समुद्र पर सेतु निर्माण कैसे हुआ? - samudr par setu nirmaan kaise hua?

निर्देशांक: 9°07′16″N 79°31′18″E / 9.1210°N 79.5217°E

समुद्र पर सेतु निर्माण कैसे हुआ? - samudr par setu nirmaan kaise hua?

हवाई दृष्य, पश्चिम की ओर देखने पर

समुद्र पर सेतु निर्माण कैसे हुआ? - samudr par setu nirmaan kaise hua?

रामसेतु (तमिल: இராமர் பாலம் रामर पालम , मलयालम: രാമസേതു ), तमिलनाडु, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य प्रभु श्रीराम व उनकी वानर सेना द्वारा सीता माता को रावण से मुक्त कराने के लिए बनाई गई एक श्रृंखला (मार्ग) है।[1] भौगोलिक प्रमाणों से यह पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू मार्ग से आपस में जोड़ता था।[2] हिन्दू पुराणों की मान्यताओं के अनुसार इस सेतु का निर्माण अयोध्या के राजा श्रीराम की सेना के दो सैनिक जो की वानर थे, जिनका वर्णन प्रमुखतः नल-नील नाम से रामायण में मिलता है, द्वारा किये गया था, [3]

यह पुल ४८ किलोमीटर (३० मील) लम्बा है[3] तथा मन्नार की खाड़ी (दक्षिण पश्चिम) को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) से अलग करता है। कुछ रेतीले तट शुष्क हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल ३ फुट से ३० फुट (१ मीटर से १० मीटर) जो नौगमन को मुश्किल बनाता है।[3][4][5] यह कथित रूप से १५ शताब्दी तक पैदल पार करने योग्य था जब तक कि तूफानों ने इस वाहिक को गहरा नहीं कर दिया। मन्दिर के अभिलेखों के अनुसार रामसेतु पूरी तरह से सागर के जल से ऊपर स्थित था, जब तक कि इसे १४८० ई० में एक चक्रवात ने तोड़ नहीं दिया।[6] इस सेतु का उल्लेख सबसे पहले वाल्मीकि द्वारा रचित प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य रामायण में किया गया था, जिसमें राम ने अपनी वानर (वानर) सेना के लिए लंका तक पहुंचने और रक्ष राजा, रावण से अपनी पत्नी सीता को छुड़ाने के लिए इसका निर्माण कराया था।

पश्चिमी जगत ने पहली बार 9वीं शताब्दी में इब्न खोरादेबे द्वारा अपनी पुस्तक " रोड्स एंड स्टेट्स ( 850 ई ) में ऐतिहासिक कार्यों में इसका सामना किया, इसका उल्लेख सेट बन्धई या" ब्रिज ऑफ़ द सी "है। [५] कुछ प्रारंभिक इस्लामिक स्रोत, एडम के पीक के रूप में श्रीलंका के एक पहाड़ का उल्लेख करते हैं, (जहाँ एडम माना जाता है कि पृथ्वी पर गिर गया) और पुल के माध्यम से एडम को श्रीलंका से भारत के पार जाने के रूप में वर्णित किया; एडम ब्रिज के नाम से जाना जाता है। [६] अल्बेरुनी ( सी। १०३० ) शायद इस तरह से इसका वर्णन करने वाला पहला व्यक्ति था। [५] इस क्षेत्र को आदम के पुल के नाम से पुकारने वाला सबसे पहला नक्शा १ ] ०४ में एक ब्रिटिश मानचित्रकार द्वारा तैयार किया गया था। [३]

आयु[संपादित करें]

समुद्र पर सेतु निर्माण कैसे हुआ? - samudr par setu nirmaan kaise hua?

१९वीं शताब्दी में निर्मित इस चित्र में रामायण का वह प्रसंग चित्रित है जिसमें वानरों द्वारा सेतु का निर्माण किया जा रहा है।

रामसेतु की आयु विवाद का विषय रहा है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के "प्रोजेक्ट रामेश्वरम" के अनुसार इस इलाके के मूँगा (कोरल) के आयु के आंकड़े बताते हैं कि रामेश्वरम द्वीप १२५,००० साल पहले विकसित हुआ है। बदलते समुद्र स्तर के कारण ये भी बताया गया है कि रामेश्वरम और तलैमन्नार, श्रीलंका के बीच के जमीन ७,००० से १८,००० वर्ष पहले शायद खुली थी। धनुषकोडी और रामसेतु के बीच के रेत की टीलों की आयु ५००-६०० साल पुरानी बताई जाती है।[7] तिरुचिरापल्ली स्थित भारतिदासन विश्वविद्यालय के २००३ के सर्वेक्षण के अनुसार रामसेतु की आयु सिर्फ ३,५०० साल है।[8]

