2022 में पाकिस्तान का पीएम कौन है? - 2022 mein paakistaan ka peeem kaun hai?

पाकिस्तान में सियासी बवाल के बाद आखिरकार शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चुन लिया गया है। मियां मोहम्मद शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। अविश्वास प्रस्ताव के बाद इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के बाद वह सत्ता में आए हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ शहबाज पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष भी हैं। प्रधानमंत्री बनने से पहले शाहबाज तीन बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पाकिस्तान में अब तक 22 प्रधानमंत्री (Prime Ministers Of Pakistan) रह चुके हैं और शाहबाज 23वें प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान के किसी भी प्रधानमंत्री ने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। आइए जानते हैं पाकिस्तान के सभी प्रधानमंत्रियों की लिस्ट उनका कार्यकाल और उनकी पार्टी।

1- लियाकत अली खान
कार्यकाल- 14 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951 तक
पार्टी- मुस्लिम लीग

2- सर ख्वाजा नजीमुद्दीन

कार्यकाल- 17 अक्टूबर 1951 से 17 अप्रैल, 1953 तक
पार्टी- मुस्लिम लीग

3- मोहम्मद अली बोगरा

कार्यकाल- 17 अप्रैल, 1953 से 12 अगस्त 1955 तक
पार्टी- मुस्लिम लीग

4- चौधरी मोहम्मद अली

कार्यकाल- 12 अगस्त 1955 से 12 सितंबर 1956 तक
पार्टी- मुस्लिम लीग

5- हुसैन शहीद सुहरावर्दी

कार्यकाल- 12 सितंबर 1956 से 17 अक्टूबर, 1957 तक
पार्टी- अवामी लीग

6- इब्राहिम इस्माइल चुंदरी गाड़ी
कार्यकाल- 17 अक्टूबर, 1957 से 16 दिसम्बर, 1957 तक
पार्टी- मुस्लिम लीग

7- सर फिरोज खान नून
कार्यकाल- 16 दिसम्बर , 1957 से 7 अक्टूबर 1958 तक
पार्टी- रिपब्लिकन दल

8- नुरुल अमीन
कार्यकाल- 7 दिसंबर 1971 से 20 दिसंबर 1971 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

9- जुल्फिकार अली भुट्टो

कार्यकाल- 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक
पार्टी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी

10- मोहम्मद खान जुनेजो

कार्यकाल- 24 मार्च 1985 29 मई 1988 तक
पार्टी- स्वतंत्र

11- बेनजीर भुट्टो
कार्यकाल- 2 दिसंबर 1988 से अगस्त 6, 1990 तक
पार्टी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी

12- नवाज़ शरीफ़
कार्यकाल- नवंबर 6, 1990- 18 जुलाई 1993 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

13- बेनजीर भुट्टो

कार्यकाल- 19 अक्टूबर 1993 से नवंबर 5, 1996 तक
पार्टी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी

14- नवाज़ शरीफ़

कार्यकाल- 17 फरवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

15- मीर जफरुल्लाह खान जमाली
कार्यकाल- 23 नवंबर, 2002 से 26 जून 2004 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

16- चौधरी शुजात हुसैन
कार्यकाल- 30 जून 2004 से 26 अगस्त 2004 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

17- शौकत अज़ीज़ो
कार्यकाल- 28 अगस्त 2004 से 15 नवंबर, 2007 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

18- यूसुफ़ रज़ा गिलानी
कार्यकाल- 25 मार्च, 2008 से 19 जून 2012 तक
पार्टी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी

19- राजा परवेज अशरफी
कार्यकाल- 22 जून 2012 से 24 मार्च 2013 तक
पार्टी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी

20- नवाज़ शरीफ़
कार्यकाल- 5 जून 2013 से 28 जुलाई 2017 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

21- शाहिद खाकान अब्बासी
कार्यकाल- 1 अगस्त 2017 से 31 मई 2018 तक
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

22- इमरान खान

कार्यकाल- 18 अगस्त 2018 से 10 अप्रैल 2022 तक
पार्टी- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफी

23- मियां मोहम्मद शाहबाज शरीफ
कार्यकाल- 11 अप्रैल 2022 से वर्तमान
पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग

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इमरान ख़ान कब तक रहेंगे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और कैसे होगा कार्यवाहक सरकार का गठन

  • बिलाल करीम मुग़ल
  • बीबीसी उर्दू डॉट कॉम, इस्लामाबाद

4 अप्रैल 2022

2022 में पाकिस्तान का पीएम कौन है? - 2022 mein paakistaan ka peeem kaun hai?

