भोजन का हमारे जीवन में क्या कार्य है? - bhojan ka hamaare jeevan mein kya kaary hai?

भोजन का हमारे जीवन में क्या कार्य है? - bhojan ka hamaare jeevan mein kya kaary hai?

भोजन (food)

भोजन हमारेजीवन का अभिन्न अंग है | जीवन एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत जीवित प्राणी भोजन से अपनी शारीरिक क्रियाओं, शरीर वृद्धि एवं स्वस्थ रहने के लिए उपयुक्त पदार्थ प्राप्त करता है | स्वस्थ व्यक्तियों में भोजन करने की इच्छा स्वाभाविक होती है | उपयुक्त आहार से हमारे सभी अवयव और अंग-प्रत्यंग अपना काम सुचारु रूप से करते है | और शरीर शरीर सुडौल और सुगठित बनता है |
भोजन(food), पोषण (nutrition), तथा स्वास्थ्य (health), ये तीनो आपस में प्रगाढ़ रूप से जुड़े हुए मानव जीवन के ऐसे पक्ष (intimately connected aspect) है, जिनपर जीवन का चलना तथा उसका सर्वकल्याण (well -being) निर्भर करता है | भोजन, हमारे प्राण, जीवन और सम्पूर्ण अस्तित्व (existence) का आधार है | भोजन, मानव समुदाय उसके समाज, उसके राष्ट्रीय एवं धार्मिक जीवन का अभिन्न अंग है |

भोजन शरीर का पोषण करता है | इसके अंतर्गत वे सभी खाने-पीने के पदार्थ आते है जिन्हे हम ग्रहण करते है | जब खायी और पी गई चीजें शरीर में प्रवेश करती है तो शरीर के पाचन तंत्र में पहुंचकर वहां उत्पन्न एंजाइमों के संपर्क में आकर विखंडित होती है | पाचन तत्व, रक्तधारा में प्रवाहित होकर सम्पूर्ण शरीर में पहुँच जाते है | इन्ही पोषक तत्त्वों की सहायता से सम्पूर्ण शरीर के विविध अंग -प्रत्ययों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और जीवन चलता रहता है | इनकी उचित मात्रा मिलती रहती है तो शरीर ठीक-ठाक रहता है | इनकी कमी से, शरीर में अस्वस्था के लक्षण दिखाई देने लगते है | पोषक तत्वों का स्रोत भोजन ही होता है | ये पोषक तत्व शरीर में स्वतः निर्मित नहीं होते है | भोजन इनका पूर्ववर्ती स्वरूप होता है | पोषक तत्व, भोजन के वे संघटक होते है जिनकी उचित मात्रा, शरीर के विकास, पुरुत्पादन, निर्माण और सामान्य रूप से स्वस्थ जीवन बिताते के लिए जरूरी है | भोजन से उपलब्ध पोषक तत्व रक्त-धारा में पहुँच कर, सभी जगह वितरित हो जाते है | इन्ही से शरीर पनपता है, परिपक़्व होता है, परिवर्द्धित होता है, सुडौल और सुगठित बनता है, साथ ही सम्पूर्ण स्वास्थ्य की सुरक्षा होती है तथा जीवन -यात्रा सकुशलता से अग्रसर होती रहती है |

इतना सब कुछ भोजन से मिलता है | भोज्य पदार्थों में स्थिर, पोषक तत्व जल, प्रोटीन, वसा,कार्बोज, खनिज तथा विटामिन होते है | शरीर में, भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों के प्रमुख कार्य है, निर्माण करना, जन्म के बाद से ही शरीर को संधारित रखना, विविध आतंरिक कार्यों के अंतर्गत संपन्न होने वाली क्रियाओं के परिणामस्वरूप होनेवाली टूट-फुट की मरम्मत करना | (replacement of worn out cell ) तथा शरीर को, बाह्य तथा भीतर की क्रियाओं के हेतु आवश्यक ऊर्जा देना | शरीर को ऊर्जा की निरंतर आवश्यकता रहती है | यह भोजन से ही मिलती है |

हेलो फ्रेंड्स लिस्ट में है हमारे लिए भोजन का क्या महत्व है भोजन को ऊर्जा का प्रमुख स्रोत क्यों कहते तो आइए इस प्रश्न का उत्तर देखते हैं ठीक है तो हमारे लिए भोजन का क्या महत्व है तो जो भोजन होता है जो भोजन होता है वह हमारा शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है भोजन हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है क्यों क्योंकि भोजन के द्वारा ही हम स्वस्थ रहते हैं और हमें ऊर्जा प्राप्त होती हैं भोजन के द्वारा ही हम स्वस्थ रहते हैं और हमें ऊर्जा प्राप्त होती है ठीक है और क्या होता है भोजन ग्रहण करते हैं हम जब भोजन को ग्रहण करते हैं तो क्या होता है कि वह भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता है उसके बाद क्या होता है उपापचय क्रिया होती है फिर वह जो भोजन रहता है वह हमें ऊर्जा प्रदान करता है ठीक है उर्जा के साथ-साथ हमारा शरीर स्वस्थ भी रखता है हमारे कमजोर नहीं होने देता है क्या नहीं है

