1960 सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था? - 1960 soorat adhiveshan ka adhyaksh kaun tha?

1907 में हुए सूरत अधिवेशन में कांग्रेस दो दलों में विभाजित हो गई। इस विभाजन का असर छत्तीसगढ़ में भी हुआ। सूरत अधिवेशन की अद्यक्षता राजबिहारी घोष ने की थी।

छत्तीसगढ़ पर प्रभाव :
रायपुर टाउन हॉल में 29 मार्च सन् 1907 में प्रांतीय राजनैतिक अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता आर.एन.मुधोलकर ने की तथा डा. हरीसिंह गौड़ स्वागत समिति के अध्यक्ष थे। दादा साहेब खापर्डे ने सुझाव दिया कि अधिवेशन की कार्यवाही वन्देमातरम् गान से प्रांरभ की जानी चाहिए किन्तु डा. गौड़ और मुधोलकर इस पर सहमत नहीं हुए। इस पर दादा साहेब और डा.मुन्जे अधिवेशन स्थल छोड़कर चले गए।

नरम दल: हरि सिंह गौर, सी.एम. ठक्कर, देवेंद्र चौधरी, रायबहादुर, शिवराम मुंजे, केलकर, देवेन्द्रनाथ चौधरी।
गरम दल: खापर्डे, लक्ष्मणराव उदयगीरकर, रविशंकर शुक्ल, वामनराव लाखे, ठाकुर हनुमान सिंह।

बाद में रविशंकर शुक्ल के प्रयासों से दोनों दल एक हो गए।

  1. दादा भाई नौरोजी
  2. बाल गंगाधर तिलक
  3. रास बिहारी घोष
  4. लाला लाजपत राय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रास बिहारी घोष

सही उत्तर रासबिहारी घोष है।

1960 सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था? - 1960 soorat adhiveshan ka adhyaksh kaun tha?
Key Points

  • 1907 के सूरत सत्र को लोकप्रिय रूप से सूरत विभाजन के रूप में जाना जाता था क्योंकि कांग्रेस दो समूहों में विभाजित हो गई थी। यानी गरम दल और नरम दल।
  • इसकी अध्यक्षता नरम दल के नेता रासबिहारी घोष ने की थी।
  • मुख्य रूप से दोनों समूहों के बीच एक वैचारिक अंतर था।
  • नरम दल द्वारा रखे गए मुख्य उद्देश्य थे
  1. स्वराज के संकल्प की मांग।
  2. लाला लाजपत राय को INC का अध्यक्ष बनाया जाय।
  • इन दोनों मांगों को नरमपंथियों ने स्वीकार नहीं किया और इस तरह विभाजन हो गया।
  • सूरत विभाजन, बाटों और राज करों की ब्रिटिश नीति की जीत थी।
  • 1916 में, लखनऊ सत्र में दोनों समूह फिर से मिले गयी ।

1960 में कांग्रेस के सूरज अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?...


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देखी आपने पूछा 1960 में कांग्रेस के सूरज अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे तो देखिए जहां तक मुझे समझ में आ रहा है पूछना चाह रहे थे 1960 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे साथ में हुआ था एक अधिवेशन अधिवेशन अति महत्वपूर्ण तक गरम दल और नरम दल के आपसी मतभेद होकर इस अधिवेशन में कांग्रेस के कांग्रेश दो भागों में विभाजित हो गई थी इसके बाद 1980 के लखनऊ अधिवेशन में दोनों का आपस में विलय हुआ 26 दिसंबर 1960 को ताप्ती नदी के किनारे संपन्न हुआ राज्य की प्राप्ति के लिए आंदोलन अध्यक्ष पद के लिए नरम दल और गरम दल दोनों में काफी मतभेद थे उग्रवादियों ने सूरत कांग्रेसका अध्यक्ष लोकमान तिलक को अब बाद में लाला लाजपत राय को बनाना बनाना चाहा धन्यवाद

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1960 सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था? - 1960 soorat adhiveshan ka adhyaksh kaun tha?

1 जवाब

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1960 सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था? - 1960 soorat adhiveshan ka adhyaksh kaun tha?

