#दिल से दिल तक# सासु माँ की पहली होली Show जबसे सुशांत का रुचिका से विवाह हुआ था तबसे रंजना को लगता था जैसे उसकी तपस्या सफल हो गई हो | खानदान में सभी रंजना की इज़्ज़त करते थे क्यूँकि उसने अपने दम पर अपने बच्चों को आजकल के जमाने में पालने की हिम्मत दिखाई थी | रुचिका भी आते ही एक बेटी की तरह इस घर में हिल मिल गई थी बस अब तो सबसे छोटा बेटा शुभम था जो कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था और बस रंजना का एक ही सपना था कि किसी तरह शुभम भी जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़ा हो जाए | यह सब सोच रही थी कि अचानक रुचिका की आवाज आई, "माँ ! ध्यान किधर है आपका? देखो कड़ाही में सारी गुजिया जलने लगी है |" "वाह ऐसे कैसे! अब तो जरा सा काम बचा है | मुझे करने दो कम से कम कल सबको मैं यह तो बता सकूँ कि होली पर मैंने भी गुजिया बनाने में आपकी मदद की है |" मजाक में रुचिका बोली | बाहर बैठी शीला जी बोली," सच यह लड़की तो दफ्तर से घर में आते ही कैसे चहल पहल कर देती है | वरना तो सारा दिन हम सास बहू अकेले चुपचाप बैठी रहती हैं|" खुश होता हुआ शुभम बोला," वाह! फिर तो मजा आएगा | रुचिका भाभी आपकी खैर नहीं इस बार तो होली पर आपको बहुत रंग से लाल पीला करेंगे |" "तुम इतनी भी छोटी नहीं हो बहू और माना पढ़ी लिखी हो पर रीति रिवाज के नाम भी कुछ चीज होती है | विधवा होली नहीं खेलती है और आज तक रंजना ने राजेश के
जाने के बाद होली नहीं खेली है | चलो अब अपना त्यौहार मत खराब करो और जाओ तुम बच्चे छत पर होली खेलने जाओ |" गुस्से से शीला जी बोली | ," रुचिका हठ मत करो | चलो यहाँ से | खामख्वाह बात बढ़ जाएगी |" करेंगी परंतु शीला जी की आँखे भर आई और बोली," सच कड़वा होता है मगर तूने आज मेरा उस कड़वे सच से सामना कराया है | यह सही है कि मेरे छोटे बेटे ने मुझे रखने से इंकार कर दिया और मेरे बड़े बेटे के ना होने पर भी मेरी बहू ने मेरा साथ दिया परंतु ना जाने रीति रिवाजों के चक्कर में अपनी बहू की खुशियों को ही मैं भूल गयी थी | कोई बात नहीं आज तेरी बात मुझे अच्छी लग रही है | जा अपनी सास के साथ होली खेल ले |"मुस्कुराते हुए शीला जी
ने कहा| दोस्तों आखिर कब तक विधवा के जीवन से होली खेलने का अधिकार छीना जाएगा | हमें समाज को बदलने के लिए अपनी सोच के दायरों को बड़ा करना पड़ेगा | समाज को बदलने के लिए बहुत बड़े-बड़े कार्य करने की जरूरत नहीं है आवश्यकता है तो अपनी सोच को थोड़ा सा बदलने की अपने नजरिए को बदलने की| डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है । Published:Mar 17, 2022
होली से एक दिन पहले क्या किया जाता है?रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है परंतु यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन बिहार की धरती पर हुआ था. जनश्रुति के मुताबिक उस घटना के बाद से ही प्रतिवर्ष होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई.
होली खेलने से पहले क्या करना चाहिए?ऐसे में होली खेलने से पहले आपको चेहरे को अच्छे से मॉइश्चराइज करना जरूरी है. होली खेलने से पहले बॉडी पर नारियल का तेल या सरसों का तेल लगा लें जिससे रंग त्वचा पर टिके नहीं. जहां तक हो सके बॉडी स्किन को कवर कर रखें. केमिकल वाले रंग बालों को भी काफी प्रभावित करते हैं.
बच्चे की पहली होली कैसे मनाएं?बच्चों के लिए तो यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है, वे बाज़ार जा कर तरह-तरह की पिचकारियाँ और गुब्बारे (रंग से भरे हुए) लेकर आते हैं। इन गुब्बारों को एक-दूसरे पर फेंक कर होली खेलते हैं। बच्चे बड़ी उत्साह के साथ होली मनाने के लिए इन पिचकारियों का उपयोग करते हैं।
छोटी होली पर क्या किया जाता है?छोटी होली के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन की पूजा का विशेष पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि सच्चे मन अगर होलिका दहन की पूजा की जाती है, तो होलिका की अग्नि में सभी दुख जलकर खत्म हो जाते हैं. आइए जानते हैं होलिका दहन की पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है.
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