अर्थशास्त्र की प्रकृति | अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला | Nature of economics in Hindi | Economics is science or art in Hindi Show
अर्थशास्त्र की प्रकृति‘विज्ञान’ ज्ञान की वह शाखा है जिसमें किसी विषय का व्यवस्थित एवं क्रमबद् अध्ययन किया जाता है तथा जो कार्यों के कारण एवं परिणाम के बीच पारस्परिक सम्बन्ध बताताहै। यह तथ्यों पर आधारित होता है, यद्यपि तथ्यों के संग्रह मात्र को विज्ञान नहीं कह सकते हैं। विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र एक विज्ञान है क्योंकि – (1) यह आर्थिक घटनाओं के कारणों एवं परिणामों के मध्य व्यवस्थित ढंग से सम्बन्ध स्थापित करता है। (2) इसमें वैज्ञानिक विश्लेषण की विभिन्न रीतियों का प्रयोग किया जाता है। (3) आर्थिक तथ्यों के मापने के लिए अर्थशास्त्री के पास द्रव्य का मापदण्ड होता है, जिससे अर्थशास्त्री के निष्कर्षों में बहुत कुछ निश्चितता आ जाती है। (4) इसमें गणित का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जिसके फलस्वरूप अर्थशास्त्री की भविष्यवाणी करने की शक्ति बढ़ गयी है । लगभग सभी अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को ‘वास्तविक विज्ञान’ स्वीकार किया है, किन्तु इसे ‘आदर्शात्मक विज्ञान’ मानने के प्रश्न पर मतभेद पाया जाता है । प्रतिष्ठित विचारकों का मत था कि अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान है। अर्थशास्त्री को नैतिक निर्णय देने का कोई अधिकार नहीं है। कैरनीज के शब्दों में, “राजनैतिक अर्थव्यवस्था उद्देश्यों के सम्बन्ध में उसी प्रकार तटस्थ रहती है, जिस प्रकार यांत्रिकी रेलवे-निर्माण की प्रतिद्वन्दी स्कीमों के बीच तटस्थ रहती है।” रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को उद्देश्यों के प्रति तटस्थता स्वीकार करते हुए इसके आदरर्शात्मक पहलू को स्वीकार नहीं किया। उनके शब्दों में, “अर्थशास्त्री का कार्य गवेषणा करना और व्याख्या करना है, समर्थन करना या निन्दा करना नहीं है।” वस्तुत: अर्थशास्त्र की उद्देश्यों के प्रति तटस्थता का विचार मान्य नहीं ठहराया जा सकता। अर्थशास्त्री का कार्य केवल यह बताना नहीं है कि ‘अमुक आर्थिक घटनाएँ क्यों घटित हैं, अपितु यह बताना भी है कि अमुक घटनाएँ अच्छी हैं या बुरी। उदाहरणार्थ-अर्थशास्त्रियों को केवल धन के असमान विरण के कारणों की व्याख्या नहीं करनी चाहिए, अपितु उनमें आर्थिक विषमता की भर्त्सना करने का साहस भी होना चाहिए। अत: अर्थशास्त्र वास्तविक एवं आदर्शात्मक दोनों का विज्ञान है। अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान ठहराये जाने के पक्ष में निम्न तर्क दिये जाते हैं- (1) आदर्शवादी दृष्टिकोण ‘तर्क’ के स्थान पर ‘भावना’ पर आधारित होता है। आदर्शात्मक कथनों में मतभेद की सम्भावना अधिक रहती है। अत: अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक आधार को दृढ़ करने के लिए इसे केवल तर्क पर आधारित करना ठीक है। (2) यदि अर्थशास्त्री ‘कारण’ एवं ‘परिणाम’ के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने के साथ-साथ निर्णय देने का कार्य भी करता है, तब यह गवेषणा एवं विश्लेषण सम्बन्धी कार्य में अधिक दक्ष नहीं हो पायेगा। अतः उत्तम श्रम विभाजन की दृष्टि से अर्थशास्त्री को ‘कारण एवं परिणाम’ के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए। (3) वास्तविक एवं आदर्शवादी दोनों पहलुओं को एक साथ मिला देने पर अर्थशास्त्री के निर्णयों के सम्बन्ध में भ्रम उत्पन्न हो जायेगा। चूंकि नैतिक निर्णय से सम्बन्धित मूल प्रश्न को विज्ञान द्वारा निश्चित नहीं किया जा सकता, इसलिए अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान माना जाना चाहिए। (4) श्रम-विभाजन के आधार पर भी अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानना चाहिए। अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान ठहराये जाने के विपक्ष में निम्न तर्क दिये जाते हैं। (1) अर्थशास्त्र उद्देश्यों के मध्य तटस्थ नहीं रह सकता। सीमित साधनो के इष्टतम प्रयोग के लिए सही उद्देश्यों का निर्धारण वांछनीय है। (2) अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का अध्ययन है। मनुष्य का व्यवहार तर्क-शक्ति के साथ-साथ भावनाओं से भी प्रभावित होता है। अत: अर्थशास्त्र के वास्तविक एवं आदर्शात्मक पहलुओं