भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्यों कहते हैं? - bhaarateey arthavyavastha ko mishrit arthavyavastha kyon kahate hain?

मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है (mixed economy system in india countries features advantages and disadvantages in hindi):  Mixed Economy in Hindi: यह आर्थिक प्रणाली पूंजीवाद व समाजवाद दोनों के आदर्श लक्षणों का देश की आवश्यकतानुसार समावेश करने का एक प्रयास है. दूसरे शब्दों में मिश्रित अर्थव्यवस्था की यह प्रणाली पूंजीवाद व समाजवाद के बिच का रास्ता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्यों कहते हैं? - bhaarateey arthavyavastha ko mishrit arthavyavastha kyon kahate hain?

अर्थ-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह अस्तित्व होता है, यह निजी उपक्रम तथा निजी लाभों का समर्थन करती है. परन्तु साथ ही साथ सम्पूर्ण समाज के हितों की रक्षा के लिए सरकार के अस्तित्व को भी महत्वपूर्ण मानती है.

मिश्रित अर्थव्यवस्था में यही प्रयास रहता है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों संयुक्त रूप से इस प्रकार कार्य करे जिससे देश के सभी वर्गों का आर्थिक कल्याण बढ़े एवं देश में वृद्धि व विकास की संभावनाओं का प्रचार हो. स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रणाली को अपनाया है.

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं (features of mixed economy)

इस मिश्रित अर्थव्यवस्था के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण या विशेषताएं निम्नलिखित है.

  • निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों का सह अस्तित्व (Private and public sector co-existence)– मिश्रित अर्थव्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता निजी तथा सार्वजनिक उपक्रम दोनों का सह अस्तित्व. सामाजिक लाभ के उद्देश्य से महत्वपूर्ण उद्योगों पर सरकार का एकाधिकार होता है. जैसे-पेयजल, विधुतीकरण, उर्जा उत्पादन, आंतरिक व बाहरी सुरक्षा आदि. इस आर्थिक प्रणाली में भारी व आधारभूत उद्योगों का संचालन व विकास सरकार द्वारा किया जाता है. तथा कुटीर उद्योगों, कृषि कार्य आदि निजी क्षेत्र के अधीन होते है. इनके अतिरिक्त संयुक्त क्षेत्र की स्थापना भी की जाती है.
  • प्रशासित मूल्य (Administered value)-मिश्रित अर्थव्यवस्था में वस्तु की कीमत निर्धारण की दोहरी प्रणाली होती है. निजी क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं की कीमत बाजार में स्वतंत्र रूप से होती है. परन्तु सरकार कुछ आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों को तय करने का अधिकार अपने पास रखती है. जो सामान्य आदमी द्वारा प्रयोग की जाती है. उदहारण के भारत में पेंट्रोल, डीजल, एल पी जी गैस आदि के मूल्य सरकार द्वारा तय कर दिए जाते है.
  • आर्थिक नियोजन (Financial planning)– मिश्रित अर्थव्यवस्था एक नियोजित अर्थव्यवस्था होती है. जिसमें सरकार पूर्ण नियोजन के साथ सामाजिक व आर्थिक नीतियों का निर्माण करती है. इन्ही नीतियों के अनुरूप सामाजिक कल्याण के कार्यों को करती है, जैसे नदी घाटी परियोजना का निर्माण कर पेयजल, सिंचाई, पर्यटन, मछली पालन, विद्युत उत्पादन आदि कार्यों का विकास करना तथा सामाजिक लाभ के लिए आम जनता को आपूर्ति करना.
  • क्षेत्रीय संतुलन (Regional balance)- सामाजिक महत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण नियोजन प्रक्रिया को इस प्रकार क्रियान्वित करती है. कि सभी क्षेत्रों में समान रूप से विकास हो सके. जैसे शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, परिवहन, पेयजल इत्यादि सुविधाओं का विस्तार व विकास.
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता (personal freedom)-मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र में उत्पादन करने विनिमय तथा वितरण करने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है. लेकिन यह स्वतंत्रता सामाजिक हित या कल्याण में वृद्धि करने की दिशा पर प्रतिकूल प्रभाव नही डाल सके इसलिए सरकार इस स्वतंत्रता पर आंशिक नियंत्रण रखती है. जैसे सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान तथा मद्यपान का निषेध होना, बाल विवाह, मृत्यु भोज, भव्य विवाह आयोजन इत्यादि पर रोक.

मिश्रित अर्थव्यवस्था का विश्लेषण (Analysis of mixed economy)

गुण (advantages)

  1. पूंजीवाद, समाजवाद दोनों के गुणों का समावेश
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (व्यवसाय व उपभोग की)
  3. वर्ग संघर्ष में कमी
  4. आपसी विषमताओं में कमी
  5. आर्थिक उतार चढ़ाव पर नियंत्रण
  6. अल्पविकसित देशों का संतुलित विकास

दोष (disadvantages)

  1. संचालन कठिन (समन्वय का अभाव)
  2. अस्थायी लाभ
  3. आर्थिक विकास की मध्यम गति
  4. औपचारिकता व पक्षपात को बढ़ावा (उत्पादन दक्षता में कमी)

मिश्रित अर्थव्यवस्था का इतिहास (History of mixed economy)

20 वीं सदी के आरम्भिक दौर में एक खेमे में पूंजीवादी तथा दूसरे खेमे में साम्यवादी विचारधारा के समर्थक अपने अपने मॉडल के मुताबिक़ अपनी अर्थव्यवस्था को अपना रहे थे. 1929 की वैश्विक मंदी की परिघटना के मिश्रित अर्थव्यवस्था के प्रादुर्भाव की स्थितियों को जन्म दिया. यह वह दौर था जब दोनों सर्वमान्य मॉडल गहरी मंदी का शिकार थे तथा उद्योग धंधे बंद होने की कगार पर आ पहुचे थे. यही से इस मिक्स्ड इकोनोमी मॉडल का जन्म होता हैं.

