भारत में पाकिस्तान से क्या क्या आता है? - bhaarat mein paakistaan se kya kya aata hai?

भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार न होने से किसे हो रहा अधिक नुक़सान?

  • विजदान मोहम्मद कवूसा
  • बीबीसी मॉनिटरिंग

19 अप्रैल 2021

भारत में पाकिस्तान से क्या क्या आता है? - bhaarat mein paakistaan se kya kya aata hai?

इमेज स्रोत, Getty Images

अप्रैल की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय रिश्ते एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गए थे और इसकी वजह थी पाकिस्तान के वित्त मंत्री का भारत के साथ दो साल से चले आ रहे एकतरफ़ा प्रतिबंध को वापस लिया जाना.

हालाँकि, पाकिस्तान की कैबिनेट ने अगले ही दिन इस फ़ैसले को पलट दिया. भारत पहले भी संकेत दे चुका है कि वह व्यापार जारी रखने को तैयार है, लेकिन उसने इसकी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान पर छोड़ दी है.

इसके बावजूद हालिया दशकों में दोनों देश बड़े व्यापारिक साझेदार नहीं हैं, जबकि कुछ उद्योग और बाज़ार एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं और व्यापार पर रोक के कारण इन पर भारी मार पड़ रही है.

व्यापारिक कठिनाइयाँ बेहद छोटे स्तर पर बड़ी भूमिका निभाती हैं और हज़ारों लोगों की ज़िंदगियों को भी प्रभावित करती हैं.

साल 2018 में आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का कहना था कि अगर दोनों देश हाई टैरिफ़, कठिन वीज़ा नीतियों और बोझिल प्रक्रियाओं को हटा देते हैं, तो उनके बीच व्यापार 2 अरब डॉलर से बढ़कर 37 अरब डॉलर का हो सकता है.

क्यों रुका व्यापार?

इमेज स्रोत, Getty Images

इमेज कैप्शन,

पुलवामा हमला

दोनों देशों के बीच व्यापार 2019 से बंद है, जब भारत प्रशासित कश्मीर से जुड़ी दो घटनाएँ हुईं.

कश्मीर के पुलवामा में चरमपंथी हमले में 40 सुरक्षाबलों की मौत हुई थी, जिसके लिए भारत पाकिस्तान को ज़िम्मेदार बताता है.

इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान का मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्ज छीन लिया और वहाँ से आयात होने वाली चीज़ों पर कस्टम ड्यूटी 200 फ़ीसदी तक बढ़ा दी.

इसका प्रभाव इतना गंभीर था कि जनवरी से लेकर मार्च के बीच पाकिस्तान से होने वाला आयात 91% गिर गया.

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मासिक आँकड़ों के अनुसार, भारत ने जनवरी में 3.23 करोड़ डॉलर का सामान आयात किया, जो फ़रवरी में 1.86 करोड़ डॉलर और मार्च में 28 लाख डॉलर हो गया.

वीडियो कैप्शन,

जम्मू कश्मीर में इस शख़्स ने अपनी ज़मीन को बनाया सेब मंडी

इसके बाद अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, तो पाकिस्तान ने भारत से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. जिसके कारण जुलाई और सितंबर में भारत से पाकिस्तान में होने वाले निर्यात में 90% की गिरावट हुई.

भारत ने जुलाई में 12.03 करोड़ डॉलर का सामान निर्यात किया था, जिसके बाद अगस्त में यह सिर्फ़ 5.23 करोड़ डॉलर और सितंबर में 1.24 करोड़ डॉलर था.

भारत ने अप्रैल 2019 में नियंत्रण रेखा पर जम्मू-कश्मीर से होने वाले व्यापार पर भी रोक लगा दी थी. भारत का दावा है कि ऐसी ख़ुफ़िया रिपोर्टें थीं कि पाकिस्तान स्थित चरमपंथी गुट इसके ज़रिए अवैध हथियार, जाली नोट और नशीले पदार्थों की तस्करी कर सकते हैं.

अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंध का असर

इमेज स्रोत, MAJID JAHANGIR/BBC

दोनों देशों के बीच व्यापार रद्द होने से ऐसा दिखाई देता है कि इससे इनके कुल आयात और निर्यात बाज़ार पर अधिक असर नहीं पड़ा है, क्योंकि दोनों देशों के व्यापार में इसका बेहद मामूली हिस्सा है.

हालाँकि, पाकिस्तान की व्यापार के मामले में भारत पर थोड़ी अधिक निर्भरता देखने को मिलती है.

संयुक्त राष्ट्र कॉमट्रेड के आँकड़ों के अनुसार, बीते 15 सालों में 2018 तक भारत का दुनिया भर से आयात 5.2 लाख करोड़ डॉलर का था, लेकिन पाकिस्तान से सिर्फ़ 5.5 अरब डॉलर का ही आयात था. यह देश के कुल आयात का सिर्फ़ 0.1% था. इसी समय में भारत से पाकिस्तान होने वाला निर्यात उसके कुल निर्यात का सिर्फ़ 0.7% था.

