अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

अष्टभुज (Octagon)ज्यामिति की एक आकृति है

परिभाषा[सम्पादन]

8 सरल रेखाओं से बंद आकृति को अष्टभुज कहते हैं।

अष्टभुज के प्रकार[सम्पादन]

  • सम अष्टभुज (Regular Octagon)
  • बिषम अष्टभुज (Irregular Octagon)

सम अष्टभुज[सम्पादन]

जिस बहुभुज की आठों भुजाएं समान हों तथा आठों अंतः कोण सामान हों उसे सम अष्टभुज कहते हैं।

विषम अष्टभुज[सम्पादन]

जिस अष्टभुज की सभी भुजाएं सामान न हों उसे विषम अष्टभुज कहते हैं।

अष्टभुज की विशेषताएं[सम्पादन]

  • सम अष्टभुज के शीर्ष एक वृत्तीय होते हैं।
  • अष्टभुज के अंतः कोणों का योग =(२.भुजाओं की संख्या -४)समकोण =2.8-4 समकोण =16-4 =12 समकोण
  • सम अष्टभुज का प्रत्येक अंतः कोण =अंतः कोणों का योग /8=12/8समकोण=12.90 अंश /8=1080/8=135 अंश


साँचा:बहुभुज

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एक अष्टभुज आठ भुजाओं वाला बहुभुज (polygon) होता है। सामान्यतः जब भी अष्टभुज का जिक्र होता है तो हमें सड़क पर बने "स्टॉप" के निशान (stop sign) का ध्यान आ जाता है या फिर कहें कि एक ऐसी आकृति जिसकी सभी आठों भुजायें तथा आठों कोण बराबर हों। आप चाहें तो इस आकृति को अलग-अलग तरीके से बड़ी ही अासानी से बना सकते हैं वो भी रोजमर्रा के सामान से। है न मजेदार! तो आईये शुरु करते हैं।

  1. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    अष्टभुज की भुजा की लंबाई सुनिश्चित करें: किसी भी नियमित बहुभुज में कोण की माप निर्धारित होती है अर्थात् समान होती है, हमें केवल भुजा की लंबाई निश्चित करनी होती है। जितनी बड़ी भुजा की लंबाई होगी उतना ही बड़ा आपका अष्टभुज होगा। इसलिए अपनी जरुरत के अनुसार भुजा की लंबाई मानें।

  2. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    स्केल की सहायता से भुजा बनायें: भुजा की लंबाई जो आपने निर्धारित की है उसे स्केल की सहायता से बनायें। अष्टभुज की आठ भुजाओं में से यह पहली भुजा होगी। यदि आप एक बड़ा अष्टभुज बनाना चाहते हैं तो पहली भुजा को इस तरह बनायें कि बाकी सात भुजाओं के लिए जरुरी जगह बचे।

  3. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    चांदे की सहायता से कोण बनायें: चांदे की सहायता से बनाई हुई भुजा के प्रारंभिक बिन्दु पर 135o का कोण बनायें। इस कोण की भुजा की लंबाई भी उतनी ही लें जितनी आपने पहली भुजा की ली थी। यह आपके अष्टभुज की दूसरी भुजा होगी।

    • ध्यान रखें कि भुजाओं के अंत बिंदु आपस में मिलें। एेसा न हो कि आप प्रत्येक भुजा अलग बनायें अर्थात् पहली भुजा से दूर या फिर उसके बीच में।

  4. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    कोण बनाने की प्रक्रिया दोहरायें: इसी तरह 135o का कोण दूसरी भुजा पर भी बनायें। नई भुजा पर पहले की तरह 135o का कोण बनायें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराते जायें जब तक आपका एक समान भुजा वाला अष्टभुज तैयार न हो जाये।

    • इस पूरी प्रक्रिया में कोण तथा भुजा बनाते समय हो सकता है कि आपकी थोड़ी सी माप गलत लेने से अंतिम भुजा पहली भुजा से सही प्रकार से न मिले। इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। हाँलांकि यदि आपने कोण की माप सही ली है तो अापकी आकृति सही बनेगी।

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    वृत्त तथा इसकी दो व्यास (diameter) लाइन बनायें: परकार की सहायता से एक वृत्त बनायें। इस वृत्त में दो व्यास लाइन इस प्रकार बनायें कि ये दोनों एक दूसरे पर लंब हों। वृत्त का व्यास आपके अष्टभुज का सबसे लंबा विकर्ण होगा। दूसरे शब्दों में कहें कि यह विकर्ण अष्टभुज के एक छोर को सबसे दूर के दूसरे छोर से मिलाता है। अर्थात् जितना बड़ा आपका वृत्त होगा उतना ही बड़ा आपका अष्टभुज बनेगा।

  2. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    पहले वृत्त से थोड़ा बड़ा एक और वृत्त बनायें: परकार के प्वांइट को पहले वृत्त के केंद्र पर रखकर एक वृत्त और बनायें जिसकी त्रिज्या पहले वृत्त से थोड़ी बड़ी हो। उदाहरण के लिए, यदि पहले वृत्त की त्रिज्या 2 इंच (5.08 सेमी) है तो अाप इसमें आधा इंच (1.27 सेमी) जोड़ कर नया वृत्त बनायें।

