आषाढ़ में कौन से फल मिलते हैं? - aashaadh mein kaun se phal milate hain?

आगरा, जागरण संवाददाता। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास चाैथा मास होता है। इस माह में मानसून का आगमन भी हो जाता है। जप- तप और तीर्थ भ्रमण के लिए ये महीना काफी उपयुक्त बताया गया है। इस मास विशेष में विशेषताओं के साथ− साथ कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां भी बरतनी चाहिए। ताकि आपकी साधना का पूरा फल आपको मिल सके। आषाढ़ मास की विशेषता के बारे में इस्कॉन से जुड़े ज्योतिषशास्त्री पंकज प्रभु बताते हैं कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु चार माक के लिए चिरलनिद्रा में जाकर विश्राम करते हैं। क्योंकि यह काल वर्षाकाल है, संक्रमण की संभावना रहती है। वहीं जमीन पर कीट अधिक चलते हैं। जैन धर्म में संत इस माह से चार माह तक एक स्थान पर विहार करते हैं ताकि उनके द्वारा किसी तरह की हिंसा न हो। आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी से चातुर्मास या चौमासा शुरू हो जाता है और देवी देवता विश्राम करने चले जाते हैं इसलिए इस दौरान शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य नहीं होते हैं।

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एकभक्त व्रत रखा जाता है आषाढ़ मास में

आषाढ़ मास में एकभक्त व्रत भी किया जाता है, जिसमें पूरे मास यह व्रत चलता है। व्रत में सूर्यास्त से पहले ही भाेजन कर लिया जाता है और जितनी भूख हो उससे कम ही खाया जाता है। इस उपवास में भाेजन की सीमा भी बतायी गयी है। जो मुनि, साधु, या पूर्ण सन्यास में हैं वे केवल आठ ही ग्रास खा सकते हैं। जो लोग वानप्रस्थी हैं वो 16 ग्रास का सेवन करते हैं और गृहस्थ लोग 32 ग्रास खा सकते हैं। व्रत पूरा होने पर खाड़ऊ, छाता, नमक और आंवले का ब्राह्मण को दान करते हैं। इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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भगवान विष्णु को समर्पित है आषाढ़ मास

आषाढ़ मास में सबसे अधिक फलदायी उपासना गुरु की होती है। इसके साथ ही देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की उपासना से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। आषाढ़ के महीने में ही जल की उपासना भी की जाती है। मान्यता है कि जल की पूजा से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है।

ना करें इस फल का सेवन

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क्योंकि आषाढ़ मास वर्षा ऋतु का काल है तो इस मास में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसलिये इस पूरे माह खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मास में बेल को बिल्कुल भी न खाएं। जहां तक हो सके तेल वाली चीजें कम कर दें। सौंफ, हींग और नींबू का प्रयोग फायदेमंद होता है।

करें इन कामों से परहेज

आषाढ़ मास में वर्षा होती है इसलिये इस माह में हानिकारक कीट पंतग, जीव पनपते हैं। इस मास में सात्विकता के साथ पूजा पाठ करनी चाहिए। साथ ही स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। उबला पानी पीएं। बाहर कम जाएं। बाहर का खाना नहीं खाएं। भाेजन पानी को खुला न छोड़ें।  

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आषाढ का महीना बड़ा ही पावन और पवित्र माना गया है. इस महीने की पूजा उपासना से देवी देवताओं की विशेष कृपा साधक पर बनी रहती है. कहते हैं आषाढ़ के महीने में जप, तप, पूजा उपासना और स्नान दान का बड़ा ही महत्व है. इसीलिए इस महीने को ज्योतिष में भी बहुत खास माना गया है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो तमाम पर्व और त्योहारों के कारण आषाढ़ के महीने का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इस महीने भगवान जगन्नाथ, देवी शक्ति, श्रीहिर विष्णु, सूर्य और मंगल की विशेष उपासना होती है. कहते हैं कि इस महीने देवी-देवताओं की कृपा से हर मनोकामना पूरी हो जाती है...तो आइए जानते हैं क्या है आषाढ़ मास की महिमा.

The month of Ashadh is starting on 15th June. Special worship of Lord Jagannath, Goddess Shakti, Srihir Vishnu, Surya, and Mars is done this month. What is the glory of Ashadh month? Watch the video.

कहते हैं कि इस महीने में देवी-देवताओं की कृपा से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है. यह संधि काल का महीना है, इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है. इस महीने में रोगों का संक्रमण सर्वाधिक होता है. इस महीने से वातावरण में थोड़ी सी नमी आनी शुरू हो जाती है. इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. इस बार आषाढ़ मास 15 जून से 13 जुलाई तक रहेगा.

आषाढ़ माह के व्रत और पर्व-
कहते हैं पूजा उपासना से शक्ति से हर कष्ट से मुक्ति मिल सकती है. सच्चे मन और पूर्ण श्रृद्धा से अगर जप तप किया जाए. तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है. लेकिन आषाढ़ माह में कौन कौन से व्रत और पर्व आते हैं. चलिए अब आपको ये बताते हैं...

  • आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान किसी ब्राह्मण को करें
  • इसी महीने में श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी निकाली जाती है
  •  इस महीने में सूर्य और देवी की भी उपासना की जाती है 
  • इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए "गुप्त नवरात्रि" भी मनाई जाती है
  • इसी महीने से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं 
  • अगले चार माह तक शुभ कार्यों की वर्जना रहती है 
  • आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है  

आषाढ का महीना बड़ा ही पावन और पवित्र माना गया है. इस महीने की पूजा उपासना से देवी देवताओं की विशेष कृपा साधक पर बनी रहती है. कहते हैं आषाढ़ के महीने में जप, तप, पूजा उपासना और स्नान दान का बड़ा ही महत्व है. इसीलिए इस महीने को ज्योतिष में भी बहुत खास माना गया है.

पूजा-उपासना से होगा कल्याण-
जानकारों की अगर मानें तो आषाढ़ के महीने में की गई उपासना कभी निष्फल नहीं होती. लेकिन सवाल ये कि आषाढ़ के महीने में किन किन देवी देवताओं की उपासना मंगलकारी होती है. तो चलिए आपको भी बता देते हैं. 

  • आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है 
  • आषाढ़ में  देवी की उपासना भी शुभ फल देती है 
  • श्री हरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है 
  • आषाढ़ में जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है 
  • मंगल और सूर्य की उपासना आषाढ़ में अवश्य करें, ताकि ऊर्जा का स्तर बना रहे 

आध्यात्मिक मान्यता है कि सच्चे मन और सच्ची आस्था से आषाढ़ के महीने में ईश्वर की उपासना की जाए. तो सभी कष्टों से आपको मुक्ति मिल सकती है. क्योंकि ये पूरा ही महीना दैवीय कृपा से भरपूर रहता है. इस बार आषाढ़ का महीना बुधवार से शुरू हो रहा है और इस बार महीने के पहले दिन ही भगवान सूर्य अपनी राशि परिवर्तन कर रहे हैं.

आषाढ़ कृष्ण पक्ष के त्योहार-
भगवान विष्णु को समर्पित इस महीने में ध्यान योग साधना का विशेष महत्व है. इसीलिए अब आपको बताते हैं कि आने वाले 30 दिनों में आपको दैवीय कृपा पाने के लिए कौन कौन सी महत्वपूर्ण तिथियां मिलने वाली हैं. जिन पर मनाया जाएगा मुख्य पर्व और त्योहार. 

  • 17 जून शुक्रवार को गणेश संकष्टी व्रत किया जाएगा
  • 20 जून सोमवार को मासिक कालाष्टमी की तिथि पड़ेगी
  • 24 जून शुक्रवार को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा
  • 26 जून रविवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा
  • 27 जून सोमवार को रोहिणी व्रत की तिथि है
  • 27 जून सोमवारको ही मासिक शिवरात्रि भी है
  • 29 जून बुधवर को आषाढ़ अमावस्या की तिथि रहेगी

आषाढ़ शुक्ल पक्ष के त्योहार-
आषाढ़ के कृष्ण पक्ष की तिथियों के बाद ही आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही माता दुर्गा की उपासना का गुप्त नवरात्र शुरू होगा. गुप्त नवरात्र को सिद्धियां प्राप्त करने के लिए उपासना का सबसे उत्तम समय माना गया है. हिंदू कैलेंडर में साल में जागृत नवरात्र और दो गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना का विधान बताया गया है. 

  • 30 जून गुरुवार को गुप्त नवरात्र प्रतिपदा पर घट स्थापना होगी
  • 1 जुलाई शुक्रवार को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी
  • 9 जुलाई को गौरी व्रत किया जाएगा
  • 10 जुलाई रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत किया जाएगा
  • 11 जुलाई सोमवार को सोम प्रदोष का व्रत होगा
  • 13 जुलाई बुधवार को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी

आषाढ़ महीने की महिमा बताते हुए धर्म शास्त्र इस माह को कामना पूर्ति का माह कहते हैं, क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान सूर्य, भगवान शिव के साथ साथ गुरू का भी सानिध्य मिलता है. और इसी महीने में देव चार महीने के शयन के लिए चले जाते हैं. ऐसे में देवों के शयन से पहले उनसे वरदान पाने का ये सबसे अहम पड़ाव होता है.

आषाढ़ माह में प्राय कौन कौन से फल मिलते है *?

1. देव पूजा : आषाढ़ माह में भगवान विष्णु, सूर्यदेव, मंगलदेव, दुर्गा और हनुमानजी की पूजा करने का दोगुना फल मिलता है। आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है।

आषाढ़ में कौन सा मौसम होता है?

सही उत्तर वर्षा है। ​​आषाढ़ मास को वर्ष का तीसरा महीना माना जाता है। आषाढ़ मास का एक मुख्य महत्व वर्षा की शुरुआत है। क्योंकि भारत में इस महीने मानसून का मौसम होता है।

आषाढ़ महीने की क्या विशेषता है?

आषाढ़ मास में सबसे अधिक फलदायी उपासना गुरु की होती है। इसके साथ ही देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की उपासना से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। आषाढ़ के महीने में ही जल की उपासना भी की जाती है।

आषाढ़ का क्या महत्व है?

आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है. आषाढ़ मास में जल देवता की उपासना करने से धन प्राप्ति के मार्ग खुल जाते हैं. आषाढ़ मास में मंगल और सूर्य की उपासना अवश्य करनी चाहिए. इस महीने में मंगल और सूर्य की उपासना करने से ऊर्जा का स्तर उत्तम रहता है.