को पृथक्-पृथक् करना ठीक नहीं है । (3) भौतिकशास्त्री या रसायनशास्त्री की भाँति अर्थशास्त्री पूर्णतः वस्तुगत नहीं रह सकता, क्योंकि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय ‘मनुष्य और उसका व्यवहार’ है। प्राय: आर्थिक तथ्यों के अध्ययन में पक्षपात की सम्भावना अधिक रहती है, क्योकि अर्थशास्त्री की भावनाओं पर दुष्टिकोण का प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता। (4) अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है। सामाजिक उत्थान के इंजन के रूप में कार्य करने के लिए अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक पहलू को भुलाया नहीं जा सकता। अर्थशास्त्र एक कला है-‘कला’ यथार्थ में किसी आदर्श तक पहुँचने की रीति है। अर्थशास्त्र में कला का अर्थ उद्देश्य-विशेष को प्राप्त करने के ढंग से लिया जाता है। किसी कार्य को करने या किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए व्यावहारिक नियमों का प्रतिपादन ही ‘कला’ है। कला ऐसे पुल के समान है, जो वास्तविक एवं आदर्श विद्वानों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करती है। जहाँ ‘वास्तविक विज्ञान’ वास्तविक स्थिति का और ‘आदर्श विज्ञान’ वांछनीय या आदर्श स्थिति का ज्ञान कराता है, वहीं कला वांछनीय स्थिति की प्राप्ति हेतु व्यावहारिक नियम बतलाती है। अर्थशास्त्र एक कला है। कलाकार के रूप में अर्थशास्त्री बताता है कि उत्पत्ति के साधनों को किस प्रकार से संयोजित करना चाहिए। बढ़ रहे मूल्यों को स्थिर रखने के लिए क्या उपाय करना चाहिए? रोजगार और आय में कैसे वृद्धि की जा सकती है ? इसमें आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए व्यावहारिक तरीकों को बताया जाता है। रॉबिन्स और उनके समर्थकों ने अर्थशास्त्र को ‘कला’ नहीं माना है। परन्तु पीगू ने अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दो पक्ष स्वीकार किये हैं। पीगू ने लिखा है, “अर्थशास्त्र का अध्ययन एक दार्शनिक के दृष्टिकोण से केवल ज्ञानार्जन के लिए नहीं किया जाता। इसका अध्ययन एक चिकित्सक के दूष्टिकोण से किया जाता है, जो अपने ज्ञान से रोगियों को लाभ पहुँचाता है।” जे,एम. कीन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र ‘सिद्धान्त’ की बजाय रीति है यह विचार करने की तकनीक है, जो अर्थशास्त्री को सही निष्कर्ष निकालने में सहायता करती है।” इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र ‘विज्ञान’ और ‘कला’ दोनों है। चैपमैन के अनुसार, “वास्तविक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र आर्थिक विषयों का यथावत् अध्ययन करता है। आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र इस बात का पता लगाता है कि आर्थिक विषय किस प्रकार के होने चाहिए। कला के रूप में अर्थशास्त्र उन उपायों को सुझाता है, जिनके द्वारा वांछनीय उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है। अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
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अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं अर्थशास्त्र का क्षेत्र एवं प्रकृति लिखिए?अर्थशास्त्र में मानव की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अन्य विज्ञानों की विषय वस्तु बेजान होती है परंतु अर्थशास्त्र जीवित एवं विवेकशील मनुष्य की क्रियाओं का अध्ययन करता है। उस पर केवल आर्थिक घटनाओं का ही नहीं वरन् दया, प्रेम, भावुकता आदि का प्रभाव भी पड़ता है।
अर्थशास्त्र की प्रकृति या स्वभाव से आप क्या समझते है विस्तारपूर्वक वर्णन?'विज्ञान' ज्ञान की वह शाखा है जिसमें किसी विषय का व्यवस्थित एवं क्रमबद् अध्ययन किया जाता है तथा जो कार्यों के कारण एवं परिणाम के बीच पारस्परिक सम्बन्ध बताताहै। यह तथ्यों पर आधारित होता है, यद्यपि तथ्यों के संग्रह मात्र को विज्ञान नहीं कह सकते हैं।
अर्थशास्त्र का क्या उद्देश्य है?अर्थशास्त्र एक मानवीय विज्ञान है। इसका मूल उद्देश्य मनुष्य का विकास करना है, मनुष्य के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना और मनुष्य के कल्याण में वृद्धि करना है। मनुष्य दिन में नाना प्रकार की क्रियाएं करता है, जैसे- धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक इत्यादि ।
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