कमजोर नहीं होने देता है ठीक है और जो भोजन करते हैं उस के माध्यम से मारा वजन बढ़ता है ठीक है क्या होता है जो वजन रहता है उसमें भी निरंतर वृद्धि होती है और जब हमें कई कार्य करना पड़ेगा उस कार्य के लिए हमें आवश्यकता होगी उड़ जाएगी और वह ऊर्जा हमें प्राप्त होगी भोजन से ठीक है भोजन कैसे प्राप्त होगी भोजन से प्राप्त होगी और भोजन में जो संतुलित आहार रहता है उसमें हमें क्या-क्या खाना चाहिए हमें प्रोटीन वसा कार्बोहाइड्रेट यह तीनो चीज़ है वह मत पूर्ण रूप से खाने चाहिए तथा विटामिन खनिज लवण यह सब भी ठीक है भोजन है वह हमारे लिए बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि भोजन में पोषण प्राप्त होता है क्या होता है हमें पोषण तथा पोषक तत्व भी उसी से प्राप्त होते हैं ठीक है और भोजन को ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्यों कहते हैं क्योंकि जो भोजन रहता है जब हम उसे ग्रहण करते हैं जो उपापचय क्रिया होती है उसके

हमें क्या मिलती ऊर्जा मिलती है यानी कि कार्बोहाइड्रेट वसा प्रोटीन विटामिन स्वस्थ रखते हैं ठीक है इसीलिए जो भोजन है वह बहुत ही आवश्यक है और अगर लंबे समय तक हो सकती है तो आशा करती हूं कि आप इस प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा

 

भोजन का हमारे जीवन में क्या कार्य है? - bhojan ka hamaare jeevan mein kya kaary hai?


भोजन के कार्य Work of Food

जीवित रहने के लिए मनुष्य का भोजन ग्रहण करना अनिवार्य है। भोजन के अभाव में मनुष्य का शरीर अत्यन्त कमजोर एवं रोग ग्रस्त हो जाएगा। 

शरीर में भोजन के कई कार्य होते हैं जिन्हें निम्न रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. शारीरिक कार्य 

2. सामाजिक कार्य 

3. मनौवैज्ञानिक कार्य

1. भोजन के शारीरिक कार्य

भोजन मनुष्य की 'भूख' को शान्त करता है: 

  • मनुष्य बिना भोजन कोई भी कार्य करने में समर्थ नहीं है। एक जटिल शारीरिक प्रक्रिया के उपरान्त व्यक्ति को भूख का अनुभव होता है। हमारा पाचन तन्त्र मस्तिष्क तक यह संदेश भेजता है कि हमें शारीरिक कार्यों हेतु आहार लेने की आवश्यकता है। मस्तिष्क इस संदेश की पहचान भूख के रूप में कर लेता है। तदोपरान्त हमारे शरीर में भूख का तीव्र अनुभव होता है। ऐसे समय में यदि व्यक्ति को आहार प्राप्त हो तो उसकी भूख शान्त हो जाती है एवं वह संतोष का अनुभव करता है। आहार न मिलने की स्थिति में व्यक्ति में अन्य लक्षण जैसे सिर दर्दकमजोरीजी मिचलाना आदि अनुभव होने लगते हैं।

ऊर्जा प्रदान करना: 

  • विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के संचालन के लिए एवं क्रियाशील जीवन जीने के लिए मनुष्य को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा मनुष्य को भोजन में निहित पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेटवसा एवं प्रोटीन से प्राप्त होती है। यह पौष्टिक तत्व शरीर में ऑक्सीकृत होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह ऊर्जा शरीर की ऐच्छिक एवं अनैच्छिक क्रियाओं के सफल संचालन एवं सम्पादन हेतु आवश्यक है। चलनाउठनादौड़ना आदि मांसपेशीय गतिविधियाँ ऐच्छिक क्रियाओं के अन्तर्गत आती है। अनैच्छिक क्रियाएँ जो शरीर में स्वतः ही सम्पादित होती हैं जैसे हृदय का धड़कनाश्वसन तन्त्रपाचन तन्त्र आदि आन्तरिक अंगों का सुचारु रूप से कार्य करना।
  • एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। चूँकि हमारे आहार में सर्वाधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट तत्व उपस्थित होता हैअतः हमारे शरीर को सर्वाधिक ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट द्वारा प्राप्त होती है। साथ ही यह सुपाच्य भी होता है। एक ग्राम वसा से हमें 9 किलो कैलोरी ऊर्जा तथा 1 ग्राम प्रोटीन से 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

शरीर का निर्माण एवं ऊतकों की टूट-फूट की मरम्मत: 

