उत्साह से आप क्या समझते हैं? - utsaah se aap kya samajhate hain?

दोस्तों, उत्साह यानि ऊर्जा किसी भी इन्सान में हो तो उसकी परिभाषा ही बदल जाती है.

क्या होता है उत्साह, हर वो आदमी जीवन में सफल जरूर हुआ है जिसके अंदर उत्साह होता है किसी भी कार्य को करने के लिए जब तक हमारे अंदर excitement नहीं होगा तब तक हम से वह कार्य सही से और time पर नहीं हो पाएगा और ना ही कोई उससे ज्यादा कुछ सीख पायेगा.

ये ऊर्जा आपको कही से नहीं मिलेगी ये किसी मार्किट में नहीं मिलेगी ये तो आपको हमको अपने अंदर दिखानी पड़ती है या यू कहे पैदा करनी पड़ती है अगर आपने अपने अंदर उत्साह नई उमंग अपने अंदर भर ली तो फिर आप सक्सेस हो गए.

Excitement का meaning क्या होता है ये आपको हम बेहतर तरीके से बताने पूरी कोशिश करेंगे आपने कभी बड़े बुजुर्गों को कहते हुए सुना होगा की अगर किसी कार्य में सफल होना है तो तीन बाते जरूर सुनी होगी –

  • शेर जैसा उत्साह.
  • बाज जैसी नजर.
  • कुत्ते जैसी नींद.

सबसे पहले बात करते है जंगल के राजा शेर की, शेर से बहुत कुछ सीखा जा सकता है कहते हैं की शेर बहुत आलसी जानवर होता है कि जब तक उसे भूख नहीं लगती वह शिकार भी नहीं करता सोता ही रहता है.

लेकिन शेर की यही आदत उसके व्यक्तित्व को निखारती है कि वह बिना वजह किसी का शिकार नहीं करता और उसके व्यक्तित्व को उसकी एक और बात भी निखारती है वह है उसका उत्साह जोकि वो अपने शिकार के समय दिखाता है.

जब भी वह शिकार के लिए निकलता है तो पूरे उत्साह के साथ शिकार करता है वह उस शिकार को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर ही शिकार करता है.

जब वह शिकार करता है तो उसे परवाह नहीं होती कि उसकी जान जाएगी या वह जख्मी हो जाएगा उसे केवल यह मालूम होता है कि यह शिकार मेरा लक्ष्य है और 90% स्थितियों में वह सफल होकर लौटता है ये होती है excitement की असली meaning.

अब बात करते है बाज जैसी नजर, बाज जैसी नजर होने का सीधा मतलब focus is key to success से है मतलब आप जब भी कोई कार्य करें तो आपका सारा फोकस उसी कार्य पर होना चाहिए फिर आपको सफलता मिलने के chance अधिक रहेंगे.

फोकस का मतलब होता है जब आप किसी कार्य को करें तो सारा का सारा ध्यान उस कार्य पर रखे, सारा का सारा फोकस मतलब यह भी नहीं कि आप अपने सभी कार्य छोड़कर एक ही कार्य में लगे रहे.

इसका मतलब यह है कि आप जब भी किसी work को करे अपना पूरा फोकस उस कार्य पर रखें तब तक दूसरा कार्य न करें जब वो complete हो जाये उसके बाद करे.

अगर आप एक साथ दो कार्य करेंगे तो आप किसी भी कार्य में मन नहीं लगा पाएंगे जिससे आपका कोई भी कार्य सही से नहीं हो पाएगा जब आप कोई कार्य करें तो उस कार्य पर आपकी बाज जैसी नजर होनी चाहिए आपको लक्ष्य के अलावा कुछ और नहीं दिखना चाहिए.

जैसे कौरवों और पांडवो को शिक्षा देते हुए आचार्य द्रोण ने अपने सभी शिष्यों को पेड़ पर बैठी एक चिड़िया पर तीर से निशाना लगाने को कहा और सभी से पूछा कि तुम्हें उस पेड़ पर क्या नजर आ रहा है.

तब किसी ने कहा कि मुझे एक चिड़िया कुछ पत्ते नजर आ रहे हैं तो किसी ने कहा कि मुझे पूरी चिड़िया नजर आ रही है.

