भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?

Free

Bihar Police SI Prelims 2020: Full Mock Test

100 Questions 200 Marks 120 Mins

Latest Bihar Police SI Updates

Last updated on Sep 22, 2022

Bihar Police Subordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for Bihar Police SI exam, must check their results before 4th September 2022.The new notification for 2022-23 cycle is expected to be released soon.

Jawaharlal Nehru Birth Anniversary 2022: भारत की पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्ला थे।

पिछले दिनों केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस को अविभाजित भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया। सिंह ने कहा, ‘बोस ने उस समय ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र ‘आजाद हिंद सरकार’ का गठन किया था।’

रक्षा मंत्री के बायन के बाद अन्य भाजपा नेताओं ने भी इस तरह कि बातें कहीं। सांसद राजवर्धन सिंह राठौर ने ट्विटर पर लिखा, ”अविभाजित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी की यह बात पूर्णत: प्रामाणिक है। असल में नेहरू को पहला प्रधानमंत्री बताना इतिहास में घोटाला करने जैसा है और कांग्रेस शासन में ऐसे घोटाले खूब हुए हैं।”

अब सवाल उठता है कि क्या सच में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं हैं? आखिर केद्रीय मंत्रियों के इतने बड़े बयान की सच्चाई क्या है?

गलत है राजनाथ सिंह का बयान

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बयान सही नहीं है क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बंटावारे का औपचारिक ऐलान 3 जून, 1947 को हुआ था। और नेहरू भारत की अंतरिम सरकार में 6 जुलाई 1946 को ही प्रधानमंत्री बन गए थे। दरअसल भारत तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। लेकिन ब्रिटेन ने भारतीयों के हाथ में सत्ता एक साल पहले सौंप दी थी। जिसके तहत भारत में अंतरिम सरकार बनी थी। तय हुआ कि कांग्रेस का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री बनेगा। 6 जुलाई 1946 को नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने लिए गए और अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भारत में पहला आम चुनाव हुआ नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री भी बनें।

सुभाष चंद्र बोस कब बने प्रधानमंत्री?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में ‘आजाद हिंद सरकार’ का जिक्र किया है। बोस इसी सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे। अब यहां ये समझ लेना जरूरी है कि ‘आजाद हिंद सरकार’ क्या है। दरअसल साल 1940 में अंग्रेजों ने बोस को उनके घर में ही नजरबंद किया था। लेकिन 1941 की शुरुआत में वह अंग्रेजों की आंख में धूल झोंककर भागने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने देश के बाहर से आजादी की लड़ाई लड़ी।

21 अक्टूबर, 1943 को उन्होंने सिंगापुर में निर्वासित सरकार के गठन की घोषणा की थी। उसे उन्होंने आजाद हिंद सरकार नाम दिया, खुद को सरकार का हेड ऑफ स्टेट यानी प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री घोषित किया। इस सरकार की अपनी फौज (आजाद हिंद फौज), करेंसी, कोर्ट, सिविल कोड, और राष्ट्रगान भी था। सुभाष चंद्र बोस की सरकार को 9 देशों जापान, जर्मनी, इटली, क्रोएशिया, बर्मा, थाईलैंड, फिलीपीन्स, मांचुको (मंचूरिया) और रिपब्लिक ऑफ चाइना ने मान्यता दी थी। इस तरह की सरकारों को ‘Government In Exile’ कहा जाता है। आसान भाषा में ऐसी सरकारों को देश से बाहर बनाई गई सरकार कह सकते हैं।

सुभाष चंद्र बोस पहले नहीं

सुभाष चंद्र बोस निर्वासित सरकार बनाने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे। उनसे पहले दिसंबर 1915 में महेंद्र प्रताप और मौलाना बरकतउल्ला काबूल में भारत की पहली निर्वासित सरकार बना चुके थे। उस सरकार में हाथरस के राजकुमार महेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रपति और मौलाना बरकतउल्ला प्रधानमंत्री थे। उनकी सरकार को ‘हुकूमत-ए-मुख्तार-ए-हिंद’ कहा जाता था। इस तरह भारत की पहली निर्वासित के प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्ला थे।