  • भोजन का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है शरीर का निर्माण करना। शरीर की आधारभूत न्यूनतम इकाई कोशिका के निर्माण हेतु प्रोटीनजल एवं अन्य पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर निर्माण का कार्य जन्म से पूर्व ही प्रारम्भ हो जाता है एवं तब तक चलता रहता है जब तक व्यक्ति का पूर्ण शारीरिक विकास नहीं हो जाता तथा व्यक्ति सम्पूर्ण लम्बाई एवं भार प्राप्त नहीं कर लेता। शरीर में कई बार ऊतकों की टूट-फूट होती रहती है। इनके पुनः निर्माण हेतु भी पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • वयस्क व्यक्ति के शरीर में पौष्टिक तत्वों की माँग केवल शारीरिक वृद्धि हेतु नहीं अपितु शारीरिक क्रियाओं को सुचारु बनाए रखने हेतु एवं ऊतकों की टूट-फूट की मरम्मत हेतु भी होती है। शैशवावस्थाबाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में पौष्टिक तत्व शरीर निर्माण का कार्य सम्पादित करते हैं। शरीर निर्माण करने वाले प्रमुख पौष्टिक तत्व हैंप्रोटीनखनिज लवण एवं जल प्रत्येक कोशिका के निर्माण के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। कोशिकाओं में होने वाली कई रासायनिक प्रक्रियाओं में भी प्रोटीन का विशेष स्थान है। शरीर निर्माण की दृष्टि से कैल्शियमफास्फोरसमैग्नीशियमलौह लवण एवं आयोडीन जैसे खनिज लवण महत्वपूर्ण हैं।

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करना: 

  • भोजन में उपस्थित पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं। विटामिनखनिज लवण एवं प्रोटीन वे पोषक तत्व हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं। विटामिन एवं खनिज लवण सुरक्षात्मक पोषक तत्व के रूप में जाने जाते हैं। किसी विशेष विटामिन अथवा खनिज लवण की कमी से शरीर में रोग उत्पन्न हो सकते हैं जैसे विटामिन 'की कमी के कारण रतौंधीलौह लवण की कमी से एनीमिया रोग आदि। यदि आहार द्वारा शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन एवं खनिज लवण प्राप्त हों तो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है ।

शरीर की विभिन्न महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करना: 

  • पोषक तत्व शरीर की विभिन्न महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं जैसे रक्त का थक्का जमनाअम्ल- क्षार संतुलन को नियंत्रित करनाजल एवं इलैक्ट्रोलाइट सन्तुलन बनाए रखना आदि। इसके अतिरिक्त पोषक तत्व शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखने में एवं व्यर्थ पदार्थों के उत्सर्जन के लिए भी आवश्यक हैं।

2. भोजन के सामाजिक कार्य

  • मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है एवं भोजन सामाजिकता का माध्यम है। हमारे समाज में अधिकांश विशेष अवसरों में रीतियों एवं परम्पराओं के अनुसार भोजन बनाया एवं परोसा जाता है। धार्मिक पर्वों जैसे होलीदीवालीईद आदि में लोग भाँति-भाँति के पकवान बनाते हैं एवं इनके माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। भोजन व्यक्तियों को साथ लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। जैसे पार्टीपिकनिक आदि आयोजनों में व्यक्ति अपने परिवार एवं मित्रों के साथ भोजन ग्रहण करता है । 
  • साथ में भोजन ग्रहण करने से अधिकांश वातावरण आनन्दमय एवं प्रफुल्लित हो जाता है। अतिथियों के स्वागत में हम विशेष भोजन परोसते हैं। जब हम किसी रोगी से मिलने जाते हैं तो साथ में फल आदि ले जाते हैं। मित्रों एवं रिश्तेदारों के घर आवागमन पर हम उनकी पसन्द एवं रुचि का भोजन परोसते हैं। हमारे मित्र कई बार हमें नये खाद्य पदार्थ चखने एवं अपने आहार में सम्मिलित करने का सुझाव देते हैं। विशेष भोज एवं व्रत आदि धार्मिक आस्थाएं तथा भोजन आपस में घनिष्ट रूप से सम्बन्धित हैं।
  • भोजन के माध्यम से लोग अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा दर्शाते हैं तथा विवाहजन्मदिन आदि शुभ अवसरों पर खास भोजन परोसते हैं। स्पष्ट रूप से भोजन कई सामाजिक कार्यों के सम्पादन में सहायता करता है।

3. भोजन के मनोवैज्ञानिक कार्य

  • भोजन भावनाओं को व्यक्त करने का भी माध्यम है। किसी को भोजन ग्रहण करने के लिए आमंत्रण देना अतिथि के प्रति सम्मान एवं मित्रता प्रदर्शित करता है। परिचित स्वाद व्यक्ति को संतोष प्रदान करते हैं। गर्म पेय पदार्थ कुछ क्षणों के लिए व्यक्ति की थकान दूर कर देते हैं। 
  • माता अपने बच्चों की पसन्द का भोजन परोस कर उनके प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करती है। गृहणी को स्वयं के द्वारा बनाए गए भोजन की प्रशंसा सुनकर खुशी मिलती है। यह सभी भावनायें भोजन के माध्यम से व्यक्त की जाती है। व्यक्ति अपनी खुशी भी भोजन के माध्यम से व्यक्त करते हैं।