पूरे भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरे पर और राम के जीवन पर आधारित सभी तरह के नृत्य-नाटकों में सेतु बंधन का वर्णन किया जाता है। राम के बनाए इस पुल का वर्णन रामायण में तो है ही, महाभारत में भी श्री राम के नल सेतु का उल्लेख आया है। कालीदास की रघुवंश में सेतु का वर्णन है। अनेक पुराणों में भी श्रीरामसेतु का विवरण आता है। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका मे राम सेतु कहा गया है। नासा और भारतीय सेटेलाइट से लिए गए चित्रों में धनुषकोडि से जाफना तक जो एक पतली सी द्वीपों की रेखा दिखती है, उसे ही आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है। यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में रामायण काल में श्री राम नाम के साथ, उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "What will you see if you visit the precise point where India ends and Sri Lanka begins?". मूल से 13 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2017.
  2. "'Ram Setu' exists, is man-made, claims promo on US TV channel". मूल से 13 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2017.
  3. ↑ अ आ इ work= %5b%5bब्रिटैनिका विश्वकोष%5d%5d "RamSetu". 2007. मूल से 12 October 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2007.
  4. "Map of the area". मूल से 3 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2010.
  5. "Map of the area2". मूल से 3 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2010.
  6. "RamSetu – The Mythical Bridge Over the Ocean". srilanka.travel. मूल से 15 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 दिसंबर 2017.
  7. आर रामचंद्रन (२२ अक्टुबर २००५). "Myth vs Science". frontline. मूल से 2 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 दिसम्बर 2017.
  8. "Rama's bridge is only 3,500 years old: CRS (Centre for Remote Sensing)". इण्डियन एक्स्प्रेस. ३ फरवरी २००३. मूल से 5 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ दिसम्बर २०१७.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • धनुषकोडी
  • सेतुसमुद्रम जहाजरानी नहर परियोजना

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Adam's Bridge Indian Ocean 5000 BCE
  • सेतुसमुद्रम नहर के लाभ
  • सेतुसमुद्रम के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
  • हिन्दू संगठनों द्वारा रामसेतु आन्दोलन
  • अमेरिकी भू-वैज्ञानिकों का दावा: भारत-श्रीलंका के बीच बना 'रामसेतु' है मानव निर्मित (दिसम्बर २०१७)

समुद्र में पुल कौन बना सकता था?

नल और नील ने शुरू किया था निर्माण भगवान राम की सेना लंका तक पहुंच सके, इसके लिए समुद्र पर पुल बनाने का कार्य वानर सेना के 2 सर्वश्रेष्‍ठ वानर नल और नील ने इसके लिए सबसे पहले रामेश्‍वरम समुद्र में पत्‍थर फेंके थे।

राम सेतु कैसे टूटा?

रामसेतु पर कई शोध हुए हैं कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी तक इस पुल पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था, लेकिन तूफानों ने यहां समुद्र को कुछ गहरा कर दिया। 1480 ईस्वी सन् में यह चक्रवात के कारण टूट गया और समुद्र का जल स्तर बढ़ने के कारण यह डूब गया।

भगवान राम ने कौन सा पुल बनाया था?

कई विदेशी के रिसर्च सेंटर की ओर की गई जांच में पता चला है कि रामसेतु या एडम्स ब्रिज मानव द्वारा बनाया गया है. वहीं, इसकी लंबाई को लेकर भी अलग अलग तरह के दावे सामने आते हैं. मान्यताओं के अनुसार, ये वो पुल है, जिसे उस वक्त बनाया गया था, जब भगवान राम लंका के लिए जा रहे थे और समुद्र को पार करने के लिए एक पुल बनाया गया था.

रामसेतु कैसे बनाया था?

नासा और भारतीय सेटेलाइट से लिए गए चित्रों में धनुषकोडि से जाफना तक जो एक पतली सी द्वीपों की रेखा दिखती है, उसे ही आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है। यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में रामायण काल में श्री राम नाम के साथ, उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था