राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रथम अध्यक्ष कौन थी? - raajasthaan raajy baal adhikaar sanrakshan aayog kee pratham adhyaksh kaun thee?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को 2016 और 2021 के बीच राजस्थान से लगभग 1,000 शिकायतें मिली हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016 से 2018 तक शिकायतों में लगभग 100 मामलों की बढ़ोतरी देखी गई है.

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रथम अध्यक्ष कौन थी? - raajasthaan raajy baal adhikaar sanrakshan aayog kee pratham adhyaksh kaun thee?

बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायतों की बढ़ोतरी

देश में बाल संरक्षण की दिशा में काम करने वाले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) को 2016 और 2021 के बीच राजस्थान (Rajsthan) से लगभग 1,000 शिकायतें मिली हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) के आंकड़ों के अनुसार 2016 से 2018 तक शिकायतों में लगभग 100 मामलों की बढ़ोतरी देखी गई है जबकि 2019-2020 में लगभग 400 मामलों की बढ़ोतरी थी. वहीं 2020-21 में घटकर 179 मामले तक पहुंच गई. हालांकि 2020 में कोरोना महामारी (covid-19 pandemic) की आहट के बाद से महिला और बच्चों के संरक्षण के लिए काम करने वाले आयोग में देशभर के मामलों में उतार-चढ़ाव देखा गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक आयोग को पिछले पांच सालों में (2016-17 से 2020-21) के दौरान देश भर से 50,857 शिकायतें मिलीं जिनमें से 966 राजस्थान से थी. इन शिकायतों में पोक्सो मामले, बाल विवाह, तस्करी और अन्य बच्चों से संबंधित शिकायतें शामिल थी.

राज्य बाल आयोग की राज्यों में अहम भूमिका

आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए एक अधिकारी कहते हैं कि अधिकांश समय, शिकायतों का राज्य बाल आयोग की तरफ से समाधान किया जाता है वहीं कुछ मामलों में जब शिकायतकर्ता असंतुष्ट होते हैं तब वह राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग तक संपर्क करते हैं. बता दें कि एनसीपीसीआर की तरफ से चाइल्ड 1098 हेल्पलाइन की सुविधा दी गई है जिसके लिए आयोग समय-समय पर लोगों को प्रोत्साहित भी करता रहता है.

वहीं दूसरी तरफ 2019-20 के समय के दौरान शिकायतों में बढ़ोतरी का एक कारण लोगों में आई जागरूकता भी हो सकता है. अधिकांश बच्चों के माता-पिता शिकायतों के समाधान के लिए आयोग तक पहुंच रहे हैं. वर्तमान में राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल हैं.

POCSO नियम में हुआ था बदलाव

गौरतलब है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2020 में POCSO नियम 2012 में बदलाव कर नया POCSO नियम, 2020 लागू किया था जिसके मुताबिक केंद्र सरकार और हर राज्य सरकार बच्चों के लिए उम्र के अनुकूल शैक्षिक सामग्री और पाठ्यक्रम तैयार करेगी और बच्चों को स्कूलों में व्यक्तिगत सुरक्षा से लेकर विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक किया जाएगा.

वहीं नए नियमों में यह भी कहा गया है कि संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे पंचायत भवनों, सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और कॉलेजों, बस टर्मिनलों, रेलवे स्टेशनों, सभा स्थलों, हवाई अड्डों, टैक्सी स्टैंड, सिनेमा हॉल और में बच्चों की सुरक्षा से संबंधित उपयुक्त सामग्री और सूचना का प्रचार-प्रसार किया जाएगा.

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राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती चतुर्वेदी का बांसवाड़ा दौरा
बच्चों से जुड़े मुद्दों पर ली अधिकारियों व एनजीओ की बैठक, दिए महत्त्वपूर्ण निर्देश
Banswara October 13, 2017 
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती मनन चतुर्वेदी शुक्रवार को बांसवाड़ा जिले के दौरे पर रही। इस दौरान उन्होंने यहां सर्किट हाउस में बच्चों से जुड़े मुद्दों पर संबंधित विभागीय अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक ली तथा खुलकर बात करते हुए कहा कि सबको समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के हितों के लिए कार्य करें। 


