अधिगम learning
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प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन नए नए अनुभव एकत्रित करता है इन नए अनुभवों से उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है इस प्रकार नए अनुभवों से व्यवहार में परिवर्तन लाना ही अधिगम है। अधिगम का सामान्य अर्थ सीखना है। अधिगम एक निरंतर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है। अधिगम का अर्थ सीखना अथवा व्यवहार म परिवर्तन है यह परिवर्तन अनुभव के द्वारा प्राप्त होते है। उदाहरण:- छोटा बच्चा एक भाप निकलती दूध की गिलास को स्पर्श करता है जैसे ही उसका हाथ जलने लगता है वह अपने हाथ को तुरंत हटा लेता है। अब उसके व्यवहार में परिवर्तन आया कि जब तक किसी गिलास में भाप निकल रही है तब नहीं छुना है। अधिगम एक मानसिक क्रिया है। जिसे व्यक्ति जान-बूझकर अपनाता है जिससे अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक प्राप्त कर सके। सीखना एक सार्वभौम अनुभव है। शिशु जन्म से ही सीखना प्रारंभ करता है। पहले वह माता के स्तन से दूध पीना सीखता है, तत्पश्चात वह ध्वनि एवं प्रकाशं के प्रति प्रतिक्रिया करना सीखता है। भूखे रहने पर रोना सीखता है, ताकि माँ उसे दूध पिला दे। बोतल द्वारा दूध पिलाये जाने पर वह निपल कैसे मुँह में लें यह सीखता है। फिर क्रमशः वह माता-पिता को एवं रिश्तेदारों को पहचानना, उन्हें पुकारना, उनका अभिवादन करना, कपड़े पहनना, चलना, दौड़ना अपने परिवेश के बारे में जानना, विद्यालय जाना इत्यादि सीखता और सीखने की प्रक्रिया जीवन-पर्यन्त अविरल चलती रहती है। अधिगम के लिए आवश्यक अभिप्रेरणा प्रयास एवं त्रुटियां (अनुक्रियाएं) पुनर्बलन अभ्यास अधिगम की प्रकृतिअधिगम एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है। अधिगम प्रक्रिया तथा परिणाम दोनो है। अधिगम एक समायोजन की प्रक्रिया है। अधिगम समस्या समाधान की प्रक्रिया है। अधिगम जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। अधिगम सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। अधिगम बौद्धिक क्रिया है। अधिगम एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। अधिगम मानसिक क्षमताओ के विकास की प्रक्रिया है।अधिगम सकारात्मक और नकारात्मक दोनो होता है।अधिगम विकास की प्रक्रिया है। परिभाषाएंमोर्गन "अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है। जो अभ्यास और अनुभव से होता है।" गेट्स - "अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार मे संशोधन ही अधिगम है। स्किनर - "व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।" वुडवर्थ -"नवीन ज्ञान एवं अनुक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया, अधिगम की प्रक्रिया कहलाती है।" क्रो व क्रो "अधिगम, आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।" क्रोनवैक - 'अधिगम, अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन द्वारा प्रदर्शित होता है। गिल्फोर्ड - "व्यवहार के कारण व्यवहार परिवर्तन अधिगम है।" - कालविन - "पूर्व निर्मित व्यवहार में अनुभव द्वारा परिवर्तन ही अधिगम है।" पावलोव "अनुकूलित अनुक्रिया के परिणामस्वरूप आदत का निर्माण ही अधिगम है।" पील - "अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसरण में होता है।" - एस.एस. चौहान-"प्राणी के व्यवहार में परिवर्तन लाना ही अधिगम का अभिप्राय है।" अधिगम की विधियांकरके सीखना इसमेंमें व्यक्ति किसी कार्य को स्वयं करने का अभ्यास करता है तथा जिसके परिणामस्वरूप वह उस कार्य को सीख जाता है। निरीक्षण करके सीखना : इसके अंतर्गत व्यक्ति स्वयं निरीक्षण करके नवीन बातों को सीखता है। परीक्षण करके सीखना : परीक्षण करके सीखने के अंतर्गत व्यक्ति स्वयं परीक्षण करता है तथा नवीन कार्यो को अपने अनुभवों के आधार पर सीखता है। वाद-विवाद विधि : वाद-विवाद विधि में व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से वाद-विवाद करने के दौरान सीखता है। वाचन विधि : वाचन विधि के अंतर्गत पाठ का सस्वर वाचन करके उसे सीखा जाता है अनुकरण : अनुकरण में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार का अनुकरण करके सीखते है। प्रयास एवं त्रुटि विधि प्रयास एवं त्रुटि विधि में व्यक्ति अन्तर्दृष्टि के द्वारा कार्य करने का प्रयास करता है तथा बार-बार प्रयास करके सीखता है। पूर्ण विधि या समग्र रूप विधि : इस प्रकार में पाठ को एक साथ, एक बार में सम्पूर्ण दोहराकर याद किया जाता है। अंशो में बांट कर सीखना : अंश विधि में पाठ को सुविधानुसार कुछ अंशों में बाँटकर एक-एक करके विभिन्न अंशों को याद किया जाता है। अधिगम के प्रकार1. संज्ञान मूलक अधिगममानसिक प्रत्यक्षात्मक और विचारात्मक अधिगम के नाम से जाने जाने वाले इस आधगम में व्यक्ति को केवल प्रत्यय का ज्ञान होता है। अर्थात् इसमें सिर्फ तथ्यों की जानकारी होती है। संज्ञान भूलक अधिगम में स्वःपठन उपयोगी होता है। 2. गत्यात्मक अधिगमइस अधिगम को क्रिया/कार्य द्वारा अधिगम करना भी कहा जाता है। इस प्रकार के अधिगम में अभ्यास का अधिक महत्व है।
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