लखनऊ. बचपन में बच्चे कई बार लड़खड़ा कर मुंह के बल गिर जाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स उन्हें उठा लेते हैं और बच्चे को सहलाकर चुप भी करा दिया जाता है। कुछ सालों बाद यही चोट बच्चों के लिए खतरनाक साबित होती है। मुंह के बल गिरने के कारण जबड़े में चोट लग जाती है। ऐसे में चोट लगने के कुछ समय के अंदर ही बच्चे को किसी योग्य मैगजिलोफेशियल सर्जन को दिखाना चाहिए। अन्यथा लापरवाही के चलते बच्चे गंभीर बीमारी यानि एकोइलोसिस का शिकार बन सकते हैं। यह जानकारी किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में दिल्ली के एम्स से आए डॉ. अजय राय ने दी। शुक्रवार को यहां इंटरनेशनल ओरल और मैगजिलोफेशियल सर्जन डे मनाया गया। Show
डॉ. अजय राय ने बताया कि एकोइलोसिस बीमारी में जबड़े की हड्डी चोट लगने के कारण दिमाग की हड्डी में जुड़ जाती है। हड्डी गलत जुड़ जाने के कारण जबड़ा खोलने, बोलने, खाने में दिक्कत होती है। जब धीरे-धीरे परेशानी बढ़ती जाती है और एक समय आने पर जबड़ा खुलना बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति कभी-कभी जानलेवा भी साबित होती है। अमूमन बचपन में खेलते समय बच्चों के मुंह में और जबड़ों में चोट लगने के बाद पैरेंट्स ध्यान नहीं देते हैं। जब जबड़ों या दांतों में दर्द होता है, तो पेन किलर देते हैं। यह लापरवाही आगे चलकर नुकसानदायक साबित हो सकती है। कुछ समय बाद बच्चों को मुंह खोलने में बहुत तकलीफ होती है। इस अवसर पर विभाग की डॉ. दिव्या मल्होत्रा ने बताया कि ऐसी स्थिति में जब परिजन केजीएमयू पहुंचते हैं, तब बच्चों के जबड़ों का ट्रांसप्लांट करना पड़ता है। इस ट्रांसप्लांट में बच्चे के हिप की हड्डी का जबड़ा बनाकर लगाया जाता है। इसके कारण बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ जबड़े का आकार भी सामान्यता बढ़ता रहता है। इसलिए ऐसी स्थिति आने के पहले ही बच्चे को चोट लगने के कुछ घंटे अंदर किसी अच्छे सर्जन को दिखाना चाहिए। इससे समय रहते बच्चे का इलाज हो सकेगा। वहीं, ऐसे मरीजों की संख्या गांवों में अधिक है। केजीएमयू में इस बीमारी से पीड़ित प्रतिदिन 4 से 5 बच्चे आते हैं। इस समय करीब 400 से 500 पीड़ित बच्चे सर्जरी के लिए वेटिंग लिस्ट में हैं। आगे की स्लाइड में पढ़िए इन बातों को नहीं करना चाहिए अनदेखा... माँ बनने के बाद और विशेषकर आपका पहला बच्चा होने पर जीवन के शुरुआती दिन काफी तनाव और भागदौड़ भरे हो सकते हैं। बच्चे को संभालने में आपका दिन-रात एक हो जाते हैं और उसकी हर छोटी से छोटी बात को लेकर आप बेहद सावधान और कभी-कभी चिंतित भी रहती होंगी। हालांकि आपको डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपकी ज्यादातर आशंकाएं बिना तर्क की होंगी और यह अपने न्यूबॉर्न बेबी की अत्यधिक चिंता करने की वजह से उत्पन्न होती हैं। शुरुआती महीनों में बच्चे के सोने का कोई नियम नहीं होता है। वह दिन के दौरान ज्यादातर समय सोते रह सकता है और जब आपके सोने का समय हो तो अचानक उठकर रोने लगेगा। आमतौर पर, एकमात्र समय जब बच्चे पर पेरेंट्स का ध्यान केंद्रित न हो, तब होता है जब वे खुद सो रहे होते हैं या कमरे से बाहर होते हैं। इन्हीं कुछ मिनटों में बच्चे का बेड से गिरना संभव है।यदि छोटा बच्चा बिस्तर से गिर जाए तो क्या करना चाहिएबच्चे छोटे होते हैं इसलिए यह सोचना आसान है कि वह बेड के किनारे नहीं आ सकते या बेड से गिर नहीं सकते हैं। हालांकि शिशुओं द्वारा हाथ-पैर मारने को भी कम नहीं समझना चाहिए। छोटे बच्चे का बिस्तर से गिरना बहुत आम बात है जो पहली बार बने लगभग हर पेरेंट्स के साथ होती है। यदि बच्चा बेड से गिर जाए तो पेरेंट्स को खुद में ही खराब महसूस होता है और वे खुद को ब्लेम करते हैं। हालांकि बच्चे का बिस्तर से गिरना बहुत आम है। आप घबराने के बजाय इस बात का ध्यान रखें कि आपको कुछ ऐसे स्टेप्स फॉलो करने चाहिए जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई भी गंभीर प्रभाव न पड़े। छोटे बच्चों को बेड से गिरने से बचाने के लिए सावधानी बरतना ही एक बेहतरीन तरीका है पर एक्सीडेंट तो किसी के साथ भी हो सकता है। यदि यह समस्या कभी भी होती है तो आप बताए गए तरीके अपनाएं और चेक करें कि बच्चा ठीक है या नहीं, तभी आपको शांति मिलेगी। सबसे पहले क्या करें?