अधिगम से आप क्या समझते हैं अधिगम के प्रकारों का वर्णन करें? - adhigam se aap kya samajhate hain adhigam ke prakaaron ka varnan karen?

अधिगम learning

अधिगम से आप क्या समझते हैं अधिगम के प्रकारों का वर्णन करें? - adhigam se aap kya samajhate hain adhigam ke prakaaron ka varnan karen?
Learning type, meaning , definition अधिगम अर्थ परिभाए एवं प्रकार


प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन नए नए अनुभव एकत्रित करता है इन नए अनुभवों से उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है इस प्रकार नए अनुभवों से व्यवहार में परिवर्तन लाना ही अधिगम है।

अधिगम का सामान्य अर्थ सीखना है। अधिगम एक निरंतर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है। अधिगम का अर्थ सीखना अथवा व्यवहार म परिवर्तन है यह परिवर्तन अनुभव के द्वारा प्राप्त होते है।

उदाहरण:- छोटा बच्चा एक भाप निकलती दूध की गिलास को स्पर्श करता है  जैसे ही उसका हाथ जलने लगता है वह अपने हाथ को तुरंत हटा लेता है। अब उसके व्यवहार में परिवर्तन आया कि जब तक किसी गिलास में भाप निकल रही है तब नहीं छुना है। 

अधिगम एक मानसिक क्रिया है। जिसे व्यक्ति जान-बूझकर अपनाता है जिससे अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक प्राप्त कर सके। सीखना एक सार्वभौम अनुभव है। शिशु जन्म से ही सीखना प्रारंभ करता है। पहले वह माता के स्तन से दूध पीना सीखता है, तत्पश्चात वह ध्वनि एवं प्रकाशं के प्रति प्रतिक्रिया करना सीखता है। भूखे रहने पर रोना सीखता है, ताकि माँ उसे दूध पिला दे। बोतल द्वारा दूध पिलाये जाने पर वह निपल कैसे मुँह में लें यह सीखता है। फिर क्रमशः वह माता-पिता को एवं रिश्तेदारों को पहचानना, उन्हें पुकारना, उनका अभिवादन करना, कपड़े पहनना, चलना, दौड़ना अपने परिवेश के बारे में जानना, विद्यालय जाना इत्यादि सीखता और सीखने की प्रक्रिया जीवन-पर्यन्त अविरल चलती रहती है।

अधिगम के लिए आवश्यक 

अभिप्रेरणा

प्रयास एवं त्रुटियां (अनुक्रियाएं)

पुनर्बलन

अभ्यास

अधिगम की प्रकृति

अधिगम एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है

व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है। 

अधिगम प्रक्रिया तथा परिणाम दोनो है। 

अधिगम एक समायोजन की प्रक्रिया है।

अधिगम समस्या समाधान की प्रक्रिया है। 

अधिगम जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।

अधिगम सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। 

अधिगम बौद्धिक क्रिया है। 

अधिगम एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। 

अधिगम मानसिक क्षमताओ के विकास की प्रक्रिया है।अधिगम सकारात्मक और नकारात्मक दोनो होता है।अधिगम विकास की प्रक्रिया है।

परिभाषाएं

मोर्गन "अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है। जो अभ्यास और अनुभव से होता है।"

गेट्स - "अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार मे संशोधन ही अधिगम है।

स्किनर - "व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।" 

वुडवर्थ -"नवीन ज्ञान एवं अनुक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया, अधिगम की प्रक्रिया कहलाती है।" 

क्रो व क्रो "अधिगम, आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।" 

क्रोनवैक - 'अधिगम, अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन द्वारा प्रदर्शित होता है।

गिल्फोर्ड - "व्यवहार के कारण व्यवहार परिवर्तन

अधिगम है।" -

कालविन - "पूर्व निर्मित व्यवहार में अनुभव द्वारा

परिवर्तन ही अधिगम है।" 

पावलोव "अनुकूलित अनुक्रिया के परिणामस्वरूप आदत का निर्माण ही अधिगम है।" 

पील - "अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसरण में होता है।" - एस.एस. चौहान-"प्राणी के व्यवहार में परिवर्तन

लाना ही अधिगम का अभिप्राय है।"

अधिगम की विधियां 

करके सीखना

इसमेंमें व्यक्ति किसी कार्य को स्वयं करने का अभ्यास करता है तथा जिसके परिणामस्वरूप वह उस कार्य को सीख जाता है। 

निरीक्षण करके सीखना : इसके अंतर्गत व्यक्ति स्वयं निरीक्षण करके नवीन बातों को सीखता है। 

परीक्षण करके सीखना : परीक्षण करके सीखने के अंतर्गत व्यक्ति स्वयं परीक्षण करता है तथा नवीन कार्यो को

अपने अनुभवों के आधार पर सीखता है। 

वाद-विवाद विधि  : वाद-विवाद विधि में व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से वाद-विवाद करने के दौरान सीखता है। 