Pradhanmantri Series, Jawahar Lal Nehru: भारत 1857 से ही अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. 90 साल की लंबी जद्दोजहद और कुर्बानी के बाद इसके हिस्से में खुशियां आईं. 1946 आते-आते देश की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी थी. हर हिंदुस्तानी आजादी के एक नए जोश-व-जज्बे से सराबोर था. उधर ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सत्ता में आने के बाद उम्मीदों के नए चराग़ रौशन हो गए. इसी बीच ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने का फैसला किया. 2 अप्रैल, 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुंचा. इसके साथ ही देश की आजादी और बंटवारे का झगड़ा अपने चरम पर पहुंच गया. इसी दौरान ये बहस भी तेज़ हो गई कि आखिर आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन होगा? स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सरदार वल्लभ भाई पटेल भी आगे-आगे थे लेकिन महात्मा गांधी की बदौलत ये पद जवाहरलाल नेहरू को मिला. आखिर प्रधानमंत्री पद के लिए उनका चयन कैसे हुआ? आज इसी कड़ी में पेश है, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पीएम बनने की पूरी कहानी.

अंग्रेज देश छोड़ने को मजबूर हो गए लेकिन सवाल ये था कि सत्ता हस्तांतरण कैसे होगा. इसके लिए भारत में अंतरिम चुनाव कराया गया. इस चुनाव में मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित कई दलों ने हिस्सा लिया, लेकिन कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद अंग्रेज इस नतीजे पर पहुंचे कि भारत में अंतरिम सरकार बनेगी. सरकार बनाने के लिए वायसराय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल बनना निश्चित हुआ. ये तय हुआ कि इस काउंसिल का अध्यक्ष अंग्रेज वायसराय होगा और कांग्रेस अध्यक्ष को इसका वाइस प्रेसिडेंट बनाया जाएगा. इसके साथ ये भी साफ हो गया था कि वाइस प्रेसिडेंट ही आगे चलकर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा.अचानक इस फैसले से कांग्रेस अध्यक्ष का पद बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया और फिर शुरू हुई पहले प्रधानमंत्री बनने की कहानी...

उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर 1940 से ही मौलाना अबुल कलाम आजाद आसीन थे. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा हुई, हालांकि महात्मा गांधी पहले ही साफ जाहिर कर चुके थे कि उनकी पसंद जवाहरलाल नेहरू ही हैं. लेकिन मौलाना आजाद  इस पद पर बने रहना चाहते थे. इस बात का जिक्र उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'इंडिया विन्स फ्रीडम' (1957) में भी किया है. उन्होंने अपनी बात घुमा फिरा कर लिखी है. उन्होंने लिखा है, ''सामान्य रुप से ये सवाल उठा कि कांग्रेस में नया चुनाव होना चाहिए और नया प्रेसिडेंट चुना जाना चाहिए. लेकिन जैसे ही ये बात प्रेस में पहुंची ,ऐसी डिमांड होने लगी कि मुझे ही दोबारा अध्यक्ष पद के लिए चुना जाना चाहिए.''

मौलाना आजाद के दोबारा अध्यक्ष बनने की खबरें हर तरफ थीं और इसे देखकर गांधी जी अपसेट हो गए. उन्होंने तब मौलाना आजाद को इस बारे में एक पत्र लिखा, ''मैंने कभी अपनी राय खुलकर नहीं बताई. जब कांग्रेस कमेटी के कुछ सदस्यों ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि दोबारा उसी प्रेसीडेंट का चुनाव करना सही नहीं होगा. अगर तुम्हारी भी यही राय है तो सही होगा कि तुम एक बयान जारी करके बता दो कि तुम्हारा दोबारा प्रेसिडेंट बनने का कोई इरादा नहीं है. आज के हालात में अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं नेहरू को प्राथमिकता दूंगा. यह कहने को लेकर मेरे पास कई वजहें हैं, लेकिन उनके बारे में क्यों बात करना?'' इस बात का जिक्र गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने अपनी किताब 'पटेल: ए लाइफ' में किया है.