संवाद किया और मांगे सुझाव: 
आयोग अध्यक्ष श्रीमती चतुर्वेदी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों से जुड़े हुए मुद्दों पर हमें संवेदनशीलता बरतनी होगी और गंभीरता से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे की ताकत बनना होगा तथा इस प्रकार की समस्याओं को जड़ से खत्म करना होगा। श्रीमती चतुर्वेदी ने जिला अस्पताल में बच्चों की मौतों के मामले में मौजूद सभी अधिकारियों, एनजीओ प्रतिनिधियों और अन्य मौजूद प्रबुद्धजनों से तसल्ली से संवाद किया तथा उनसे इसके पीछे के कारणों को समझा व कारणों को दूर करने के लिए सुझाव भी मांगे।

कमेटी का गठन किया, रिपोर्ट देने के निर्देश: 
आयोग अध्यक्ष श्रीमती चतुर्वेदी ने जिला अस्पताल में नवजातों की मौत के मामले के पीछे के कारणों और उन कारणों को दूर करने के लिए किए जाने वाले कार्यों को जानने व इसके लिए किस प्रकार का सिस्टम डवलप किया जाए, इसके लिए जिला प्रशासन को एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए और कहा कि इस कमेटी में आईसीडीएस, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, सीडब्ल्यूडी व एनजीओ के प्रतिनिधि के साथ प्रशासनिक अधिकारी को भी शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यह कमेटी विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए खुले मन से सुझाव प्रस्तुत करें। 

भांति-भांति के कारण व सुझाव आए सामने: 
आयोग अध्यक्ष श्रीमती चतुर्वेदी ने जब विभागीय अधिकारियों के साथ एनजीओ प्रतिनिधियों व अन्यजनों से संवाद करना शुरू किया तो भांति-भांति के सुझाव व तथ्य सामने आए। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर हिम्मतसिंह बारहठ ने क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति के बारे में, वागड़ विकास संस्थान के नैमराज सहलोत ने गर्भवतियों द्वारा पोषाहार ही नहीं खाने की स्थिति, डॉ. युधिष्ठिर त्रिवेदी ने गांवों मंे एएनएम द्वारा नवजातों को इंजेक्शन नहीं लगाने, वाग्धारा के जयेश जोशी ने दूरस्थ इलाकों मंे एमटीसी स्थापित करने की आवश्यकता जताई। इस दौरान सीएमएचओ डॉ. एचएल ताबियार, सहायक निदेशक दिलीप रोकड़िया, सीडब्ल्यूसी के शांतिलाल चौबीसा व कोदरलाल बुनकर ने कुपोषण की स्थितियों पर विचार व्यक्त किए। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणपति महावर भी मौजूद थे। 

भावुक हुई श्रीमती चतुर्वेदी: 
बैठक दौरान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती मनन चतुर्वेदी उस वक्त भावुक हो उठी जब हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में गत दिनों लापता होने के बाद अचानक ही पानी में बच्चे की बॉडी मिलने के प्रकरण पर जांच की मांग को लेकर बच्चे के माता-पिता उनके पास पहुंचे। अपने बच्चे की अचानक मौत पर बिलखती बच्चे की मां को दिलासा देने के लिए चतुर्वेदी ने उसको अपने पास सोफे पर बैठाया व खुद अपने हाथ से पानी पिलाया तो वह बिना ग्लास जूठा किए पानी पीने लगी। इस दौरान मां की सहजता को देखकर चतुर्वेदी भावुक हो उठी। उन्होंने इस प्रकरण में स्वयं जिला पुलिस अधीक्षक से बात करते हुए परिवार को न्याय दिलाने की भी बात कही।  

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रथम अध्यक्ष कौन थी? - raajasthaan raajy baal adhikaar sanrakshan aayog kee pratham adhyaksh kaun thee?

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का प्रथम अध्यक्ष कौन था?

इनका कार्यकाल कार्य ग्रहण करने की तिथि से 03 वर्ष के लिए होता है । बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 14 के अनुसार आयोग द्वारा किसी मामले की जाँच करते समय आयोग को वे सभी शक्तियां प्राप्त है जो दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत मामले को सुनते समय दीवानी न्यायालय को प्राप्त होती है।

बाल संरक्षण आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन है?

शांता सिन्हा इस आयोग की (प्रथम) अध्यक्षा थीं।

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राजस्थान सरकार।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अध्यक्ष कौन है?

विशेष गुप्ता बोले, समाज सेवा करना भी एक प्रकार का निवेश समाज के प्रति सेवा का भाव ही निवेश है। कोरोना योद्धा समाज की ताकत हैं।