आंख की पुतली का ऑपरेशन कैसे होता है - aankh kee putalee ka opareshan kaise hota hai

अम्बाला शहर | बसंलआई अस्पताल के कोर्निया विशेषज्ञ डाॅ. आशीष बंसल ने बताया कि आंख की पुतली अथवा कोर्निया सबसे बाहरी पारदर्शी परत होती है। यह आंख के शीशे का काम करती है, जिसके द्वारा रोशनी आंख के अंदर जाती है। जब यह किसी कारणवश धुंधली हो जाती है जैसे कि चोट लगना, जख्म या इन्फेक्शन, फौला पड़ना या कभी लेंस बदलने के ऑपरेशन के बाद तो इसके कारण अंधापन हो जाता है।

कुछ मरीजों में दवाइयों से पुतली को ठीक किया जा सकता है, परन्तु कुछ में खराब पुतली को बदलकर नई पुतली लगाई जा सकती है जिसे कोर्निया ट्रांसप्लांट कहते हैं। आॅप्रेशन के बाद 70-80 प्रतिशत लोग सफलतापूर्वक देख सकते हैं। डाॅ. आशीष ने बताया कि आजकल आधुनिक तरीके से पूरी पुतली बदलने की जगह पुतली की कुछ परतें भी बदली जा सकती है जिसकी सफलता और बेहतर है। डाॅ. आशीष बंसल ने एमएस पीजीआई चंडीगढ़ और कोर्निया बदलने का विशेष प्रशिक्षण चेन्नई से किया है। यहां पिछले वर्षो मंे काफी मरीज अपनी पुतली सफलतापूर्वक बदलवा चुके हैं।

आगरा में नई तकनीक से हुआ आंख का ऑपरेशन, लौटी वापस रोशनी

एसएन मेडिकल कॉलेज पोस्टीरियर लैमेलर केराटोप्लास्टी करने वाला प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कालेज बना। 16 टांके की जगह पांच एमएम के चीरे से आंख की रोशनी जाने पर दो मरीजों के प्रत्यारोपण। हवा के बुलबुले की मदद से पूरी पुतली की जगह परत का प्रत्यारोपण।

आगरा, जागरण संवाददाता। अत्याधुनिक तकनीक से दान में मिली पुतली (कार्निया) से मरीजों की जिंदगी में उजाला करने वाला एसएन मेडिकल कालेज प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कालेज बन गया है। यहां गुरुवार को पांच एमएम का चीरा लगाकर महिला मरीज की पूरी पुतली की जगह परत का प्रत्यारोपण किया गया। टांके की जगह हवा के बुलबुले से प्रत्यारोपित परत को जोडा गया। एसएन की नेत्र बैंक में मौत होने पर स्वजन नेत्र (पुतली, कार्निया) दान कर रहे हैं। पूरी पुतली को प्रत्यारोपित कर मरीज की आंख की रोशनी लौटाई जा रही है। इसमें 16 टांके लगाए जाते हैं।

अब अत्याधुनिक पोस्टीरियर लैमेलर केराटोप्लास्टी से एसएन में पूरी पुतली की जगह परत का प्रत्यारोपण शुरू हो गया है। नेत्र बैंक की प्रभारी डा शेफाली मजूमदार ने बताया कि पुतली की मोटाई 0. 5 एमएम होती है। पुतली पारदर्शी होती है, इसमें कई परत होती हैं। इन परतों के खराब होने पर दिखाई देना बंद हो जाता है। अभी तक पूरी पुतली बदली जाती थी, इसमें 16 टांके लगाए जाते थे। मगर, नई तकनीकी से महिला मरीज की आंख में एक एमएम का चीरा लगाकर पुतली की खराब परत पीछे की तरफ को अलग किया। दान में मिली पुतली की तीन परत की गईं। पांच एमएम का चीरा लगाकर पुतली की परत प्रत्यारोपित कर दी गई। टांके की जगह हवा के बुलबुले से परत को जोड़ा गया है। 12 घंटे बाद आंख से पट्टी हटाई जाएगी। तीन दिन में नई तकनीक से दो प्रत्यारोपण किए गए हैं। हाथ से परत की अलग, निजी अस्पताल में 60 हजार खर्चा एम्स, दिल्ली सहित निजी हास्पिटल में पुतली की परत को अत्याधुनिक मशीन से अलग किया जाता है। मगर, एसएन में मशीन नहीं है, ऐसे में हाथ से ही परत अलग की गई। वीडियो काल के माध्यम से एम्स के विशेषज्ञों से हाथ से अलग की गई परत दिखाई गई, उन्होंने परत की गुणवत्ता देख सराहा। इसके बाद प्रत्यारोपण किया गया। एसएन में निश्शुल्क प्रत्यारोपण किया जा रहा है। निजी अस्पतालों में 40000 से 60000 तक का खर्चा है।

मोतियाबिंद के आपरेशन और आंख में घाव होने से पुतली हो रही खराब

मोतियाबिंद के आपरेशन के दौरान ट्रामा होने से पुतली की सबसे पीछे की परत खराब हो रही है। जबकि आंख में घाव होने से आगे की पुतली खराब हो रही हैं। इन दोनों तरह के केस में अत्याधुनिक तकनीक से प्रत्यारोपण किया जा सकता है। एसएन में किए गए दोनों केस में निजी अस्पताल में मोतियाबिंद का आपरेशन कराने से पुतली की पीछे की परत खराब हो गई थी।