News Reels

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?
महात्मा गांधी के साथ नेहरू और पटेल (Getty Image) लेकिन बात सिर्फ मौलाना आजाद की नहीं थी. नेहरू के पक्ष में गांधी जी के खुले समर्थन के बावजूद कांग्रेस समिति के ज्यादातर सदस्य सरदार वल्लभभाई पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहते थे. इस पद के लिए नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 29 अप्रैल 1946 थी. तब तक गांधी जी खुलेआम नेहरू को लेकर अपना इरादा जता चुके थे. कांग्रेस प्रदेश कमेटी की बैठक बुलाई गई. इस कमेटी के 15 सदस्यों के पास प्रेसिडेंट पद पर नॉमिनेट करने की पावर थी. 15 में से 12 सदस्यों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेट किया. बाकी तीन ने किसी का नाम भी आगे नहीं बढ़ाया. यहां ध्यान देने वाली बात ये थी कि जवाहरलाल नेहरू का नाम किसी भी सदस्य ने नॉमिनेट नहीं किया.

गांधी जी की इच्छा को समझते हुए जेबी कृपलानी ने थोड़ा प्रयास किया और कुछ वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने नेहरू का नाम आगे बढ़ाया, हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक सदस्य ने भी उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई. यहां पर गांधी ने नेहरू से पूछा, ''प्रदेश कांग्रेस केमटी के किसी सदस्य ने तुम्हें नॉमिनेट नहीं किया है. सिर्फ कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने किया है.'' इस पर नेहरू चुप्पी साधे रहे. इसके बाद गांधी जी ने कहा, ''जवाहरलाल दूसरे नंबर का पद कभी नहीं लेगा.'' और फिर उन्होंने सरदार पटेल से नॉमिनेशन वापस लेने के लिए कहा.

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?

राजमोहन गांधी ने अपनी किताब में बताया है कि पटेल ने गांधी जी की इच्छा का विरोध इसलिए नहीं किया क्योंकि वो हालात को और खराब नहीं बनाना चाहते थे. पटेल को भी मालूम था कि नेहरू दूसरे नंबर का पद कभी नहीं लेंगे. JNU के पूर्व प्रोफेसर चमनलाल बताते हैं, ''उस वक्त कांग्रेस पार्टी के अंदर पटेल की तरह ही सोचने वाले ज्यादातर लोग थे, इसलिए सभी ने पटेल को ही नॉमिनेट किया, लेकिन पार्टी में गांधी का नैतिक प्रभाव ज्यादा था. सभी लोग गांधी जी की इच्छा को मानते थे. गांधी जी संगठन से परे ही रहे, लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी में गांधी की मर्जी चलती थी.'' यही वजह थी कि सभी ने गांधी जी की पसंद को स्वीकार किया.

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?

पत्रकार दुर्गादास ने अपनी किताब India from Curzon to Nehru and After (1969) में लिखा है कि इस वाकये के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना दुख जताते हुए कहा था कि एक बार फिर गांधी जी ने 'ग्लैमरस नेहरू'के लिए अपने वफादार सिपाही को दांव पर लगा दिया. ऐसा राजेंद्र प्रसाद ने इसलिए कहा क्योंकि कि इससे पहले 1929 और 1937 दोनों ही बार प्रेसिडेंट पद के चुनाव में पटेल की लीडरशिप पर गांधी जी ने हामी नहीं भरी थी.

इसके बाद सवाल उठते रहे कि गांधी ने पटेल कि बजाय नेहरू को क्यों चुना? इस पर गांधी ने कभी खुलकर जवाब नहीं दिया. इस बारे में प्रोफेसर चमनलाल बताते हैं, ''गांधी जी की निकटता तो पटेल से थी, लेकिन उन्हें हिंदुस्तान की असलियत मालूम थी. उन्हें पता था कि भारत बहुभाषी, बहुधार्मिक देश है. उन्हें लगता था कि पटेल का किसी एक धर्म की तरफ झुकाव है और इससे आगे चलकर विस्फोटक स्थिति पैदा हो सकती है, देश में तनाव बढ़ सकता है. यही वजह है कि उन्होंने नेहरू को तरजीह दी थी.''