    • अष्टभुज बनाने के आगे की पूरी प्रक्रिया में परकार को इसी त्रिज्या पर प्रयोग करें, अर्थात् थोड़ी बड़ी।

  3. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    वृत्त के केंद्र के पास चाप (आर्क) लगायें: परकार को उस बिंदु पर रखें जहाँ बड़े वृत्त का व्यास और छोटा वाला वृत्त आपस में मिलते हों। इस बिंदु से केंद्र के पास एक ऐसा चाप लगायें जो कि वृत्त की एक साइड से दूसरी साइड तक खींची गई हो। ध्यान दें कि आपको पूरा वृत्त बनाने की आवश्यकता नहीं है।

  4. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    विपरीत दिशा में भी यह चाप लगायें: पिछले स्टैप में बताई गई प्रकिया को पुनः दोहरायें अर्थात् परकार को उस बिंदु पर रखें जहाँ बड़े वृत्त का व्यास और छोटा वृत्त आपस में मिलते हों परंतु इस बार विपरीत दिशा में। केंद्र के पास एक ऐसा चाप लगायें जो कि पिछले चाप को इस तरह काटे कि वृत्त के बीच में "अाँख" की आकृति बनी हुई प्रतीत हो।

  5. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    रेखायें खींचें: दो रेखायें इस तरह खींचें कि यह दोनों चाप के मिलने वाले बिंदुओं से होकर गुजरें अर्थात् आँख की आकृति के दोनों कॉर्नर से होकर ये रेखायें निकलती हों। स्केल की सहायता से ये रेखायें खींचें और सुनिश्चित करें कि इनकी लंबाई इतनी हो कि यह वृत्त को दो अलग-अलग बिंदुओं पर काटें। ये रेखायें वृत्त के व्यास पर लंब होनी चाहियें।

  6. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    पुनः चाप लगायें: बड़े वृत्त के व्यास और छोटे वृत्त के आपस में मिलने वाले अन्य दो बिंदुओं से भी इसी तरह की चाप बनायें। आप देखेंगे कि दोबारा एक आँख की आकृति बन रही है जो पिछली आकृति को अापस में काटेगी।

    • इस प्रक्रिया को पूरा करने पर वृत्त के मध्य आँख की दो आकृतियाँ आपस में एक-दूसरे को काटती हुई बननी चाहियें। यदि ऐसा नहीं है तो आपने चाप लगाने में कोई गलती की है।

  7. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    स्केल से रेखायें खींचें: स्केल की सहायता से पहले की तरह दो नई रेखायें बनायें जो कि आँख के दोनों कॉर्नर से गुजरती हों। रेखाओं की लंबाई का ध्यान रखें कि ये इतनी लंबी हों कि वृत्त को दो नये बिंदुओं पर काटें। वृत्त के व्यास और ये रेखायें आपस में लंब होनी चाहियें।

    • ये रेखायें पिछली खींची हुई रेखाओं के साथ मिलकर एक वर्ग की आकृति बनायेंगी।

  8. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    वर्ग के कॉर्नर को छोटे वृत्त और क्रॉस के मिलने से बने बिंदुओं से मिलायें: ये सभी बिंदु आपस में मिलने पर एक नियमित अष्टभुज बनायेंगे।

  9. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    अतिरिक्त रेखायें मिटायें: अष्टभुज की आकृति के अतिरिक्त बची हुई सभी रेखाओं, चाप तथा वृत्त को मिटा दें। आपका नियमित अष्टभुज तैयार है!

  1. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    वर्गाकार कागज लें: कागज के टुकड़े से अष्टभुज बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक वर्गाकार कागज लेना होगा। यहाँ पर यह ध्यान देना आवश्यक है कि रोजमर्रा के कामों में जैसे स्कूल तथा ऑफिस अादि में हम अधिकतर आयताकार कागज के टुकड़े इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए प्रिंट लेने के लिए प्रयोग किये जाने वाले पेपर का साइज भी 8 1/2 x 11 इंच (21.59 x 27.94 सेमी) या फिर इससे मिलता-जुलता होता है। इसलिए अपनी आकृति बनाते समय सुनिश्चित करें कि आपने वर्गाकार कागज ही लिया है या फिर आयताकार कागज को काटकर वर्गाकार बनायें।

    • अगर आप आयताकार कागज को वर्गाकार में बदल रहे हैं तो माप का ध्यान रखें और इसे स्केल से जरुर नापें। उदाहरण के लिए यदि आप 8 1/2 x 11 इंच के आयताकार टुकड़े को काटकर वर्गाकार में बदलना चाहते हैं तो स्केल की सहायता से 11 इंच वाली साइड पर 8 1/2 इंच माप कर निशान लगायें और तब इसे काटें।