नई तकनीक के फायदे

पूरी पुतली बदलने पर रिजेक्शन की आशंका बढ़ जाती है और आंख की रोशनी नहीं लौटती है, नई तकनीक में रिजेक्शन की आशंका नहीं है पुरानी तकनीक में 16 टांके लगाए जाते थे, इससे रोशनी लौटने में समय लगता है, नई तकनीक से 12 घंटे बाद रोशनी लौट आती है एक पुतली से दो लोगों की आंख की रोशनी लौट सकती है।

पोस्टीरियर लैमेलर केराटोप्लास्टी की सुविधा केजीएमयू, लखनऊ में ही उपलब्ध है। प्रदेश के किसी भी राजकीय मेडिकल कालेज में यह सुविधा नहीं है। एसएन पहला मेडिकल कालेज है जहां नई तकनीक से पूरी पुतली की जगह परत का प्रत्यारोपण किया गया है।

- डा शेफाली मजूमदार, एसएन मेडिकल कॉलेज

Edited By: Prateek Gupta

आँख की पुतली का प्रत्यारोपण

कार्निया पर इन्फेक्शन से बचाव

आंख की पुतली का ऑपरेशन कैसे होता है - aankh kee putalee ka opareshan kaise hota hai

आँख का सबसे सामने वाला पारदर्शी काँच जैसा हिस्सा कार्निया कहलाता है। कार्निया की पारदर्शिता (सफाई) एवं उसके आकार (गोलाई) पर हमारी नजर की सफाई एवं पैनापन निर्भर करता है। प्रकाश की किरणें कार्निया से होते हुए आँख में प्रवेश करती है और लैंस से होते हुए अंत में रेटिना (पर्दे) पर फोकस होती है। कार्निया की सतह पर आँसू एक महीन परत बनाकर रहते हैं और उसके पोषण के तत्व प्रदान करते हैं। कार्निया में अतिसूक्ष्म नसें (नर्व) होती हैं और वे इसे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग बनाती हैं।

कार्निया की सेहत बाहरी कारण जैसे प्रदूषण, कम्प्यूटर का इस्तेमाल इत्यादि से लेकर अंदरूनी बीमारियाँ जैसे गठिया, कई प्रकार के एलर्जी इत्यादि से प्रभावित हो सकती है। कार्निया पर इन्फेक्शन से अल्सर बन सकता है। मोतियाबिंद या अन्य ऑपरेशन के दौरान कार्निया के अंदरूनी सेल्स नष्ट होने की अवस्था में पारदर्शिता एवं नजर कम हो जाती है। केरेटोकोनस ऐसी बीमारी है जिसमें कार्निया की पारदर्शिता तो सही रहती है, पर उसका आकार गोलाकार की बजाय कोणाकार हो जाता है। आँख में आँसू की कमी में कार्निया की कुदरती चमक व पारदर्शिता कम हो सकती है।

आंख की पुतली का ऑपरेशन कैसे होता है - aankh kee putalee ka opareshan kaise hota hai

नेत्र रोग विशेषज्ञ या कार्निया विशेषज्ञ कार्निया की बीमारियों के निदान के लिए कई प्रकार की जाँच कर सकते हैं। स्लिट लैंप एक माइक्रोस्कोप की तरह होता है जिसके इस्तेमाल द्वारा बारीक त्रुटियाँ भी देखी जा सकती हैं। केरेटोमेट्री, टोपोग्राफी एवं पेकीमेट्री कार्निया के आकार एवं मोटाई की जानकारी प्रदान करते हैं। कार्निया के जटिल इन्फेक्शन (अल्सर) में उस पर से सेम्पल लेकर कल्चर द्वारा कीटाणुओं का सही पता लगाया जा सकता है।

डॉ. प्रशांत भारती

अत्याधुनिक तकनीक द्वारा कीटाणु के डीएनए की भी जाँच कर उसको पहचाना जा सकता है। शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ, जो कार्निया पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं, की जाँच कराई जाती है। स्पेकुलर माइक्रोस्कोप द्वारा कार्निया के पिछले भाग के सेल्स देखे व गिने जा सकते हैं।




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पुतली का ऑपरेशन कैसे होता है?

पुतली पारदर्शी होती है, इसमें कई परत होती हैं। इन परतों के खराब होने पर दिखाई देना बंद हो जाता है। अभी तक पूरी पुतली बदली जाती थी, इसमें 16 टांके लगाए जाते थे। मगर, नई तकनीकी से महिला मरीज की आंख में एक एमएम का चीरा लगाकर पुतली की खराब परत पीछे की तरफ को अलग किया।

आँख के ऑपरेशन के बाद कितने दिनों का आराम आवश्यक है?

मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद तीन - चार दिनों का आराम लेना चाहिए ।

आंख की पुतली कैसे बदलें?

कुछ मरीजों में दवाइयों से पुतली को ठीक किया जा सकता है, परन्तु कुछ में खराब पुतली को बदलकर नई पुतली लगाई जा सकती है जिसे कोर्निया ट्रांसप्लांट कहते हैं। आॅप्रेशन के बाद 70-80 प्रतिशत लोग सफलतापूर्वक देख सकते हैं।

पुतली क्या होता है?

लकड़ी, मिट्टी, धातु, कपड़े आदि की बनी हुई स्त्री की आकृति या मूर्ति विश्षतः वह जो विनोद या क्रीड़ा (खेल) के लिये हो । गुड़िया । २. आँख का काल भाग जिसके बीच में वह छेद होता है जिससे होकर प्रकाश की किरणें भीतर जाती हैं और पदार्थों का प्रतिबिंब उपस्थित करती हैं ।