बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है। इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है। कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं। मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है। हाथ, पैर की अँगुलियाँ लम्बी नितम्ब पर मांसलगदी है। व्यवहार[संपादित करें]'प्लोस वन' में छपे शोध निष्कर्षों के अनुसार अमरीका के ड्यूक विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं के अनुसार बंदर भी इंसान की तरह ही फ़ैसला करते और खीझते हैं। फ़ैसला करने के भावनात्मक परिणाम- निराशा और दुख दोनों ही बंदर प्रजाति में भी मूलभूत रूप से मौजूद हैं और यह सिर्फ़ इंसानों का आद्वितीय गुण नहीं है।[1] सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ी[संपादित करें]
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे। बंदर उन्हें भर पेट खाता और मौज उड़ाता। वह अकेला ही मजे से दिन गुजार रहा था। मगर ने ऊपर बंदर की ओर देखकर कहा, ‘‘मैं मगर हूं। बड़ी दूर से आया हूं। खाने की तलाश में यों ही
घूम रहा हूं।’’ बन्दर ने कहा, ‘‘यहां पर खाने की कोई कमी नहीं है। इस पेड़ पर ढेरों फल लगते हैं। चखकर देखो। अच्छे लगे तो और दूंगा। जितने जी चाहे खाओ।’’ यह कहकर बन्दर ने कुछ फल तोड़कर मगर की ओर फेंक दिए। बंदर का कलेजा पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा हैं। कहानी
एक नदी किनारे हरा-भरा विशाल पेड था। उस पर खूब स्वादिष्ट फल उगे रहते। उसी पेड पर एक बंदर रहता था। बडा मस्त कलंदर। जी भरकर फल
खाता, डालियों पर झूलता और कूदता-फांदता रहता। उस बंदर के जीवन में एक ही कमी थी कि उसका अपना कोई नहीं था। मां-बाप के बारे में उसे कुछ याद नहीं था न उसके कोई भाई था और न कोई बहन, जिनके साथ वह खेलता। उस क्षेत्र में कोई और बंदर भी नहीं था जिससे वह दोस्ती गांठ पाता। एक दिन वह एक डाल पर बैठा नदी का नज़ारा देख रहा था कि उसे एक लंबा विशाल जीव उसी पेड की ओर तैरकर आता नजर आया। बंदर ने ऐसा जीव पहले कभी नहीं देखा था। उसने उस विचित्र जीव से पूछा 'अरे भाई, तुम क्या चीज़ हो?' टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख
क्या बंदर के कलेजा होता है?बंदर कोई दिल रहित नहीं होता है। जिस तरह से हमारे सीने के अंदर दिल धड़कता है । ठीक उसी प्रकार से बंदर के अंदर भी दिल होता है।
बंदर के अंदर क्या होता है?बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है। इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है। कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं। मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है।
बंदर के हृदय में कितने कक्ष होते हैं?सही उत्तर 4 है। स्तनपायी हृदय में चार कक्ष (दो आलिन्द और दो निलय) होते हैं।
बंदर की उम्र क्या होती है?Dileep Vishwakarma. बंदर की औसत आयु करीब 25 से 30 साल तक होती है.
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