काफी सालों बाद पत्रकार दुर्गादास को गांधी जी ने इसका जवाब दिया. महात्मा गांधी का मानना था कि कांग्रेस में अकेले जवाहरलाल नेहरू अंग्रेज थे और अंग्रेजी हुकूमत को वो पटेल से बेहतर तरीके से हैंडल कर सकते थे.

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?

दरअसल नेहरू के अलावा गांधी जी किसी को भी काबिल नहीं मानते थे. पटेल पर नेहरू इस वजह से भी भारी पड़े क्योंकि वो जन नेता थे और लोग उनकी बातों को सिर्फ सुनते ही नहीं थे मानते भी थे. प्रोफेसर चमनलाल  बताते हैं, ''नेहरू स्टार लीडर थे, जन नेता थे, लेकिन पटेल कभी भी जन नेता नहीं थे. गांधी जी ने इस पर खुलकर इसलिए नहीं बोला क्योंकि कभी-कभी सब कुछ कहना जरुरी नहीं होता. गांधी को ये मालूम था कि भारत की जो परिस्थिति है, उसे सिर्फ नेहरू ही संभाल सकते हैं. गांधी नेहरू के अलावा किसी को भी काबिल नहीं समझते थे. नेहरू में बौद्धिकता थी और वो थोड़े भावुक भी थे. पटेल कभी भावुक नहीं थे. पटेल का पब्लिक भाषण कभी किसी को प्रभावित नहीं करता था, नेहरू का भाषण सुन लोगों में लहर दौड़ जाती थी.''

इस तरह 2 सितम्बर 1946 को अंतरिम सरकार का गठन हुआ. इसके बाद जब देश आजाद हुआ तो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ही बने और पटेल ने उप-प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का जिम्मा संभाला. नई सरकार 15 अगस्त 1947 से गणतंत्र भारत की नींव पड़ने और अगले चुनाव तक जारी रही.

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?
अंतरिम सरकार की तस्वीर- सरत चंद्र बोस, जगजीवन राम, राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आसफ अली, पंडित जवाहरलाल नेहरू और सैयद अली ज़हीर (2 सितंबर,1946 की)

1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-52 में स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव हुआ. ये चुनाव 25 अक्टूबर 1951 में शुरू होकर 21 फरवरी 1952 को खत्म हुआ. कांग्रेस ने 364 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल की और नेहरू ही प्रधानमंत्री बने. हालांकि, देश के प्रथम चुनाव से पहले ही 1950 में पटेल का निधन हो चुका था.

भारत के प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे? - bhaarat ke pratham antarim pradhaanamantree kaun the?

नेहरू के नाम सबसे ज्यादा समय तक (16 साल, 286 दिन)  प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी है. 15 अगस्त 1947 से लेकर अपने निधन के दिन 26 मई 1964 तक नेहरू इस पद पर रहे.

नेहरू के बारे में

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (अब के प्रयागराज) में हुआ था. उनके पिता, मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता सेनानी थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए. उनकी मां का नाम स्वरूपरानी थुस्सू थीं. जवाहरलाल नेहरू ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की.

1916 में नेहरू की शादी कमला नेहरू से हुई. बीमारी की वजह से 1936 में कमला नेहरू की मौत हो गई. नेहरू की एक ही संतान थीं, इंदिरा गांधी जो बाद में भारत की प्रधानमंत्री बनीं. नेहरू को पंडित नेहरू के नाम से भी जाना जाता है. बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी पुकारते हैं. नेहरू अपनी मौत तक प्रधानमंत्री रहे और लोगों के मन में उनके लिए सम्मान कभी कम नहीं हुआ.