इमेज स्रोत, RADIO PAKISTAN

पाकिस्तान में रविवार की सुबह उस वक़्त दिलचस्प हालात पैदा हुए जब प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करवाने की जगह संसद के डिप्टी स्पीकर ने इसे असंवैधानिक क़रार देते हुए रद्द कर दिया.

इसके फ़ौरन बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफ़ारिश की जिन्होंने इस बारे में आदेश जारी कर दिया.

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इस सारे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है तो वहीं दूसरी ओर तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेताओं ने आगामी चुनावों और उससे पहले निगरानी रखने वाले ढांचे पर बयान देना शुरू कर दिया है.

फ़वाद चौधरी ने घोषणा की है कि संसद में अब तक नेता विपक्ष रहे शहबाज़ शरीफ़ को कार्यवाहक सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से ख़त लिखा जा रहा है.

आइये जानते हैं कि पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार क्या होती है, कैसे बनती है और उसका दायरा क्या होता है?

वीडियो कैप्शन,

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कथित साज़िश और संसद भंग

पाकिस्तान के संविधान के तहत उच्च सदन यानी सीनेट को भंग नहीं किया सकता जबकि निचले सदन जिसे नेशनल असेंबली कहा जाता है उसे संविधान के अनुच्छेद 58 के तहत भंग किया जा सकता है.

संविधान में 18वें संशोधन से पहले सीधे राष्ट्रपति ऐसा कर सकते थे हालांकि अब ऐसा सिर्फ़ प्रधानमंत्री की सलाह के बाद ही हो सकता है.

अहम बात ये है कि नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे थे जिस पर संवैधानिक तौर पर वोटिंग कराने की अंतिम तारीख़ थी.

27 मार्च को इस्लामाबाद में एक सभा में इमरान ख़ान ने कहा था कि उनकी सरकार को एक दूसरे मुल्क की ओर से लिखित रूप से धमकी दी गई है.

रविवार को जब नेशनल असेंबली का सम्मेलन शुरू हुआ तो केंद्रीय क़ानून मंत्री फ़वाद चौधरी ने असेंबली में इस मुद्दे को उठाते हुए डिप्टी स्पीकर से अपील की कि वो इस अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दें क्योंकि इसे विदेशी ताक़तों के कहने पर लाया गया है.

इसके बाद डिप्टी स्पीकर क़ासिम सूरी ने फ़ैसला देते हुए सत्र को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया और इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग करने की सिफ़ारिश कर दी जिसे राष्ट्रपति ने मंज़ूर कर लिया.

कार्यवाहक सरकार का गठन

अब बात आती है कि इमरान ख़ान की ओर से नए चुनाव करवाने और कार्यवाहक सरकार के गठन की.

कार्यवाहक सरकार का गठन अनुच्छेद 224 के तहत किया जाता है, जिसके उपखंड के मुताबिक़ अगर अनुच्छेद 58 के तहत संसद भंग हो जाए तो देश के राष्ट्रपति.. प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता की सलाह से कार्यवाहक सरकार का गठन करेंगे.

हालांकि, कार्यवाहक सरकार का गठन राष्ट्रपति सीधे नहीं कर सकता है बल्कि ये विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री के बीच सहमति के बाद गठित होती है.

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वीडियो कैप्शन,

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संसद भंग तो फिर प्रधानमंत्री कौन?

इस वक्त पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भंग हो चुकी है लेकिन इमरान ख़ान अब भी प्रधानमंत्री पद पर मौजूद हैं और अगले चंद दिनों तक वो प्रधानमंत्री रहेंगे.

वो कम से कम अगले तीन दिन तक तो प्रधानमंत्री रहेंगे, और ज़्यादा से ज़्यादा ये मामला आठ से नौ दिन तक खिंच सकता है.

क़ानून विशेषज्ञ सलमान अकरम राजा कहते हैं कि 'जब तक कार्यवाहक सरकार नहीं आ जाती तब तक प्रधानमंत्री का अपना पद अभी मौजूद है, हालांकि अगर सुप्रीम कोर्ट ये कहे कि सारी कार्यवाही ही ग़लत हुई है और पूरे मामले को डिप्टी-स्पीकर के फ़ैसले से पहले ले जाना होगा तो फिर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी और उसके बाद जो भी सूरतेहाल होगी, उस पर देखना होगा.'

और अगर सुप्रीम कोर्ट कहे कि हम हस्तक्षेप नहीं करते हैं तो क्या होगा?

इस सवाल पर सलमान अकरम राजा कहते हैं कि फिर कार्यवाहक प्रधानमंत्री की तैनाती का तरीक़ा अपनाना पड़ेगा.

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संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत अगर संसद भंग हो जाए तो ख़त्म होने वाली नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री को आपसी सहमति से किसी एक नाम पर सहमत होना होता है.