इमेज स्रोत, MAJID JAHANGIR/BBC

इस दौरान किसी भी साल में भारत के कुल आयात में पाकिस्तान का हिस्सा 0.16% से अधिक नहीं रहा. वहीं भारत के कुल निर्यात में उसका हिस्सा कभी 1.1% से आगे नहीं बढ़ पाया.

वहीं, भारत से आयात करने के मामले में पाकिस्तान के कुल आयात का हिस्सा 3.6% रहा है, जबकि निर्यात करने के मामले में भारत के कुल निर्यात का हिस्सा 1.5% रहा है. इस दौरान पाकिस्तान के कुल आयात में भारत का हिस्सा 4.4% तक पहुँच गया जबकि उसकी देश के कुल निर्यात में हिस्सेदारी 2.1% थी.

पाकिस्तान के कपड़ा और चीनी उद्योग पर असर

दोनों देशों के बीच व्यापार रद्द होने से कुछ क्षेत्रों में काफ़ी असर हुआ है. पाकिस्तान में जहाँ कपड़ा उद्योग और चीनी का बाज़ार इससे प्रभावित हुआ है, वहीं भारत में इसके कारण सीमेंट उद्योग, छुहारे और सेंधा नमक के बाज़ार पर असर पड़ा है.

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध से पाकिस्तान पर ख़ासा असर होगा, क्योंकि उसकी भारत पर कपड़े और दवा उद्योग के कच्चे माल के लिए भारी निर्भरता है.

रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान का कपास और चीनी पर आयात प्रतिबंध हटाने का फ़ैसला कपड़ा उद्योग के कच्चे माल की कमी और घरेलू बाज़ार में चीनी के बढ़ते दाम के कारण लिया गया था.

पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है और उसके कुल आयात में इसकी भागीदारी 60% है. कपड़े के बाद चीनी उद्योग देश में सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है.

पाकिस्तान के वित्त मंत्री हम्माद अज़हर ने जब भारत के साथ सीमित व्यापार दोबारा शुरू करने की घोषणा की थी, तो उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में कपास की ज़्यादा मांग है, क्योंकि कपास की कम घरेलू पैदावार के बीच कपड़ा निर्यात बढ़ चुका है. वहीं, दूसरे देशों की तुलना में भारत में चीनी के दाम बेहद कम हैं.

कॉमट्रेड डाटाबेस के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत से 2018 में जितनी भी वस्तुओं का आयात किया, उनमें कपास का कुल हिस्सा 24% था. इसके बाद के साल में भी इस व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था. उस साल पाकिस्तान का भारत से कपास का कुल आयात 37% था.

साल 2018 में पाकिस्तान भारत से 9% चीनी और चीनी के अन्य उत्पाद आयात करता था. आउटलुक पत्रिका के अनुसार, पाकिस्तान ने जब भारत के साथ व्यापार प्रतिबंधित किया, उसके बाद उसने ब्राज़ील, चीन और थाइलैंड से चीनी आयात करना शुरू कर दिया. इसके कारण चीनी की सप्लाई कम हो गई और घरेलू बाज़ार में इसके दाम बढ़ गए.

2018 में भारत से पाकिस्तान और भी चीज़ें आयात करता था जो कि अधिकतर कपड़ा उद्योग से जुड़ी हुई थीं. इनमें कुछ जैविक रसायन, जीरा, धनिया और सरसों शामिल थीं.

डॉयचे वेले की एक रिपोर्ट में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ़ साउथ एशियन स्टडीज़ में रिसर्च फ़ैलो अमित रंजन कहते हैं, "इस तरह के संबंध तोड़ लेना व्यावहारिक नहीं होते हैं क्योंकि कमज़ोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान पर इसने भारी बोझ डाला है. भारत से सामान लेना किसी भी देश की तुलना में बेहद सस्ता होता है."

भारत में छुहारा, सेंधा नामक और सीमेंट बाज़ार पर असर

पाकिस्तान से भारत आयात होने वाली चीज़ों को लेकर यह एक दूसरी तस्वीर है, क्योंकि भारत तीन मुख्य चीज़ों को छोड़कर पाकिस्तान पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है.

हालाँकि, ये ऐसी चीज़ें हैं, जिसके लिए भारत पाकिस्तान पर निर्भर है और व्यापार रद्द होने से इस पर ख़ासा असर पड़ा है.

दिल्ली स्थित कंसल्टिंग ऑर्गनाइज़ेशन ब्यूरो ऑफ़ रिसर्च ऑन इंडस्ट्री एंड इकोनॉमिक फंडामेंटल्स (BRIEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, द्विपक्षीय व्यापार रद्द होने से भारत में छुहारों के खुदरा दामों में तीन गुना वृद्धि हुई है क्योंकि वह इसके आयात के लिए पाकिस्तान पर निर्भर है.

भारत सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 2018-19 में भारत का खजूर और छुहारों का पाकिस्तान से आयात 40% था, छुहारों के मामले में यह आँकड़ा 99.3% तक है. भारत ने जब पाकिस्तान के आयात पर 200% की ड्यूटी लगाई, तो भारत में छुहारे आम उपभोक्ताओं के लिए बेहद महंगे हो गए.

