अंतः श्वसन तथा बाह्य श्वसन में अंतर - antah shvasan tatha baahy shvasan mein antar

बाह्य श्वसन एवं अंतः श्वसन में अंतर बताइए

बाह्य श्वसन एवं अंतः श्वसन में अंतर
बाह्य श्वसन (External Respiration)
(1) इस क्रिया में वायु की ऑक्सीजन को अंतः श्वसन के लिए कोशिका के जीव-द्रव्य तक पहुँचाया जाता है।
(2) विभिन्न प्रकार के जीवों में इस क्रिया के लिए विभिन्न प्रकार के श्वासनांग होते हैं।
(3) इस क्रिया में प्रायः निम्नलिखित चरण होते हैं
(i) श्वासोच्छ्वास (Breathing)
(ii) श्वसनांगों में गैसों का आदान-प्रदान |
(iii) श्वासनांगों से वायु की 0, का ऊतकों (Tissues) तक पहुँचना।
(iv) कोशिकाओं में गैसों का आदान-प्रदान।

अंतः श्वसन (Internal Respiration)
(1) इस क्रिया में कोशिका के अंदर भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है।
(2) यह क्रिया कोशिका के अंदर कोशिका-द्रव्य एवं माइटोकांड्रिया में संपन्न होती है।
(3) इस क्रिया में प्राय: दो मुख्य चरण होते हैं|
(i) ग्लूकोज़ अणु को पाइरूविक अम्ल में तोड़ना।
(ii) पाइरूविक अम्ल को ऑक्सीजन की उपस्थिति में विघटित कर निकली ऊर्जा को ATP नामक अणुओं में उच्च ऊर्जा बंधों के रूप में अनुबंधित करना।
(v) निष्कासित CO, को श्वासनांगों तक लगाकर बाहर वायुमंडल में छोड़ना।

बाह्य श्वसन क्या है?

बाह्य श्वसन रक्त और फेफड़ों के बीच गैसों का आदान-प्रदान है। फेफड़ों के अंदर, बाह्य श्वसन नामक प्रक्रिया के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड अपशिष्ट के लिए ऑक्सीजन का आदान-प्रदान किया जाता है। यह श्वसन प्रक्रिया एल्वियोली नामक करोड़ों सूक्ष्म कोशिकाओं के माध्यम से होती है।

श्वसन की प्रक्रिया क्या है?

जब हम सांस लेते हैं, हवा में उपस्थित आक्सीजन फेफेड़ों में पहुंचती है और खून के निकट संपर्क में आती है जो उसे अवशोषित कर लेता है और शरीर के सभी भागों में ले जाता है। साथ ही साथ खून कार्बन डाइआक्साइड को शरीर भर से लाकर फेफड़ों में छोड़ता है जो उच्छवास के साथ फेफड़ों से बाहर निकाल दी जाती है।

बाह्य श्वसन का क्या उपयोग है?

बाहरी श्वसन फेफड़ों और रक्तप्रवाह के बीच गैसों का आदान-प्रदान करता है । फेफड़ों के अंदर, बाहरी श्वसन नामक प्रक्रिया के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड अपशिष्ट के लिए ऑक्सीजन का आदान-प्रदान किया जाता है। यह श्वसन प्रक्रिया एल्वियोली नामक करोड़ों सूक्ष्म कोशिकाओं के माध्यम से होती है।

श्वास कितने प्रकार के होते हैं?

मनुष्यों में सांस लेने के प्रकारों में यूपनिया, हाइपरपेनिया, डायाफ्रामिक और कोस्टल ब्रीदिंग शामिल हैं; प्रत्येक को थोड़ी अलग प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।

आंतरिक श्वसन कहां होता है?

आंतरिक श्वसन शरीर के ऊतकों में होता है, जहां कोशिकाएं कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती हैं और रक्त से ऑक्सीजन लेती हैं। बाहरी श्वसन फेफड़ों या गलफड़ों में होता है और तब होता है जब शरीर वातावरण से ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है।

श्वसन की पूरी प्रक्रिया शुरू करने के लिए क्या आवश्यक है?

श्वसन की रासायनिक प्रक्रिया ग्लाइकोलाइसिस से शुरू होती है, जो कोशिका द्रव्य में होती है । ग्लूकोज, एक छह-कार्बन साधारण चीनी, पाइरूवेट के दो अणुओं, एक 3-कार्बन यौगिक में टूट जाती है। दो एटीपी भी उत्पादित होते हैं।

मानव की श्वसन क्षमता कितनी होती है?

औसतन एक स्वस्थ मनुष्य प्रति मिनट 12 – 16 बार श्वसन करता है।

श्वसन क्रिया में कौन सी गैस निकलती है?

श्वसन में मुख्यतः ऑक्सीजन `(O_(2))` कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसे भाग लेती है।

फेफड़े की इकाई को क्या कहते हैं?

फेफड़ों की सबसे छोटी क्रियात्मक इकाई को वायुकोष्ठक या कूपिकायें (Alveoli) कहते हैं।

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आंतरिक और बाह्य श्वसन क्या है?

हम जिस वायु को साँस द्वारा अंदर लेते हैं, उसमें उपस्थित ऑक्सीजन शरीर के सभी भागों में और अंततः प्रत्येक कोशिका में ले जायी जाती है। कोशिकाओं में यह ऑक्सीजन भोजन के विखंडन में सहायता करती है। कोशिका में भोजन के विखंडन के प्रक्रम में ऊर्जा मुक्त होती है। इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं।

श्वसन एवं श्वसन विधि में क्या अंतर है?

इसलिए यह आवश्यक है कि कोशिकाओं को लगातार O, उपलब्ध कराई जाए और CO2 को बाहर मुक्त किया जाए। वायुमंडलीय O, और कोशिकाओं में उत्पन्न CO, के आदान-प्रदान ( विनिमय) की इस प्रक्रिया को श्वासन ( Breathing ) समान्यतया श्वसन (Respiration) कहते हैं। अपने हाथों को अपने सीने पर रखिए, आप सीने को ऊपर नीचे होते हुए अनुभव कर सकते हैं।

बाह्य श्वसन क्या है?

Solution : बाह्य श्वसन फेफड़ों में होता है जहाँ ऑक्सीजन रक्त में विसरित होती है और कार्बन डाइऑक्साइड कूपिका वायु में विसरित होती है। आंतरिक श्वसन चयापचय ऊतकों में होता है, जहाँ ऑक्सीजन रक्त से बाहर विसरित होती है और कार्बन डाइऑक्साइड कोशिकाओं से बाहर विसरित होती है।

आंतरिक श्वसन से आप क्या समझते हैं?

जब गैसों का आदान-प्रदान कृपिका और रक्त के बीच होता है, तो इसे बाहरी श्वसन कहा जाता है। इसमें रक्त में ऑक्सीजन का जबकि कृपिका में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रसार प्रसार शामिल है। ऊतकों के स्तर पर, विनिमय को आंतरिक श्वसन कहा जाता है जिसमें ऑक्सीजन रक्त से बाहर निकलता है और रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड चलता है।