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केरल के पारंपरिक नृत्य को मिली यूनेस्को की मान्यताकेरल के प्राचीन मुडियेट्टू नृत्य के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ करार दिया है.X केरल के प्राचीन मुडियेट्टू नृत्य के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ करार दिया है. देवी काली के आधारित यह मुडियेट्टू केरल से दूसरा ऐसा नृत्य है, जो संयुक्त राष्ट्र की संरक्षण सूची में शामिल किया गया है. इससे पहले शास्त्रीय थियेटर कुडियाट्टम को कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल किया गया था. मुडियेट्टू नृत्य केरल के कुछ मंदिरों में होता है और इसका जन्म नौवीं या 10वीं शताब्दी में हुआ था. यह नृत्य फसल कटने के बाद गांववालों की खुशहाली के लिये भद्र काली मंदिर में अयोजित किया जाता है. यह नृत्य देवी काली और राक्षस दरिका के बीच युद्ध पर आधारित है. आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें डाउनलोड करें भारत का कौन सा लोकगीत व नृत्य 2010 में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया?केरल के प्राचीन मुडियेट्टू नृत्य के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने इसे 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' करार दिया है. देवी काली के आधारित यह मुडियेट्टू केरल से दूसरा ऐसा नृत्य है, जो संयुक्त राष्ट्र की संरक्षण सूची में शामिल किया गया है.
निम्नलिखित में से कौनसा नृत्य यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल है?Solution : वर्ष 2010 में छऊ नृत्य को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया है।
यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में कितने भारतीय तत्व शामिल हैं?ये हैं 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत. रामलीला को 2008 में. वैदिक मंत्रों के पाठ करने की परंपरा. कूडियाट्टम-केरल. रम्माण त्योहार-उत्तराखंड. मुडियेट्टु-केरल. कालबेलिया-राजस्थान. छऊ नृत्य. बौद्ध धर्म ग्रंथों के पाठ करने की परंपरा. निम्नलिखित में से कौन सा यूनेस्को में एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में अंकित है?सही उत्तर यक्षगान है।
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