परंतु अर्जुन से जब पूछा गया तब उसने एक ही जवाब दिया कि मुझे उस चिड़िया की आंख नजर आ रही है.

आचार्य द्रोण ने बात काटते हुए फिर से पूछा कि तुम्हें कुछ और नजर नहीं आ रहा तब भी अर्जुन ने यही कहा कि मुझे केवल उस चिड़िया की आंख नजर आ रही है.

आचार्य द्रोण खुश हुए और निशाना लगाने को कहा और आगे चलकर यह एक महान धनुर्धर बना जैसा की हम सभी जानते हैं.

अगर आप अपने कार्य पर नजर रखते हैं तो आप का कार्य समय पर होगा importance of time का ख्याल रखे और आपको उसमें होने वाली सारी problems समझ आएंगी.

जब पहली बार मुझसे कहा गया था कि किसी कार्य को पूर्ण करने और उस में सफल होने के लिए कुत्ते जैसी नींद होनी चाहिए तब समझ नहीं आया क्योंकि उस समय में बहुत छोटा था लेकिन जैसे जैसे बड़ा हुआ तब उसका answer मुझे खुद मिल गया.

कुत्ते जैसी नींद का मतलब जब आप किसी कार्य को कर रहे हो और उस में सफल होना चाहते हैं तो आप अपने आराम को ज्यादा importance ना दे केवल अपने आराम को इतना importance दें जितना स्वस्थ रहने के लिए काफी है.

इससे आपके कार्यशैली में निखार आएगा और आप अपने कार्य में होने वाले changes के प्रति जागृत रहेंगे और अगर आप किसी team को lead कर रहे तो फिर आप एक अच्छे लीडर बन पायेंगे.

जैसे आप सभी के घर में या पड़ोसियों के घर में कोई कुत्ता होगा जब रात को जरा सी भी कोई आहट होती होगी तो वह अपने होने की भोककर प्रतिक्रिया देता है इससे यह पता चलता है कि वह अपने कार्य के प्रति कितना जागरुक है और self confidence उत्साह पूर्ण है.

जब भी किसी आहट पर वह जागता है तो उसे यह मालूम नहीं होता कि उसे दोबारा नींद आएगी या नहीं बस उसे अपना लक्ष्य पता होता है कि यह मेरा कार्य है और मुझे ही करना है किसी और को नहीं.

जितना हो सके अपना कार्य स्वयं करें इससे आप उस कार्य में perfect हो जाएंगे और निश्चित आपको सफलता प्राप्त होगी बस उत्साह को बरकरार रखे. जय हिन्द जय भारत!

विषयसूची

  • 1 उत्साह से क्या तात्पर्य है?
  • 2 उत्साह गद्य की कौन सी विद्या है?
  • 3 उत्साह के लक्षण क्या है?
  • 4 गद्य की प्रमुख विधाएँ कितनी है?
  • 5 उत्साह रामचंद्र शुक्ल के कौनसे निबंध संग्रहण में से लिया गया है?
  • 6 भय और उत्साह में क्या अंतर है?
  • 7 उत्साह निबंध के लेखक का जन्म कब हुआ?

उत्साह से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: साहसपूर्ण आनंद की उमंग को उत्साह कहते हैं। अर्थात कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्ति होने पर जो आनंद का योग होता है वही उत्साह कहलाता है।

उत्साह निबंध से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्साह में हम आनेवाली कठिन स्थिति के भीतर साहस के अवसर के निश्चय-द्वारा प्रस्तुत कर्म-सुख की उमंग में अवश्य प्रयत्नवान् भी होते हैं। उत्साह में कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्त होने के आनंद का योग रहता है। साहसपूर्ण आनंद की उमंग का नाम उत्साह है।

उत्साह गद्य की कौन सी विद्या है?

इसे सुनेंरोकेंउत्साह / साहित्य शास्त्र / रामचन्द्र शुक्ल – Gadya Kosh – हिन्दी कहानियाँ, लेख, लघुकथाएँ, निबन्ध, नाटक, कहानी, गद्य, आलोचना, उपन्यास, बाल कथाएँ, प्रेरक कथाएँ, गद्य कोश

उत्साह किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्साह – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.