  2. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    वर्ग के कॉर्नर को अंदर की तरफ मोड़ें: कॉर्नर को इस तरह मोड़ें कि आपको आठ भुजायें प्राप्त हों। ये मोड़ी हुई साइड आपके अष्टभुज की चार भुजायें होंगी। यदि आप चाहते हैं कि आपका अष्टभुज नियमति लगे अर्थात् इसकी सभी भुजायें बराबर हों तो कॉर्नर को मोड़ते समय ध्यान रखें कि ये स्केल की सहायता से सही तरह से मापे गये हों और साइज में बराबर हों। दो कॉर्नर को मोड़ने पर बीच की बची हुई जगह की लंबाई भी कॉर्नर की लंबाई के बराबर होनी चाहिये।

    • कॉर्नर को अंदर तक न मोड़ें। ऐसा करने से आपको केवल एक छोटा वर्ग ही प्राप्त होगा। आपको कॉर्नर को केंद्र से अाधी दूरी तक ही मोड़ना है।

  3. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    मुड़े हुए कॉर्नर को कैंची से काटें: अगर आपने कॉर्नर को सही तरह से माप कर मोड़ा था तो आपको काटने के बाद एक समान भुजाओं वाला अष्टभुज प्राप्त होगा।

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    अलग-अलग साइज की आठ भुजायें लें: अक्सर "ऑक्टागन" शब्द से यह समझा जाता है कि नियमित अष्टभुज या फिर एक ऐसी आकृति जिसकी सभी भुजायें तथा सभी कोण बराबर हों। परंतु ऐसा नहीं है कि नियमित अष्टभुज ही एकमात्र अष्टभुज है। परिभाषा के अनुसार कोई भी आकृति जिसकी आठ भुजायें हो वह अष्टभुज होता है न कि नियमित अष्टभुज। अर्थात् समान भुजाओं की जगह आठ अलग-अलग माप की भुजाओं से बनी आकृति अनियमित अष्टभुज कहलायेगी।

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    अलग-अलग माप के कोण लें: भुजाओं की तरह यह भी जरुरी नहीं है कि एक अष्टभुज के सभी कोण भी आपस में बराबर हों अर्थात् 135o के। जब तक आपकी आकृति में आठ भुजायें हैं तब तक आपके कोणों की माप 135o से कम या ज्यादा हो सकती है। इस स्थिति में भी आपको एक अनियमित अष्टभुज प्राप्त होगा।

    • हाँलांकि 180o का कोण इस नियम का अपवाद है। सामान्यतः दो रेखायें जब आपस में 180o का कोण बनाती हैं तो वे एक सीधी रेखा बनाती हैं अर्थात् वह बहुभुज (polygon) की एक ही भुजा होती है।

  3. अष्टभुज के अंतः कोणों का योग - ashtabhuj ke antah konon ka yog

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    आपस में एक-दूसरे को काटने वाली भुजाओं का प्रयोग: कुछ विशेष बहुभुज जैसे स्टार बहुभुज (star polygons) ऐसी आकृतियाँ होती हैं जिसमें भुजायें आपस में एक-दूसरे को क्रॉस करती हैं। उदाहरण के लिए, एक पाँच प्वांइट वाले स्टार में भुजायें आपस मे कई बार एक-दूसरे को काटती हैं। इसी तरह एक आठ प्वांइट का स्टार भी बनाया जा सकता है। इसी तरह से आठ भुजाओं की और भी अाकृतियाँ बनाई जा सकती हैं। ऐसी आकृति "स्पेशल ऑक्टागन" कहलाती है।

सलाह

  • यदि आप एक परफेक्ट समान भुजाओं का अष्टभुज बनाना चाहते हैं तो अपनी सभी नाप (कोण तथा भुजाओं की लंबाई) सही तरह से मापें।
  • वर्गाकार आकार में कागज को मोड़कर समान भुजाओं का अष्टभुज बनाना आसान है।

चेतावनी

  • कैंची तथा परकार का इस्तेमाल सही तरीके से करें। थोड़ी सी लापरवाही आपको नुकसान पहुँचा सकती है।

विकीहाउ के बारे में

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यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?

एक अष्टभुज का प्रत्येक अंतः कोण कितना होता है?

अर्थात् समान भुजाओं की जगह आठ अलग-अलग माप की भुजाओं से बनी आकृति अनियमित अष्टभुज कहलायेगी। अलग-अलग माप के कोण लें: भुजाओं की तरह यह भी जरुरी नहीं है कि एक अष्टभुज के सभी कोण भी आपस में बराबर हों अर्थात् 135o के।

अष्टभुज के सभी आंतरिक कोणों का योग कितना होता है?

Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams. The sum of all interior angles of a regular hexagon is ………. Sum of the interior angles of a hexagon is __________. सिद्ध करें कि किसी षष्टभुज के सभी अंतः कोणें का योग `720^(@)` होता है

बहुभुज के अंतः कोणों का योग कैसे निकाले?

बहुभुज के गुण.
बहुभुज के आंतरिक कोणों का योग = (n – 2) × 180..
n → भुजाओं की संख्या.
बाह्य कोणों का योग = 360..

अष्टभुजी में कितने विकर्ण होते हैं?

Detailed Solution ∴ अष्टभुज में 20 विकर्ण होते हैं