यदि किसी आवाज से आप रात में अचानक जाग जाती हैं और बच्चे को गिरा हुआ पाती हैं तो अगले 24 घंटों तक ऑब्जर्व करें कि उसे कोई गंभीर समस्या तो नहीं हुई है। सबसे पहले देखें कि बच्चा होश में है या नहीं। गिरने से छोटा बच्चा बेहोश भी हो सकता है और टॉडलर तो सोता हुआ लगेगा। होश में आते ही बच्चा तुरंत रोने लगेगा। इसके बाद भी यह नॉर्मल लगेगा पर फिर भी आपको इस स्थिति को इमर्जेन्सी जैसा समझकर ही डील करना होगा। यह सलाह दी जाती है कि गिरने के बाद बच्चे को ज्यादा हिलाएं नहीं, क्योंकि इससे चोट बढ़ सकती है। यदि बच्चे के शरीर में चोट नहीं लगी है तो उसे उठाएं और प्यार से शांत कराने का प्रयास करें। छोटे बच्चे गिरने के बाद कन्फ्यूज हो जाते हैं, डर जाते हैं और चौंक जाते हैं। बच्चे को पकड़े हुए आप उसके शरीर व सिर में चोट के लक्षण चेक करें। यद्यपि छोटे बच्चे का बिस्तर से गिरना और सिर पर चोट लगना आम है पर इसे सावधानी से चेक व ट्रीटमेंट करना भी जरूरी है। यदि बच्चा एक साल से कम उम्र का है तो इस समस्या को मेडिकल इमर्जेन्सी समझें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। गिरने के बाद बेबी के सिर में हुए बंप (उभार) को ठीक करने के तरीकेयदि बच्चे के सिर पर कोई असर पड़ता है तो संभव है उसके सिर में चोट लगने की जगह पर गुलमा या उभार पड़ सकता है। हालांकि यह उतना खराब नहीं है जितना दिखता है और कुछ समय के बाद यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। इस उभार का यह अर्थ है कि सिर में चोट लगने की जगह पर थोड़ी बहुत सूजन आई थी। आप बच्चे के सिर पर हर घंटे पर 5 मिनट के लिए ठंडी सिकाई करके गुलमा ठीक कर सकती हैं। यह करना बहुत आसान है पर आइस पैक लगाते समय छोटे बच्चे का ध्यान भटकाना बहुत कठिन है। गुलमा अक्सर कुछ घंटों में गायब हो जाता है पर यदि यह ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर से कब परामर्श करेंयदि बच्चे को बहुत गंभीर चोट लगी है या स्थिति बिगड़ती जा रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। हालांकि ज्यादातर मामलों में इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। बच्चे के बेड से गिरने पर आपको डॉक्टर से कब मिलना चाहिए, आइए जानें;
छोटे बच्चे को बिस्तर से गिरने से या चोट लगने से कैसे बचाएंबच्चे को बिस्तर से गिरने से और सिर में चोट लगने से बचाने के या गिरने के प्रभाव को कम करने के बहुत सारे तरीके हैं, आइए जानें;
आप चाहे कितना भी ध्यान रखें पर शुरुआती दिनों में बच्चे का बेड से गिरना एक आम मामला है। फिर भी इसके कोई गंभीर परिणाम न हों इसलिए पूरी सावधानी रखें और उसे गिरने की किसी भी संभावना से बचाएं। मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे बच्चे के सिर में गंभीर चोट है?यदि आपके शिशु को निम्नांकित कोई भी लक्षण हो, तो उसे डॉक्टर के पास या अपने नजदीकी अस्पताल की आपातकाल यूनिट में तुरंत ले जाएं:. वह बेहोश हो जाता है, चाहे बहुत कम देर के लिए ऐसा हो।. घाव को हल्के से दबाए रखने पर भी खून आना बंद नहीं हो रहा है। ... . उसकी नाक या कानों से गुलाबी तरल या खून बह रहा हो।. उसे दौरे पड़ रहे होंं।. बच्चे के सिर में चोट लगने पर क्या करना चाहिए?किसी छोटी सिर की चोट का उपचार कैसे करें. सूजन न आये और यदि आई है तो उसे कम करने के लिए एक बर्फ का पैक (अथवा चाय के तौलिये में ठंडे मटरों का बैग) लगाएं. विश्राम करें और तनाव से दूर रहें - यदि आप थके हुये हैं तो आप अथवा आपका बच्चे को जागे रहने की आवश्यकता नहीं है. दर्द अथवा सिरदर्द से आराम पाने के लिए. छोटे बच्चे को चोट लगने पर क्या लगाएं?हल्दी- अगर बच्चे को कहीं चोट लग जाए और खून निकल रहा हो तो उस पर तुरंत हल्दी लगा दें. इससे घाव भी जल्दी भरता है और ब्लड को रोकने में भी मदद मिलती है. हल्दी लगाने से चोट जल्दी ठीक हो जाती है. बर्फ- अगर तेजी से खून बह रहा है और आपको समझ नहीं आ रहा कि क्या करें.
बच्चा अगर गिर जाए तो क्या करना चाहिए?सबसे पहले देखें, कहां चोट लगी है
अगर बच्चा सिर के बल गिरा है तो सबसे पहले चेक करें कि कहीं खून तो नहीं आ रहा या कहीं सूजा तो नहीं है। भले ही बच्चा गिरने के बाद ठीक दिख रहा हो फिर भी इसे मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर लें और डॉक्टर को फोन करें। कई बार बच्चे डरकर भी रोते रहते हैं, उन्हें गले से लगाकर थपथपाएं।
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