भारत का सबसे पहला मंदिर कौन सा था? - bhaarat ka sabase pahala mandir kaun sa tha?

वैसे तो ईश्वर की उपासना कभी भी कहि भी की जा सकती हैं लेकिन एक ऐसा खास स्थान भी हैं जहाँ पर ईश्वर की उपासना करने का आनंद ही अलग होता हैं. ऐसे स्थान को साधारण शब्दों में मंदिर कहा जाता हैं. भारत के प्राचीन मंदिरों का इतिहास काफी अनोखा हैं. हमारे देश के अलावा कई अन्य देशों में भी प्राचीन मंदिर मिल चुके हैं. हाल ही में तुर्की, मिस्र, येरुशलम, नोस्सोस में 2500 ईसा पूर्व के कई विशाल मंदिर मिल गए हैं. प्राचीन मंदिरों का इतिहास कितना पुराना हैं यह तो कह पाना थोड़ा मुश्किल हैं लेकिन आज इस लेख में हम आपको भारत का सबसे पुराना मंदिर कौनसा हैं? भारत के सबसे प्राचीन मंदिर का इतिहास क्या हैं. इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.

दुनिया के लगभग सभी देशों में हिन्दू धर्म के अनुयायी मिल ही जाते हैं लेकिन सबसे अधिक हिंदू धर्मावलंबी भारत में निवास करते हैं. इस वजह से यहाँ नव निर्मित मंदिरों से लेकर कई सौ वर्षों तक के मंदिर देंखने को मिलते हैं. लेकिन जब भारत के सबसे पुराने मंदिर की बात आती हैं तो प्राप्त तथ्यों के आधार पर 108 ईस्वी में निर्मित मुंडेश्वरी देवी मंदिर का ही नाम लिया जाता हैं. 

भारत का सबसे पहला मंदिर कौन सा था? - bhaarat ka sabase pahala mandir kaun sa tha?
भारत का सबसे पुराना मंदिर कौनसा हैं? भारत के सबसे प्राचीन मंदिर का इतिहास

भारत का सबसे पुराना मंदिर कौनसा हैं?

भारत का सबसे पुराना मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में स्थित मुंडेश्वरी देवी का हैं. यह मंदिर पवरा पहाड़ी पर लगभग 608 फ़ीट की ऊँचाई पर बना हुआ हैं. इसमें आज तक इसमें लगातार पूजा अर्चना की जाती रही हैं.

भारत के सबसे प्राचीन मंदिर का इतिहास क्या हैं?

भारत के सबसे प्राचीन मंदिर का नाम तो आप जान ही चुके हैं क्यो न अब इसके इतिहास को भी जान लिया जाए. मुंडेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण उदय सेन के शासन काल में हुआ था. यह मंदिर हजारों सालों पुराना हैं. इस मन्दिर की स्थापना का समय हुविश्क शासनकाल माना जाता हैं. इसमें करीब 97 दुर्लभ देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं. जिनमें आराध्य देव शिव और गणेश प्रमुख हैं. इन मूर्तियों को कोलकाता और पटना के संग्राहलयों में देखा जा सकता हैं. यह मंदिर करीब 9 हजार सालों से भी अधिक पुराना हैं.

दोस्तों अभी आपने जाना कि भारत का सबसे पुराना मंदिर कौनसा हैं? भारत के सबसे प्राचीन मंदिर का इतिहास क्या हैं. अगर आपको यह जानकारी पसन्द आई हैं तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना मत भूलें और यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल हैं नीचें कमेंट कर सकते हैं. हम जल्द से जल्द आपके सभी सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिस करेंगे.

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  • ये है दुनिया का सबसे पुराना मंदिर, आज भी होती है पूजा, श्रीलंका से आते थे भक्त

दुनिया का सबसे पुराना मंदिर, आज भी होती है पूजा, श्रीलंका से आते थे भक्त

भारत का सबसे पहला मंदिर कौन सा था? - bhaarat ka sabase pahala mandir kaun sa tha?

