भारत में सबसे पहले कौन जिला आजाद हुआ था - bhaarat mein sabase pahale kaun jila aajaad hua tha

  • बलिया में फूटी थी भारत की स्वतंत्रता की पहली किरण
  • 10 अगस्त 1942 को शुरू हुई थी अहिंसक क्रांति

बगावत को हमराह बनाने वाले बलिया ने सन 1942 की क्रांति में सफलता की अमिट कहानी लिख डाली. पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले बलिया ने वह कर दिखाया, जिसके सपने देखते हुए भारत मां के जाने कितने लालों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी. जिसके सपने आंखों में सजाए जाने कितने स्वतंत्रता सेनानी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए. बलिया में ऐसी क्रांति हुई, जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

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बलिया में क्रांति का रूप ऐसा था, जिसके सामने गांव के चौकीदार से लेकर जिले के कलक्टर तक को नतमस्तक होना पड़ा. 10 अगस्त 1942 को शुरू हुई अहिंसक क्रांति से अंग्रेजी राज के सभी गढ़ ढह गए और नौकरशाही भाग खड़ी हुई. एक के बाद एक थाने और तहसील पर तिरंगा फहरता चला गया और अंग्रेजी प्रशासन पूरी तरह से समाप्त हो गया. बलिया के लोगों ने अपने अदम्य साहस और अद्भुत शौर्य के दम पर लगभग पौने दो सौ साल से पड़ी गुलामी की बेड़ियां काट दीं और 19 अगस्त 1942 को ही स्वतंत्रता के सुप्रभात का दीदार कर लिया.

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भारत की स्वतंत्रता की पहली किरण बलिया में ही फूटी. हालांकि, यह आजादी अधिक दिनों तक नहीं कायम नहीं रह सकी और 22 अगस्त 1942 की देर रात अंग्रेजी फौज बलिया पहुंची. अंग्रेजी फौज के साथ नेदरसोल को विशेषाधिकार से लैस प्रशासक बनाकर बलिया भेजा गया था. नेदरसोल ने कलक्टर के बंगले पर पहुंचकर जिले का प्रशासन अपने हाथ में लेने की घोषणा कर दी. फिर से जिले की सत्ता पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया, लेकिन बलिया वालों ने अपने तेवर और पराक्रम से यह दिखा दिया कि उसे यूं ही बागी नहीं कहा जाता.

ब्रिटिश संसद में भी गूंज

बलिया की यह आजादी भले ही चंद दिनों की रही, लेकिन इसके निहितार्थ बड़े व्यापक थे. एक छोटे से जिले के, हर ओर अंग्रेजी शासन से घिरे रहकर भी आजाद हो जाना क्रांतिकारियों में नए उत्साह का संचार कर गया, वहीं इस खबर से दुनिया भी चौंक पड़ी. 1942 की क्रांति के समय प्रांत कांग्रेस कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य रहे स्वतंत्रता सेनानी दुर्गा प्रसाद गुप्त ने अपनी पुस्तक 'स्वतंत्रता संग्राम में बलिया' में लिखा है कि अगस्त महीने के अंत में प्रदेश के गवर्नर सर हैलेट ने लंदन को यह खबर भेजी कि बलिया पर फिर कब्जा कर लिया गया है.

गवर्नर के इस संदेश में भी इस बात की स्वीकारोक्ति थी कि बलिया में अंग्रेजी शासन समाप्त हो गया था. यह मुद्दा ब्रिटिश संसद में भी उठा. तब संसद में भारतीय मामलों के मंत्री एमरी ने भी हैलेट की बात दोहराई. ब्रिटिश संसद में बलिया की आजादी गूंजी. दुनिया के अन्य देशों में इसे ब्रिटिश शासन की ओर से अपनी पराजय की स्वीकारोक्ति के रूप में देखा गया.

बलिया की सरजमीं को चूम लेना चाहता हूं

बलिया की क्रांति की तब के लगभग हर बड़े नेता ने सराहना की. अपनी पुस्तक में दुर्गा प्रसाद गुप्त लिखते हैं कि कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा था, "मैं बलिया की उस सरजमीं को चूम लेना चाहता हूं, जहां इतने बहादुर और शहीद पैदा हुए." आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी 42 के आंदोलन में बलिया की भूमिका को सराहा था. उन्होंने कहा था, "अगर 1942 में मैं जेल से बाहर होता, तो मैंने भी वही किया होता जो बलिया की जनता ने अपने यहां किया."

सिद्ध हुआ बापू का संकल्प

'करो या मरो' के नारे के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन का शंखनाद किया था. ब्रिटिश शासन की ओर से सत्ता के तुरंत हस्तांतरण का प्रस्ताव ठुकरा दिए जाने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बंबई (अब मुंबई) में हुई विशेष बैठक में महात्मा गांधी ने कहा था, "या तो हम हिन्दोस्तान को आजाद कराके रहेंगे या शहीद हो जाएंगे. मैं स्वतंत्रता चाहता हूं. पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं हो सकता." जिस पूर्ण स्वतंत्रता के संकल्प के साथ उस संकल्प को बलिया ने सिद्ध कर दिखाया.