और इस काम के लिए उनके पास असेंबली के भंग होने से लेकर सिर्फ़ तीन दिन का वक़्त होता है.

एक बार उनके नाम पर सहमति हो जाए तो पाकिस्तान के राष्ट्रपति उस नाम की मंज़ूरी देते हैं और जब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री न आ जाए, उस वक्त तक इमरान ख़ान ही प्रधानमंत्री रहेंगे.

इमरान ख़ान और शहबाज़ शरीफ़ किसी नाम पर सहमत न हुए तो?

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और विपक्ष के नेता शहबाज़ शरीफ़ अगर एक नाम पर सहमत नहीं होते हैं तो फिर ये मामला एक आठ सदस्यों वाली पार्लियामेंट्री कमिटी के पास जाएगा.

लेकिन उस वक्त तो नेशनल असेंबली भंग हो चुकी होगी तो फिर ये कमिटी कैसे गठित की जाएगी, उसमें कौन लोग शामिल होंगे, और ये भी अगर किसी नतीजे पर न पहुंच सकी तो आगे क्या होगा?

संविधान और संसदीय मामलों के जानकार और पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ़ लेजिस्लेटिव डिवेलपमेंट एंड ट्रांपेरेंसी के अध्यक्ष अहमद बिलाल महबूब के मुताबिक़ संविधान में इस बात की गुंजाइश है कि इस कमिटी में नेशनल असेंबली के सदस्यों के साथ-साथ सीनेट के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं.

इस कमिटी में विपक्ष से चार और सरकार से चार सदस्यों का शामिल होना ज़रूरी होता है और भंग हो चुकी असेंबली के स्पीकर ही उस कमिटी का गठन करेंगे.

संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत जब तक नई असेंबली में नए स्पीकर का चुनाव न हो जाए तब तक मौजूदा स्पीकर अपने पद पर रहेगा.

प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता इस कमिटी के लिए चार-चार सदस्यों को नामित करते हैं और फिर इस कमिटी के सामने दो नाम प्रधानमंत्री और दो नाम विपक्ष के नेता सुझाते हैं. फिर कमिटी के पास इस मामले पर फ़ैसला करने के लिए तीन दिन होते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये कमिटी गठित होने के तीन दिन तक अपना फ़ैसला न दे सके तो फिर ये मामला चुनाव आयोग के पास जाता है जिसे दो दिन के अंदर-अंदर कार्यवाहक प्रधानमंत्री का नाम ऐलान करना होता है.

इमरान ख़ान इस वक्त तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट रविवार के क़दम को असंवैधानिक क़रार नहीं देता तो भी अब से लेकर आठ या नौ दिन के अंदर इमरान ख़ान प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे और पाकिस्तान नए आम चुनावों के मौसम में चला जाएगा क्योंकि कार्यवाहक सरकार को 90 दिन के अंदर चुनाव करवाने होंगे.

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बजट कौन पेश करेगा?

अगर पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार स्थापित हो जाती है तो क्या ये अगला केंद्रीय बजट भी पेश और मंज़ूर करेगी, जिसे जून के दूसरे सप्ताह में नेशनल असेंबली में पेश होना होता है?

ग़ौरतलब है कि इस वक़्त पाकिस्तन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समझौते के तहत कई सख़्त वित्तीय फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं और ये देखा गया है कि अनुपूरक बजट जिसे आम भाषा में मिनी बजट भी कहा जाता है, अकसर नए हालात के संदर्भ में मंज़ूर होते रहे हैं.

अहमद बिलाल महबूब कहते हैं कि ये मुमकिन है कि कार्यवाहक सरकार की ओर से कुछ महीने का बजट पेश किया जाए क्योंकि ऐसी सरकार का उद्देश्य बुनियादी तौर पर चुनाव करवाना होता है लेकिन संविधान के तहत बजट पेश किया जाना ज़रूरी है.

संविधान के अनुच्छेद 86 के तहत अगर नेशनल असेंबली भंग हो जाए तो केंद्र सरकार अधिक से अधिक चार महीने के लिए ख़र्चों की मंज़ूरी दे सकती है.

पूर्व अटॉर्नी जनरल इरफ़ान क़ादिर कहते हैं कि इस पर संविधान में कुछ नहीं कहा गया है कि कार्यवाहक सरकार बजट नहीं पेश कर सकती है.

पाकिस्तान के PM कौन है 2022?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री कौन है?

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर हमले की ख़बर पूरे भारत की मीडिया में छा गई.

पाकिस्तान में कुल कितने राज्य हैं?

पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैंपाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था।

पाकिस्तान के तीसरे प्रधानमंत्री कौन है?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की सूची.