मुंडेश्वरी देवी मंदिर।

इलेक्शन डेस्क. बिहार में विधानसभा चुनाव तीसरे फेज में है। इसके मद्देनजर हम आपको यहां के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो दुनिया का सबसे पुराना मंदिर है जहां आज भी पूजा होती है। यह बिहार के भी सबसे पुराने मंदिरों में शुमार किया जाता है। इस बात के प्रमाण भी हैं कि श्रीलंका के भी श्रद्धालु यहां आते थे। इसे 635-636 ईस्वी में बनाया गया था। हालांकि, कुछ अन्य अध्ययनों के मुताबिक़ लोग इसको और पुराना मानते हैं। गर्भगृह में शिव और शक्ति यानी देवी की मूर्तियां हैं। आज मंदिर टूटा हुआ है। कई मूर्तियां भी खंडित हैं। ये कैमूर की पहाड़ी (कैमूर जिला)पर 650 फीट ऊंचाई पर है। मंदिर का पुराना शिखर (टॉप) नष्ट हो चुका हैं, उसकी जगह नई छत बना दी गई है। इसका जिक्र अंग्रेज इतिहासकार कनिंघम ने भी किया है।

चंड-मुंड के वध से जुड़ी है कहानी

इसे बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा फिर से व्यवस्थित किया गया है। लोगों की मान्यता है कि चंड-मुंड नाम के असुरों का नाश करने के लिए, जब देवी प्रकट हुई तो चंड के मारे जाने के बाद युद्ध करते-करते मुंड इसी पहाड़ी में आकर छिप गया था। यहीं पर देवी ने उसका वध किया था। इसी वजह से इसे मुंडेश्वरी माता का मंदिर कहा जाता है। पहाड़ी पर जगह-जगह बिखरे पत्थरों में सिद्धयंत्र और श्लोक खुदे हुए हैं। गर्भगृह का ढांचा अष्टाकार है। एक कोने में देवी मुंडेश्वरी जबकि बीच में चतुर्मुखी शिवलिंग है। अनुमान लगाया जाता है कि जब ये अपनी पूर्वअवस्था में रहा होगा, तब देवी के चारों ओर अलग-अलग देवताओं की मूर्तियां स्थापित रही होंगी। यहां की कई खंडित मूर्तियां पटना के संग्रहालय में भी रखी गई हैं।

श्रीलंका से भी आते थे श्रद्धालु
यहां दर्शन के लिए श्रीलंका से भी श्रद्धालु आते थे। इस बात का प्रमाण मंदिर के रास्तों में पाए गए सिक्के हैं। सिक्कों और यहां पहाड़ी के पत्थरों पर तमिल और सिंहली भाषा में अक्षर लिखे हुए हैं। पहाड़ी पर एक गुफा भी है। हालांकि, इसे सुरक्षा की वजह से बंद कर दिया गया है।

आगे की स्लाइड्स में देखें अद्भुत चतुर्मुखी शिवलिंग और मुंडेश्वरी देवी की मूर्ति साथ में शिला पर मंदिर का इतिहास...

इंडिया का पहला मंदिर कौन सा है?

मुंडेश्वरी देवी का मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी स्थापना 108 ईस्वी में हुविश्क के शासनकाल में हुई थी। यहां शिव और पार्वती की पूजा होती है। प्रमाणों के आधार पर इसे देश का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।

भारत में सबसे पहला मंदिर कब बना?

7वीं शताब्दी तक देश के आर्य संस्कृति वाले भागों में पत्थरों से मंदिरों का निर्माण होना पाया गया है। चौथी से छठी शताब्दी में गुप्तकाल में मन्दिरों का निर्माण बहुत द्रुत गति से हुआ।

विश्व का पहला मंदिर कौन सा है?

विश्‍व का पहला ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर का बृहदेश्‍वर मंदिर है। इसका निर्माण 1003- 1010 ई.