भारत में सबसे पहले कौन जिला आजाद हुआ था - bhaarat mein sabase pahale kaun jila aajaad hua tha

आधुनिक समय में जब देशवासियों  में जागरूकता आई तो अपने देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद करने का उन्होंने बीड़ा उठाया और इसके लिए एक अंग्रेजों से एक लंबा संघर्ष किया।

प्रश्न है कि भारत कौन सा जिला है जो अंग्रेजों से सबसे पहले आजाद हुआ था। 

दोस्तों इसका जवाब देने से पहले हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। आजादी के आंदोलन का सबसे बड़ा संघर्ष   1857 से एक गदर के रूप में शुरू हुआ था। 1857 की क्रांति इतनी बड़ी थी कि उस समय अंग्रेजों लगा कि उन्हें आप भारत से बाहर चले जाना चाहिए लेकिन अंग्रेजों ने अपने नापाक इरादे और खतरनाक चालो से इस आंदोलन को दबा दिया। लेकिन इसके बाद भारत के कई इलाकों में लगातार कई आंदोलन और अंग्रेजो के खिलाफ खूनी संघर्ष हुआ।  15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।‌

बता दें कि पंजाब राज्य के गुरुदास जिला अंग्रेजों से सबसे पहले आजाद हुआ था। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश का बलिया जिला आजादी के 5 साल पहले ही 4 दिन के लिए सबसे पहले आजाद हो गया था।

बलिया बलिदान दिवस पर याद किए गए शहीद

भारत में सबसे पहले कौन जिला आजाद हुआ था - bhaarat mein sabase pahale kaun jila aajaad hua tha

भारत आजाद हुआ 1947 को लेकिन बलिया को 1942 में ही आजाद करा लिया गया था. इस अवसर पर बुधवार को बलिया में चारों तरफ जबरदस्त जश्न का माहौल रहा.

भारत आजाद हुआ 1947 को लेकिन बलिया को 1942 में ही आजाद करा लिया गया था. इस अवसर पर बुधवार को बलिया में चारों तरफ जबरदस्त ...अधिक पढ़ें

  • ETV UP/Uttarakhand
  • Last Updated : August 19, 2015, 22:01 IST

    भारत आजाद हुआ 1947 को लेकिन बलिया को 1942 में ही आजाद करा लिया गया था. इस अवसर पर बुधवार को बलिया में चारों तरफ जबरदस्त जश्न का माहौल रहा.

    आपको बताते चलें कि आज से तकरीबन 73 साल पूर्व बलिया के सैकड़ों वीर क्रांतिकारियों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर बलिया को देश की आजादी से पांच वर्ष पूर्व यानि 19 अगस्त 1942 को ही आजाद करा लिया था और बलिया के महान सपूत पंडित चित्तू पाण्डेय कि अगुवाई में क्रांतिकारियों ने स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र सरकार की स्थापना की थी, जिसका शासनाध्यक्ष पण्डित चित्तू पाण्डेय को बनाया गया था.

    स्वतंत्रता सेनानी राम विचार पाण्डेय ने बताया कि भारत आजाद हुआ 15 अगस्त को, लेकिन बलिया को 1947 से पांच बरस पहले ही सन 1942 में आजाद करा लिया गया था. इस अवसर पर आज गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया.

    बलिया के वीर क्रांतिकारियों की कुर्बानी के बाद देश की आजादी से पांच वर्ष पूर्व मिली आज़ादी की खुशी में बलिया के लोगों ने जुलूस निकाला. बलिया की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और तमाम संगठनों के लोग इस जुलूस में शामिल हुए.

    जिला कारागार से उत्सव जुलूस निकालकर शहर भर में मार्च करते हुए 19 अगस्त 1942 की इस अगस्त क्रांति को आज एक पर्व के रूप में मनाया गया.

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    Tags: Independence day, उत्तर प्रदेश

    FIRST PUBLISHED : August 19, 2015, 22:01 IST

    इंडिया में सबसे पहले जिला कौन सा आजाद हुआ?

    भारत का पंजाब राज्य में गुरदासपुर जिल्ला सबसे पहले आज़ाद हुआ था ।

    Ballia कब आजाद हुआ था?

    August kranti : देश के नाम 84 ने दिया बलिदान, पांच साल पहले 19 अगस्त 1942 को आजाद हुआ बलिया बलिया को बागी यूं ही नहीं कहा गया। आजादी की जंग में यहां के क्रांतिकारियों के किरदार की अनगिनत गौरव गाथाएं हैं।

    विश्व में सबसे पहले कौन सा देश आजाद हुआ था?

    सबसे पहले जापान 660 ईसा पूर्व 7 वीं शताब्दी के राजाओं-महाराजाओ से आजाद हुआ था। चीन 221 ईसा पूर्व झोऊ साम्राज्य से आजाद हुआ था और सबसे नवीन 24 नवम्बर 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग होके आजाद हुआ। भारत के अलावा 15 अगस्त को आजाद होने वाले देश कोरिया, बहरीन और कांगो भी है।

    भारत पूरी तरह से आजाद कब हुआ था?

    Memories of 15 August 1947: आज हमें आजाद हुए 75 साल हो गए.