बिहार में महिलाओं को 50% आरक्षण कब मिला? - bihaar mein mahilaon ko 50% aarakshan kab mila?

बिहार में महिलाओं को 50% आरक्षण कब मिला? - bihaar mein mahilaon ko 50% aarakshan kab mila?

Women Reservation in Panchayati Raj: पंचायती राज अधिनियम-1992 लागू होने से गांव की महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। वर्तमान समय में महिला आरक्षण को कई राज्यों ने 33%  से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक दिया है। जिससे पंचायती राज में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी बढ़ी है।

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी और आरक्षण को विस्तार से जानें। 

जैसा कि आप सभी जानते हैं प्राचीन समय से ही भारत में महिलाओं का स्थान महत्वपूर्ण रहा है। आजादी के बाद भी महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। चाहे वो विज्ञान का क्षेत्र हो या कला, साहित्य, सुरक्षा, खेल इत्यादि सभी क्षेत्रों में आगे हैं। सरकारें भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए कई कदम उठा रही हैं। जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और समाज में बदलाव ला सकें।

पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण (Reservation for women in Panchayats)

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पंचायती राज अधिनियम-1992 महिलाओं के लिए एक वरदान के रूप में उभरी है इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में इस कानून लागू होने से महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

आपको बता दें, संविधान के 73वें संशोधन-1992 में महिलाओं को पंचायतों में एक तिहाई (33%) आरक्षण दिया गया है। वर्तमान समय में इस आरक्षण को कई राज्यों ने इस सीमा को बढ़ाकर 50% तक दिया है। यही कारण है कि पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी बढ़ी है।

एक ओर जहाँ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाए घूंघट में रहने के लिए विवश थी उन्हें पंचायतों में बोलने का बहुत कम अधिकार था। वे अपने पति, पिता या अन्य रिश्तेदारों पर निर्भर रहना पड़ता था। महिलाओं की समस्या पर वे खुद नहीं बोल पाती थीं। लेकिन आज का समाज भी बदल रहा है और उन्हें इसके लिए अधिकार भी मिल रही है।

पहली बार 1959 में जब पंचायतों के विकास के लिए बलवंत राय मेहता समिति का गठन किया गया तो इस समिति ने महिलाओं के लिए भी भागीदारी की बात की। समय-समय पर महिलाओं की शक्तिकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। लेकिन पंचायती राज अधिनियम-1992 ग्रामीण भारत की महिलाओं की सशक्तिकरण में मील की पत्थर साबित हुई है।

वर्तमान समय में हमें प्रत्येक क्षेत्र में महिलाऐं अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाती चली आ रही हैं। वैश्वीकरण की इस दौड़ में महिलाऐं पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

किस राज्य में महिलाओं को पंचायतों में कितना है आरक्षण (Status of Women's Reservation in India in Panchayati Raj System)

अभी भारत के संसद में महिलाओं को 33% का आरक्षण भले ही नहीं प्राप्त हो पाया हो लेकिन पंचायतों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं।

अधिकांश राज्यों में इस आरक्षण को 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। इन राज्यों में पंचायतों के प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है।

Sl. No        Name of State

Sl. No        Name of State

1. Andhra Pradesh(आंध्र प्रदेश)

2. Assam(आसाम)

3. Bihar(बिहार)

4. Chhattisgarh(छत्तीसगढ़)

5 .Gujarat(गुजरात)

6.Himachal Pradesh(हिमाचल प्रदेश)

7. Jharkhand(झारखंड)

8  Karnataka(कर्नाटक)

9  Kerala(केरल)

10 Madhya Pradesh(मध्य प्रदेश)

11  Maharashtra(महाराष्ट्र)

12 Odisha(ओडिसा)

13   Punjab(पंजाब)

14  Rajasthan(राजस्थान)

15 Sikkim(सिक्किम)

16 Tamil Nadu(तमिलनाडु)

17 Telangana(तेलंगाना)

18  Tripura(त्रिपुरा)

19 Uttarakhand(उत्तराखंड)

20  West Bengal(पं. बंगाल)

Source- Ministry of Panchayati Raj

बिहार में महिलाओं को 50% आरक्षण कब मिला? - bihaar mein mahilaon ko 50% aarakshan kab mila?

महिला आरक्षण से हो रहा है महिलाओं की स्थिति में बदलाव

  • 73वें संविधान के बाद पंचायती राज में महिला आरक्षण से महिलाओं की स्थिति में निरन्तर बदलाव आ रहा है। इससे पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। 

  • आज देश में 2.5 लाख पंचायतों में लगभग 32 लाख प्रतिनिधि चुन कर आ रहे हैं। इनमें से 14 लाख से भी अधिक महिलाएं है। जो कुल निर्वाचित सदस्यों का 46.14 प्रतिशत है। पंचायती राज के माध्यम से अब लाखों महिलाएं राजनीति में हिस्सा ले रही हैं।

  • बालिक शिक्षा के प्रति सोच सकारात्मक हुई है और इसके प्रति लोगों की रूचि बढ़ रही है।

  • आरक्षण के कारण महिलाएं अपने अधिकारों व अवसरों का लाभ उठा रही है।

  • भारतीय समाज में महिलाओं की सामाजिक व आर्थिक हालत में सुधार व बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।

