए होती है। प्रीमैच्योर बर्थ के मामले में हार्ट डिजीज या सांस से जुड़ी परेशानियों में शिशु को नॉर्मल से ज्यादा कैलोरी चाहिए होती है। धीमे विकास के मामले में आपको पीडियाट्रिशियन से बात करनी चाहिए। डॉक्टर परिस्थिति की जांच कर के सही इलाज बता पाएंगे। इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक
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पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है केला। इसमें कैलोरी भी भरपूर मात्रा में होती है जिससे शिशु का वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। केले को मसलकर या फिर स्मूदी या शेक में केले को मिलाकर बच्चे को दें। अगर बच्चा तीन साल से अधिक उम्र का है तो आप उसे केला सीधा खिला सकती हैं। यह भी पढ़ें : शिशु के लिए केले से प्यूरी बनाने का सही तरीका शकरकंदशकरकंद को उबालने के बाद मैश कर के बच्चे को खिलाएं। ये बहुत ही पौष्टिक होता है और आसानी से पच जाता है। शकरकंद विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी6, कॉपर, फास्फोरस, पोटैशियम और मैंगनीज से भरपूर होती है। शकरकंद में डायट्री फाइबर भी पाए जाते हैं। आप इसकी प्यूरी या सूप बनाकर भी बच्चे को दे सकती हैं। यह भी पढ़ें : बच्चे के चेहरे पर सफेद दाग का दिख रहा है एक भी निशान, तो न करें नजरअंदाज दालेंदालों में प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है। छह महीने के बच्चे को दाल का सूप या दाल का पानी
दे सकते हैं। आप बच्चे को दाल की खिचड़ीभी खिला सकती हैं। दाल चावल या सब्जी के साथ दाल मिलाकर खिलाने से भी दाल का पोषण बढ़ जाता है। 7 से 9 महीने के बच्चे को आप ठोस आहार में दलिया भी खिला सकती हैं। यह भी पढ़ें : बच्चों को Kiss करने से फैल सकती हैं कुछ ऐसी
बीमारियां घी और रागीघी में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक होती है। आठ महीने के शिशु को घी खिलाना
शुरू किया जा सकता है। दलिये या खिचड़ी या दाल के सूप में बच्चे को घी डालकर खिलाएं। ये बच्चे का वजन बढ़ाने के साथ-साथ उसे हेल्दी भी रखेगा। यह भी पढ़ें :
बच्चों को रोज कितना घी खिलाना चाहिए इसके अलावा शिशु का वजन बढ़ाने और स्वस्थ विकास के लिए रागी सुपरफूड का काम करती है। ये डायट्री फाइबर, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और अन्य कई विटामिनों एवं खनिज पदार्थों से युक्त होती है। आप रागी की इडली, डोसा या दलिया बनाकर खिला सकती हैं। यह भी पढ़ें : जानिए बच्चों को रागी खिलाने की सही उम्र और फायदे अंडा और एवोकाडोअंडा प्रोटीन से भरपूर होता है। एक
साल के होने के बाद बच्चे को अंडा खिला सकते हैं। इसमें सैचुरेटेड फैट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स होते हैं। आप अंडे उबालकर या इसका आमलेट बनाकर बच्चे को खिला सकती हैं। एवोकाडो विटामिन ई, सी, के और फोलेट, कॉपर, डायट्री फाइबर एवं पैंटोथेनिक एसिड से युक्त होता है। इसमें उच्च मात्रा में फैट होता है। आप किसी भी रूप में एवोकाडो बच्चे को खिला सकती हैं। मिल्क शेक में भी एवोकाडो मिलाकर दिया जा सकता है। यह भी पढ़ें :
दांत निकलने पर दर्द से रो रहा है बच्चा तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें 1 मंथ बेबी का वेट कैसे बढ़ाए?Kids Diet For Weight Gain: बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए आपको डाइट में हेल्दी फूड जरूर शामिल करने चाहिए. इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है. Weight Gain Tips: अक्सर बच्चों के पतलेपन से मां-बाप परेशान हो जाते हैं. बच्चों की हेल्थ को लेकर ज्यादातर पैरेंट्स के चिंतित रहते हैं.
नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए माँ को क्या खाना चाहिए?नवजात शिशु के लिए मां के दूध को पचाना आसाना होता है, इसलिए मां के दूध से शिशु को कब्ज, दस्त या पेट की अन्य परेशानी बेहद ही कम होती है। अगर आपका बच्चा पर्याप्त मात्रा में स्तनपान करता है, तो इससे उसका वजन बढ़ने में मदद मिलती है। मां का दूध ही बच्चे के लिए सही आहार माना जाता है।
न्यू बोर्न बेबी का वेट कैसे बढ़ाये?जन्म के बाद पहले हफ्ते में शिशु का 10 पर्सेंट वजन घटता है लेकिन अगले एक या दो हफ्ते में यह वजन वापिस बढ़ जाता है। अगले तीन महीनों में ठीक तरह से दूध पीने पर रोज बच्चे को 30 ग्राम वेट बढ़ता है। हर बच्चा अलग होता है और यह बताना मुश्किल होगा कि बेबी का कितना वजन बढ़ेगा।
1 महीने का बच्चे का कितना वजन होना चाहिए?बच्चों का सही वजन क्या होना चाहिए? - Sahyadri Hospital.
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