2019-20 में भारत का पाकिस्तान से छुहारों का आयात सिर्फ़ 0.25% ही रह गया.

BRIEF की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान से सीमा साझा करने वाले भारतीय शहर अमृतसर में व्यापार रुकने के बाद सेंधा नमक के दाम दोगुने हो गए थे. 2018-19 में पाकिस्तान से भारत का सेंधा नमक का आयात प्रतिशत 99.7% था, अगले साल यह घटकर 28% हो गया था.

इसी तरह से पाकिस्तान से भारत आयात होने वाली सीमेंट का प्रतिशत 2018-19 में 86% था. BRIEF की रिपोर्ट के अनुसार, कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से पहले पाकिस्तान से सीमेंट और जिप्सम आयात करना बेहद आसान होता था.

आम इंसान को हो रहा नुक़सान

इमेज स्रोत, MAJID JAHANGIR/BBC

मीडिया रिपोर्टों में देखा जाता है कि व्यापार प्रतिबंध अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालता है, लेकिन यह आम लोगों पर अलग तरह से असर डालता है.

BRIEF में एसोसिएट डायरेक्टर निकिता सिंगला ने न्यूज़ वेबसाइट 'द वायर' में व्यापार रुकने के कारण मानवीय नुक़सान पर लिखा है. वो बताती हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के मीडिया में यह बताया जाता है कि व्यापार रुकने से उनके देशों की अर्थव्यवस्था पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ रहा है, जबकि इसके कारण कई लोग अपनी आजीविका खो चुके हैं.

सिंगला लिखती हैं, "मैं उन बच्चों से मिली हूँ, जिन्हें निजी स्कूलों से निकाल लिया गया, क्योंकि उनके पिता का व्यापार चौपट हो चुका था. अटारी ट्रक यूनियन के एक ट्रक मालिक से मैं मिलीं जिन्होंने 2010 में अमृतसर से हांगकांग आने का फ़ैसला किया था, क्योंकि उन्हें वाघा-अटारी सीमा पर व्यापार में संभावनाएँ दिखी थीं और उन्होंने 30 ट्रक ख़रीदे थे."

वीडियो कैप्शन,

कश्मीर और आर्टिकल 370 से लेह-लद्दाख को क्या थी परेशानी?

"मैं एक पिता से मिली थी, जो अपने तीन बेटों के साथ ट्रकों में सामान चढ़ाने और उतारने का काम किया करते थे और उसके ज़रिए अपनी आजीविका चला रहे थे. वे सभी अब बेरोज़गार हैं, उनमें से उनका एक 'पढ़ा-लिखा' बेटा रोज़गार ढूँढने में सफल हो पाया, जो एक गुरुद्वारा साहिब में ग्रंथी हैं और उन्हें सिर्फ़ दो घंटे का काम मिलता है."

BRIEF की रिपोर्ट का अनुमान है कि द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ने से घर में इकलौते कमाने वाले व्यक्ति के कारण सिर्फ़ अमृतसर शहर में 9,354 परिवारों पर सीधा असर पड़ा है.

उन्होंने इसमें व्यापारी, सीमा शुल्क एजेंट, ट्रक मालिक और ड्राइवर, मज़दूर, दुकानदार, पेट्रो पंप कर्मी और मैकेनिक जैसे अन्य लोग शामिल किए हैं.

(बीबीसी मॉनिटरिंग दुनिया भर के टीवी, रेडियो, वेब और प्रिंट माध्यमों में प्रकाशित होने वाली ख़बरों पर रिपोर्टिंग और विश्लेषण करता है. आप बीबीसी मॉनिटरिंग की ख़बरें ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी पढ़ सकते हैं.)

इंडिया में पाकिस्तान से क्या क्या आता है?

अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो भारत और पाकिस्तान के व्यापार में काफी असमानता नज़र आती है। अगस्त 2019 में भारत ने पाकिस्तान को करीब 370 करोड़ रुपये की चीज़ों का निर्यात किया। वहीं, पाकिस्तान इस दौरान भारत को सिर्फ 18 करोड़ रुपये का सामान ही बेच पाया।

पाकिस्तान से क्या आता है?

पिछले वित्त वर्ष में पाकिस्तान ने 80 अरब डॉलर का आयात किया जबकि निर्यात 31 अरब डॉलर का किया।

भारत सबसे ज्यादा क्या एक्सपोर्ट करता है?

भारत से प्रमुख उत्पाद निर्यात तैयार वस्त्र और वस्त्र, इंजीनियरिंग उत्पाद जैसे साइकिल और डीजल इंजन, हाथ उपकरण और मोटर वाहन घटक इत्यादि, और संबद्ध रसायन और ठीक रसायन, डाई और डाई मध्यवर्ती, ट्यूब और टायर, रबर के दस्ताने जैसे आइटम हैं।

पाकिस्तान क्या एक्सपोर्ट करता है?

लेकिन ये पाकिस्‍तान को महंगा पड़ता है।