प्रधानमंत्री सीरिज में ये भी पढ़ें-

प्रधानमंत्री सीरीज 1 : जानें देश के पहले प्रधानमंत्री कैसे बने थे जवाहरलाल नेहरू

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

प्रधानमंत्री सीरीज 3: कुछ ना बोलने वाली छवि ने बनाया पीएम और रेस में हार गए मोरारजी देसाई

प्रधानमंत्री सीरीज 4: दो बार चूकने के बाद तीसरी बार में दलित नेता जगजीवन राम को पछाड़ प्रधानमंत्री बने मोरारजी 

प्रधानमंत्री सीरीज 5: जिस इंदिरा गांधी को जेल भेजना चाहते थे चरण सिंह, उन्हीं के समर्थन से बने प्रधानमंत्री, एक महीने में गिरी सरकार 

प्रधानमंत्री सीरीज 6: एम्स में राजीव को पीएम बनने से सोनिया ने रोका, तब उन्होंने कहा, 'मैं इंदिरा का बेटा हूं'

प्रधानमंत्री सीरीज 7: साजिश का शिकार हुए थे चंद्रशेखर, देवीलाल को आगे कर प्रधानमंत्री बने थे वीपी सिंह

प्रधानमंत्री सीरीज 8: राजीव गांधी के गेम प्लान से प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर, चार महीने में ही दिया इस्तीफा

प्रधानमंत्री सीरीज 9: संन्यास लेने जा रहे थे पीवी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी की हत्या के बाद अचानक बने प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री सीरीज 10: बीजेपी को शिखर पर पहुंचाने वाले आडवाणी ने खुद पीएम के लिए वाजपेयी का नाम पेश 

प्रधानमंत्री सीरीज 11: 1996 में तीसरे नंबर की पार्टी और सिर्फ 46 सीटें होने के बावजूद जनता दल के एचडी देवगौड़ा बने 

प्रधानमंत्री सीरीज 12: लालू, मुलायम, मूपनार जैसे नेताओं की आपसी भिड़ंत में गुजराल का नाम हुआ गुलजार

प्रधानमंत्री सीरीज 13: सोनिया गांधी ने ठुकराया पद तो अचानक मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री, ट्विस्ट और टर्न से भरी है ये पूरी कहानी

प्रधानमंत्री सीरीज 14: आडवाणी के विरोध के बावजूद मोदी बने PM कैंडिडेट, BJP को दिलाई ऐतिहासिक जीत

प्रथम अंतरिम प्रधानमंत्री कौन थे?

गुलजारीलाल नन्दा (4 जुलाई 1898 - 15 जनवरी 1998) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म सियालकोट, पंजाब, पाकिस्तान में हुआ था। वे १९६४ में प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्युपश्चात् भारत के प्रधानमंत्री बने।

अंतरिम सरकार का गठन कब किया गया?

सही उत्‍तर 25 अगस्त 1946 ​को है। 25 अगस्त 1946 को पहली अंतरिम राष्ट्रीय सरकार की घोषणा की गई थी। 2 सितंबर 1946 को, एक ब्रिटिश उपनिवेश से एक स्वतंत्र गणराज्य में देश के संक्रमण की निगरानी के लिए भारत की अंतरिम सरकार का गठन किया गया था।

मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में कब शामिल हुई?

Detailed Solution. सही उत्तर अक्टूबर, 1946 है। मुस्लिम लीग ने अंतरिम सरकार का बहिष्कार किया क्योंकि जवाहरलाल नेहरू को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। 26 अक्टूबर 1946 लॉर्ड वेवेल के अनुरोध के बाद मुस्लिम लीग के पांच सदस्य शामिल हुए।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे ट्रांसलेशन?

Bharat Ke Pratham Pradhanmantri Kaun The पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने 15 अगस्त, 1947 इस पद को ग्रहण किया था और वह लगातार 3 बार प्रधानमंत्री बने रहे थे उन्होंने प्रधानमन्त्री का पद 27 मई, 1964 तक संभाला था।