अपराध की रोकथाम में नैतिकता की भूमिका - aparaadh kee rokathaam mein naitikata kee bhoomika

अपराधों की रोकथाम में समाज की भूमिका अहम

जागरण प्रतिनिधि, श्रीनगर : लगातार बढ़ रहे अपराधों के लिए समाज का उदासीन रवैया भी काफी हद तक जिम्मेदार है। पुलिस और प्रशासन अपराध रोकने के लिए हैं, लेकिन अपराधों की रोकथाम में समाज की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। गढ़वाल विवि के समाजशास्त्र विभाग में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के समापन अवसर पर वक्ताओं यह विचार व्यक्त किए।

बुधवार को विभाग सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्य वक्ता कोतवाल श्रीनगर अनिल कुमार जोशी ने न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी अपराध को रोकने और न्याय पाने के लिए अपराध को पंजीकृत करना आवश्यक है।

प्रेस क्लब अध्यक्ष सुधीर भंट्ट ने कहा कि मीडिया अपराधों पर नियंत्रण के लिए समय समय पर लोगों को जागरुक करती है। लेकिन किरायेदारों और नौकरों के सत्यापन, संदिग्ध वस्तुओं और लोगों की सूचना पुलिस और प्रशासन को देने की जिम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति की है।

वरिष्ठ अधिवक्ता आरपी थपलियाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को कानूनों की जानकारी होनी आवश्यक है। जय भारत सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल स्वामी ने कहा कि समाज में आई विभिन्न विकृतियों के कारण ही अपराधों की संख्या बढ़ रही है। समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. जेपी पचौरी ने कहा कि जागरुक परिवार की शुरुआत हमें अपने घर से ही करनी चाहिए। पूर्व पालिकाध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में भी विभिन्न प्रकार के अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। व्याख्यानमाला में डॉ. अरविंद दरमोडा, डॉ. किरन डंगवाल, डॉ. उमा बहुगुणा, डॉ. शिखा श्रीवास्तव, डॉ. एके सिंह, डॉ. विजयेंद्र सिंह मौजूद रहे।

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अपराध को कैसे रोका जा सकता है?

को रोकने के लिये भरसक प्रयास करना प्रत्येक पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है | दण्ड सं0 की धारा 42 एवं 149, 150, 151 व 152 में प्रत्येक पुलिस अधिकारी को सभी प्रकार के अपराधों चाहे वे हस्तक्षेपीय हों या अहस्तक्षेपीय, साधिकार रोक टोक (authoritative intervention) का अधिकार है।

अपराध का मुख्य कारण क्या है?

जब मनुष्य दूसरों के हित में अपना हित देखने लगता है और इस सूझ के अनुसार आचरण करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है तभी वह समाज का सुयोग्य नागरिक होता है। ऐसा व्यक्ति जब कुछ करता है, वह समाज के हित के लिए ही होता है। अपराध एक प्रकार की सामाजिक विषमता है। यह व्यक्तिगत मानसिक विषमता का परिणाम है।

अपराध का निष्कर्ष क्या है?

यह समाज के सुख - शान्ति और समृद्धि के लिये खतरे का घंटी के समान है, जो अन्ततोगत्वा देश के विकास की गति को भी अवरूद्ध करती है । अतः बाल - अपराध के लिये उतरदायी कारकों की तलाश कर, इसके रोकथाम का उपाय करना समाज और राष्ट्र का कर्तव्य बनता है । प्रस्तुत शोध प्रबन्ध भी इसी दिशा में एक प्रयास है ।

अपराध क्या है अपराध की प्रकृति सहित इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिए?

अपराध वह कृत्य या अपकृत्य है जो समाज के समुदाय के हित के विरुद्ध है और जो विधि द्वारा निषिद्ध है, जिसको करने पर सरकार को दंड देने का भी अधिकार होता है ।" मोरर के मुताबिक “अपराध किसी भी कानून का उल्लंघन करने की प्रक्रिया है ।" जान गिलिन के मुताबिक “अपराध वे कार्य हैं जो समाज के लिए वास्तव में अहितकर बताए गए हैं या जो ...