उत्साह के लक्षण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी काम को करने के लिए सदा तैयार रहना तथा उस काम में आनंद अनुभव करना उत्साह का मुख्य लक्षण है। उत्साह कई प्रकार का होता है। परंतु सच्चा उत्साह वही होता है जो मनुष्य को काम करने की प्रेरणा देता है।

उत्साह के लेखक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंउत्साह : आचार्य रामचंद्र शुक्ल ( Utsah : Acharya Ramchandra Shukla ) –

गद्य की प्रमुख विधाएँ कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंइसके अंतर्गत जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत, गद्य काव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेंटवार्ता, पत्र साहित्य, आदि का उल्लेख किया जा सकता है।

गघ की प्रमुख विधाएँ कौन कौन सी है?

MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ

  • निबन्ध
  • कहानी
  • एकांकी
  • नाटक
  • जीवनी
  • रेखाचित्र
  • संस्मरण
  • यात्रा वृत्तान्त या यात्रा साहित्य

उत्साह रामचंद्र शुक्ल के कौनसे निबंध संग्रहण में से लिया गया है?

इसे सुनेंरोकेंऔर अधिकरामचंद्र शुक्ल दुःख के वर्ग में जो स्थान भय का है, आनंद वर्ग में वही स्थान उत्साह का है। भय में हम प्रस्तुत कठिन स्थिति के निश्चय से विशेष रूप में दुखी और कभी-कभी स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान् भी होते हैं।

उत्साह कहानी के लेखक कौन है और उत्साह में किसका योग होता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्साह : आचार्य रामचंद्र शुक्ल ( Utsah : Acharya Ramchandra Shukla )

भय और उत्साह में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंभय किसी भयानक या अहिंसात्मक दृश्य को देखने से, या किसी हिंसात्मक या भयानक गतिविधि के कारण या किसी गलत कार्य या किसी आशंका के कारण उत्पन्न होता है। जबकि उत्साह किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करने वाला एक भाव है, जो किसी कार्य को करने के लिए एक अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के प्रमुख निबंध संग्रह का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंचिन्तामणि, “रामचंद्र शुक्ल” का निबंध संग्रह है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) चिंतामणी सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं। उत्साह रामचंद्र शुक्ल का निबंध है। यह निबंध आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध- संग्रह ‘चिंतामणि-भाग-1’ में है।

उत्साह निबंध के लेखक का जन्म कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंआचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म सन 1884 ई0 में उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले के अगौना नामक गाँव में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा मिर्ज़ापुर में हुई। सन 1910 ई0 में उन्होंने मिशन हाईस्कूल से स्कूल परीक्षा पास की।

उत्साह से आप क्या समझते हो?

'उत्साह' किसे कहते हैं? उत्तर: साहसपूर्ण आनंद की उमंग को उत्साह कहते हैं। अर्थात कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्ति होने पर जो आनंद का योग होता है वही उत्साह कहलाता है।

उत्साह से क्या तात्पर्य है इसके प्रमुख लक्षणों को विस्तार से लिखिए?

उत्तर 1. (क) किसी कार्य को करने के लिए सदैव तत्पर रहना तथा उस कार्य को करने में आनंद अनुभव करना ही उत्साह का प्रमुख लक्षण है। (ख) कार्य करने की प्रेरणा देना 'सच्चा उत्साह' कहलाता है। उत्साह अनेक प्रकार का होता है, परंतु सच्चा उत्साह वही होता है, जो मनुष्य को कार्य करने की प्रेरणा दे।

भय और उत्साह में क्या अंतर है?

भय और उत्साह दो बिल्कुल अलग-अलग भाव है। भय किसी भयानक या अहिंसात्मक दृश्य को देखने से, या किसी हिंसात्मक या भयानक गतिविधि के कारण या किसी गलत कार्य या किसी आशंका के कारण उत्पन्न होता है। जबकि उत्साह किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करने वाला एक भाव है, जो किसी कार्य को करने के लिए एक अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है।

उत्साह के लेखक कौन है?

प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक के निबन्ध 'उत्साह' से उद्धृत किया गया है। इसके लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल' हैं।