वाचन विधि : वाचन विधि के अंतर्गत पाठ का सस्वर वाचन करके उसे सीखा जाता है 

अनुकरण   : अनुकरण में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार का अनुकरण करके सीखते है। 

प्रयास एवं त्रुटि विधि 

प्रयास एवं त्रुटि विधि में व्यक्ति अन्तर्दृष्टि के द्वारा कार्य करने का प्रयास करता है तथा बार-बार प्रयास करके

सीखता है।

पूर्ण विधि या समग्र रूप विधि : इस प्रकार  में पाठ को एक साथ, एक बार में सम्पूर्ण दोहराकर याद किया जाता है।

अंशो में बांट कर सीखना : अंश विधि में पाठ को सुविधानुसार कुछ अंशों में बाँटकर एक-एक करके विभिन्न अंशों को याद किया जाता है।

अधिगम के प्रकार

1. संज्ञान मूलक अधिगम

मानसिक प्रत्यक्षात्मक और विचारात्मक अधिगम के नाम से जाने जाने वाले इस आधगम में व्यक्ति को केवल प्रत्यय का ज्ञान होता है। अर्थात् इसमें सिर्फ तथ्यों की जानकारी होती है।

संज्ञान भूलक अधिगम में स्वःपठन उपयोगी होता है।

 2. गत्यात्मक अधिगम

इस अधिगम को क्रिया/कार्य द्वारा अधिगम करना भी कहा जाता है। इस प्रकार के अधिगम में अभ्यास का अधिक महत्व है।


3.भावात्मक एवं संकल्पनात्मक अधिगम 

भाव मूलक अधिगम के नाम से जाने जाने वाले इस अधिगम में चिन्तन, सोच, दृष्टिकोण में परिवर्तन आदि बातें सम्मिलित होती हैं। 

जब हम व्यक्तियों के सम्पर्क में आते हैं तो हमारी सोच, विचारों, दृष्टिकोण, भावनाओं में परिवर्तन आता है। इस प्रकार के अधिगम को संकल्पनात्मक /भावात्मक अधिगम के नाम से जाना जाता है।

अधिगम के प्रकार राबर्ट मिल्स गैने के अनुसार

आधुनिक अनुदेशन सिद्धान्तों का जनक राबर्ट गेने को माना जाता हैं। जिन्होने सर्वप्रथम अपने विचार रखे बाद में ब्रूनर तथा कारौल ने गेने के विचारो से सहमत होकर अपने-अपने सिद्धान्त विकसित किये। राबर्ट एम. गेने अधिगम के स्वरूप के स्पष्टीकरण के लिए अधिगम के विभिन्न सिद्धान्तों के विश्लेषण को पर्याप्त नहीं समझते हैं उनके अनुसार कोई भी सिद्धान्त अधिगम की प्रक्रिया का पूर्ण समाधान करने में असमर्थ है। 

राबर्ट एम. गेने द्वारा अधिगम के 8 प्रकार बताये गए है इन्हें अधिगम सोपानीकी भी कहा जाता है। अधिगम के यह 8 प्रकार एक पदानुक्रम में व्यवस्थित है तथा पूर्व आधिगम का प्रकार बाद वाले अधिगम के प्रकार के लिए पूर्वआवश्यकता है।

1.संकेत अधिगम: अधिगम का यह प्रकार पावलव के अनुकूलित अनुक्रिया पर आधारित है। इसमें संकेत मात्र से अधिगम होता है। उदाहरणार्थ-चौराहे पर लाल बत्ती

को देख कर यातायात वाहनों का रूक जाना। 

2. उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम: इस प्रकार का अधिगम

थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत पर आधारित है। इस अधिगम में एक उद्दीपक द्वारा अनुक्रिया को

प्रेरित करके अधिगम होता है। 

3. श्रृंखला अधिगम : यह क्रमिक अधिगम भी कहलाता

है। इसमें विषयवस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करके अधिगम करवाया जाता है । गुथरी द्वारा एक श्रृंखला इस प्रकार बताई गई -उदाहरणार्थ-लड़की द्वारा कोट उतार कर फर्श पर फेंकना-माता द्वारा लड़की को कोट पहन कर पुन: बाहर जाने का निर्देश देना-लड़की का पुनः अंदर आना-कोट उतार कर निश्चित स्थान पर टांगना।यह श्रृंखला अधिगम है। 

4. शाब्दिक अधिगम : इस प्रकार के अधिगम का संबंध

शाब्दिक व्यवहार में परिवर्तन से है। इस प्रकार

अधिगम में सस्वर वाचन,पाठों का रटन्त स्मरण आदि

शामिल होता है। 

5. बहुविभेदन अधिगम : इस प्रकार के अधिगम में प्राणी

अपने सामने प्रस्तुत विभिन्न उद्दीपकों में से सही उद्दीपक की पहचान कर अनुक्रिया करना सीखता है।

