आत्मा की शांति के लिए कौन सा पाठ करना चाहिए? - aatma kee shaanti ke lie kaun sa paath karana chaahie?

इस संसार में जिस जीव ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु सुनिश्चित है। ऐसी मान्यता है कि आत्मा अजर एवं अमर है। मृत्यु के पश्चात आत्मा एक शरीर को त्यागकर दूसरे सफर के लिए निकल जाती है। मनुष्य की मृत्यु के पश्चात सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाज के अनुसार मृतक की आत्मा की शांति के लिए, नियमों का पालन करते हुए पूजा पाठ इत्यादि करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के पश्चात यदि मृतक आत्माओं की इच्छाओं की पूर्ति नहीं की जाती है, तो आत्माएं दरबदर भटकती रहती हैं और उन्हें शांति नहीं मिलती है। अतः मृत्यु के पश्चात मृतक की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ का करना अत्यंत आवश्यक है। यह शांति पाठ अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। आइए जानते हैं हिंदू धर्म में मृतक की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ कैसे किया जाता है।

मृत्यु के पश्चात 13 दिन तक चलता है शूदक-

हिंदू धर्म में जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है, तो मृत्यु के पश्चात 13 दिनों तक घर में शूदक चलता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के पश्चात 13 दिनों तक मनुष्य की आत्मा परिजनों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। इन 13 दिनों में व्यक्ति के अंतिम संस्कार से लेकर तेरहवीं तक के क्रियाकलाप को विधि विधान से करने के बाद ही आत्मा को तृप्ति मिलती है और वह दूसरे लोक के लिए प्रस्थान करती है।

मृत्यु के बाद होने वाली शांति पूजा में किया जाता है गरुड़ पुराण का पाठ –

मृत्यु के पश्चात 13 दिनों तक चलने वाले शूदक के दौरान मृतक की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ का आयोजन किया जाता है, जिसमें गरुण पुराण का पाठ करने का प्रावधान है।

सर्वप्रथम बात करते हैं, गरुड़ पुराण की तो, गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान विष्णु ने गरुड़ पुराण की रचना की है। इस पुराण में 19 हजार से भी ज्यादा श्लोक हैं। इस पुराण में मृत्यु के बाद जीवो का क्या होता है? वह यमलोक कैसे पहुंचते हैं? स्वर्ग या नर्क की गति कैसे होती है? इन सभी बातों का जिक्र किया गया है।

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद 13 दिनों के गरुड़ पुराण का पाठ करने से, मृतक की आत्मा को शांति मिलती है, एवं आत्मा को जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गरुण पुराण में किन बातों का हुआ है जिक्र –

• महापुराण गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है कि मृत्यु के पश्चात मनुष्य की आत्मा 13 दिनों तक परिजनों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है।  गरुड़ पुराण के पाठ में, स्वर्ग-नरक, अधोगति, दुर्गति, गति, सद्गति इत्यादि के बारे में वर्णन किया गया है। इस पाठ को सुनने से मनुष्य को जीवन मरण से संबंधित सभी बातों के बारे में पता चलता है। मृत्यु के पश्चात आत्मा किस तरह से दूसरे लोक के लिए प्रस्थान करती हैं। इन सभी बातों का वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है। इस पुराण का श्रवण करने से मनुष्य को जीवन मृत्यु से जुड़े सभी तथ्यों के बारे में जानकारी मिलती है।

• किसी मनुष्य की मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण का पाठ रखने के पीछे का उद्देश्य है, मृतक के परिजनों को मृत्यु के पश्चात, किस तरह से सद्गति की प्राप्ति होती है, एवं कौन से कर्म करने से आत्मा उच्च लोक के लिए प्रस्थान करती है, इन सब बातों के बारे में जानकारी देना है।।

• ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मनुष्य की मृत्यु के पश्चात जब उसके परिजन गरुड़ पुराण के पाठ का श्रवण करते हैं इस पुराण के श्रवण मात्र से मृतक की आत्मा को मुक्ति मिलती है। एवं वह अपने सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग की तरफ अग्रसर हो जाता है, अथवा पुनः मानव योनि में जन्म लेकर, जीवन के सुख का लाभ उठाता है।

आत्मा की शांति कौन से पाठ करने पर मिलता है?...


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प्रिय पुस्तक आता साथी गोकुल के मंदिर आपने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है आत्मा की शांति कौन से पाठ करने पर मिलती है आत्मा की शांति के लिए आत्मा को जानना बहुत अनिवार्य होता है आत्मा की शांति के लिए गीता पाठ संदेश आपकी आत्मा को शांति मिल सकती है आप शांत मन से समझते हुए गीता का अध्ययन करें गीता पाठ करें यह जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश हिस्सा अजर अमर अविनाशी आत्मा के लिए और नसरुद्दीन के लिए हमको मिल जाता है शुभकामनाएं धन्यवाद

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आत्मा की शांति के लिए कौन सा मंत्र?

ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

मरने वाले की आत्मा को शांति कैसे मिलती है?

पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। श्राद्धों में गंगा जल, काले तिल, जौ, दूध खीर से तर्पण करते हैं। आचार्य पंडित योगेश शास्त्री सैंपऊ वाले ने बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के बाद मनुष्य की आत्मा भटकती रहती है।

पिता की आत्मा की शांति के लिए क्या करें?

शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता को पुं नामक नरक से मुक्ति दिलाता है। इसलिए उसे पुत्र कहते हैं- पुं नाम नरक त्रायेताति इति पुत्रः। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पुत्र द्वारा पिंडदान, तर्पण आदि करने पर ही पिता की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

आत्मा को मुक्ति कैसे दिलाएं?

मृत्‍यु के वक्‍त करें ऐसा लगे जब कि आत्‍मा शरीर का साथ छोड़ने वाली है तब उसे गंगाजल से स्‍नान कराएं और मुंह में भी गंगाजल और तुलसी डालें। ऐसा करने से व्‍यक्ति को प्राण त्‍यागने में कम कष्‍ट होता है।