द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट, इंटरेस्ट और मनी जिनके लेखक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन मेनार्ड केंस ने को इस विचारधारा का जनक माना जाता हैं. उस समय के कई अर्थशास्त्रियों ने अपनी पुस्तकों में इस मॉडल के सफल न होने कई कारण गिनाएं, इस अर्थव्यवस्था के आलोचकों में लडविग वॉन मिसेस भी थे जिनका मानना था कि पूंजीवाद तथा समाजवाद का कभी भी मिश्रण हो ही नहीं सकता हैं.

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मिश्रित अर्थव्यवस्था के लाभ क्या है ?

अर्थव्यवस्था का सन्तुलन : सार्वज़निक और निज़ी क्षेत्र के सह-अस्तित्व से अर्थंव्यवस्था का सन्तुलन बना रहता हैं। निज़ी क्षेत्र लाभ के लक्ष्य पर केन्द्रित अर्थंव्यवस्था को विक़ास की ग़ति प्रदान क़रता हैं। वही सार्वज़निक क्षेत्र के माध्यम से सरकार उत्पादो के वितरण और आर्थिक़ समानता भी बनाए रख़ती हैं।

व्यापारिक प्रतिस्पर्धा: निजी क्षेत्र के अस्तित्व से सार्वजनिक क्षेत्र का एकाधिकार समाप्त हो जाता है। प्रतिस्पर्धा की चलते सरकारी इकाइयों की दक्षता मे सुधार आता है। निजीकरण की प्रक्रिया के चलते निजी क्षेत्र मे भी प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रहता है। इस प्रकार व्यापारिक प्रतिस्पर्धा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित होती है।

सरकारी सहायता : अर्थंव्यवस्था के समग्र विक़ास के लिये सरकार प्रतिबद्ध रहती हैं। क़ुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रो मे क़म लाभप्रदता के क़ारण निज़ी उद्यम उनसे दूरी बना लेतें हैं। मिश्रित अर्थंव्यवस्था में सरक़ार सब्सिडी अथवा प्रबन्धन के तरीको से इन महत्वपूर्णं क्षेत्र की ईकाइयो को सहायता प्रदान क़रती हैं। निज़ी क्षेत्र के मनमानें रवैयें पर भी लग़ाम रहती हैं। ताक़ि अर्थव्यवस्था का समग्र विक़ास हो सकें।

आर्थिक न्याय : पूंज़ीवाद आर्थिक़ असमानता को बढावा देता हैं। ज़हा अमींर और अमीर और गरीब़ की स्थिति बिगडती जाती हैं। मिश्रित अर्थंव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेंप के चलतें इस आर्थिक़ असमानता को दुर किया जाता है। समाज़ के कमज़ोर वर्ग को सरक़ार आर्थिक़ सहायता देक़र आगे बढने का अवसर प्रदान क़रती हैं।

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपकों Mixed Economy System In India in Hindi का यह लेख पसंद आया होगा. इस लेख में हमने जाना कि मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है, इसकी विशेषताएं, गुण लाभ, हानि, आलोचना तथा इतिहास के बारें में संक्षिप्त में जाना हैं. यदि आपकों हमारा यह लेख पसंद आया हैं तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

भारत को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्यों कहा जाता है?

भारत को एक मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है क्योंकि भारत न तो पूरी तरह समाजवादी है न और न ही‌ पूरी तरह पूंजीवादी है। हम अमेरिका तथा क्यूबा का उदाहरण ले सकते हैं। जहां एक ओर अमेरिका में कोई सार्वजनिक क्षेत्र का‌ उद्यम नहीं है वहीं दूसरी ओर क्युबा में कोई भी निजी क्षेत्र का उद्यम नहीं है

भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या कहते हैं?

अर्थ-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह अस्तित्व होता है, यह निजी उपक्रम तथा निजी लाभों का समर्थन करती है. परन्तु साथ ही साथ सम्पूर्ण समाज के हितों की रक्षा के लिए सरकार के अस्तित्व को भी महत्वपूर्ण मानती है.

भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था का जनक कौन है?

यह शब्द पैट मुलिंस द्वारा गढ़ा गया था और इसे जेएम कीन्स ने समर्थन दिया था। भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था के साथ-साथ कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है, जिसका अर्थ है कि स्वतंत्रता के सात दशकों के बाद इसकी जनसंख्या का अधिकांश भाग कृषि-निर्भर है। एडम स्मिथ को मिश्रित अर्थव्यवस्था के जनक के रूप में जाना जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को कौन सी अर्थव्यवस्था कहा जाता है?

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है ।