Surat spilit upsc congress ka vibhajan adiveshan in hindi

Surat mein Congress ka Vibhajan kab hua?(सूरत में कांग्रेस का विभाजन) Surat mein Congress ka Vibhajan 1907 mein hua.

Immediate Cause Of SURAT SPLIT सूरत विभाजन का तात्कालिक कारण – अध्यक्ष का विवाद -उग्रवादी (Extremist) लाला लाजपत रॉय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि उदारवादी (Moderator) रास बिहारी बोस को।

  • 1905 में बनारस अधिवेशन हुआ तो इसकी अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की इसमें उदार वादियों और उग्रवादियों के मतभेद सामने आए इस अधिवेशन में बाल गंगाधर तिलक ने नरमपंथी के रवैया की तीखी आलोचना की। तिलक स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को पूरे देश में फैलाना चाहते थे पर नरमपंथी इसे केवल बंगाल तक सीमित रखना चाहते थे। इस अधिवेशन में मध्यम मार्ग पढ़ाया गया और कांग्रेस का विभाजन कुछ समय के लिए टाल दिया गया।
  • 1996 हुए कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में भी उग्रवादियों का बोलबाला रहा और दादाभाई नरोजी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद स्वराज और प्रशासन को कांग्रेस ने अपना लक्ष्य घोषित किया इस अधिवेशन में उदार वादियों के प्रस्तावों को  ज्यादा महत्व नहीं दिया  गया
  • 1907 में  सूरत में यह  टकराव सुनिश्चित हो गया। और निम्न कारणों से कांग्रेस में पहला सूरत विभाजन हुआ-

सूरत विभाजन का कारण 1907

  • सूरत विभाजन का पहला कारण -उदार वादियों के रासबिहारी बोसतथा उग्रवादियों के लाला लाजपत रायथे और अंततः रासबिहारी अध्यक्ष बने।
  • दूसरा कारण बंगाल विभाजन था जिसमें उग्रवादी इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहते थे।
  • तीसरा कारण 1905 में आए प्रिंस ऑफ वेल्स का स्वागत किया गया जिसका विरोध उग्रवादियों ने किया।
  • चौथा कारण आम लोगों को शामिल होने में भी मतभेद था
  • इन वजहों से सूरत में कांग्रेस में प्रथम विभाजन हुआ।
  • 1908 में कांग्रेस का नवीन संविधान और नियमावली बनी
  • एक लेख में तिलक द्वारा बमबारी जैसे शब्दों का प्रयोग करने पर उन्हें 6 वर्ष के लिए देश से निकाल दिया गया और वर्मा जेल में भेजा गया इसी समय बिपिन चंद्र पाल और अरविंद घोष ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और लाला लाजपत राय विदेश चले गए इस कारण अतिवादी आंदोलन असफल हुआ किंतु 1914 में तिलक की देश वापसी के पश्चात इसमें पुनः तेजी आई।

मार्ले मिंटो सुधार 1909

  • सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की बात कही गई।*
  • वायसराय लॉर्ड मिंटो और भारतीय सचिव जॉन मार्ले उदार वादियों और मुस्लिमों द्वारा प्रस्तुत कुछ सुधारों पर सहमत हुए और इनको एक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत किया जो भारतीय परिषद अधिनियम 1909 में रूपांतरित हुआ।

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सूरत अधिवेशन 1960 के अध्यक्ष कौन थे?

उन्होंने रासबिहारी घोष को अध्यक्ष घोषित कर दिया।

गरम दल के सदस्य कौन थे?

गरम दल भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अन्दर ही सदस्यों के मतभेद के कारण उपजा एक धड़ा था जिसके नेता लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिनचंद्र पाल थे

गरम दल और नरम दल के नेता कौन थे?

गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जैसे क्रन्तिकारी। वे हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे। और नरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरू।

1960 में सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभाजन का मुख्य कारण क्या था?

चरमपंथियों की ब्रिटिश सरकार से बातचीत करने के लिए नरमपंथियों की क्षमता में विश्वास की कमी 1907 में सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विभाजन का मुख्य कारण थी।