  • पुरूषों के साथ कदम के कदम मिलाकर विकास कार्यों में सहभागिता बढ़ रही है।

  • महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्म-सम्मान का विकास हुआ है।

  • SC/ST और अन्य पिछड़े वर्ग की महिलाओं को आरक्षण के कारण राजनैतिक क्षेत्रों में कदम रखने का अवसर प्राप्त हुआ है।

अतः कहा जा सकता है कि आरक्षण की व्यवस्था के कारण पंचायती राज में ही नहीं बल्कि देश के सभी वर्गों की महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ है।

पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण देने से उनकी सहभागिता भी बढ़ रही है। उन्हें आज पुरूष समाज सम्मान के साथ उनकी मुद्दो और समस्याओं को पंचायतों में तवाज़ो दे रहे हैं।

पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से महिलाओं का जीवन बहुत प्रभावित हुआ है। सही मायने में पंचायती राज ने महिलाओं को समाज का एक विशेष सदस्य बना दिया है।

महिला आरक्षण की चुनौतियां (Women's Reservation Challenges)

भारतीय समाज में महिलाओं को अभी और आगे आने की जरूरत हैं। विभिन्न अधिकार और आरक्षण प्राप्त होने के बावजूद, आज पंचायतों में महिलाओं की जगह उनके पति, पुत्र, पिता या रिश्तेदार उनकी भूमिका निभाते नजर आते हैं। अधिकतर निर्वाचित महिलाओं को निर्वाचक सदस्य होने के विषय में पूर्ण जानकारी भी नहीं है। ग्राम सभा की बैठकों में वे मूकदर्शक बनी रहती है, और उनके रिश्तेदार ही पंचायत के कामों का संचालन करते हैं। महिलाएं वही करती हैं जो उनके पति और रिश्तेदार कहते हैं। अगर उनसे पंचायतों के बारे में कुछ पूछा जाता है तो वह एक ही वाक्य में अपनी बात समाप्त कर देती हैं।

अब भी कुछ परिवार महिलाओं को पंचायतों में काम करने की स्वीकृति नहीं देते हैं, क्योंकि वे महिला का स्थान घर में समझते हैं, पंचायत में नहीं। भारत के कई राज्यों में अब भी महिला सरपंचो के पति ही उनके काम संभालते दिख जाएंगे। इस कारण उन्हें ‘सरपंच पति’ या ‘प्रधान पति’ जैसे शब्दों से नवाजा जाता है। यहाँ तक कि सभाओं में या अन्य जगहों पर अपने आपको प्रधान पति कहने में अपनी साख समझते हैं। उनका काम तो चुनाव लड़ने की प्रक्रिया से ही शुरू हो जाता है। पुरूष ही चुनावों में वोट माँगते हैं और प्रचार भी करते हैं। चुनाव में एजेंट बनने से मतगणना तक की व्यवस्था अपनी निगरानी में करवाते हैं।

चुनाव से पहले और जीतने के बाद महिला प्रतिनिधि केवल हस्ताक्षर करती नजर आती हैं। उनकी तरफ से सारे वायदे और योजनाएं उनके पति ही जनता के सामने पेश करते हैं।

इसके फलस्वरूप स्वस्थ जनप्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो पाता है। शिक्षा और जन-जागरूकता के अभाव में महिला प्रतिनिधियों को ग्राम पंचायत पर सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती है। इस प्रकार महिला प्रतिनिधि हस्ताक्षर करने वाली रोबोट बन कर रह जाती हैं।

संक्षेप में कहें, तो पंचायती राज व्यवस्था से ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार तो आया है। परन्तु अभी भी पंचायती राज में महिलाओं की भूमिका इतनी सशक्त नहीं हुई हैं कि इस व्यवस्था में अपनी जोरदार भूमिका निभा सके। इसके लिए महिलाओं को भी निडर होकर आगे आना होगा।

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महिलाओं को 50% आरक्षण कब दिया गया?

संवैधानिक प्रावधान भारतीय संविधान के 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम, अप्रेल 1993 ने पंचायत के विभिन्न स्तरों पर पंचायत सदस्य और उनके प्रमुख दोनों पर महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थानों के आरक्षण का प्रावधान किया । जिसमें देश के सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में सन्तुलन आये।

भारत में महिलाओं को आरक्षण कब मिला?

1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के तहत पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गईं। 1996 में महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार एच.डी. देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया।

पंचायतों में महिलाओं को कितना प्रतिशत आरक्षण दिया गया है?

आपको बता दें, संविधान के 73वें संशोधन-1992 में महिलाओं को पंचायतों में एक तिहाई (33%) आरक्षण दिया गया है। वर्तमान समय में इस आरक्षण को कई राज्यों ने इस सीमा को बढ़ाकर 50% तक दिया है। यही कारण है कि पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी बढ़ी है।

बिहार में आरक्षण का प्रतिशत कितना है?

कैबिनेट के फैसले के मुताबिक अब बिहार न्यायिक सेवा और उच्च न्यायिक सेवा में अति पिछड़ा को 21 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति को एक प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. यह कुल आरक्षण का 50 प्रतिशत होगा.