सब्सक्राइब करे youtube चैनल (Unity in Diversity in hindi) meaning definition अनेकता में एकता क्या है | अनेकता में एकता की परिभाषा अर्थ किसे कहते है मतलब भाषण शायरी का नारा किसने दिया था ? अनेकता में एकता (Unity in Diversity) सांस्कृतिक लक्षणों की तरह धार्मिक पर्र्वोें में भी प्रसार की प्रवृत्ति होती है। यह फैलाव और क्षैतिज दोनों प्रकार से होता है। उदाहरण के लिए , शक्त पंथ दोनों प्रकार से फैला है। क्षैतिज फैलाव की प्रक्रिया में परिणामजनक संशोधन का प्रसार, आत्मसातीकरण और एकीकरण जैसी क्रियाओं की भूमिका होती है। परिणामस्वरूप, धार्मिक पर्व के क्षेत्रीय स्वरूपों का विकास होता है। आइए इसे समझें देवी की अवधारणा का जन्म, दर्शन के स्तर पर कल्पित एक सर्वव्यापी दैवीय नारी शक्ति से होता है। लेकिन वह कई रूपों में व्यक्त होती है। जैसे, वैष्णो देवी, शंकुवरी, कामाख्या, दुर्गा, काली, शीतला आदि। ये सभी क्षेत्रीय स्तरों पर स्थापित हैं लेकिन इन सभी को एक ही शक्ति या सत्ता का रूप माना जाता है। शक्ति पंथ की अनेकता में एकता एक और स्तर पर व्यक्त होती है। जो हैं, क्षेत्र और आवास का स्तर । मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सांझी का पर्व पितृपक्ष के दौरान मनाया जाता है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पितृपक्ष के बाद में और मथुरा में यह सावन के महीने में मनाया जाता है। मालवा में सांझी एक दैवीय कुंवारी कन्या का प्रतीक है जहाँ हर साल वह अपने ससुराल के लिए विदा होती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, यह देवी का प्रतीक है, और बृज में राधा-कृष्ण का प्रतीक ।
बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश) में यह मामुलिया की प्रतीक है, और महाराष्ट्र में यह गुलाबी के रूप में पूजी जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में यह झींझिया के रूप में होती है और बंगाल में शक्तिशाली दुर्गा के रूप में। तमिलनाडू में यह गुड़ियों का पर्व बन जाता है। गुजरात में इसे जोरदार गरबा पर्व के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है और शक्ति पंथ के इन सभी क्षेत्रीय रूपों में युवा अविवाहित लड़कियों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सारांश शब्दावली कुछ उपयोगी पुस्तकें बोध प्रश्न 1 बोध प्रश्नों के उत्तर उद्देश्य प्रस्तावना इकाई के प्रारंभ में हम यह बताएंगे कि धार्मिक पर्व क्या है ? इसके सामाजिक महत्व का क्या अर्थ है ? इसके बाद हम सांझी, करवा चैथ और रविदास जयंती जैसे कुछ धार्मिक पर्र्वोें का विश्लेषण करेंगे। हम मनुष्य, प्रकृति और समाज के बीच समन्वय के विषय में भी जानेगे। उसके बाद हम व्यक्ति की भावनात्मक सामाजिक सुरक्षा के विषय में पढ़ेंगे और अस्मिता, एकात्मकता, विभेदन और संघर्ष का भी विश्लेषण करेंगे। इकाई का अंतःस्तरीकरण, सांस्कारिक कला और अनेकता में एकता के विवेचन के साथ किया गया है। जब मनुष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बजाय दैवीय और पारलौकिक शक्ति के माध्यम से भावनात्मक सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने का प्रयास करता है तब धर्म का जन्म होता है। यह शक्ति उसके अपने मस्तिष्क की उपज होती है। इस तरह, धर्म मानवीय अनुभव के उन तत्वों से जुड़ा है जो मानवीय अस्तित्व की अनिश्चितता, अशक्तता और अभाव जैसी स्थितियों से जन्म लेते हैं। इनके बदलने के साथ धर्म में भी बदलाव आता है। इस संदर्भ में आपके लिए धर्म और जादू के भेद, उनके परस्पर संबंध और उनकी पारस्परिक अविच्छिन्नता को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्म और जादू दोनों को उस स्थिति के परिणाम के रूप में देखा जा सकता है जिसे मैक्स वेबर ने ‘‘आनुष्ठानिक नैत्यीकरण‘‘ कहा है। इसके परिणामस्वरूप ही मान्यता, मूल्य और संस्कार और प्रतीक भी संस्थापित हो जाते हैं। वे व्यक्तिगत और सामूहिक स्तरों पर सामाजिक संबंधों का अंग बन जाते हैं। सामाजिक स्तर परिवार, जाति, समुदाय (गांव/शहर) जैसे सामाजिक क्षेत्रों में और सांप्रदायिक तथा धार्मिक समूहों के स्तरों पर व्यक्त होता है। संस्कारों का उत्सवीकरण व्यक्तिगत स्तर पर न होकर सामूहिक स्तर पर होता है । यह सच है कि काला जादू के संस्कारों का उत्सवीकरण कभी सामूहिक नहीं होता और इसके साथ मनोरंजन, आमोद-प्रमोद (नाचना/गाना) तनाव का व्यवस्थापन, उपवास और भोज भी जुड़ जाते हैं। सामाजिक स्तर पर यह सब नातेदारी, सामाजिक स्तरीकरण, अर्थव्यवस्था और वार्षिक चक्र संस्कार और चर्च, संप्रदाय और पंथ जैसे धार्मिक समूहों और गाँव और जाति के राज्यतंत्र से भी आबद्ध बना रहता है और इस तरह धार्मिक पर्र्वोें का जन्म होता है। इस इकाई के लिए जिन स्रोतों से सामग्री ली गई है उनका उल्लेख ‘कुछ उपयोगी पुस्तकों‘ में किया गया है। अनेकता में एकता का क्या अर्थ है समझाइए?अनेकता में एकता बुरी से बुरी परिस्थिति से उभरने में मद्द करता है। इससे लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना विकसित होती है और लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं। आपसी रिश्तों और भावनाओं को और अधिक मजबूती मिलती है, इससे जीवन शैली, कार्यकुशलता, और उत्पादकता में सुधार आता है और देश के विकास को बल मिलता है।
अनेकता में एकता का प्रतीक क्या है?इससे ही भारत देश के वासियों के बीच एकता बनी हुयी है। यह एक ही भाषा है जो सारे भारतीयों को एक सूत्र में बाँधती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदी ही है।
अनेकता का अर्थ क्या होता है?[सं-स्त्री.] - 1. एक से अधिक होने का भाव; बहुत्व; बहुलता 2. विविधता।
विविध में एकता का क्या अर्थ है?“विविधता में एकता” का अर्थ है विभिन्न असमानताओं के बावजूद भी अखंडता का अस्तित्व। “विविधता में एकता” की इस अवधारणा के लिये भारत एक बेहतर उदाहरण है।
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