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सुई का काम कोई तलवार नहीं कर सकती, इसीलिए दिखने में छोटी हर एक चीज का भी अपना अलग महत्व है, सुखी जीवन के लिए किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिए
रिलिजन डेस्क। मुगल कालीन रहीम द्वारा लिखे गए दोहे आज भी सुखी जीवन के लिए प्रेरणा देते हैं। इन दोहों में छिपी बातों का ध्यान रखा जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। जैसे रहीम का एक बहुत फेमस दोहा है- बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।। इस दोहे का अर्थ यह है कि हमें समाज में और घर-परिवार में अच्छी तरह सोच-समझकर ही सभी से व्यवहार करना चाहिए। जिस प्रकार फटे हुए दूध से माखन नहीं निकाला जा सकता, ठीक उसी प्रकार बात बिगडऩे पर पुन: सुधारी नहीं जा सकती है। # रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।। रहीम ने इस दोहे में बताया है कि हमें कभी भी बड़ी वस्तु की चाहत में छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि जो काम एक सुई कर सकती है वही काम एक तलवार नहीं कर सकती। अत: हर वस्तु का अपना अलग महत्व है। ठीक इसी प्रकार हमें किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिए। जीवन में कभी भी किसी की भी जरूरत पड़ सकती है। सभी अच्छा व्यवहार बनाकर रखना चाहिए। # रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे तो फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।। रहीम का यह दोहा बहुत प्रसिद्ध है। आज भी इस दोहे को जीवन में उतारने पर रिश्ते सुखद बने रह सकते हैं। इस दोहे का अर्थ यह है कि प्रेम का रिश्ता बहुत नाजूक होता है। अत: इस प्रसंग में संभलकर रहना चाहिए। प्रेम के रिश्ते को कभी भी झटका देकर तोडऩा अच्छा नहीं होता हैए क्योंकि यदि ये रिश्ता एक बार टूट जाता है तो पुन: जुड़ नहीं सकता है। जिस प्रकार धागा को तोडऩे के बाद पुन: जोड़ा नहीं जा सकता। यदि टूटे हुए धागे को जोड़ा भी जाए तो उसमें गांठ पड़ जाती है। # जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।। रहीम ने इस दोहे में बताया है कि जो लोग स्वभाव से सदाचारी और धार्मिक हैं उन्हें बुरे लोगों की संगत बिगाड़ नहीं सकती है। इसका एक उदाहरण यह है कि चंदन के पेड़ पर हमेशा सांप लिपटे रहते हैं, लेकिन चंदन के वृक्ष पर सांप का जहर नहीं चढ़ता है। # रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार।। हमारे आसपास जो भी अच्छे लोग उनसे हमेशा अच्छे रिश्ते बनाकर रखना चाहिए, वे भले ही सौ बार रूठ जाएं, लेकिन उन्हें मना लेना चाहिए। सज्जन लोग मोतियों के हार के समान होते हैं। जिस प्रकार मोतियों की माला टूटने पर पुन: धागे में मोतियों को पिरो लिया जाता है, ठीक उसी प्रकार सज्जन लोगों को मना लेना चाहिए। सुई की जगह तलवार काम नहीं आती तथा बिन पानी सब सून इन दो पंक्तियों के उदाहण से रहीम जी हमें क्या समझाना चाहते हैं?रहीम ने इस दोहे में बताया है कि हमें कभी भी बड़ी वस्तु की चाहत में छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि जो काम एक सुई कर सकती है वही काम एक तलवार नहीं कर सकती। अत: हर वस्तु का अपना अलग महत्व है। ठीक इसी प्रकार हमें किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिए।
पानी शब्द के माध्यम से रहीम जी ने हमें क्या समझाने का प्रयास किया है?निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय बिन पानी साबुन बिना, निरमल करत सुभाय ।। 2 ।। गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढै खोट । पावस देखि रहीम मन, कोइल साधै मौन ।
रहीम के दोहे वर्तमान में भी कैसे सार्थक हैं रहीम का एक दोहा लिखे जो आपकी पाठ्य पुस्तक में न हो?रहीम दास जी ने इस दोहे में पानी से मतलब विनम्रता से लिया है. इस दोहे का अर्थ है कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिए. जिस तरह से पानी के बिना आटे का और चमक के बिना मोती का कोई महत्व नहीं रह जाता है. उसी तरह मनुष्य भी बिना विनम्रता के आभाहीन हो जाता है और उसके मूल्यों का पतन हो जाता है.
सूई तथा तलवार के उदाहरण द्वारा कवव क्या संदेश देिा चाहते हैं?रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजै डारि। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥
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