असली मूंगे की पहचान क्या है - asalee moonge kee pahachaan kya hai

मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है यथा- मूंगा, भौम-रत्न, प्रवाल, मिरजान, पोला तथा अंग्रेजी में इसे कोरल कहते हैं। मूंगा मुख्यतः लाल रंग का होता है। इसके अतिरिक्त मूंगा सिंदूरी, गेरुआ, सफेद तथा काले रंग का भी होता है। मूंगा एक जैविक रत्न होता है।
मूंगे का जन्म:
मूंगा समुद्र के गर्भ में लगभग छः-सात सौ फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है, इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है। उनके इन्हीं घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है। बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा लगभग एक या दो फुट ऊंचा और एक इंच मोटाई का होता है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकालकर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है। मूंगे के विषय में कुछ लोगों की धारणा कि मूंगे का पेड़ होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मूंगे का पेड़ नहीं होता और न ही यह वनस्पति है। बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है। वास्तव में यह जैविक रत्न होता है। मूंगा समुद्र में जितनी गहराई पर प्राप्त होता है, इसका रंग उतना ही हल्का होता है। इसकी अपेक्षा कम गहराई पर प्राप्त मूंगे का रंग गहरा होता है। अपनी रासायनिक संरचना के रूप में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रूप होता है। मूंगा भूमध्य सागर के तटवर्ती देश अल्जीरिया, सिगली के कोरल सागर, ईरान की खाड़ी, हिंद महासागर, इटली तथा जापान में प्राप्त होता है। इटली से प्राप्त मूंगे को इटैलियन मूंगा कहा जाता है। यह गहरे लाल सुर्ख रंग का होता है तथा सर्वोत्तम मूंगा जापान का होता है।

विशेषता एवं धारण करने से लाभ:
मूंगे की प्रमुख विशेषता इसका चित्ताकर्षक सुंदर रंग व आकार ही होता है। यद्यपि मूंगा अधिक मूल्यवान रत्न नहीं होता किंतु इसके इसी सुंदर व आकर्षक रंग के कारण इसे नवरत्नों में शामिल किया गया है। मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह जनित समस्त दोष शांत हो जाते हैं। मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है और रक्त की वृद्धि होती है। हृदय रोगों में भी मूंगा धारण करने से लाभ होता है। मूंगा धारण करने से व्यक्ति को नजर दोष (नजर लगाना) तथा भूत-प्रेतादि का भय नहीं रहता। इसीलिए प्रायः छोटे बच्चों के गले में मूंगे के दाने डाले जाते हैं।
मूंगे की पहचान: असली मूंगे की पहचान निम्नलिखित हैं-
1. यह अन्य रत्नों की अपेक्षा चिकना होता है तथा हाथ में लेने पर फिसलता है।
2. असली मूंगे को रक्त में रखने से उसके चारों ओर रक्त जम जाता है।
3. असली मूंगे पर किसी माचिस की तिल्ली से पानी की बूंद रखने से बूंद यथावत् बनी रहती है, फैलती नहीं है।
4. असली मूंगे पर हाडड्रोक्लोरिक एसिड डालने से उसकी सतह पर झाग उठने लगते हैं किंतु काले मूंगे पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
5. असली मूंगा आग में डालने से जल जाता है। और उसमें से बाल जलने के समान गंध आती है।

मूंगा धारण विधि:
मूंगा हो या अन्य कोई रत्न, इनके धारण करने का श्रेष्ठ ढंग तो यही है कि किसी योग्य पंडित से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कराकर ही धारण करना चाहिए किंतु जो व्यक्ति किसी कारण वश ऐसा नहीं कर सकते उन्हें निम्नलिखित विधि के अनुसार मूंगा धारण करना चाहिए-
मूंगे की अंगूठी सोने, चांदी अथवा चांदी और तांबा दोनों धातुओं को मिलवाकर धारण की जाती है। अतः उपर्युक्त धातुओं में से किसी में मूंगे की अंगूठी अनामिका उंगली के नाम की बनवाकर कच्चे दूधू और गंगाजल से धोकर मंगलवार के दिन प्रातः सूर्योदय से ग्यारह बजे के मध्य दाएं हाथ की अनामिका उंगली में निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करनी चाहिए। ‘‘क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’’
स्त्रियों के लिए बाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण करने का विधान है।

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वर्तमान में विभिन्न प्रकार के रत्नों की मांग बढ़ रही है जिसके कारण कुछ लोग अपने मुनाफे के लिये नकली रत्न बेचने का धंधा भी करने लगे हैं ऐसे में कई बार तो विद्वान भी असली-नकली की पहचान में चूक कर जाते हैं। इसलिये रत्न का शुद्ध होना बहुत आवश्यक है। 

मूंगा रत्न बहुत ही चिकना होता है। इस पर पानी नहीं ठहरता इसलिये एक तरीका तो यह हो सकता है कि रत्न लेकर उप पर पानी की कुछ बूंदे डालें यदि पानी इस पर ठहरता है तो समझिये यह नकली है यदि पानी नहीं ठहरता तो मूंगा सही हो सकता है।

एक तरीका यह भी आजमाया जा सकता है कि मैग्निफाइंग ग्लास से मूंगे का अवलोकन करें, ध्यान से देखने पर उसमें बिल्कुल बाल के जितनी सफेद-सफेद रेखाएं सी दिखाई देंगी। यदि रेखाएं न दिखें तो समझ लें कि जो मूंगा आपको दिया जा रहा है वह नकली है, अशुद्ध है। यदि मूंगा कहीं से सुला, कटा हुआ हो तो उसे भी नहीं लेना चाहिये यह भी ध्यान रखें कि उसमें कोई काला दाग धब्बा आदि न हो। सही मूंगा सूर्ख़ लाल या सिंदूरी रंग का होता है।

ओरिजिनल मूंगा कैसे पता करें?

4- मूंगे की सही परख करने के लिए आप मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रूकेगा नहीं। वहीं, अगर पानी उस पर रूक जाता है तो वह असली मूंगा नहीं होता।

असली मूंगा रत्न की कीमत क्या है?

भारत में मूंगा रत्‍न की कीमत 500 रुपए प्रति रत्ती से शुरू होती है। अच्‍छी क्‍वालिटी का मूंगा रत्‍न 5000 रुपए प्रति कैरेट में मिलता है।

मूंगा कितने दिनों में असर दिखाता है?

मंगलवार का दिन मंगल ग्रह की उपासना के लिए सबसे शुभ माना जाता है इसलिए मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए। इस रत्न को पहनने के बाद यह 9 दिन के अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है और इसका प्रभाव 3 साल तक रहता है।

क्या मूंगा चांदी में पहन सकते हैं?

मूंगा रत्‍न (Red Coral) सोने के अलावा चांदी या तांबे की धातु में भी आप इसे पहने सकते हैं