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आर्थिक मामलों में उसे कभी कमी नहीं आएगी। यदि भाग्य की महादशा उस जातक के जीवन में 10 वर्ष या 15 वर्ष की अवस्था में लगे तो निश्चित ही भाग्यशाली होगा तथा सभी सुख पाने वाला होगा। यदि इसके साथ बुध का संयोग हो जाए तो वह जातक उत्तम लेखक, व्यापारी, प्रकाशक, पत्रकार भी हो सकता है। शुक्र की स्थिति यदि वृश्चिक राशि पर हो तो वह जातक निश्चित भोगी होगा। कन्या लग्न और व्यवसाय कन्या लग्न वाले जातक के गुणकालपुरुष की कुंडली में कन्या राशि छठे भाव में पड़ती है और छठा भाव रोग, ऋण व शत्रुओ का माना जाता है। इसी भाव से प्रतियोगिताएँ व प्रतिस्पर्धाएँ भी देखी जाती हैं। जब यह राशि लग्न में उदय होती है तब व्यक्ति को जीवन में बहुत सी प्रतिस्पर्धाओ का सामना करना पड़ता है। इसलिए यदि आपका जन्म कन्या लग्न में हुआ है तो आपको जीवन में बिना प्रतिस्पर्धा के शायद ही कुछ मिले। जीवन में एक बार थोड़ा संघर्ष करना ही पड़ता है। कन्या लग्न के प्रभाव से आपके भीतर संघर्षों से लड़ने की क्षमता होती है क्योकि यह राशि पृथ्वी तत्व राशि मानी गई है इसलिए यह परिस्थिति से पार निकलने में सक्षम होती है। बुध को बौद्धिक क्षमता का कारक माना गया है इसलिए बुध के प्रभाव से आप बुद्धिमान व व्यवहार कुशल व्यक्ति होते हैं। ये लोग दिमाग अधिक काम में लेते हैं सो शरीर का इस्तेमाल कम से कम करने का प्रयास करते हैं। इन्हें आराम की अवस्था पसंद है। बुध के पूरे प्रभाव के चलते ये लोग नए कपड़े भी पहने तो वे मैले जैसे दिखाई देंगे। कन्या लग्न में लग्न का स्वामित्व बुध के पास होता है। ऐसा जातक लम्बा, पतला, आंखें काली, भौंहें झुकी हुई, आवाज पतली और कर्कश होती है। ऐसे जातक हमेशा तेज चलते हैं और अपनी उम्र से कम के दिखाई देते हैं। ये लोग लेखा कार्यों में होशियार होते हैं और अपनी नौकरी को लाभ के अवसर के अनुसार लगातार बदलते रहते हैं। आप तर्क-वितर्क में भी कुशल होते हैं और हाजिर जवाब भी होते हैं। आपके इसी गुण के कारण सभी लोग आपसे प्रभावित रहते हैं। यहीं पर बुध उच्च का भी होता है। सो ये लोग किसी न किसी रूप में फायनेंस, पब्लिकेशन या अन्य पढ़ने लिखने के काम से जुड़े हुए होते हैं। अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें। सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कन्या लग्न में ग्रहों के प्रभावकन्या लग्न में बुध ग्रह का प्रभावकन्या लग्न में बुध ग्रह पहले और दशम भाव के मालिक हैं। इसलिए यह लग्नेश होकर कुंडली के अतियोग कारक ग्रह माने जाते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बुध देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देतें हैं। तीसरे, छठें, सातवें (नीच), आठवें और बारहवें भाव में बुध अशुभ बन जाते हैं। इनकी दशा-अंतर्दशा में दान और पाठ करके इनकी अशुभता दूर की जाती है। निर्बल अवस्था में बुध का रत्न पन्ना पहनकर उनका बल बढ़ाया जाता है। कन्या लग्न में शुक्र ग्रह का प्रभावशुक्र देवता इस लग्न कुंडली में दूसरे और नवम भाव के स्वामी होने के कारण अति योगकारक ग्रह होते हैं। दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नौवें, दशम और एकादश भाव में शुक्र देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं। पहले (नीच), तीसरे, छठे, आठवाँ और द्वादश भाव में शुक्र देव उदय अवस्था में मारक बनकर अशुभ फल देते हैं। किसी भी भाव में अस्त शुक्र देव का रत्न हीरा और ओपल पहनकर उनका बल बढ़ाया जाता है। कन्या लग्न में मंगल ग्रह का प्रभावमंगल देवता इस लग्न कुंडली में तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं। मंगल देवता कुंडली के किसी भी भाव में अपनी दशा-अंतर्दशा में क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं। कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में मंगल देवता विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की भी क्षमता रखते हैं। परन्तु इसके लिए बुध देव का शुभ और बलि होना अनिवार्य है। इस कुंडली में मंगल का रत्न मूंगा कभी नहीं पहना जाता है। मंगल की अशुभता उसका दान-पाठ करके दूर की जाती है। कन्या लग्न में बृहस्पति ग्रह का प्रभावकन्या लग्न की कुंडली में बृहस्पति देवता चौथे और सातवें दो केन्द्रों के मालिक होते हैं। सातावां भाव मारक स्थान होने के कारण बृहस्पति मारकेश भी होते हैं। इस लग्न की कुंडली में बृहस्पति अपनी स्थित के अनुसार अच्छा या बुरा फल देते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बृहस्पति देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमता अनुसार शुभ फल देते हैं। कुंडली के किसी भी भाव में यदि गुरु देव अस्त अवस्था में विराजमान हैं तो उनका रत्न पुखराज पहन कर उनका बल बढ़ाया जाता है। कन्या लग्न में शनि ग्रह का प्रभावकन्या लग्न की कुंडली में शनि देव पाँचवें और छठे भाव के मालिक होते हैं। शनि देव लग्नेश बुध के भी अतिमित्र हैं इसलिए वह कुंडली के योगकारक गृह माने जाते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नवम, दसम और एकादश भाव में शनि देव उदय अवस्था में अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं। कुंडली के किसी भी भाव में सूर्य के साथ अस्त अवस्था में पड़े शनि देव का रत्न नीलम पहन कर उनके बल को बढ़ाया जाता है। तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में शनि देव यदि उदय अवस्था में हैं तो वह अशुभ हो जाते हैं। उनका पाठ पूजन और दान करके ही उनकी अशुभता को दूर किया जाता है। कन्या लग्न में चंद्र ग्रह का प्रभावचंद्र देवता इस लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं परन्तु लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण चन्द्रमा कुंडली के मारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली के सभी भावों में चन्द्र देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देंगे। चन्द्रमा का रत्न मोती इस लग्न में उनकी स्थिति के अनुसार ज्योतिषी के परामर्श अनुसार पहना जाता है। चन्द्रमा की दशा अन्तरा में उनका दान-पाठ करके उनकी अशुभता को दूर किया जाता है। कन्या लग्न में सूर्य ग्रह का प्रभावइस लग्न कुंडली में सूर्य देव द्वादश भाव के मालिक हैं इसलिए वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली के सभी भागों में सूर्य देव अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं। परन्तु कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित सूर्य देव विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की क्षमता भी रखते हैं इसके लिए बुध का बलवान और शुभ होना अति अनिवार्य है। सूर्य का रत्न माणिक इस लग्न कुंडली में कभी नहीं पहना जाता अपितु उनकी दशा-अंतर्दशा में पाठ और दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता है। कन्या लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुंडली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में कन्या राशि या “6” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुंडली में दिखाया गया हैI कन्या लग्न में ग्रहों की स्तिथिकन्या लग्न में योग कारक ग्रह (शुभ-मित्र ग्रह)
कन्या लग्न में मारक ग्रह (शत्रु ग्रह)
कन्या लग्न में सम ग्रह
कन्या लग्न में ग्रहों का फलकन्या लग्न में बुध ग्रह का फल
कन्या लग्न में शुक्र ग्रह का फल
कन्या लग्न में मंगल ग्रह का फल
कन्या लग्न में बृहस्पति ग्रह का फल
कन्या लग्न में शनि ग्रह का फल
कन्या लग्न में चंद्र ग्रह का फल
कन्या लग्न में सूर्य ग्रह का फल
कन्या लग्न में राहु ग्रह का फल
कन्या लग्न में केतु ग्रह का फल
अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें। सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। कन्या लग्न में धन योगकन्या लग्न में जन्म लेने वाले जातकों के लिए धन प्रदाताग्रह शुक्र है। धनेश शुक्र की शुभ स्थिति से, धन स्थान से संबंध जोड़ने वाले ग्रहों की स्थिति से एवं धन स्थान पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि संबंध से जातक की आर्थिक स्थिति, आय के स्रोतों तथा चल अचल संपत्ति का पता चलता है। इसके अलावा लग्नेश बुध, पंचमेश शनि एवं लाभेश चंद्रमा की अनुकूल स्थितियां कन्या लग्न वालों के लिए धन, ऐश्वर्य एवं वैभव को बढ़ाने में सहायक होती है। वैसे कन्या लग्न के लिए मंगल एवं सूर्य परमपपी हैं। अकेला शुक्र शुभ फलदायक है। चंद्र और बुध योग कारक है। मंगल अष्टमेश होने के कारण सह मारकेश है। शुभ युति :- बुध + शुक्र अशुभ युति :- मंगल + बुध राजयोग कारक :- गुरु व शुक्र
अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें। सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। कन्या लग्न में रत्न
रत्न कभी भी राशि के अनुसार नहीं पहनना चाहिए, रत्न कभी भी लग्न, दशा, महादशा के अनुसार ही पहनना चाहिए।
कन्या लग्न में पन्ना रत्नNatural Lab Certified Emerald – Panna
कन्या लग्न में नीलम रत्नNatural Lab Certified Blue Sapphire – Neelam
कन्या लग्न में हीरा रत्नNatural Lab Certified Diamond – Hira
अन्य लग्न की जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें सावधान रहे – रत्न और रुद्राक्ष कभी भी लैब सर्टिफिकेट के साथ ही खरीदना चाहिए। आज मार्केट में कई लोग नकली रत्न और रुद्राक्ष बेच रहे है, इन लोगो से सावधान रहे। रत्न और रुद्राक्ष कभी भी प्रतिष्ठित जगह से ही ख़रीदे। 100% नेचुरल – लैब सर्टिफाइड रत्न और रुद्राक्ष ख़रीदे, अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें, नवग्रह के रत्न, रुद्राक्ष, रत्न की जानकारी और कई अन्य जानकारी के लिए। आप हमसे Facebook और Instagram पर भी जुड़ सकते है नवग्रह के नग, नेचरल रुद्राक्ष की जानकारी के लिए आप हमारी साइट Gems For Everyone पर जा सकते हैं। सभी प्रकार के नवग्रह के नग – हिरा, माणिक, पन्ना, पुखराज, नीलम, मोती, लहसुनिया, गोमेद मिलते है। 1 से 14 मुखी नेचरल रुद्राक्ष मिलते है। सभी प्रकार के नवग्रह के नग और रुद्राक्ष बाजार से आधी दरों पर उपलब्ध है। सभी प्रकार के रत्न और रुद्राक्ष सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाते हैं। रत्न और रुद्राक्ष की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। कन्या राशि वालों के लिए कौन सा बिजनेस करना चाहिए?ऐसे में जातकों को भूमि से संबंधित कार्य करना चाहिए। जिसमें ये अच्छा प्रर्दशन कर सकते हैं। भूमि से संबंधित कार्य में इस राशि के जातक निर्माण सामाग्री का व्यापार या कंस्ट्रक्शन कंपनी चला सकते हैं। कन्या जातकों में जन्म से ही एक गुण विद्यमान होता है।
कन्या लग्न के लिए कौन सी महादशा अच्छी है?कन्या लग्न में शनि पांचवें और छठें भाव का स्वामी है। पांचवें भाव का स्वामी होने के कारण शनि को इस लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है। इसलिए शनि की महादशा में कन्या लग्न के जातक नीलम पहनें। लाभ प्राप्त होगा।
कन्या लग्न वालों का भाग्योदय कब होता है?कन्या लग्न की कुंडली वाले लोगों का भाग्योदय 16 वर्ष, 22 वर्ष, 25 वर्ष, 32 वर्ष, 33 वर्ष, 35 वर्ष एवं 36 वर्ष की आयु होता है। यदि आपकी कुंडली तुला लग्न की है तो आपका भाग्योदय 24 वर्ष,25 वर्ष, 32 वर्ष, 33 वर्ष, 35 वर्ष की आयु में भाग्योदय लगभग हो ही जाता है।
कन्या राशि वालों को क्या काम करना चाहिए?कन्या राशि के लोगों में अपना स्वयं का व्यवसाय चलाने की योग्यता नहीं होती। ये अच्छे प्रशासक न होकर अच्छे अनुगामी होते हैं। इन्हें दूसरों के साथ सहभागी होकर ही व्यवसाय करना चाहिए। साथ ही अपने परिश्रमी स्वभाव, इच्छा-शक्ति और संकल्प के कारण व्यापार में भी सफल हो सकते हैं।
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