उदाहरणार्थ-बहुवैक्लिपिक प्रश्नों द्वारा अधिगम। 

6. प्रत्यय अधिगम : इस अधिगम में प्राणी पूर्व अनुभवों,

प्रशिक्षण, संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के आधार पर प्रत्ययो का निर्माण करता है। प्रत्यय वस्तुओं, व्यक्तियों, प्राणियों अथवा घटनाओं के संबंध में बने सामान्यीकृत विचार या मानसिक बिम्ब होते हैं। 

7. सिद्धांत अधिगम : इस प्रकार के अधिगम में विभिन्न सिद्धांतों को समझने की प्रक्रिया होती है। किसी प्रक्रिया अथवा घटना को संचालित करने की कार्यविधि संबंधी

क्रमबद्ध तथा तार्किक विवेचन ही सिद्धांत कहलाते हैं।  8.समस्या समाधान अधिगम : अधिगम सोपानिकी में

यह सर्वश्रेष्ठ अधिगम है। इसमें बालक के सामने एक समस्या प्रस्तुत की जाती है तथा वह अपनी विभिन्न मानसिक शक्तियों चिन्तन, मनन, तर्क, विश्लेषण द्वारा समस्या का समाधान प्राप्त करता है। इस प्रकार के

अधिगम से ही मानव जाति ने प्रगति प्राप्त की है।

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक

पूर्व अधिगम

विषय वस्तु या सामग्री

शारीरिक स्वास्थ्य एवं परिपक्वता

मानसिक स्वास्थ्य एवं परिपक्वता

इच्छा या मानस

प्रेरणा या अभिप्रेरणा

थकान या शारीरिक कमजोरी

वातावरण या परिवार

सीखने सिखाने की विधियां

अधिगम के सिद्धांत 

1.व्यवहारवाद सिद्धांत थार्नडाइक

2.अनुबंधन सिद्धांत -पावलोव

3.क्रिया-प्रसूत सिद्धांत-स्किनर

4.गेस्टाल्टवाद सिद्धांत-मैक्स वर्दीमर, कोहलर, कोफ्का

5.सामाजिक अधिगम वाद -अल्बर्ट बन्डूरा

6.पुनर्बलन सिद्धांत -क्लार्क हल

7.मानवतावादी सिद्धांत -मासलो

8.चिह्न का सिद्धांत -टोलमेन

9.क्षेत्र सिद्धांत -कुर्त लेविन

10.प्रसूति सिद्धांत सामिप्य संबंध -एडविन गुथरी

11.अनुभवजन्य वाद सिद्धांत-कॉल रोजर्स

12.अन्तर्नोद न्यूनता सिद्धांत -हल

उपागम

-व्यवहारवाद या सम्बन्धवाद

थार्नडाइक,पावलव,स्किनर,हल,गुथरी

-संज्ञानात्मक या अंतर्दृष्टि उपागम

-कोहलर,टालमेन,बन्डुरा, लेविन,गैने के अधिगम सिद्धांत

अधिगम के सिद्धांतों का विभाजन

मोटे-तौर पर दो वर्गो मे विभाजित किया गया है।

अधिगम के साहचर्य सिद्धांत - (S-R Theory)

1. थार्नडाईक का संबंधवाद

2. पावलव का अनुकूलित सिद्धांत अनुक्रिया सिद्धांत

3. स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत याअनुबंधन

4. हल का प्रबलन/पुनबर्लन सिद्धांत  

5. गुथरी का सामीप्य संबंधवाद

अधिगम के ज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धांत (S-O-RTheory)

1. लेविन का क्षेत्रीय 

2. टॉलमैन का साईन सिद्धांत

3. कोहलर का अन्तदृष्टि या सूझ का सिद्धांत

अधिगम से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों का वर्णन करें?

सीखना या अधिगम (जर्मन: Gernen, अंग्रेज़ी: learning) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है।

अधिगम कितने प्रकार के होते हैं?

मनोवैज्ञानिक उसुबेल के अनुसार अधिगम के प्रकार.
अभिग्रहण सीखना।.
2.अन्वेषण सीखना.
रटकर सीखना.
(1) सांकेतिक सीखना (Signal learning).
(2) उद्दीपन-अनुक्रिया सीखना (Stimulus-Response learning).
(3) सरल श्रृंखला का सीखना (Learning of simple chaining).
(4) शाब्दिक साहचर्य सीखना (Verbal association learning).

अधिगम से आप क्या समझते हैं अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए?

वातावरण(Environment) भौतिक एवं सामाजिक वातावरण दोनों ही शिक्षण अधिगम को प्रभावित करते हैं। शुद्ध वायु, उचित प्रकाश, शान्त वातावरण एवं मौसम की अनुकूलता के बीच बच्चे शीघ्र सीखते है। इसके अभाव में वे शीघ्र थक जाते हैं तथा अधिगम प्रक्रिया बाधित होती है।

अधिगम से आप क्या समझते हैं PDF?

सीखना या अधिगम (learning) - एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है।